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Archive for: May 2013

ट्रेवल एजेंटों की कमीशन को लेकर किये गए एक दिवसीय शटर डाउन से २५० करोड़ का एयर ट्रेवल व्यापार प्रभावित हुआ

ट्रेवल एजेंटों की कमीशन को लेकर किये गए एक दिवसीय शटर डाउन से २५० करोड़ का एयर ट्रेवल व्यापार प्रभावित हुआ

ट्रेवल एजेंटों की कमीशन को लेकर किये गए एक दिवसीय शटर डाउन से २५० करोड़ का एयर ट्रेवल व्यापार प्रभावित हुआ

[मुम्बई]१९५१ से कार्यरत ट्रेवल एजेंटों की संस्था टी ऐ ऐ आई[TAAI ]ने आज एयर ट्रेवल बुकिंग को बंद करके उड्डयन मंत्रालय की नीतियों का विरोध किया और देश भर में एक दिन में लगभग २५० करोड़ रुपयों के व्यापार को प्रभावित किया| असंतुष्ट टी ऐ ऐ आई ने अजेंट्स कमीशन ट्रेवल अजेंट्स बॉडी को पुनः चालू नहीं किये जाने के फलस्वरूप शीघ्र अपने आज के एक दिवसीय शटर डाउन को बड़े आन्दोलन में तब्दील करने की चेतावनी भी दी है|
टी ऐ ऐ आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष इकबाल मुल्ला ने फोन पर बातचीत के दौरान आज के शटर डाउन को बड़ी सफलता माना है श्री मुल्ला के अनुसार पहले केवल टी ऐ ऐ आई के २८०० सदस्यों द्वारा ही शटर डाउन किये जाने थे लेकिन आज पहले दिन ही देश भर में साड़े तीन हज़ार एजेंटों ने साथ दिया और अपने आक्रोश को व्यक्त किया|
श्री मुल्ला ने एयर लाइन्स और उनके माध्यम से नियामक डी जी सी ऐ और नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर निशाना साधते हुए बताया के पहले ट्रेवल एजेंट को ९% कमीशन दी जाती थी उसके बाद इसे षड्यंत्र के रूप में लगातार घटाकर ९% से ७%फिर ५% और उसके पश्चात ३% और फिर १% किया गया अब इस पर भी कुल्हाड़ी चलाई गई है| यह षड्यंत्र २००७ से शुरू किया गया है| सरकार की अस्पष्ट निति के चलते इस घातक कार्यवाही से टी ऐ ऐ आई के २८०० सदस्यों के अलावा ७०० अन्य एजेंट और इनके साथ देश भर से लगभग एक लाख छोटे मोटे एजेंट प्रभावित हुए हैं|
श्री मुल्ला ने एयर ट्रेवेलर्स के हित में यात्री यानों के किराए में पारदर्शिता के साथ ही एजेंसी कमीशन को पुनः चालू किये जाने की मांग की है |सीट+खाना+स्नैक्स +सॉफ्ट / हार्ड ड्रिंक्स आदि के नाम पर अतिरिक्त शुल्क को टिकेट्स में ही शामिल किये जाने की भी मांग की गई है|
बताते चलें की टूरिस्ज्म इण्डस्ट्रीज में लगभग ७०% हिस्से दारी एयर ट्रेवल से आती है और वर्तमान राष्ट्रीय बजट में टूरिस्ज्म मंत्रालय के लिए ८७.६६ करोड़ रुपयों की वृद्धि करके इसे १२९७ करोड़ किया गया है लेकिन आरोप लगाए गए हैं के एयर लाइन्स को फायदा पहुचाने के लिए धरातल पर जुड़े आम आदमी के रूप में लगभग एक लाख ट्रेवेल एजेंटों की कमीशन पर कुठाराघात किया जा रहा है|
श्री मुल्ला के अनुसार इस शटर डाउन से एक लाख एजेंटों में असंतोष और देश को बेशक २५० करोड़ रुपयों का व्यापार प्रभावित हुआ है लेकिन सरकार की तरफ से कोई ब्रेक थ्रू का प्रयास नही किया गया है|यह अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है| शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर एक आन्दोलन को गति देने के लिए २० मेम्बर्स की एक कमेटी गठित की जायेगी|

क्रिकेटर से राजनीतिक बने इमरान खान पर आज लाहौर चुनावी सभा में घायल

अपनी घातक गेंद बाजी से विश्व के दिग्गज बल्ले बाजों के हौंसले पस्त करने वाले क्रिकेटर इमरान खान पर आज एक हादसा हो गया उन्हें अस्पताल ले जाया गया है| पाकिस्तान के मीडिया के अनुसार लाहौर में आयोजित एक एलेक्शन रैली को संबोधित करने स्टेज पर जा रहे तभी उन पर अटैक हो गया और इमरान स्टेज से लगभग १५ से २० फुट नीचे इलेक्ट्रोनिक उपकरणों पर गिर गए| जिओ[ GEO]टी वी के अनुसार सर के बल गिरे इमरान बुरी तरह जख्मी हुए हैं और उन्हें तत्काल शौकत खानम अस्पताल में ले जाया गया है|अस्पताल के बाहर उनके समर्थक जुटाने शुरू होगये हैं और नारे लगाए जा रहे हैं|९ मई तक उनकी सभी चुनावी रैलियाँ स्थगित कर दी गई है|यह अस्पताल इमरान के परिवार का ही है|इमरान तहरीके इन्साफ पार्टी के अध्यक्ष हैं और शौकत खानम अस्पताल उनका अपना अस्पताल है|

हिंसा की दर को जीरो पर लाने के लिए महिलाओं को मार्शल आर्ट में पारंगत होना जरुरी

राधा गोबिंद इंजीनियरिंग कालेज में आयोजित तीन दिवसीय महिला मार्शल आर्ट चैम्पियनशिप के समापन समारोह में पोलिस कप्तान दीपक कुमार ने महिलाओं के प्रति हिंसा की दर को जीरो पर लाने के लिए महिलाओं के लिए मार्शल आर्ट में पारंगत होने परबल दिया|
गढ़ रोड स्थित कालेज में आयोजित इस पहले चैम्पियन शिप में लगभग ५०० छात्राओं ने भाग लिया|अन्तराष्ट्रीय खिलाड़ी विशाखा मालिक और कोच एन के भूटानी को सम्मानित किया गया|किरण+करुना+सीमा+तनु+ज्योति+नेहा+भावना+उर्वशी+शाहरीन+नीलम+अनिता+आँचल+ समर जहां +शमरीन+गुल्शः+रितिका+आयशा+इक्ररार+गुल्नाश+तनु+सोनम+आरती को स्वर्ण पदक दिया गया|

रक्षा लेखा विभाग में जूनियर को सीनियर से ज्यादा वेतन: Staff Unrest In Defence Accounts Deptt

रक्षा लेखा विभाग में एक पद के अधिकारियों के वेतन में व्याप्त विसंगतियों को लेकर कर्मचारियों के संघ ने आवाज उठाई है| अखिल भारतीय रक्षा लेखा कर्मचारी संघ [कलकत्ता] के राष्ट्रीय अध्यक्ष यतीन्द्र चौधरी ने अपने महा नियंत्रक को पत्र लिखा है|
श्री चौधरी के अनुसार अप्रैल २०११ में सबोर्डिनेट एकाउंट्स सर्विस [एस ऐ एस ]के एक बेच को बतौर अपरेंटिस[प्रशिक्षु] भर्ती किया गया था | लेकिन इनके और प्रमोटेड एस ऐ एस के वेतन में ४०५०/= प्रति माह का अंतर रख कर समान पद पर समान कार्य करने वाले प्रमोटेड एस ऐ एस के साथ भेद भाव किया गया|ऐसा वित्त मंत्रालय के आदेशों की गलत व्यख्या किये जाने के फलस्वरूप किया गया है| अत एसोसियेशन ने मांग की है कि इस भेदभाव को दूर करने के लिए यथा शीघ्र व्यवस्था कराई जाए|

रेलवे बजट पास करा कर हवा बाँधने वाले मंत्री के भांजे को गिरफ्तार करके सी बी आई ने उनकी पवन खराब कर दी

बेशक केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल संसद में अपना रेल बजट पास करा कर अपनी हवा बांधने में कामयाब होगये मगर सी बी आई ने उनके भांजे वी सिंगला
को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करके उनकी पवन खराब कर दी है| ९० लाख रुपयों की रिश्वत लेने के आरोप में भांजे की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी[आप]ने मामा मंत्री पवन बंसल से रेलवे मंत्रालय छीन लिए जाने की मांग की है| आप की प्रवक्ता मुरलीधरन ने बताया के रेलवे बोर्ड के एक सदस्य से ९० लाख रुपयों की रिश्वत लिए जाने का यह नवीनतम मामला यह दर्शाता है के मंत्रालय में कितनी गहरी सडान व्याप्त है|
यदपि पवन बंसल ने भांजे की करतूत से अपना पल्ला झाड़ते हुए स्वयम को आरोपी से अलग किया है लेकिन आप पार्टी ने इस सफाई को अस्वीकार्य और अविश्वनीय बताने में देर नही लगाई है| पार्टी ने सरकार के कपाट से बार बार उछल रहे घोटालों के अस्थिपंजरों के प्रति पी एम् के मौन को लेकर केंद्र सरकार को अलीबाबा और चालीस चोर की संज्ञा दी है| पार्टी के अनुसार रेलवे बोर्ड का सदय बनाए जाने पर महेश कुमार से ९० लाख रुपयों की रिश्वत लिए जाने के मामले से यह साफ़ झलकता है के रेलवे में गहरी सडान व्याप्त है चूंकि पवन बंसल द्वारा हाल ही में अनेकों कांट्रेक्ट दिए गए हैं इसीलिए उन सब की गहन जांच की जानी चाहिए|

कमजोर और पार्टी अध्यक्ष के समक्ष नतमस्तक डा. मन मोहन सिंह :सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग में भारत के प्रधान मंत्रियों की बैलेंसशीट प्रकाशित की है | इसमें स्वतंत्रता प्राप्ति के 66 वर्षों में,बने चौदह प्रधान मंत्रियों के कार्यकाल का उल्लेख है |उन्होंने प्रधान मंत्रियों को उनके कार्यकाल को श्रेणी बद्द करके उनकी उपलब्धियों और असफलताओं का चित्रण किया है| इसमें रोचकता यह है की श्री आडवाणी ने स्वाभाविक रूप से अपने पार्टी के कार्यकाल की तारीफ तो की लेकिन वर्तमान प्रधान मंत्री डा. मन मोहन सिंह को कमजोर पी ऎम प्रधानमंत्री के विश्लेषण को दोहराया और उससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए पी एम् को उनकी [कांग्रेस] पार्टी अध्यक्ष का गुलाम बताते हुए पी एम् पद में निहित शक्तियों का उपयोग कर पाने में असफल बताया है| प्रस्तुत है सीधे एल के आडवाणी के ब्लाग से :
[१] चार प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल पांच वर्ष या उससे अधिक रहा। इनमें डा0 मनमोहन सिंह (9 वर्ष), अटल बिहारी वाजपेयी (6 वर्ष), पी.वी. नरसिम्हा राव और राजीव गांधी (5-5 वर्ष) तक प्रधानमंत्री रहे।
मोरारजी देसाई ढाई वर्ष तक प्रधानमंत्री रहे, और लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल ताशकंद की घटनाओं के चलते मात्र डेढ़ वर्ष ही रहा।
[२] जिन 6 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम रहा उनमें शामिल हैं वी.पी. सिंह, एच.डी. देवेगौडा और आई.के. गुजराल (11-11 महीने), चन्द्रशेखर (8 महीने), चरण सिंह (6 महीने) और गुलजारी लाल नंदा (1 महीना)।
[३]***जिन दो प्रधानमंत्रियों ने देश पर सर्वाधिक ज्यादा समय शासन किया, उनका प्रभाव जनमानस पर ज्यादा गहरा रहा है, लेकिन यदि उनकी सफलताओं और असफलताओं की बैलेंस शीट (लेखा-जोखा) बनाई जाएगी तो कुल मिलाकर नतीजे ज्यादा खुश करने वाले नहीं निकलेंगे।
पण्डित नेहरू के मामले में, जिन्हें महात्मा गांधी ने कांग्रेस की अधिकतर राज्य इकाइयों द्वारा सरदार पटेल के पक्ष में होने के बावजूद, भारत सरकार चलाने हेतु चयनित किया, की सभी उपलब्धियों पर उनके द्वारा चीन पर किया गया गलत विश्वास और उनके रक्षा मंत्री द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों की अपराधिक उपेक्षा ने पानी फेर दिया।
पण्डितजी की विदेश और रक्षा नीतियों के फलस्वरूप देश को 1962 में चीन के हाथों शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी, एक ऐसा अपमान जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
श्रीमती गांधी की सर्वाधिक शानदार उपलब्धि थी 1971 में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक विजय और स्वतंत्र बंगलादेश का निर्माण।
लेकिन श्रीमती गांधी के कार्यकाल में 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनका लोकसभाई चुनाव रद्द कर देने और आगामी छ: वर्षों तक किसी भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने सम्बन्धी निर्णय के चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोप दिया, सभी मूलभूत अधिकार निलम्बित कर दिए, एक लाख से अधिक विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस दिया और एक प्रकार से लोकतंत्र को समाप्ति के कगार पर पहुंचा दिया।
आपातकाल विरोधी संघर्ष में जयप्रकाश नारायण के प्रेरणादायी नेतृत्व और 1977 के लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारतीय मतदाताओं द्वारा सिरे से नकार दिए जाने ने भारतीय लोकतंत्र को बचाया, और न केवल भारत को सामान्य स्थिति में वापस लाए अपितु इसने हमारे राजनीतिक आकाओं के लिए भी सदैव के लिए चेतावनी दी कि अपने संकीर्ण हितों की रक्षा और संवर्ध्दन के लिए कभी भी आपातकाल सम्बन्धी संवैधानिक प्रावधानों का दुरूपयोग करने की सोचना भी नहीं।
सर्वाधिक ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले दोनों की तुलना में शास्त्रीजी और मोरारजी देसाई का कार्यकाल काफी कम रहा। लेकिन उनकी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ व्यवहार ने लोगों पर गहरी छाप छोड़ी और जनता में इन दोनों के लिए अनन्य सम्मान अर्जित किया।
1951 में डा0 श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डा0 मुकर्जी के व्यक्तित्व और गठित नई पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों ने हजारों देशभक्त युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया जिनकी मूल दीक्षा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुई थी। इनमें प्रमुख थे पण्डित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे, सुंदर सिंह भण्डारी, जगन्नाथ राव जोशी, पी0 परमेश्वरन, डा0 बलदेव प्रकाश और केवल राम मलकानी।
मेरा अपना राजनीतिक जीवन सन् 1951 में शुरू हुआ। इसलिए, 1952 से होने वाले भारत के प्रत्येक आम चुनावों में मुझे या तो प्रचारकर्ता या फिर एक उम्मीदवार के रूप में भाग लेने का मौका मिलता रहा है।
मैं अपने लिए यह सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे हमारी पार्टी के विचारक दीनदयालजी, हमारी पार्टी के सबसे कद्दावर नेता अटलजी, और नानाजी देशमुख के साथ निकट से काम करने का मौका मिला; नानाजी ने हम सब के सामने यह सिध्द कर दिखाया कि कैसे राजनीतिक गतिविधियों को ग्रामीण जनता के लिए रचनात्मक कार्यक्रमों के साथ मिलाकर चलाया जा सकता है।
उन चार प्रधानमंत्रियों जिन्होंने पांच वर्ष या उससे अधिक समय तक शासन किया है, में से एक डा0 मनमोहन सिंह पिछले नौ वर्षों से सत्ता में हैं। यदि लोकसभाई चुनाव अपने निर्धारित समय सन् 2014 में होते हैं तो तब तक वह प्रधानमंत्री के रूप में दस वर्ष पूरे कर लेंगे। नेहरू परिवार से बाहर वाले व्यक्ति के लिए यह एक अद्वितीय विशेषता होगी। परन्तु इससे भी अधिक अद्वितीय परन्तु संदेहास्पद विशेषता यह भी होगी, कि स्वतंत्र भारत के राजीनीतिक इतिहास में वे एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लोकसभा के लिए कभी भी निर्वाचित न होकर भी इस पद पर हैं!
साथ ही, मैं यह नहीं भूल सकता कि सन् 2009 में जब मैंने डा0 सिंह को देश का सर्वाधिक कमजोर प्रधानमत्री कहा था, तो मेरे ही कुछ सहयोगियों को लगा कि यह ज्यादा हो गया ह। लेकिन मैं आज भी कहता हूं कि उनकी यही कमजोरी जो उन्हें 10 जनपथ के सम्मुख गौण महत्व का बनाती है और परिणामतया प्रधानमंत्री पद में निहित शक्तियों का उपयोग कर पाने में वह असफल हो रहे हैं।
नाम
अवधि
दल
श्री जवाहरलाल नेहरू
15 अगस्त, 1947-27 मई, 1964
कांग्रेस
श्री गुलजारीलाल नंदा
27 मई, 1964-9 जून, 1964
कांग्रेस
श्री लाल बहादुर शास्त्री
9 जून, 1964 – 11 जनवरी, 1966
कांग्रेस
श्री गुलजारी लाल नंदा
11 जनवरी, 1966 – 24 जनवरी, 1966
कांग्रेस
श्रीमती इंदिरा गांधी
24 जनवरी, 1966 – 24 मार्च, 1977
कांग्रेस
श्री मोरारजी देसाई
24 मार्च, 1977 – 28 जुलाई, 1979
जनता पार्टी
श्री चरण सिंह
28 जुलाई, 1979 – 14 जनवरी, 1980
जनता पार्टी
श्रीमती इंदिरा गांधी
14 जनवरी, 1980 – 31 अक्तूबर, 1984
कांग्रेस (आई)
श्री राजीव गांधी
31 अक्तूबर, 1984 – 2 दिसम्बर, 1989
कांग्रेस (आई)
श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह
2 दिसम्बर, 1989 – 10 नवम्बर, 1990
जनता दल
श्री चंद्रशेखर
10 नवम्बर, 1990 – 21 जून, 1991
जनता दल
श्री पी.वी. नरसिम्हा राव
21 जून, 1991 – 16 मई, 1996
कांग्रेस (आई)
श्री अटल बिहारी वाजपेयी
16 मई, 1996 – 1 जून, 1996
भाजपा
श्री एच.डी. देवेगौडा
1 जून, 1996 – 21 अप्रैल, 1997
जनता दल
श्री इंद्रकुमार गुजराल
21 अप्रैल, 1997 – 19 मार्च, 1998
जनता दल
श्री अटल बिहारी वाजपेयी
19 मार्च, 1998 – 22 मई, 2004
भाजपा
डा0 मनमोहन सिंह
22 मई, 2004 – अभी तक
कांग्रेस
पुन:, यही डा0 मनमोहन सिंह की वह कमजोरी है, जिसके चलते यह इतिहास में दर्ज होगा कि भले ही व्यक्तिगत रूप से वह ईमानदार होंगे, परन्तु जिस सरकार का वह एक दशक से नेतृत्व कर रहे हैं, वह स्वतंत्र भारत की सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार है और यह महज मीडिया रिपोर्टों के आधार पर नहीं अपितु अनेक न्यायिक निर्णयों और नियंत्रक महालेखाकार की अनेक रिपोर्टों से पुष्ट होता है।
जैसाकि इस ब्लॉग की शुरूआत में मैंने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन में अटलजी के साथ काम करने का अवसर मिलने को मैं अत्यन्त सौभाग्यशाली मानता हूं। मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि कोई भी राजनीतिक विश्लेषक जब अटलजी के 6 वर्षीय शासन का निष्पक्ष आकलन करेगा तो उसे स्वीकारना ही होगा कि 1998 से 2004 तक का एनडीए शासन उपलब्धियों से भरा है और उसे अक्षरश: कुछ भी गलत नहीं मिलेगा। उस अवधि की कुछ उपलब्धियों को यदि सार रूप में कहना है तो वे निम्नलिखित हैं:
1) प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों में भारत परमाणु हथियार सम्पन्न देश बना।
2) आर्थिक क्षेत्र में सरकार ने आधारभूत ढांचे – राजमार्गों, ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, ऊर्जा पर ध्यान केन्द्रित किया।
3) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में भारत को सुपर पॉवर बनाया।
4) अमेरिका द्वारा आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, अटलजी ने एनडीए के 6 वर्षीय शासन में मुद्रास्फिीति पर सफलतापूर्वक नियंत्रण रखा।
5) 6 वर्षीय शासन, सुशासन, विकास और गठबंधन का मॉडल था।
6) सरकार के विरूध्द भ्रष्टाचार की कोई चर्चा तक नहीं थी।
7) नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना की नींव एक टास्क फोर्स ने रखी जिसके लिए एक केबिनेट मंत्री को मुक्त कर इस कार्य में जुटाया गया।
मैं इसे अटलजी की विशिष्ट विलक्षणता मानता हूं कि इतनी उपलब्धियां होने के बावजून मैंने कभी भी उनमें अहंकार या अहं की तनिक भी झलक नहीं पाई। इसलिए सन् 1947 से अब तक के प्रधानमंत्रियों के लेखा-जोखा की बात करते समय मैं कह सकता हूं कि उनका कार्यकाल सबसे ज्यादा उपलब्धियों भरा रहा है।

आम आदमी पार्टी ने जनता को मालिकाना हक़ दिलाने के लिए मोहल्ला सभाएं शुरू कराई:खिचड़ी पुर से आगाज

[दिल्ली]साड़े दस पत्रों को डिलीवर लरने के पश्चात उत्साह से भरी आम आदमी पार्टी [आप] ने दिल्ली के तख्त की तरफ एक कदम और बढ़ाते हुए मोहल्ला सभाएं करनी शुरू कर दी हैं | आप के पार्षद विनोद कुमार बिन्नी से वार्ड २१४ [खिचड़ी पुर ]में यह शुरुआत करा दी गई है|पहली बार बुलाई गई मोहल्ला सभा में शामिल होने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए| अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी तक लोग अपने नेता या अफसरों के पास फ़रियाद लेकर जाते थे लेकिन इस मोहल्ला सभा में लोग अपना मालिकत्व इस्तेमाल करने आए. उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याएँ और ज़रूरतें बहुत छोटी छोटी हैं. अगर लोगों से पूछकर जनता का पैसा खर्च किया जाए तो न भ्रष्टाचार हो सकेगा और न फिजुलखर्ची, इस तरह पूरी दिल्ली का बजट आधा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी आएगी तो स्वराज का कानून बनाकर पूरी दिल्ली में यह व्यवस्था लागू करा देगी ताकि लोग अपने मोहल्ले में, विधायकों या पार्षदों को इसी तरह हर महीने आदेश दे सकें. उन्हें अपने नेताओं के सामने फरियादी बनाकर न जाना पड़े.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस तरह की मोहल्ला सभाएं लोगों को नेताओं के गुलाम होने से बचाएंगी. अभी पार्टियों और नेताओं ने जनता को उसके काम कराने के नाम पर गुलाम बना रखा है, जाति-धर्म में बाँट रखा है. जब मोहल्ला सभा में लोग खुद फैसले लेने लगेंगे तो यह राजनीति अपने आप कमजोर पड़ जायेगी. इस पहली मोहल्ला सभा में करीब 250 लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है| यहाँ ट्रेफिक जाम+ गंदा पानी+ पुलिस, लोक निर्माण विभाग आदि से सम्बंधित अनेको समस्यायों के माध्यम से भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए भविष्य में व्यवस्था सुधारने का भरोसा दिलाया गया| इस सभा में पार्षद निधि के सदुपयोग के लिए निर्णय लिए गए| बताया गया है कि 50 लाख रूपए की राशि पार्षद निधि के रूप में मिली है| वार्ड में जनता जो तय करेगी, उस राशि से वही कार्य कराए जायेंगे नगर निगम के जो काम उनके इलाके में चल रहे हैं या जो काम आगे होंगे, उनके बारे में जब लोग मोहल्ला सभा में आकर उन्हें ठीक कह देंगे तभी उनका भुगतान ठेकेदार को होगा, अन्यथा उसका भुगतान रोक दिया जाएगा.| बाते गया कि पार्षद के रूप में वे 700 गरीब लोगों को पेंशन सहायता दे सकते हैं, जिनमें से 475 लोगों को पेंशन दी जा रही है, 225 लोगों को और दी जा सकती है. इसमें नगर निगम के अधिकारियों को भी बुलाया गया था ताकि मौके पर ही फैसला लेकर काम मंजूर किया सके|प्राप्त जानकारी के अनुसार . मोहल्ला सभा में कई दिलचस्प फैसले हुए [१]गाजीपुर के एक युवक ने बताया कि उसकी गली में एक सड़क बन रही है, लेकिन वह सिर्फ तीन इंच मोटी बन रही है जबकि वह 6 इंच होनी चाहिये. मोहल्ला सभा में मौजूद इंजीनियर ने बताया कि वह सड़क 4 इंच मोटी बनाई जा रही है. लोगों ने कहा कि सड़क के कागज़ उस युवक को दिखा दिए जाएं और अगली बैठक में कागजों पर लिखे अनुसार सड़क बनने की पुष्टि होने के बाद ही ठेकेदार का भुगतान किया जाएगा. अगर काम ठीक नहीं हुआ होगा तो अगली बैठक में ठेकेदार को बुलाकर उससे दोबारा, सही काम करने को कहा जाएगा. [२] गाजीपुर के एक अन्य युवक ने सूचना अधिकार के तहत इलाके में सफाईकर्मियों की सूची निकाल रखी थी. उसने पूछा कि ये सफाईकर्मी हमारे इलाके में काम क्यों नहीं करते हैं. पार्षद ने बताया कि क्षेत्रफल के हिसाब से यहाँ के लिए नियुक्त सफाई कर्मियों की संख्या बेहद कम है. काफी चर्चा के बाद तय हुआ कि वह युवक कल सफाईकर्मियों का ड्यूटी रजिस्टर देखेगा और अगर उसे कोई शिकायत होगी तो वह अगली मोहल्ला सभा मे बताएगा|[३]डाक्टर्स अपार्टमेंट से आई एक युवती ने बताया कि मेट्रो कीओर जाने वाली सड़क पर 10 में से केवल 3 स्ट्रीट लाईट्स ही काम कर रही हैं. तुरंत वहां मौजूद सम्बंधित अधिकारी को कल ही यह शिकायत दूर कर, उस युवती को रिपोर्ट करने को कहा गया|[४] वसुंधरा एन्कलेव में तीन जगह पार्क की दीवार और फुटपाथ बनाने का काम हो रहा है. इनमें से दो काम पूरे हो गए और लोगों ने बताया कि वे संतोष जनक है उनके भुगतान करने का फैसला लिया गया.[५] दल्लूपुरा गाँव में एक सड़क को, पार्षद निधि से ऊँचा कराने का फैसला लिया गया [६] खिचड़ीपुर से आई तीन गरीब महिलाओं को पेंशन और एक बच्ची को लाडली योजना के तहत सहायता देने को भी मंजूरी वहां मौजूद लोगों ने दी.यह भी जानना दिलचस्प है कि लोगों की बहुत सी समस्याएँथीं जोकि नगर निगम के अधीन नहीं आते. उनके बारे में एक पार्षद के लिए कोई फैसला लेना संभव नहीं था लेकिन विनोद बिन्नी ने कहा कि वे नगर निगम से अलग इन समस्याओं को सम्बंधित विभागों के सामने रखेंगे. लोगों ने इलाके में पालीथीन बंद करने और गरीब लोगों के बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की.
उल्लेखनीय है कि पार्षद विनोद कुमार बिन्नी जनलोकपाल आंदोलन के समय से ही आन्दोलन में सक्रिय हैं और उन्होंने निर्दलीय पार्षद चुनाव लड़ा था लेकिन आम आदमी पार्टी के गठन के बाद औपचारिक रूप से नगर निगम में आम आदमी पार्टी के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने इस मोहल्ला सभा के लिए सप्ताह भर से काफी प्रचार किया था.

सरबजीत की मौत पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान की सरकारों की कमजोरी उजागर हुई

सरबजीत को मृत्यु के पश्चात शहीद का दर्जा पंजाब सरकर ने दे दिया| जगह जगह उसके समर्थन में पाकिस्तान के पुतले फूंके जा रहे हैं यहाँ तक कि भारतियाजैलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों पर अटैक होने लग गए हैं इस सबसे गर्वित होने के स्थान पर इसे वृहद बहस का मुद्दा बना कर इस पर चिंता प्रकट की जानी चाहिए क्योंकि एक तरफ तो दोनों मुल्कों के नागरिकों में भरोसे की दूरे एक कदम बढ गई है और दोनों मुल्कों की सरकारों का क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लगा है| पाकिस्तान की जेल में २२ साल से बन्द सरबजीत की मौत कोई सामान्य हादसा नहीं है. इसने पाकिस्तान सरकार के अमानवीय चेहरे से एक बार फिर नकाब हटा दिया है. बिना सबूत, सिर्फ शक के आधार पर, सरबजीत को बम बलास्ट का आरोपी बना देना, उसके परिवार सहित दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों की आवाज़ को अनसुना करना और फिर सुनियोजित तरीके से उस पर जानलेवा हमला करवाना, इस तरह का अमानवीय आचरण पाकिस्तान की नीति का पहले से ही हिस्सा रहा है. सरबजीत के मुद्दे को भी पाकिस्तान ने भारत के साथ संबन्धों में अपनी नाक का सवाल बना लिया था|
दूसरी तरफ सरबजीत जैसे नागरिकों को न बचा पाना भारतीय विदेश नीति एकदम लाचार नजर आती रही| सरबजीत की बहन और उनके परिवार के अन्य लोगों ने अपने दम पर इस मुददे को जिस शिद्दत से दुनिया के पटल पर रखा, अगर भारत सरकार भी इस बारे में जोर लगाती तो शायद सरबजीत की जान बच सकती थी.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए 49 साल के सरबजीत सिंह पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में 4 से 5 कैदियों ने हमला किया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें वहां के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वे तभी से वेंटिलेटर पर थे।पाकिस्तान के समय के मुताबिक आधी रात को 1 बजे सरबजीत ने आखिरी सांस ली। निधन के बाद जिन्ना अस्पताल के बाहर पुलिस की भारी तैनाती कर दी गई। सरबजीत का परिवार बुधवार को ही तीन दिन पाकिस्तान में रहने के बाद भारत लौटा था।
पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर और मुल्तान में हुए बम धमाकों के आरोप में सरबजीत को 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद से वे वहां की जेल में बंद थे।इसकी प्रातिक्रिया स्वरुप जम्मू जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी पर जानलेवा हमला हुआ है लेकिन भारत सरकार ने तत्परता दिखाते हुए सम्बंधित अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया है|मेरठ कि जेल में बंद तीन पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा बड़ा दी गई है|इसके अलावा स्वयम सेवी और राजनीतिक दल आये दिन पाकिस्तान का पुतला फूंक कर अपनी आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं |

1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी सज्जन कुमार के केस को बढाने के लिए सी बी आई को आगे आ कर फास्ट ट्रेक कार्यवाही करानी होगी :आप पार्टी

आम आदमी पार्टी [आप] ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किये जाने को लेकर केंद्र सरकार और सी बी आई को कटघरे में खडा करते हुए व्यवस्था को असहनीय बताया है| आप के नेता मनीष शिशोदिया ने सज्जन कुमार को बरी किये जाने को देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब सी बी आई द्वारा स्वयम इस केस को ऊपर की अदालत में ले जाकर फास्ट ट्रेक कार्यवाही के लिए उत्सुकता दिखाई जानी चाहिए| मनीष शिशोदिया ने व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस केस की सम्बंधित गोपनीय फाईलें गायब होने के लिए उत्तरदाई आधिकारी राजीव रंजन को पी एम् की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण दाईत्व दे दिया गया है|उन्होंने इस मामले में जिम्मेदारी तय करके दोषियों को यथा शीघ्र दण्डित किये जाने की मांग की है| श्री शिशोदिया ने बताया कि इस केस के निर्णय आने के तत्काल पश्चात उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात करके उन्हें ढाढस बंधाने का प्रयास किया|उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवारों की पीड़ा को सुन कर अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी पिघल जायेंगे |उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष्य के हवाले से देश में अराजकता के महौल की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय दिलाने के लिए सी बी आई को अब स्वयम केस को उच्च नयायालय में ले जाकर फ़ास्ट ट्रेक कार्यवाही कराई जानी चाहिए|उन्होंने मामले की कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए एस आई टी [SIT]के गठन की अपनी पुरानी मांग को भी दोहराया |
गौरतलब है कि दिल्ली की कड कड डूमा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे आर आर्यन की अदालत के फैसले पर जहां पीड़ित फरियादियों ने छातियाँ पीट कर अफ़सोस मनाया वहीं उनके वकीलों ने उच्च न्यायलय की शरण में जाने की बात कही है| फैसले के वक्‍त कोर्ट रूम में झड़प भी हुई +गुस्‍साई भीड़ ने कांग्रेसी नेता सज्‍जन कुमार और न्यायाधीश कि तरफ जूता भी फेंका.|पुलिस ने जूता फेंकने वाले व्‍यक्ति को हिरासत में ले लिया है|. फैसला आने के बाद लोगों ने कोर्ट के बाहर हंगामा भी किया | समर्थको का मानना है कि यह फैसला उनके हक में नहीं हुआ+ सो न्याय की लड़ाई जारी रहेगी|
इस मामले में अन्य पांच आरोपियों में से तीन पर हत्या की बात साबित हुई है। इसके अलावा दो अन्य पर दंगा का मामला साबित हुआ है।पूर्व पाषर्द बलवान खोकर+ पूर्व विधायक महेन्द्र यादव+ किशन खोकर+ गिरधारी लाल एवं कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया है+दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है|

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, का वार्षिकोत्सव धूम धाम से मनाया गया

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, का वार्षिकोत्सव धूम धाम से मनाया गया

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, का वार्षिकोत्सव धूम धाम से मनाया गया

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ का वार्षिक उत्सव धूम धाम से मनाया गया| इस शुभ अवसर पर एक मई के सायंकालीन सत्संग में पूज्य श्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने प्रेरणा दाई प्रवचनों की वर्षा की और श्रधालुओं को परमानन्द परमात्मा का आश्रय लेने के लिए प्रेरित किया||पूज्य भगत जी ने कहा कि -हम अपने जीवन में उनका आश्रय लेते हैं जो स्वयं किसी दूसरे पर आश्रित हैं । हम उस परिपूर्ण , नहीं लेते , प्रभु का सहारा भी संतों की कृपा से ही मिलता है । हम संतों की शरण में जाते हैं और ग्रंथों का स्वाध्याय भी करते है परन्तु संतों के वचनों को सुनकर हम उन वचनों को अपने जीवन में नहीं उतारते । हम संतों को तो मानते हैं परन्तु संतों के वचनों का अनुकरण , अनुशरण नहीं करते । प्रभु समय-समय पर महापुरुषों को अपनी आलौकिक शक्तियां देकर धरा धाम पर भेजते हैं । संत धरा धाम पर आकर मनुष्यों के पाप-ताप से तपे हुए मन और तन को सत्संग के जल से शीतल करते हैं । संत हमारे परम हितैषी है ।
जब हमारे जीवन में कोई पुण्य कर्म जागते हैं तो प्रभु की कृपा से हमारे जीवन में संत आते हैं और संत हमें नाम , शबद से सुसज्जित करते हैं और हम नाम , सहज योग की सीढ़ी पर चढ़कर प्रभु दर्शन , प्रभु प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं ।