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Category: Murder

मुजफ्फरनगर में तीन दिन बाद हिंसा प्रभावित छेत्रों में लगे कर्फ्यू में दो घंटे की ढील ;38 लोग दंगों का शिकार हो चुके है

मुजफ्फरनगर में तीन दिन बाद हिंसा प्रभावित छेत्रों में लगे कर्फ्यू में दो घंटे की ढील दी गयी। जिले में अब तक 38 लोग दंगों का शिकार हो चुके हैं|
जरूरी सामान की खरीददारी के लिए तीन थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू में अपराह्न दो घंटे की ढील दी गयी है| दंगों पर काबू पाने के लिए एक तरफ अधिकारियों क तबादला किया जा रहा है तो दूसरी तरफ गिरफ्तारियों पर जोर है| मेरठ रेंज के आइजी और डीआइजी को हटा दिया गया है। यहां के आइजी ब्रजभूषण को हटाकर उनकी जगह भावेश कुमार सिंह को नया आइजी बनाया गया है।
मेरठ जिले से सटे बागपत में सांप्रदायिक तनाव फ़ैलाने के प्रयास में पुलिस ने 899 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि 2225 लोगों के खिलाफ 107,116 के तहत कार्रवाई की गई है। 35 अवैध शस्त्र बरामद किये गये हैं और 126 लाइसेंसी हथियार जमा कराये गये हैं। भाषा ने बागपत पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी सिंह के हवाले से बताया कि यह कार्रवाई 28 अगस्त से अब तक की गयी है।इसके अलावा 81 लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है|मेरठ के डी एम् रिणवा ने भर्ती घायलों के इलाज का निरीक्षण किया[फोटो] |. सिविल लाइंस, शहर कोतवाली तथा नई मंडी में कर्फ्यू अभी भी जारी है| घटनाओं के सिलसिले में 17 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. इनमें से एक प्राथमिकी सुखेडा गांव में आयोजित हुई महापंचायत के सिलसिले में है जिसमें कथित तौर पर भड़काउ भाषण दिये गए जिससे हिंसा हुई.
भाजपा ने इन दंगों से अपना पल्ला झाड़ लिया है| पूर्व अध्यक्ष वेंकैय्या नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश कि जनता को मालूम है कि इन दंगों के लिए कौन जिम्मेदार है| शांति स्थापित होते ही सत्य सबके सामने आ जाएगा| उन्होंने सत्ता रुड समाज वादी पार्टी के सर दंगों को भड़काने का आरोप लगाया है|
पीएम मनमोहन सिंह ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का एलान किया है। यह राशि पीएम राहत कोष से दी जाएगी।

रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सिविल एविएशन मिनिस्टर चौ0 अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन माँगा

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सिविल एविएशन मिनिस्टर चौ0 अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग की है|उन्होंने प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से विफल होने एवं प्रदेश में फैले सांप्रदाियक दंगों को काबू करने में नाकाम रहने के कारण केन्द्रीय सरकार से मांग की है कि उत्तर प्रदेश में जल्द से जल्द राष्ट्रपति शासन लागू करे।प्रदेश में दंगों की सेंचुअरी पूरी होने पर यह मांग उठाई गई है|
चौधरी अजित सिंह ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में समाज वादी पार्टी के सत्ता में आने के समय से उत्तर प्रदेश में सौ से भी अधिक सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं।
मुजफफरनगर में हाल ही में हुए दंगों ने प्रदेश सरकार की दुर्बल+ बेअसर और लापारवाही को उजागर किया है |
अखिलेश यादव सरकार पिछले दरवाजे से दंगों को भड़का रही है। सिथति इतनी खराब हो चुकी है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को अपनी जान गंवाने के डर से क्षेत्र को छोड़ना पड़ा। प्रदेश में शांति स्थापित करने के लिए भारतीय सेना को बुलाना पड़ा है।
यह विडंबना है कि श्री अखिलेश यादव की सरकार ने सांप्रदायिक दंगों के पीडि़तों को दो तरह के मुआवजे दिए हैं जो कि एक समान होने चाहिए। निवर्तमान वी0एच0पी0 की यात्रा को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने 8000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है लेकिन प्रदेश में व्याप्त तनाव व हिंसा को रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा का अंदाजा लगाने में वह पूर्णत विफल रही। हिंसक दंगों को भड़काने वाले भाषण देने वाले राजनेताओं के विरूद्व कार्यवाही करने में प्रदेश सरकार नाकाम रही।
चौ0 अजित सिंह ने जनता से अपील की है कि वे अवांछनीय तत्वों द्वारा फैलायी जा रही अफवाहों से उत्तेजित न हों और सदियों पुराने चले आ रहे शांति और भार्इचारे को बनाए रखें।

मुजफ्फर नगर के तीन थाना छेत्रों में एहतियातन कर्फ्यू और उ.प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित

मुजफ्फर नगर के तीन थाना छेत्रों में एहतियातन कर्फ्यू और उ.प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित
मुजफ्फर नगर में हिंसक घटनाओं पर दुःख व्यक्त करते हुए यूं पी के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने साम्प्रदाईक सदभाव और सौहार्द बनाये रखने के आदेश दिए एवं मृतकों के परिजनों को ५-५ लाख रुपये +घायलों को ५०-५० हज़ार और सामान्य घायलों को २०-२० हज़ार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की|
मृतक पत्रकार राजेश वर्मा के परिजनों को कुल १० लाख राशि की सहायता का एलान किया|
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए गृह विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है|२८ कम्पनी अतिरिक्त पोलिस बल की तैनाती के निर्देश जारी कर दिए गए है|
गौरतलब है केमुजफ्फर नगर में आज की इस घटना में पत्रकार सहित कुल छह व्यक्तियों की मृत्यु हुई है जबकि ३४ घायल हुए हैं|एहतियातन सिविल लाईन्स+कोतवाली+नई मंडी में कर्फ्यू लगाया गया है|आई जी कानून व्यवस्था को मुजफ्फर नगर में कैम्प करने के निर्देश दियेगये हैं|

Possession of Shark fins would amount to “Hunting” of a Schedule I species Under Wild Life (Protection) Act

 Save Shark fins

Save Shark fins

Policy for prohibiting the removal of shark fins on board a vessel in the sea has been announced .This Policy would Enable the enforcement agencies to monitor the illegal hunting/poaching of the species of Elasmobranchs listed in Schedule I of the Wild Life (Protection) Act, 1972,
Minister of State (Independent Charge) for Environment and Forests Shrimati Jayanthi Natarajan has approved a policy for prohibiting the removal of shark fins on board a vessel in the sea.
The policy prescribes that any possession of shark fins that are not naturally attached to the body of the shark, would amount to “hunting” of a Schedule I species. The Policy calls for concerted action and implementation by the concerned State Governments through appropriate legislative, enforcement and other measures.
Sharks, Rays and Skates (Elasmobranchs) are an important part of the marine ecosystem. They play an important role in the maintenance of the marine ecosystem like tigers and leopards in the forests. India is known to be home to about 40-60 species of sharks. However, the population of some of these have declined over the years due to several reasons including over exploitation and unsustainable fishing practices. Therefore, ten species of sharks have been listed in the Schedule- I of the Wild Life (Protection) Act, 1972, thereby, according them the highest degree of protection.
Due to high demand of shark fines in the shark fin-soup industry, it has been reported that the fins of the sharks captured in the mid sea are removed on the vessel and the de finned sharks are thrown back in the sea to die a painful death. This has not only resulted in in-human killing of large number of sharks and in this process, but also has further decimated the population of Schedule I species. This practice prevailing on board the shipping vessels has led to difficulties in enforcement of provisions of Wild Life (Protection) Act, 1972 as it becomes difficult to identify the species of sharks from the fins alone, without the corresponding carcass, from which the fins have been detached.

Security Council ,condemned the terrorist attack in South Beirut,and extended condolences to the victims and their families ,appealed for national unity

The Security Council ,today,strongly condemned the terrorist attack on 15 August in South Beirut,and extended condolences to the victims and their families and appealed for national unity
The members of the Security Council strongly condemned the terrorist attack in South Beirut, which killed at least 10 people and wounded more than 100.
The members of the Security Council extended their condolences to the victims and their families and expressed their sympathy to all those injured in this heinous act, and to the people and Government of Lebanon.
The Council reaffirmed that terrorism in all its forms and manifestations constitutes one of the most serious threats to international peace and security, and that any acts of terrorism are criminal and unjustifiable, regardless of their motivation, wherever, whenever and by whomsoever committed.
The Council reaffirmed the need to combat by all means, in accordance with the Charter of the United Nations and all obligations under international law, in particular international human rights, refugee and humanitarian law, threats to international peace and security caused by terrorist acts.
Security Council underlined the need to bring the perpetrators to justice.
The members of the Security Council appealed to all Lebanese people to preserve national unity in the face of attempts to undermine the country’s stability, and stressed the importance for all Lebanese parties to respect Lebanon’s policy of disassociation and to refrain from any involvement in the Syrian crisis, consistent with their commitment in the Baabda Declaration. This is based on the statement issued today by Security Council President María Cristina Perceval ( Argentina)

ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी न्यायिक आयोग ने गैर कानूनी संबंधों को उजागर किया :सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की मीडिया में लीक हुई गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सीमा अधिकारियों की अकुशलता +शासन +प्रशासन की मिली भगत,+अमेरिकी और आई एस आई के सहयोग + सबंधों को उजागर किया है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
वह मई, 2011 की शुरुआत थी जब सील टीम सिक्स (SEAL TEAM SIX) के रेड स्क्वाड्रन के चुनींदा 24 जवानों ने पाकिस्तान के एबटावाद स्थित ठिकाने पर धावा बोला था जहां अनेक वर्षों से ओसामा बिन लादेन छुपा हुआ था।
उपरोक्त घटना को, पाकिस्तान में सन् 1971, जब न केवल पाकिस्तान को प्रमुख युध्द में औपचारिक रुप से पराजय झेलनी पड़ी अपितु पाकिस्तान के विघटन से एक नए स्वतंत्र देश-बंगलादेश का भी जन्म हुआ था-के बाद सर्वाधिक बुरे राष्ट्रीय अपमान के रुप में वर्णित किया गया।
अमेरिकी सैनिकों द्वारा ओबामा को मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति जावेद इकबाल की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय जांच आयोग गठित किया। अन्य तीन सदस्यों में अशरफ जहांगीर काजी भी शामिल थे जो कुछ वर्ष पूर्व नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त थे।
आयोग ने 336 पृष्ठों वाली अपनी रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को 4 जनवरी, 2013 को सौंपी। उन्होंने तुरंत रिपोर्ट को ‘गुप्त‘ करार दे दिया। लेकिन 8 जुलाई को अंग्रेजी टेलीविजन अल जजीरा ने किसी प्रकार इस रिपोर्ट की एक प्रति हासिल कर प्रकाशित कर दिया। स्पष्टतया, अल जजीरा की रिपोर्ट के आधार पर दि न्यूयार्क टाइम्स, दि गार्डियन, और कुछ दूसरे पश्चिमी समाचार पत्रों ने भी रिपोर्ट का एक सारांश प्रकाशित किया। अपने ब्लॉग के नियमित पाठकों के लिए मैं दि न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। दि सन्डे गार्डियन की रेजिडेंट सम्पादक सीमा मुस्तफा द्वारा, स्टेटस्मैन (भारत) में इस रिपोर्ट को दो किश्तों में जुलाई 20 और 21 में प्रकाशित किया।
न्यूयार्क टाइम्स के लंदन स्थित डेक्लान वाल्स की यह रिपोर्ट निम्न है:
लंदन – सोमवार (8 जुलाई) को मीडिया को ‘लीक‘ की गई एक हानिकारक पाकिस्तानी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक ”सामूहिक अक्षमता और उपेक्षा” के चलते लगभग एक दशक तक ओसामा बिन लादेन निर्बाध रुप से पाकिस्तान में रहा।
सर्वोच्च न्यायालय के एक जज की अध्यक्षता वाले चार सदस्यीय एबटाबाद कमीशन ने देश के शीर्ष गुप्तचर अधिकारियों सहित 201 लोगों से बातचीत की और 2 मई, 2011 को अमेरिकी धावे से जुड़ी घटनाओं को जोड़ने की कोशिश की है, जिसमें अलकायदा का सरगना बिन लादेन मारा गया और पाकिस्तानी सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
हालांकि कमीशन की रिपोर्ट 6 मास पूर्व पूरी हो गई थी परन्तु पाकिस्तानी सरकार ने इसे दबा दिया था और पहली ‘लीक‘ प्रति सोमवार को अल जजीरा ने सार्वजनिक की।
इस प्रसारण संस्था ने 336 पृष्ठों की रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया, इसमें यह भी स्वीकारा गया कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी के मुखिया की गवाही वाला एक पृष्ठ इसमें नहीं है जिसमें प्रतीत होता है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा सहयोग के तत्वों को समाहित किया गया है।
कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के टेलीकॉम रेग्यूलेटर ने पाकिस्तान के भीतर अल जजीरा की बेवसाइट को देखने से बचाने हेतु ठप्प कर दिया।
कुछ मामलों में कमीशन अपेक्षाओं के अनुरुप दिखा। अपनी रिपोर्ट में इसने अफगानिस्तान के टोरा बोरा में अमेरिकी हमले के बाद 2002 के मध्य में पाकिस्तान न आए बिन लादेन को पकड़ने में पाकिस्तान की असफलता के लिए षडयंत्र के बजाय अक्षमता का सहारा लिया है।
लेकिन अन्य संदर्भों में रिपोर्ट आश्चर्यजनक रही। इसमें प्रमुख सरकारी अधिकारियों के भावात्मक संशयवाद सम्बन्धी झलक है, जो कुछ सुरक्षा अधिकारियों द्वारा चोरी-छिपे मदद करने की संभावनाओं की बात कहती है।
यह कहती है कि ”कुछ स्तरों पर मिली भगत, सहयोग और संबंध को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है”।
रिपोर्ट, बिन लादेन जिसने अमेरिकी सैनिकों के हाथों में पड़ने से पूर्व सन् 2002-2011 के बीच 6 ठिकाने बदले थे, के दौर के उसके जीवन की ललचाने वाले नये खुलासे करती है। बताया जाता है कि अनेक बार अलकायदा के मुखिया ने अपनी दाढ़ी साफ करा रखी थी और पाकिस्तान या अमेरिकी सेना के हाथों में आने से बचने के लिए ‘काऊ ब्याय हैट‘ भी पहनना जारी किया था।
एक बार उस वाहन को तेजी से चलाने के जुर्म में रोका गया था जिसमें वह बैठा था मगर पुलिस अधिकारी उसे पहचानने में असमर्थ रहे और उसे जाने दिया।
रिपोर्ट ने पाकिस्तानी अधिकारियों की खिंचाई की है कि उन्होंने देश में सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के ऑपरेशन्स करना बंद कर दिए हैं और नाना प्रकार से अमेरिकी कार्रवाई को गैर कानूनी या अनैतिक ठहराया है। इसके अनुसार सी.आई.ए. ने प्रमुख सहायक एजेंसियों की कायदा के मुखिया की जासूसी के लिए उपयोग किया, ‘किराए के ठगों‘ को साधा और पाकिस्तानी सरकार में अपने सहयोगियों को पूरी तरह से धोखा दिया।
रिपोर्ट कहती है: ”अमेरिका ने एक अपराधिक ठग की तरह काम किया है।”
अपनी अनियंत्रित भाषा और संस्थागत दवाबों के चलते रिपोर्ट पाकिस्तान में बिन लादेन के इधर-उधर छुपने की अवधि का सर्वाधिक सम्पूर्ण अधिकारिक वर्णन और अमेरिकी नेवी सील के हमले जिसने उसकी जान ली, को प्रस्तुत करती है।
चार सदस्यीय कमीशन में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जावेद इकबाल, एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी, एक सेवानिवृत कूटनीतिक और एक सेवानिवृत सैन्य जनरल हैं। इसकी पहली बैठक अमेरिकी हमले के दो महीने बाद जुलाई, 2011 में हुई और इसकी 52 सुनवाई हुई तथा सात बार यह इलाके में गए।
अमेरिकी अधिकारियों ने कमीशन के साथ कोई सहयोग नहीं किया और सोमवार को विदेश विभाग के प्रवक्ता जेन पास्की ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान के घटनाक्रम पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यद्यपि कमीशन की भारी भरकम रिपोर्ट पढ़ने को नहीं मिली है परन्तु उन्होंने कहा कि प्रकाशित सारांशों से प्रतीत होता है कि दस्तावेज बताते हैं कि ”पाकिस्तानी कुछ तो जानते हैं कि कैसे बिन लादेन का वहां अंत हुआ।”
कई स्थानों पर पाकिस्तानी रिपोर्ट अमेरिकीयों द्वारा लादेन को पकड़े जाने से पहले पाकिस्तानी अधिकारियों की असफलता पर कुपित होती और हताशा प्रकट करती है।
इसमें उन सीमा अधिकारियों की अकुशलता को रेखांकित किया गया है जिन्होंने उसकी एक पत्नी को ईरान जाने दिया, म्युनिसिपल अधिकारी जो उसके घर पर हो रहे असामान्य निर्माण पहचानने में असफल रहे, वे गुप्तचर अधिकारी जिन्होंने सूचनाओं को अपने पास ही रखा और उन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अकुशलता का उल्लेख किया है जो ‘कर्तव्य पालन करने से वंचित रहने के गंभीर दोषी‘ पाए गए।
कमीशन ने उन सैन्य अधिकरियों से बातचीत की है जो पाकिस्तानी वायुसीमा में अमेरिकी विमानों के घुसने से बेखबर रहे और पाया कि 2 मई की रात को अमेरिकीयों द्वारा बिन लादेन के शव को विमान में ले जाने के 24 मिनट के भीतर पहले पाकिस्तानी लड़ाकू जेट फौरन रवाना हुआ।
रिपोर्ट कहती है यदि इसे विनम्रता से कहा जाए तो यह यदि अविश्वसनीय नहीं अपितु अकुशलता की स्थिति ज्यादा है तो विस्मयकारक है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि सेना की शक्तिशाली इंटर-सर्विस इंटेलीजेंस निदेशालय ”ओबीएल को पकड़ने में पूर्णतया असफल” रहा है और इसमें तत्कालीन खुफिया एजेंसी के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की विस्तृत गवाही भी है।
osama-compoundकमीशन रेखांकित करता है कि कैसे आई.एस.आई. अधिकांशतया नागरिक नियंत्रण से बाहर ही ऑपरेट करती है। बदले में जनरल पाशा उत्तर देते हैं कि सी.आई.ए. ने सन् 2001 के बाद बिन लादेन के बारे में सिर्फ असंबध्द गुप्तचर सूचनाएं ही सांझा की। रिपोर्ट में लिखा है कि एबटाबाद पर धावा करने से पूर्व अमेरिकीयों ने बिन लादेन के चार शहरों-सरगोधा, लाहौर, सियालकोट और गिलगिट में होने की गलत सूचना दी।
जनरल पाशा को उदृत किया गया है कि ”अमेरिकी अहंकार की कोई सीमा नहीं है”। साथ ही साथ यह कि ”पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र था, यहां तक कि हम अभी भी एक असफल राष्ट्र नहीं हैं”। अल जजीरा द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में गायब गवाही सम्बन्धी पृष्ठ जनरल पाशा की गवाही से सम्बन्धित हैं। अपनी बेवसाइट पर अल जजीरा लिखता है कि संदर्भ की जांच से यह लगता है कि गायब सामग्री देश के सैन्य नेता जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा ”सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका से की गई सात मांगों की सूची है।
पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने अल जजीरा की रिपोर्ट की सत्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
सोमवार को भी, दि एसोसिएटिड प्रेस ने प्रकाशित किया है कि अमेरिका के स्टेट्स स्पेशल ऑपरेशन के शीर्ष कमांडर ने आदेश दिए कि बिन लादेन पर हमले सम्बन्धी सैन्य फाईलें रक्षा विभाग के कम्प्यूटरों से साफ कर दी जाएं और सी.आई.ए. को भेज दीं जहां उन्हें ज्यादा आसानी से जनता की नजरों से बचाया जा सकता है।
वाशिंगटन से इरिक सम्मिट ने इस हेतु सहयोग किया

बराक ओबामा ने त्रायवों मार्टिन की हत्या से उभरे समाज के जख्मो पर अपनी संवेदनाओं का मलहम लगाया

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भावनात्मक रूप से देश में त्रायवों मार्टिन [Trayvon Martin ] की हत्या को लेकर नस्लवाद पर चल रही बहस में भाग लिया और पीड़ित वर्ग के जख्मो पर अपनी संवेदनाओं का मलहम लगाया |व्हाईट हाउस के प्रेस ब्रीफिंग रूम में अचानक प्रेजिडेंट ओबामा आये और नियमित प्रेस कांफ्रेंस के बीच में ही उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि मार्टिन के स्थान पर ३५ साल पहले मैं [ओबामा]स्वयम भी शिकार हो सकता था |इससे पूर्व उन्होंने कहा था कि अगर उनका कोई बेटा होता तो वोह मार्टिन की तरह ही होता|
प्रेजिडेंट ने कहा कि शायद ही कोई अफ्रीकन अमेरिकन ऐसा भाग्य शाली होगा जिसका बाज़ार में शोपिंग करते समय पीछा नहीं किया गया हो|उन्होंने कहा कि मुकद्दमे में कानून ने अपना काम किया है| लेकिन अमेरिकन अफ्रीकन कम्युनिटी इसे अपने पुराने अनुभवों के नज़रिए से देख रही है|
गौरतलब है कि फ्लोरिडा में युवा त्रायवों मार्टिन [Trayvon Martin ] कि हत्या कर दी गई थी जिसे लेकर नस्लवाद या हेट क्राईम को लेकर मीडिया में बहस कराई जा रही है|

बिहार में दूषित मिड डे मील के भयावह काण्ड से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने अनेक सुधारों का एलान किया

बिहार में दूषित मिड डे मील के भयावह काण्ड से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने अनेक सुधारों का एलान किया है|शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमर जीत सिन्हा ने शिक्षा विभाग के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि मरने वाले अभागे २३ बच्चों में १२ छात्राएं और ११ छात्र हैं| छपरा मशरख के नव सृजित प्राथमिक विद्यालय धर्मासती गंडामन की प्रिंसिपल श्रीमती मीना कुमारी के निलंबन की संतुति कर दी गई है| बिहार प्रदेश में ७१००० विद्यालयों में १.३० करोड़ बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं|७०२६० प्राथमिक विद्यालयों में से केवल ३५०० विद्यालयों में ही एन जी ओ के द्वारा मिड डे मील उपलब्ध कराया जाता है| सीमित संसाधनों में इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को भोजन करना एक बेहद चुनौती भरा दाईत्व है|जिसे स्वीकार करते हुए अब और कदम उठाये जा रहे हैं|उन्होंने बताया कि :
[१] विद्यालय शिक्षा कमेटी के सदस्यों कि संख्या बढ़ाई जायेगी
[२]मिड डे मील यौजना व्यवस्था में सुधर एवं आधार भूत संरचना विकास के त्वरित और ठोस प्रयास किये जायेंगे
[३]विद्यालयों में किचन शेड बनेंगे
[४]सम्बंधित स्टाफ को निरंतर प्रशिक्षण दिया जाएगा| निदेशक आर लक्ष्मण ने भी संबोधित किया
गौरतलब है कि १६ जुलाई को मशरख के अभागे स्कूल में दूषित मध्य दिन का भोजन खाने से २३ बच्चो की मौत हो गई और अनेको घायल हो गए है |श्री सिन्हा ने इसके पीछे षड्यंत्र बताते हुए कहा है कि यह केस फ़ूड पायजनिंग का नही वरन फ़ूड में पायजन का है|

मिड डे मील की असंतोषजनक गुणवत्ता के विषय में बिहार सरकार को आगाह किया गया था : मानव संसाधन विकास मंत्रालय

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर में मध्‍याह्न भोजन योजना की गुणवत्‍ता की देखरेख के लिए एक नई समिति के गठन की घोषणा की है ।
बिहार में निर्धन भूखे छात्रों की मौत पर मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए, मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. एम.एम.पल्‍लम राजू ने नई दिल्‍ली में आज स्‍कूलों में मध्‍याह्न भोजन लेने के बाद यह घोषणा की।
प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्‍होंने माना कि बिहार को 12 जिलों में सरकारी स्‍कूलों में परोसे गये भोजन की असंतोषजनक गुणवत्‍ता के बारे में सतर्क किया गया था लेकिन इसके साथ ही जोर देते हुए यह भी कहा कि इस घटना का उपयोग आरोप-प्रत्‍यारोप करने के लिए नहीं होना चाहिए
डॉ. राजू ने कहा कि देश में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मध्‍याह्न भोजन योजना बहुत महत्‍वपूर्ण है। सवालों का जवाब देते हुए, उन्‍होंने माना कि बिहार को 12 जिलों में सरकारी स्‍कूलों में परोसे गये भोजन की असंतोषजनक गुणवत्‍ता के बारे में सतर्क किया गया था तथा उनमें सारण जिला भी बुरी तरह प्रभावित था।

“आप” की दिल्ली में केंडीडेट संतोष कोली को एक कार ने गाजिआबाद में गंभीर रूप से घायल किया: ह्त्या की साजिश का आरोप

आम आदमी पार्टी[आप]की कर्मठ कार्यकर्ता [आर टी आई एक्टिविस्ट] संतोष कोली एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई हैं| आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने इसके पीछे हत्या का षड्यंत्र बताया है| इससे पहले भी संतोष पर दो एटैक हो चुके हैं|
बताया गया है कि आप पार्टी कि कार्यकर्ता संतोष और कुलदीप एक मोटर बाईक पर मात्र ४० कि मी की रफ़्तार से उत्तर प्रदेश के गाजिआबाद में एक खाली सड़क पर जा रहे थे इसी बीच पीछे से आ रही एक त्रीव गति की कार ने टक्कर मार दी | और संतोष को गंभीर रूप से घायल करके गायब हो गई| यशोदा अस्पताल में संतोष जन्म, मृत्यु में झूल रही हैं|इससे पूर्व ब्रजलाल पर को भी उत्तर प्रदेश में कार से कुचल दिया गया था| संतोष सीमापुरी से “आप “:की केंडीडेट हैं