राजस्थान में डब्ल्यूआईएफएस कार्यक्रम में बताया गया कि भारत के ५० % किशोरों में खून की कमी है जिससे विकास पर नकारात्मक प्रभाव पढता है|
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज जयपुर में राजस्थान सरकार के साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड पूर्ति कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री आजाद ने कहा कि भारत के कुल आबादी में से 22 % किशोर हैं, जो देश का भविष्य हैं। लेकिन किशोरों की आधी आबादी में खून की कमी है। इनमें लड़के-लड़कियां दोनों है। खून की कमी से शरीर का पूरा विकास नहीं होता, स्कूलों में किशोरों का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता और दैनिक काम-काज में एकाग्रता कम रहती है। इससे कार्य-क्षमता और बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने साप्ताहिक और आयरन फोलिक एसिड पूर्ति कार्यक्रम शुरू किया है ताकि किशोरों में खून की कमी को रोका जा सके और इस पर नियंत्रण पाया जा सके। इस कार्यक्रम के तहत 13 करोड़ किशोरों को शामिल किया जाएगा। इनमें सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, नगरपालिका स्कूलों के बच्चे तथा स्कूल छोड चुकी लड़कियां शामिल हैं। इस कार्यक्रम के तकह आयरन फोलिक एसिड की गोलियां देने के साथ-साथ किशोरों और परिवारों को पौष्टिकता और स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी और सलाह दी जाएगी। भारत सरकार ने इसके लिए 2012-13 में 135 करोड़ रूपए तथा 2013-14 में 750 करोड़ रूपए निर्धारित किए।
फोटो कैप्शन
The Union Minister for Health and Family Welfare, Shri Ghulam Nabi Azad
Category: Crime
भारत के ५० % भविष्य[ किशोरों] में खून की कमी : गुलाम नबी आजाद
नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा न दिए जाने की अपील करने वाले सांसदों के पत्र में फर्जी वाडे की परतें खुल रही है
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा न दिए जाने की अपील करने वाले सांसदों के पत्र में फर्जी वाडे की परते खुलने लग गई है
|[१] ९ सांसदों ने हस्ताक्षर करने से इन्कार किया है
[२] इस पत्र में २९ सांसद कांग्रेस के ही हैं सो विपक्ष इसके पीछे कांग्रेस का हाथ देख रहा है भाजपा ने इस पूरे मामले की जांच की मांग भी कर दी हैअब तक मोदी पर हमलावर कांग्रेसी नेता इस मामले से पल्ला झाड़ने लगे हैं|
[३] इस अभियान के पीछे एन आर आई ग्रुप की भूमिका भी सामने आने लगी है
भारत के 65 सांसदों की ओर से ओबामा प्रशासन को चिट्ठी फैक्स भेज कर मोदी को वीजा न दिए जाने का आग्रह किया है| आठ माह पुर्व भी ऐसा ही पत्र लिखा गया था लेकिन उस समय ऎसी हलचल नही हुई थी लेकिन अब उस पत्र की प्रति फेक्स किये जाने से मामला तूल पकड़ता जा रहा है|
इस मुहिम के अगुआ मुहम्मद अदीब अभी भी इस पर अड़े हैं कि सभी सांसदों के दस्तखत सही हैंजबकि कांग्रेस और सरकार भी पल्ला झाड़ रही है। विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर ने इस तरह की किसी अपील से असहमति जताई | कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर ने भी पल्ला झाड़ते हुए कहा,’कांग्रेस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अमेरिका मोदी को वीजा देता है या नहीं।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने आशंका जताई कि यह कांग्रेस का षड्यंत्र है। एक अन्य प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अगर कोई सांसदों के हस्ताक्षर का दुरुपयोग करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। भाजपा के सांसद सुदर्शन भगत ने तो लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पत्र लिखकर हस्ताक्षर में फर्जीवाड़े की जांच की मांग भी कर डाली है।
अमेरिका में मोदी के खिलाफ पिछले आठ वर्षो से अधिक समय से अभियान चलाने वाले भारतीय अमेरिकी समूहों ने सांसदों द्वारा ओबामा को पत्र भेजने को जायज ठहराया है। ये समूह अमेरिका को इस बात के लिए राजी करने में कामयाब रहे हैं कि मोदी को वीजा न दिया जाए। इन समूहों ने यह भी कहा कि ओबामा को भेजे खत पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ नेता अब दबाव में इससे इन्कार कर रहे हैं।
यह बात भी निकल कर आ रही है कि इसी समूह ने भारत में एक सांसद को अन्य सांसदों से हस्ताक्षर कराने का कार्य सौंपा था | सांसद पियूष गोएल के अनुसार यह समूह लाबिंग के लिए धन भी खर्च करता है| अब सवाल उठता है कि क्या इस लाबिंग के लिए विदेश से धन आया अगर आया तो बेहद गंभीर आरोप है | वाल मार्ट जैसी संस्थाओं द्वारा रिटेल में विदेशी निवेश के लिए लाबिंग कराई गई थी और उस पर धन भी खर्च किया गया था अभी तक उसकी जाँच कि मांग पर कार्यवाही नहीं हुई है अब यह एक और लाबिंग का मामला आया है|इसमें भी विदेशी धन का आरोप लग रहा है
इसके अलावा कांग्रेस पर मोदी के खिलाफ विदेशी हाथ का इस्तेमाल कराने का आरोप लगाया जा रहा है|माना जा रहा है कि भाजपा ने नरेंदर मोदी को पी एम् के उम्मीदवार के रूप में चुनावों में उतारने का मन बना लिया है|यदि मोदी को अमेरिका में वीजा मिल जाता है तो भारत में चुनावों के दौरान उसे भुनाया जा सकता है |कांग्रेस यह रिस्क लेने को तैयार नही है संभवत इसीलिए यह चक्रव्यूह रचा गया है लेकिन इस चक्रव्यूह में स्वयम कांग्रेस ही फंसती दिखाई दे रही है|
एच सी एल ने प्रधान मंत्री राहत कोष में उत्तराखंड के लिए २.३३ करोड़ रुपये दिए
उत्तराखंड आपदाग्रस्तों की राहत और पुनर्वास के लिए हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) ने प्रधानमंत्री राहत कोष में दो करोड़ रूपये की राशि का योगदान दिया है।
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के कर्मचारियों ने भी स्वेच्छा से अपना एक दिन का वेतन जिसकी कुल राशि 33 लाख 50 हजार रूपये है, प्रधानमंत्री राहत कोष में दी है।
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के सीएमडी श्री के. डी. दीवान ने केंद्रीय खान मंत्री श्री दिनशा पटेल को इस नेक काम के लिए दो चैक प्रदान किए गए। इस अवसर पर खान मंत्रालय में सचिव श्री आर.एच. ख्वाजा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
केंद्रीय खान मंत्री श्री दिनशा पटेल ने एचसीएल और उसके कर्मचारियों द्वारा किए गए इस सहयोग के लिए उनकी सराहना की।
रिटायर्ड जनरल वी के सिंह ने, टाट्रा डील , में केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलने का एलान किया है
टी वे चैनल टाइम्स नॉव पर एंकर अरनव गोस्वामी के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर टाट्रा ट्रकों की खरीद सम्बन्धी केस को सी बी आई फ़ाईनली क्लोज कर टी है तो उनके पास जो केस से सम्बंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं उन्हें पब्लिक के सामने लायेंगे|
आक्रोशित जनरल सिंह ने कहा कि जो सिस्टम नागरिकों को न्याय नही दे सके उस सिस्टम को गिराना जरुरी है|
जनरल सिंह ने अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने टाट्रा ट्रकों की खरीद के लिए उन्हें रिश्वत का आफर दिया था उस घटान को तत्काल रक्षा मंत्री के संज्ञान में लाया गया लेकिन उस कोई कार्यवाही किये जाने के बजाय उस राष्ट्रीय महत्त्व के केस को बंद किये जाये की साजिश रची जा रही है |जनरल सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि उनका मुह बंद करने के लिए उनका लगातार उत्पीडन किया जा रहा है|| उन्होंने बताया कि अपनी पुत्री के विवाह और स्वयम कि सेहत को लेकर अदालत में व्यतिगत रूप से पेशी में छूट के लिए उन्होंने आवेदन किया हुआ है लेकिन यह छह माह से पेंडिंग है इसके बावजूद उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट तक जारी करवाए जा रहे हैं |उन्होंने कहा कि अगर सी बी आई द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व के इस केस को बंद करती है तो उनके पास जनता के दरबार में जाने के अलावा कोई विकल्प नही बचता|
“आप” के प्रत्याशी सत्येंद्र जैन को दिल्ली पुलिस ने दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया
आम आदमी पार्टी के शकूर बस्ती विधान सभा क्षेत्र सेप्रत्याशी सत्येंद्र जैन को दंगा भड़काने के आअरोप में दिल्ली पोलिस ने गिरफ्तारकिया |:पार्टी ने पुलिस पर अपराधियों से सांठ-गांठ का आरोप लगाया है|
शकूर बस्ती विधान सभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी सत्येंद्र जैन को दिल्ली पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। सत्येंद्र जैन मीरा बाग बस्ती में बलात्कार की शिकार हुई बच्ची के परिजनों के साथ रिपोर्ट लिखवाने थाने थे। पार्टी प्रवक्ता का आरोप है कि पुलिस अपनी चिर-परिचित कार्यशैली का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस मामले को भी राजनैतिक दबाव के चलते रफा-दफा करना चाहती थी। सत्येंद्र जैन और आम अदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के दबाव में पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया किंतु यह कह कर आरोपी की मदद करने लगी कि अभियुक्त ने बलात्कार नहीं किया बल्कि हाथ से बालिका के साथ अप्राकृतिक कृत्य किया है। पुलिस के इस रवैए पर देर शाम। बच्ची के परिजन भड़क गए और इसके बाद मीरा बाग बस्ती के लोगों ने रिंग रोड़ पर चक्का जाम कर दिया। पुलिस और अपराधियों की सांठ-गांठ के चलते बलात्कार की शिकार हुई बच्ची के परिजनों की पुलिस ने निर्मम पिटाई की। बच्ची की बुआ गीता को बलात्कारियों ने पुलिस की मौजूदगी में गैंग रेप की धमकी दी किंतु पुलिस अंत तक बलात्कारियों का ही साथ देती रही। पुलिस ने एक मनघड़ंत मामला बनाते हुए रंजिश स्वरूप आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने दंगा भड़काया है।
पीडिता बच्ची के परिवार की मदद के लिए लड़ना किसी भी रूप में दंगा भड़काना नहीं कहा जा सकता। हकीकत यह है कि पीडि़त बच्ची के परिजन और उनकी बस्ती के अन्य लोग पुलिस के रवैए के कारण भड़के।आप पार्टी ने मांग कि है कि गरीब लोगों को भड़काने व हंगामे के लिए उन पुलिस कर्मियों पर मुकद्दमा चलना चाहिए जिनकी अभद्र और असवेंदंनशील टिप्पणियों के चलते जनता ने हंगामा खड़ा किया।
पिछले एक महीने के अन्तराल के दौरान 4 बलात्कार के अलग-अलग मामलों में पीडि़तों की मदद कर रहे आम आदमी पार्टी के 20 से अधिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने निर्ममता से पीटा 15 लोगों के हाथ पांव तोड़ डाले। राजनैतिक षड़यंत्र के तहत सुंदरनगरी से आमआदमी पार्टी की उम्मीदवार संतोष कोली को चौपहिया वाहन से टक्कर मार कर बुरी तरह घायल कर दिया जो लग-भग एक महीने से बेहोश हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर पुलिस ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी पर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौंसला पस्त करने की नियत से वार किया है। आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार को चेतावनी देना चाहती है कि दिल्ली पुलिस के कंधे पर बंन्दूक रख कर वह पार्टी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को अविलंब बन्द करे अन्यथा आम आदमी पार्टी को सरकार की ईंट से ईंट बजाने के लिए सड़कों पर उतरना पडे़गा।
एक अन्य मामले में पिली मिट्टी ( वेलकम थाने ) के पास प्रचार कार्य के लिए गई एक गाड़ी पर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया जिससे वाहन को क्षति पहुंची है.
अखिलेश यादव जी छपरौली में यमुना पर पुल के निर्माण के लिए ५०% राशि के लिए शीघ्र हामी भरो :चौ.अजित सिंह
राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष एवं केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री चौ. अजित सिंह ने छपरौली में यमुना पर पुल के निर्माण की आवश्यक सैद्धांतिक सहमति हरियाणा सरकार को शीघ्रातिशीघ्र भेजने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। इससे पूर्व उन्होंने बीते सप्ताह ही दिल्ली-हापुड़ और दिल्ली-खुर्जा के बीच प्रस्तावित रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम की मंजूरी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को भेजने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा था|
रालोद सुप्रीमो चौ. अजित सिंह ने कहा है कि यमुना पर प्रस्तावित यह पुल छपरौली (बागपत, उत्तर प्रदेश) और हथवाला (हरियाणा) के मध्य स्थित है। इस पुल के निर्माण के संबंध में चौ. अजित सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को भी पत्र लिखा था। पत्र के जवाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने इस पुल के निर्माण के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को भेजने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है और उन्होंने नियमतः इसकी 50 % लागत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वहन करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार की सैद्धांतिक सहमति शीघ्र भेजने के लिए 06 मई 2013 को पत्र लिखा था।
प्रस्तावित पुल का डीपीआर, लोकेशन इत्यादि निर्धारित करने के लिए हरियाणा सरकार के रूरल डेवलेपमेंट काॅरपोरेशन ने उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग के साथ बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव भी किया है। इस पुल की लागत का 50 प्रतिशत व्यय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वहन करने के लिए सैद्धांतिक सहमति अभी तक प्रेषित नहीं की गई है। जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अनुस्मारक भी भेज चुके हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव भी 03 जून 2013 को अपने गाजियाबाद दौरे के समय इस पुल की मंजूरी की घोषणा कर चुके हैं।
यह पुल दोनों राज्यों के आसपास के ग्रामीणों और किसानों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दोनों राज्यों के निकटस्थ ग्रामीणों और किसानों के हितों को देखते हुए चौ. अजित सिंह ने इस पुल की सैद्धांतिक सहमति हरियाणा सरकार को शीघ्र भेजने तथा उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को इस पुल के निर्माण में हरियाणा सरकार के अधिकारियों को पूर्ण सहयोग देने के समुचित निर्देश देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को कहा है।
ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी न्यायिक आयोग ने गैर कानूनी संबंधों को उजागर किया :सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की मीडिया में लीक हुई गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सीमा अधिकारियों की अकुशलता +शासन +प्रशासन की मिली भगत,+अमेरिकी और आई एस आई के सहयोग + सबंधों को उजागर किया है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
वह मई, 2011 की शुरुआत थी जब सील टीम सिक्स (SEAL TEAM SIX) के रेड स्क्वाड्रन के चुनींदा 24 जवानों ने पाकिस्तान के एबटावाद स्थित ठिकाने पर धावा बोला था जहां अनेक वर्षों से ओसामा बिन लादेन छुपा हुआ था।
उपरोक्त घटना को, पाकिस्तान में सन् 1971, जब न केवल पाकिस्तान को प्रमुख युध्द में औपचारिक रुप से पराजय झेलनी पड़ी अपितु पाकिस्तान के विघटन से एक नए स्वतंत्र देश-बंगलादेश का भी जन्म हुआ था-के बाद सर्वाधिक बुरे राष्ट्रीय अपमान के रुप में वर्णित किया गया।
अमेरिकी सैनिकों द्वारा ओबामा को मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति जावेद इकबाल की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय जांच आयोग गठित किया। अन्य तीन सदस्यों में अशरफ जहांगीर काजी भी शामिल थे जो कुछ वर्ष पूर्व नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त थे।
आयोग ने 336 पृष्ठों वाली अपनी रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को 4 जनवरी, 2013 को सौंपी। उन्होंने तुरंत रिपोर्ट को ‘गुप्त‘ करार दे दिया। लेकिन 8 जुलाई को अंग्रेजी टेलीविजन अल जजीरा ने किसी प्रकार इस रिपोर्ट की एक प्रति हासिल कर प्रकाशित कर दिया। स्पष्टतया, अल जजीरा की रिपोर्ट के आधार पर दि न्यूयार्क टाइम्स, दि गार्डियन, और कुछ दूसरे पश्चिमी समाचार पत्रों ने भी रिपोर्ट का एक सारांश प्रकाशित किया। अपने ब्लॉग के नियमित पाठकों के लिए मैं दि न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। दि सन्डे गार्डियन की रेजिडेंट सम्पादक सीमा मुस्तफा द्वारा, स्टेटस्मैन (भारत) में इस रिपोर्ट को दो किश्तों में जुलाई 20 और 21 में प्रकाशित किया।
न्यूयार्क टाइम्स के लंदन स्थित डेक्लान वाल्स की यह रिपोर्ट निम्न है:
लंदन – सोमवार (8 जुलाई) को मीडिया को ‘लीक‘ की गई एक हानिकारक पाकिस्तानी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक ”सामूहिक अक्षमता और उपेक्षा” के चलते लगभग एक दशक तक ओसामा बिन लादेन निर्बाध रुप से पाकिस्तान में रहा।
सर्वोच्च न्यायालय के एक जज की अध्यक्षता वाले चार सदस्यीय एबटाबाद कमीशन ने देश के शीर्ष गुप्तचर अधिकारियों सहित 201 लोगों से बातचीत की और 2 मई, 2011 को अमेरिकी धावे से जुड़ी घटनाओं को जोड़ने की कोशिश की है, जिसमें अलकायदा का सरगना बिन लादेन मारा गया और पाकिस्तानी सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
हालांकि कमीशन की रिपोर्ट 6 मास पूर्व पूरी हो गई थी परन्तु पाकिस्तानी सरकार ने इसे दबा दिया था और पहली ‘लीक‘ प्रति सोमवार को अल जजीरा ने सार्वजनिक की।
इस प्रसारण संस्था ने 336 पृष्ठों की रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया, इसमें यह भी स्वीकारा गया कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी के मुखिया की गवाही वाला एक पृष्ठ इसमें नहीं है जिसमें प्रतीत होता है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा सहयोग के तत्वों को समाहित किया गया है।
कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के टेलीकॉम रेग्यूलेटर ने पाकिस्तान के भीतर अल जजीरा की बेवसाइट को देखने से बचाने हेतु ठप्प कर दिया।
कुछ मामलों में कमीशन अपेक्षाओं के अनुरुप दिखा। अपनी रिपोर्ट में इसने अफगानिस्तान के टोरा बोरा में अमेरिकी हमले के बाद 2002 के मध्य में पाकिस्तान न आए बिन लादेन को पकड़ने में पाकिस्तान की असफलता के लिए षडयंत्र के बजाय अक्षमता का सहारा लिया है।
लेकिन अन्य संदर्भों में रिपोर्ट आश्चर्यजनक रही। इसमें प्रमुख सरकारी अधिकारियों के भावात्मक संशयवाद सम्बन्धी झलक है, जो कुछ सुरक्षा अधिकारियों द्वारा चोरी-छिपे मदद करने की संभावनाओं की बात कहती है।
यह कहती है कि ”कुछ स्तरों पर मिली भगत, सहयोग और संबंध को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है”।
रिपोर्ट, बिन लादेन जिसने अमेरिकी सैनिकों के हाथों में पड़ने से पूर्व सन् 2002-2011 के बीच 6 ठिकाने बदले थे, के दौर के उसके जीवन की ललचाने वाले नये खुलासे करती है। बताया जाता है कि अनेक बार अलकायदा के मुखिया ने अपनी दाढ़ी साफ करा रखी थी और पाकिस्तान या अमेरिकी सेना के हाथों में आने से बचने के लिए ‘काऊ ब्याय हैट‘ भी पहनना जारी किया था।
एक बार उस वाहन को तेजी से चलाने के जुर्म में रोका गया था जिसमें वह बैठा था मगर पुलिस अधिकारी उसे पहचानने में असमर्थ रहे और उसे जाने दिया।
रिपोर्ट ने पाकिस्तानी अधिकारियों की खिंचाई की है कि उन्होंने देश में सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के ऑपरेशन्स करना बंद कर दिए हैं और नाना प्रकार से अमेरिकी कार्रवाई को गैर कानूनी या अनैतिक ठहराया है। इसके अनुसार सी.आई.ए. ने प्रमुख सहायक एजेंसियों की कायदा के मुखिया की जासूसी के लिए उपयोग किया, ‘किराए के ठगों‘ को साधा और पाकिस्तानी सरकार में अपने सहयोगियों को पूरी तरह से धोखा दिया।
रिपोर्ट कहती है: ”अमेरिका ने एक अपराधिक ठग की तरह काम किया है।”
अपनी अनियंत्रित भाषा और संस्थागत दवाबों के चलते रिपोर्ट पाकिस्तान में बिन लादेन के इधर-उधर छुपने की अवधि का सर्वाधिक सम्पूर्ण अधिकारिक वर्णन और अमेरिकी नेवी सील के हमले जिसने उसकी जान ली, को प्रस्तुत करती है।
चार सदस्यीय कमीशन में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जावेद इकबाल, एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी, एक सेवानिवृत कूटनीतिक और एक सेवानिवृत सैन्य जनरल हैं। इसकी पहली बैठक अमेरिकी हमले के दो महीने बाद जुलाई, 2011 में हुई और इसकी 52 सुनवाई हुई तथा सात बार यह इलाके में गए।
अमेरिकी अधिकारियों ने कमीशन के साथ कोई सहयोग नहीं किया और सोमवार को विदेश विभाग के प्रवक्ता जेन पास्की ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान के घटनाक्रम पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यद्यपि कमीशन की भारी भरकम रिपोर्ट पढ़ने को नहीं मिली है परन्तु उन्होंने कहा कि प्रकाशित सारांशों से प्रतीत होता है कि दस्तावेज बताते हैं कि ”पाकिस्तानी कुछ तो जानते हैं कि कैसे बिन लादेन का वहां अंत हुआ।”
कई स्थानों पर पाकिस्तानी रिपोर्ट अमेरिकीयों द्वारा लादेन को पकड़े जाने से पहले पाकिस्तानी अधिकारियों की असफलता पर कुपित होती और हताशा प्रकट करती है।
इसमें उन सीमा अधिकारियों की अकुशलता को रेखांकित किया गया है जिन्होंने उसकी एक पत्नी को ईरान जाने दिया, म्युनिसिपल अधिकारी जो उसके घर पर हो रहे असामान्य निर्माण पहचानने में असफल रहे, वे गुप्तचर अधिकारी जिन्होंने सूचनाओं को अपने पास ही रखा और उन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अकुशलता का उल्लेख किया है जो ‘कर्तव्य पालन करने से वंचित रहने के गंभीर दोषी‘ पाए गए।
कमीशन ने उन सैन्य अधिकरियों से बातचीत की है जो पाकिस्तानी वायुसीमा में अमेरिकी विमानों के घुसने से बेखबर रहे और पाया कि 2 मई की रात को अमेरिकीयों द्वारा बिन लादेन के शव को विमान में ले जाने के 24 मिनट के भीतर पहले पाकिस्तानी लड़ाकू जेट फौरन रवाना हुआ।
रिपोर्ट कहती है यदि इसे विनम्रता से कहा जाए तो यह यदि अविश्वसनीय नहीं अपितु अकुशलता की स्थिति ज्यादा है तो विस्मयकारक है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि सेना की शक्तिशाली इंटर-सर्विस इंटेलीजेंस निदेशालय ”ओबीएल को पकड़ने में पूर्णतया असफल” रहा है और इसमें तत्कालीन खुफिया एजेंसी के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की विस्तृत गवाही भी है।
osama-compoundकमीशन रेखांकित करता है कि कैसे आई.एस.आई. अधिकांशतया नागरिक नियंत्रण से बाहर ही ऑपरेट करती है। बदले में जनरल पाशा उत्तर देते हैं कि सी.आई.ए. ने सन् 2001 के बाद बिन लादेन के बारे में सिर्फ असंबध्द गुप्तचर सूचनाएं ही सांझा की। रिपोर्ट में लिखा है कि एबटाबाद पर धावा करने से पूर्व अमेरिकीयों ने बिन लादेन के चार शहरों-सरगोधा, लाहौर, सियालकोट और गिलगिट में होने की गलत सूचना दी।
जनरल पाशा को उदृत किया गया है कि ”अमेरिकी अहंकार की कोई सीमा नहीं है”। साथ ही साथ यह कि ”पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र था, यहां तक कि हम अभी भी एक असफल राष्ट्र नहीं हैं”। अल जजीरा द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में गायब गवाही सम्बन्धी पृष्ठ जनरल पाशा की गवाही से सम्बन्धित हैं। अपनी बेवसाइट पर अल जजीरा लिखता है कि संदर्भ की जांच से यह लगता है कि गायब सामग्री देश के सैन्य नेता जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा ”सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका से की गई सात मांगों की सूची है।
पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने अल जजीरा की रिपोर्ट की सत्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
सोमवार को भी, दि एसोसिएटिड प्रेस ने प्रकाशित किया है कि अमेरिका के स्टेट्स स्पेशल ऑपरेशन के शीर्ष कमांडर ने आदेश दिए कि बिन लादेन पर हमले सम्बन्धी सैन्य फाईलें रक्षा विभाग के कम्प्यूटरों से साफ कर दी जाएं और सी.आई.ए. को भेज दीं जहां उन्हें ज्यादा आसानी से जनता की नजरों से बचाया जा सकता है।
वाशिंगटन से इरिक सम्मिट ने इस हेतु सहयोग किया
येलो फीवर टीके की बेहद कमी ; सरकार ने एक सप्ताह में यह उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया
भारत सरकार द्वारा निर्धारित येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों में येलो फीवर टीके की बेहद कमी है। सी.आर.आई. कसौली में उपकरण की खराबी और वैश्विक कमी की वजह से डब्ल्यू एच ओ के माध्यम से आयात के जरिए होने वाली आपूर्ति में आई रुकावट को कारण बताया जा रहा है। भारत सरकार ने एक सप्ताह के भीतर यह टीका उपलब्ध करने का आश्वासन दिया है|
मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई अप डेट्स इस प्रकार हैं:
[१] आपूर्ति में कमी की वजह से येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों को सूचित किया गया है कि वे येलो फीवर टीका लगवाने के इच्छुक सभी यात्रियों से अंतरिम उपाय के तौर पर निर्धारित येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों से येलो फीवर टीके की एक खुराक लेने (सनोफी पॉस्चर द्वारा निर्मित) और डब्ल्यू एच ओ येलो फीवर टीकाकरण प्रमाण-पत्र (इसके लिए कोई लागत वसूली नहीं जाएगी) प्राप्त करने को कहें। भारत सरकार येलो फीवर टीका 300 रुपये प्रति खुराक की दर पर मुहैया कराती है और बाजार में सनोफी पॉस्चर की येलो फीवर की एक खुराक की कीमत 1100 रुपये है।
[2.] ही डब्ल्यू एच ओ के पास 2.57 लाख खुराकों का ऑर्डर भी भेजा गया है (इसमें वर्ष 2012-13 और वर्ष 2013-14 की बची हुई खुराकें भी शामिल हैं।)आपूर्ति अब तक प्राप्त नहीं हुई है। डब्ल्यू एच ओ की आपूर्ति अगस्त के दूसरे सप्ताह में मिल सकती है।
[३]. दूसरा सी.आर.आई. कसौली से नियमित आपूर्ति में रुकावट और संकटपूर्ण स्थिति के अनुमान के मद्देनजर सनोफी पॉस्चर (यह अकेली कंपनी है, जिसे डी सी जी आई की स्वीकृति प्राप्त है, लेकिन सिर्फ टीके की अकेली खुराक की शीशी के लिए) से 60 हजार खुराकों (दस खुराक की शीशी) की आपूर्ति के लिए अप्रैल 2013 में संपर्क किया गया था। इस बात का उल्लेख किया गया है कि सनोफी पॉस्चर के पास मल्टी-डोज शीशी के लिए लाइसेंस नहीं है। उसे भारत सरकार के आपूर्ति के ऑर्डर के लिए डी सी जी आई से मंजूरी लेनी होगी।
मंत्रालय ने दावा किया है कि [४]. आपूर्ति मुंबई तट पर पहुंच चुकी है और गुणवत्ता नियंत्रण प्रमाणन के लिए नमूने सी.आर.आई. कसौली को 18 जुलाई 2013 को भेज दिए गए थे।
[ 5.] सी.आर.आई. कसौली से रिपोर्ट मिल चुकी है और येलो फीवर टीके की आपूर्ति आज चार महानगरों के येलो फीवर टीकाकरण केंद्रों को भेज दी गई।
[६]. भारत सरकार के सभी केंद्रों पर एक सप्ताह के भीतर यह उपलब्ध क़रा दी जायेगी|
गौरतलब है कि येलो फीवर बीमारी दुनिया के 44 देशों में होती है। इनमें से 23 देश अफ्रीकी महाद्वीप और 11 देश दक्षिण अमरीकी महाद्वीप में हैं। भारत येलो फीवर बीमारी से मुक्त है। इन देशों की यात्रा पर जाने वाले मुसाफिरों को येलो फीवर से बचाव के लिए टीका लगवाना पड़ता है। इस टीके की 0.5 मिली लीटर की एक खुराक इस बीमारी से आजीवन बचाव संभव कराती है और बार-बार इन देशों की यात्रा पर जाने वालों को यह टीका बार-बार नहीं लगवाना पड़ता। देश में येलो फीवर टीके की वार्षिक मांग 1.8 लाख खुराक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस खतरनाक संक्रमण को रोकने का एकमात्र उपाय लोगों को टीके लगाना है
देश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा निर्धारित 27 येलो फीवर टीकाकरण केंद्र हैं। इन केंद्रों में येलो फीवर टीके की सप्लाई सी.आर.आई., कसौली (एक तिहाई का निर्माण होता है और दो तिहाई का आयात होता है) द्वारा की जाती है। किसी भी निजी अस्पताल/दवाखाने/संस्थान को भारत सरकार ने येलो फीवर टीकाकरण उपलब्ध कराने तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन – डब्ल्यू एच ओ द्वारा स्वीकृत प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए प्राधिकृत नहीं किया है।
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