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Category: Unrest Strikes

अयोध्या की ८४ कौसी यात्रा से आपका जन्म सुधरेगा या नही लेकिन प्रदेश में यादव सरकार की राजनीतिक यौनि जरूर खराब हो जायेगी


झल्ले दी झाल्लियाँ गल्लां

भाजपाई राम भक्त

ओये झल्लेया ये हसाड़े साथ क्या जुल्म हो रहा है|उत्तर प्रदेश की सरकार अपराधों को रोक पाने में तो अक्षम है लेकिन राम भक्तों पर कहर ढा रही है| भई हम लोग अपने इष्ट देव राम के जन्म स्थान [अयोध्या] की २५ अगस्त से शांति पूर्वक ८४ कौसी परिक्रमा करके सभी यौनियों के जन्म मृत्यु के चक्कर से मुक्ति पाना चाह रहे हैं लेकिन प्रदेश में हमारे संतों तक को गिरफ्तार किया जा रहा है| अयोध्या में चौरासी कोसी परिक्रमा की परम्परा पता नहीं कितने सालों से चली आ रही है और अब हमें वहां जाने से रोकने के लिए पूरे प्रदेश की पोलिस को लगा दिया गया है ओये ऐसे राज चलता है क्या?

झल्ला

अरे भोले सेठ जी अयोध्या की ८४ कौसी यात्रा से आपका जन्म सुधरेगा या नही लेकिन प्रदेश में यादव सरकार की राजनीतिक यौनि जरूर खराब हो जायेगी अयोध्या की परिक्रमा करके आप लोग ८४ लाख यौनियों के चक्कर से मुक्ति पाओगे या नही इसका तो पता नही हाँ चुनावी साल में आप लोगों के अयोध्या जाने से प्रदेश की सरकार की वर्तमान योनि [राजनीतिक जन्म]जरूर खराब हो जाएगा|इसीलिए अपने वोट बैंक को बचाने के लिए मुसलमानों का रहनुमा बनकर सामने खड़ा होना इनकी मजबूरी भी है लेकिन आप लोग इतना भड़क क्यूं रहे हैं अरे यादव सरकार के राजनीतिक जीवन को बचाने के लिए आप जी के विहिप के खुद मुख्तार प्रमुख अशोक सिंघल ने ही शिखर वार्ता करके यह अवसर प्रदान कर दिया है| यह यादव सरकार के लिए जन्नत से आई निशुल्क सौगात है|

Use of Tobacco and Nicotine ,as Ingredients, in any Food Products Is Prohibited:Tobacco tear lives and families apart

 Use of Tobacco and Nicotine ,as Ingredients, in any Food Products Is Prohibited:Tobacco tear lives and families apart

Use of Tobacco and Nicotine ,as Ingredients, in any Food Products Is Prohibited:Tobacco tear lives and families apart

Use of Tobacco and Nicotine ,as Ingredients, in any Food Products Is Prohibited . Government has launched a nationwide campaign “Tears You Apart”, to raise public awareness about the dangers of smokeless tobacco.
Government of India has prohibited the use of tobacco and nicotine as ingredients in any food products.Government has notified the Food Safety and Standards (Prohibition and Restrictions on Sales) Regulations, 2011 dated 1st August 2011, under the Food Safety and Standards Act, 2006, which prohibit the use of tobacco and nicotine as ingredients in any food products. Regulation 2.3.4 is as under:
“Product not to contain any substance which may be injurious to health: Tobacco and nicotine shall not be used as ingredients in any food products”.
So far 33 States / Union Territories have issued orders for implementation of the Food Safety Regulations banning manufacture, sale and storage of food products including Gutka and Pan Masala containing tobacco or nicotine. (Madhya Pradesh, Kerala, Bihar, Himachal Pradesh, Rajasthan, Maharashtra, Mizoram, Chandigarh, Chattisgarh, Jharkhand, Haryana, Punjab, Delhi, Gujarat, Uttar Pradesh, Nagaland, Andaman & Nicobar, Daman & Diu, Dadra and Nagar Haveli, Uttarakhand, Odisha, Andhra Pradesh, Goa, Sikkim, Manipur, Arunachal Pradesh, J&K, Assam, West Bengal, Tripura, Tamil Nadu, Karnataka and Puducherry).
.Union Minister of Health & Family Welfare Shri Ghulam Nabi Azad in written reply to a question in the Lok Sabhahas stated that The campaign public service announcement (PSA) was filmed in B. Barooah Cancer Institute in Guwahati, Assam and at the Tata Memorial Hospital in Mumbai, Maharashtra. The PSA features real victims who are suffering from horrific cancers and disfigurements as a result of their chewing addiction. It also includes comments from relatives of victims, who describe how tobacco-related illnesses have destroyed careers, family life, and added to financial burdens.
The PSA graphically warns the public that tobacco can literally tear lives and families apart, and urges smokeless tobacco users to quit the habit.
The Ministry, under the National Level Public Awareness Campaign, has launched other media campaigns both in national as well as regional electronic channels (both TV & Radio/FM) , outdoor media and print media focusing on the harmful effects of smokeless tobacco use.
The Ministry has notified the new graphic health warnings which have come into effect from 1st April 2013. Three sets of graphic health warnings each have been notified for smokeless as well as smoking forms of tobacco.
The Ministry has also notified the rules to regulate depiction of tobacco products or their use in films and TV programmes. As per these rules, all films and TV programmes (both Indian & Foreign) depicting tobacco products or their use have to screen a health spot of 30 seconds duration and a disclaimer of 20 seconds duration on the harmful effects of tobacco use, at the beginning and the middle of the films and TV programmes.

सांसद जयंत चौधरी ने, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में,उच्च न्यायालय की खण्डपीठ की स्थापना का प्रस्ताव भेजने के लिए सपा के सांसद ,विधायकों को पत्र लिखे

[नई दिल्ली,]। राष्ट्रीय लोकदल[रालोद] महासचिव एवं सांसद जयन्त चौधरी ने ,इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापना के लिए , समाजवादी पार्टी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सांसदों एवं विधायकों को पत्र लिखा है इस पत्र में प्रदेश सरकार के माध्यम से एक सम्यक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को शीघ्र भेजने का आग्रह किया गया है|
गौरतलब है कि खंड पीठ के लिए दशकों से चली आ रही मांग का मजाक उड़ाते हुए प्रदेश के काबिना मंत्री आजम खान ने बीते दिन मेरठ में कहा था कि आप लोग एक जगह निश्चित कर लें उसी के मुताबिक़ प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा| इसी बाल को तत्काल पुनः आजम खान के पाले में धकेलते हुए रालोद ने यह पत्र लिखा है|
उल्लेखनीय है कि जयन्त चौधरी ने 9 अप्रैल 2013 को तत्कालीन केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित किये जाने हेतु पत्र लिखा था।उसके पश्चात कपिल सिब्बल ने राज्य सरकार की ओर से एक प्रस्ताव,भेजे जाने की मांग की थी|।
केन्द्र सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पत्र लिखकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खण्डपीठ के मामले में राय भी मांगी है।
युवा सांसद जयंत चौधरी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच में इस विषय को लेकर कुछ मतभेद हैं इसीलिए समाजवादी पार्टी के सांसदों एवं विधायकों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे उत्तर प्रदेश की जनता के हित के लिए उच्च न्यायालय की खण्डपीठ की स्थापना के लिए एक सम्यक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजें।
उन्होंने बताया कि मैंने ‘‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सांसदों एवं विधायकों से अपील की है कि वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता के हित में इस मुहिम में शामिल हों तथा पार्टी हितों से ऊपर उठकर इसका समर्थन करें।
इस खण्डपीठ से वकीलों को ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को भी फायदा होगा।’’
उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के निवासियों को उच्च न्यायालय में न्याय सम्बंधी कार्यों के लिए लगभग 750 कि0मी0 की दूरी तय करके इलाहाबाद जाना पड़ता है, जो सस्ते-सुलभ न्याय की अवधारणा के अनुरूप नहीं है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लम्बित कुल मामलों में से 60 % मामले पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सम्बंधित हैं।
श्री जयंत ने कहा कि मध्य प्रदेश में आबादी के लिहाज से उच्च न्यायालय की चार खण्डपीठें स्थापित हैं। आबादी के अनुपात के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ की स्थापना अति आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ की स्थापना के लिए संघर्षरत है। इस सम्बंध में रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री चौधरी अजित सिंह तथा सांसद जयन्त चौधरी ने पिछले माह केन्द्रीय कानून मंत्री श्री कपिल सिब्बल से मुलाकात की थी। श्री जयन्त चौधरी ने इस मांग को संसद में भी प्रमुखता से उठाया है। आज कल मेरठ में बेंच की मांग को लेकर वकीलों द्वारा आन्दोलन किया जा रहा है और कोर्ट के काम काज प्रभावित हो रहे हैं|

वोट बैंक की तुष्टिकरण के कारण अल्प संख्यको के कल्याणकारी कार्यक्रम फाइलों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं

Indian Parliament

Indian Parliament

अल्प संख्यको के कल्याण के लिए आज कल तमाम दावे किये + आश्वासन दिए जा रहे है लेकिन आंकड़े बताते हैं के ये तमाम दावे केवल वोट बैंक की तुष्टिकरण ही हैजो की संसद में दिए गए बयानों से साबित भी होता है| अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री निनोंग ईरींग+भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री प्रफुल्ल पटेल के आलावा प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने भी किसी न किसी रूप में इसे स्वीकार किया है और उस पर पर चिंता भी व्यक्त की है| आज देश में नौकरियों के अवसर नहीं हैं +इंडस्ट्रीज निष्क्रिय होती जा रही हैं+महंगाई काबू से बाहर होती जा रही हैं यहाँ तक कि सरकार की विश्वसनीयता+कार्य क्षमता पर देश और विदेश में भी प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं|संसदीय प्रणाली में संसद आये दिन ठप्प की जा रही है|अपनी अक्षमताओं को ढकने के लिए सम्प्रदाईक्ता की मारिजुआना[नशा] हवा में मिलाया जा रहा है|शायद इसी सब से एक बरस में ढाई कोस चालने वाली कहावत अब ज्यादा चरितार्थ हो रही है|
देश में वर्तमान १ ,०२८ ,६१० ,३२८ की जनसंख्या में अल्प संख्यको की संख्या १३८ ,१८८ ,२४० बताई जा रही है जो 13.43%: है| केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रदेशों में कुल बजट का १५% अल्प संख्यको के कल्याण के लिए रखा जाना है| |बिहार में मदरसों के शिक्षकों के वेतन के लिए दस करोड़ की राशी अवमुक्त की जाती है तो उत्तर प्रदेश में अल्प संख्यकों के लिए बजट का २०% आरक्षित किया जाता है| ये सभी बातें अच्छी लगती हैं वास्तविकता इसके अनुरूप दिखाई नही देती ||
भारत में शिक्षा की मौजूदा गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने स्वयम कहा है कि सरकारी मंत्रालयों एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग :यूजीसी: की मानसिकता में तेजी से बदलाव नहीं हो रहा और वे अब भी अंधकार युग में ही जी रहे हैं|
जाहिर है इसीके फलस्वरूप कल्याण कारी कार्यक्रम फाईलों से बाहर नहीं आ पाते हैं| यहाँ तक के शिक्षा का स्तर भी ऊपर नहीं उठ रहा है| इसके आलावा
[अ] राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में वित्त तथा कर्मचारियों की कमी है
[१] केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में कर्मचारियों की संख्या 28 .8 %कम हुई है।
[२]भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने आज लोकसभा को बताया कि 31 मार्च 2012 की स्थिति के मुताबिक कर्मचारियों की संख्या घटकर 13 . 98 लाख रह गयी है जो 1997-98 में 19 . 65 लाख थी।
[३]उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब मेंं बताया कि 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या 260 थी। 2010-11 में यह संख्या 248 थी।
[४]कर्मचारियों/अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कारण एनसीएम में कतिपय पद खाली पड़े हैं|
[५] एनसीएम [ नेशनल माइनॉरिटी कमीशन ]कोई कल्याणकारी परियोजनाएं नहीं चला रहा है|
[६] राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा नहीं दिया गया है|
अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री निनोंग ईरींग ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पिछले तीन वर्षों और मौजूदा वर्ष में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को दी गई निधियों के परिव्यय और एनसीएम द्वारा वास्तविक व्यय के ब्यौरे नीचे दिए गए हैं :
(करोड़ रुपये में)
क्रम संख्या
वर्ष== परिव्यय= =व्यय
[१]2010- ११=5.२६= 4.50
[२]2011-१२==5.६५==4.67
[३]2012-१३=6.३६=3.32 (31.12.2013 तक)
[४]2013-१४=5.६३===-
श्री ईरोंग ने यह भी स्वीकार किया कि
[क]एनसीएम पिछले तीन वर्षों के दौरान आबंटित निधियों को व्यय करने में असमर्थ रहा है ।
[का] एक बजटीय संगठन होने से एनसीएम प्रशासनिक मंत्रालय के आईएफडी के माध्यम से सीधे व्यय वहन कर रहा है ।
[ख ]इसके अलावा कर्मचारियों/अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कारण एनसीएम में कतिपय पद खाली पड़े हैं ।
[खा]एनसीएम कोई कल्याणकारी परियोजनाएं नहीं चला रहा है ।

माता-पिता का भरण पोषण के दाईत्व और अधिनियम का पालन नहीं करने वाले पुत्र को एक माह की सजा

माता पिता का भरण पोषण करने के दाईत्व और अधिनियम का पालन नहीं करने वाले एक पुत्र को एक माह की सजा सुनाई गई है|
अनुविभागीय अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव ने वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत यह सजा सुनाई है|
मप्र के राजगढ़ जिले में नरसिंहगढ़ की अनुविभागीय अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव ने माता-पिता का भरण पोषण नहीं करने वाले बद्रीलाल खाती को माता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत एक माह के कारावास की सजा सुनाई है।
भाषा के अनुसार माना गांव की वृद्ध महिला गोराबाई खाती ने अपने पुत्र बद्रीलाल खाती द्वारा भरण-पोषण नहीं किये जाने सम्बन्धी शिकायत की थी। जिसकी शिकायत की जांच करने पर इसे सही पाया गया और बद्रीलाल खाती को एक माह के कारावास की सजा सुनाई गई।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम, के अंतर्गत मान्य माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के लिए अधिक प्रभावकारी प्रावधान सुनिश्चित करना है। यह वरिष्ठ नागरिक को भारत के किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक की हो। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज़रूरत-आधारित भरण-पोषण और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए यह अधिनियम निम्नलिखित प्रावधन करता है:
[१]बच्चों/संबंधियों द्वारा माता-पिता/वरिष्ठ नागरिकों का अनिवार्य भरण-पोषण जिसके अंतर्गत बच्चों के लिए अपने माता-पिता की देखरेख करना अनिवार्य होगा; इस प्रावधान को न्यायाधिकरणों के माध्यम से प्रवर्तित किया जायेगा
[२]माता-पिता को घर से निकालने पर तीन माह तक की कैद और 5000 रुपए तक का जुर्माना जा सकता है;

सुधांशु मित्तल के इस्तीफे से भाजपा के दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष विजय गोएल के “पर” कतरने की कवायद शुरू

[नयी दिल्ली]२२ अगस्त | सुधांशु मित्तल के इस्तीफे से भाजपा के दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष विजय गोएल के “पर” कतरने की कवायद शुरू
भाजपा के दिल्ली में चुनाव प्रकोष्ठ के संयोजक पद से सुधांशु मित्तल ने बीते दिन इस्तीफा दे दिया है | इसे प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल की दिल्ली प्रदेश में राजनीतिक अक्षमता के विरुद्ध एक बगावत के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है| सुधांशु मित्तल विजय गोएल के नजदीकी समझे जाते हैं|
सुधांशु मित्तल के इस इस्तीफे से अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल के पर कतरने की कवायद शुरू कर दी गई है।
गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा की चुनाव अभियान समिति की घोषणा एक-दो दिन में की जाने वाली है इसमें प्रदेश अध्यक्ष विजय गोएल के विरोधी खेमे के लोगों को सांत्वना दी जा सकती है|इसी कड़ी में सुधांशू मित्तल को एक भी एक नई जिम्मेदारी दी जा सकती है| श्री मित्तल के इस्तीफे से संकेत मिल रहे हैं कि अब गोयल विरोधी खेमे के लोगों को कुछ हद तक संतुष्ट किया जा सकेगा|
कांग्रेस के प्रदेश में[१] फ़ूड सिक्यूरिटी कार्यक्रम को चालू किये जाने और उभरती[२] “आप” पार्टी के जवाबों की तलाश करती भाजपा में असंतुष्टों की नाराजगी को दूर करने की कवायद पार्टी में शुरू कर दी गई है|

केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही हटा भी लिया :अवसाद को लेकर भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है

केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही हटा भी लिया :अवसाद को लेकर भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों के आधार पर कार्यवाही करते हुए केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही दवाओं से संबंधित तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की विशेषज्ञ समिति की राय पर इस दवा के विनिर्माण तथा बिक्री से संबंधित निलंबन को वापिस लेने की सिफारिश कर दी गई है| इसके अलावा अवसाद को लेकर भारत में जनसंख्या आधारित कोई भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है|ये रहस्योद्घाटन केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में प्रश्नों के के लिखित उत्तर में किया |
[अ]उन्होंने बताया कि दिनांक 18 जून, 2013 को अपने राजपत्र अधिसूचना जीएसआर 379(ई) के तहत सरकार ने मानव प्रयोग के लिए पायोग्लिटाजोन दवा के विनिर्माण, इसकी बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी थी। सरकार ने यह कदम चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों पर उठाया, जिसमें इस दवा के लगातार उपयोग पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की गई हैं। हालांकि दवाओं से संबंधित तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) ने इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की राय पर इस दवा के विनिर्माण तथा बिक्री से संबंधित निलंबन को वापिस लेने की सिफारिश की । सलाहकार बोर्ड ने यह भी सिफारिश की कि इस दवा के विपणन की अनुमति दी जाए जिसमें एक चेतावनी का खाना बना हो, साथ ही इस दवा को फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम की निगरानी में रखा जाए। तदानुसार सरकार ने दिनांक 31 जुलाई, 2013 को जारी की गई राजपत्र अधिसूचना जीएसआर 520(ई) के तहत इस दवा के विनिर्माण और बिक्री से संबंधित निलंबन को वापस ले लिया। इसके निलंबन से संबंधित कुछ शर्तें रखी गईं,[१] जिसके तहत विनिर्माताओं को दवा के पैकेट पर प्रचार संबंधी जानकारियां उपलब्ध करानी होगी।
इसकी जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि

अवसाद को लेकर भारत में जनसंख्या आधारित कोई भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है,
[आ]

जिससे यह पता लगाया जा सके कि देश में अवसाद के मामले और अवसादरोधी दवाओं के उपभोग में वृद्धि हो रही है। हालांकि भारत में 11 केन्द्रों पर एक साथ किए गए अध्ययन के दौरान यह पता चला कि किसी व्यक्ति विशेष के जीवनकाल के दौरान अवसाद प्रकरण का विकास 9 प्रतिशत (जीवनकाल में प्रसार) था। इस अध्ययन से यह भी पता चला कि किसी भी 12 महीने की अवधि के दौरान किसी भी समय गंभीर अवसाद प्रकरण 4.5 प्रतिशत (अवधि प्रसार) रहा।
स्वास्थ्य जो कि राज्य की विषय वस्तु है और वैसे लोगों की संख्या जो अवसाद से ग्रसित हैं उऩका विवरण केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यवार/केन्द्रशासित प्रदेशवार नहीं रखा जाता। अवसाद के लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अवसाद कई परिस्थितियों के कारण हो सकते हैं, जिनमें अनुवांशिक, जैविक, मनोवैज्ञानिक और अन्य तनाव संबंधित परिस्थितियां शामिल हैं।
मानसिक विकारों की समस्या के समाधान के लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 1982 से देश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरूआत की है। इस बीमारी का पता लगाने, उसके प्रबंधन और इसका उचित इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) के तहत 30 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 123 जिलों को लाया गया है।

वी नारायणसामी ने केन्‍द्रीय मंत्रालयों के संबंध में सूचना देने के लिए वेब पोर्टल जारी किया

वी नारायणसामी ने सूचना के अधिकार का वेब पोर्टल जारी किया |
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल सूचना के अधिकार कानून में एक नया मील का पत्‍थर है। उन्‍होंने कहा कि वेब पोर्टल जारी हो जाने के बाद नागरिकों की भागीदारी और अधिक होगी। पोर्टल जारी करने के दौरान उन्‍होंने कहा कि अभी यह सुविधा केन्‍द्रीय मंत्रालयों के संबंध में ही दी जा रही है, लेकिन जल्‍द ही इससे केन्‍द्र सरकार के अधीनस्‍थ कार्यालयों को भी जोड़ दिया जाएगा। श्री सामी ने राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि वे इसी प्रकार की सुविधाएं विकसित करें, ताकि सूचना के अधिकार के आवेदन पत्र ऑन लाइन प्राप्‍त किए जा सकें। उल्‍लेखनीय है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की पहल पर राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र ने विकसित किया है।
फोटो कैप्शन
The Minister of State for Personnel, Public Grievances & Pensions and Prime Minister’s Office, Shri V. Narayanasamy launching the RTI online Web Portal for all Central Ministries, in New Delhi on August 21, 2013.

एल के अडवाणी ने भारतीय राज्य को समझने के लिए ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट नामक कल्पित कथा को पढ़ने की सलाह दी है

टेलपीस (पश्च्यलेख)
एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने भारतीय राज्य को समझने के लिए ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट नामक कल्पित कथा को पढ़ने की सलाह दी है| अपने नवीनतम ब्लाग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में अडवाणी ने व्यंगात्मक शैली में लिखा है कि भारत सम्बन्धी 46 पृष्ठीय हार्वर्ड ‘पेपर‘ का शीर्षक है: ‘इज इण्डिया ए फ्लेलिंग स्टेट?”बाद में यह उपन्यास एक सफल फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के रुप में सामने आया
पेपर की शुरुआत एक भारतीय उपन्यास के प्रश्नोत्तर के सारांश से होती है जिसमें एक अशिक्षित मजदूर वर्ग का वेटर एक खेल में एक बिलियन रुपए जीत जाता है, बाद में यह उपन्यास एक सफल फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के रुप में सामने आया।
अपने पेपर में ‘स्लमडॉग मिलियनोर‘ के संदर्भ के बाद, प्रिटचेट्ट व्यंग्यपूवर्क टिप्पणी करते हैं:
”जैसे-जैसे उपन्यास के प्रत्येक उदाहरण जिसमें हीरो के जीवन का वास्ता सरकार के लोगों से पड़ता है-उसके साथ बिकाऊपन और आकस्मिक क्रूरता भरा व्यवहार होता है। यह दो कारणों से विशेष उल्लेखनीय है। पहला, सरकार का बुरा व्यवहार इस पुस्तक का कथानक न ही है और नहीं इस पर टिप्पणी है, उल्टे यह चित्रण एक वास्तविक व्यक्ति के जीवन के सत्याभास को बताने के लिए हैं- ताकि पुस्तक यथार्थवादी लगे और ‘सच्चे‘ भारत से जुड़ी दिखे। दूसरे, यह उपन्यास किसी विरक्त सुधारवादी ने नहीं अपितु भारतीय विदेश सेवा के एक सक्रिय सदस्य द्वारा लिखा गया है।
भारतीय राज्य को समझने के लिए आज कल्पित कथा को पढ़ना जरुरी है क्योंकि कथेतर साहित्य, सरकारी रिपोटर् और आयोगों तथा दस्तावेज जो सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार किए जाते हैं (सरकार के साथ मिलकर काम कर रही विदेशी एजेंसियों सहित) वो वास्तव में कल्पित कथा ही हैं।”

बीमा कंपनियों के कब्जे में उपभोक्ताओं के अरबों रुपयों से सम्बंधित घोटाले की खबरें भी आने लग गई हैं

बीमा कंपनियों के खातों में बिना दावे के जमा उपभोक्ताओं के अरबों रुपयों से सम्बंधित घोटाले की खबरें भी आने लग गई हैं |
बीमा छेत्र में भी घोटाले की खबरें आने लग गई हैं| ये घोटाले बीमा कंपनियों के खातों में बिना दावे[ [ Unclaimed ] के जमा अरबों रुपयों से सम्बंधित हैं|
इन्शुरन्स रेगुलेटरी & डेवलपमेंट अथॉरिटी[ Insurance Regulatory and Development Authority ] [ IRDA ]द्वारा इसका खुलासा किया गया है| वित्त मंत्रालय के एम् ओ एस नमो नारायण मीणा ने एक प्रश्न के उत्तर में राज्य सभा में जानकारी देते हुए कहा है कि आई आर डी ऐ ने बताया है कि३१ दिसंबर २०१२ तक जीवन बीमा निगम [एल आई सी] के खातों में पालिसी होल्डर्स का ७३२.६७ करोड़ रूपया अन कलैमैंड था| इसके अलावा अन्य जीवन बीमा और बिना जीवन बीमा कंपनियों के कब्जे में ३१ मार्च तक पालिसी होल्डर्स का अन कलैमैंड ३१२२.६८ और १०१०.४६ करोड़ रूपया था| इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा कोई सर्वे नहीं कराया गया है| आई आर डी ऐ ने ४ अगस्त २०१० को सभी इन्शुरन्स कंपनियों को अवगत कराया था कि यह सारा अन कलैमैंड खजाना किसी भी सूरत में हथियाया या राईट आफ[ will not be appropriated/written back, ] नहीं किया जाना है|