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Category: Economy

फ़ेडरल एजुकेशन लोन रेट्स को डबल नही किये जाने के लिए बराक ओबामा की २०१२ की तरह आन्दोलन छेड़नेकी भावुक अपील

अमेरिका में संघीय छात्रों के एजुकेशन लोन रेट्स को सस्ता रखे जाने की मुहीम फिर से बीते वर्ष की तरफ लौट रही है अगर अमेरिकन कांग्रेस ने कोई सकारात्मक निर्णय नही लिया तो मात्र ३० दिनों के पश्चात[एक जुलाई से] सात मिलियन हायर एजुकेशन स्टूडेंट्स को १०००$ अतिरिक्त का भुगतान करना होगा|इसकी रोक थाम के लिए प्रेजिडेंट बराक [एच]ओबामा ने छात्रों से अपील की है कि अपने राजनितिक प्रतिनिधियों और कालेज प्रशासन पर दबाब बना कर यह पूछा जाये कि अब ऐसा कौन सा बदलाव आ गया है जिसके कारण फ़ेडरल लोन रेट्स को डबल किये जाने से रोका नही जा रहा| रोज गार्डन में छात्र और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि बीते वर्ष की भांति फिर से कालेज प्रशासन पर दबाब बनाने के लिए आगे आयें| ओबामा ने स्मरण करते हुए कहा कि बीते वर्ष छात्र और युवाओं के आन्दोलन से हाउस[186] & सिनेट[२४] रिपब्लिकन्स भी डेमोक्रेट्स[सत्तारुड] के साथ सहयोग करने के लिए राजी हो गए थे और स्टूडेंट लोन रेट्स को बढाने नहीं दिया गया द्विदलीय प्रणाली में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स का एक साथ एक प्लेटफार्म पर आना लाज़मी है और यदि इसके लिए किसी भी सदस्य की सोच में आपके विरुद्ध कोई बदलाव दिखाई देता है तो उसे अपने पक्ष में बदलने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से भी दबाब बनाया जाना चाहिए |
व्हाईट हाउस से जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रसीडेंट ओबामा ने इस संवाद को कालेज प्रशासन तक लेजाने पर भी जोर दिया है|ओबामा के अनुसार सस्ता एजुकेशन लोन केवल स्टूडेंट के फेवोर में नहीं है वरन यह राष्ट्र हित में भी है| हायर एजुकेशन कुछ लोगों के लिए केवल लग्जरी नही है वरन आर्थिक विकास के लिए आवश्यकता है इसीलिए उच्च शिक्षा को प्रत्येक परिवार की हैसियत में होना चाहिए|
गौरतलब है कि २००९ में देय कर्ज़दार छात्रों में से १३% को मात्र तीन सालों में ही दिवालिया[ defaulted ] का अभिशाप झेलना पड़ा|एजुकेशन लोन रेट्स महँगा होने के कारण प्रोफेशनल्स डॉक्टर्स+ टेक्नोक्रेट्स आदि की बेहद कमी है|जिनकी पूर्ती के लिए दूसरे मुल्कों पर निर्भरता है| कांग्रेस के रुख से संभवत निराश होकर राष्ट्रपति बराक ओबामा ने छात्रों और युवाओं के यह भावुक अपील की है| बीते वर्ष भी इसी तरह के आन्दोलन के पश्चात हायर एजुकेशन लोन रेट्स पर नियंत्रण रखा जा सका था|

किंग फिशर एयर लाइन्स ने ३८०मिलियन $ का घाटा दर्ज़ कराया :दूसरी एयर लाइन्स की चांदी

शराब किंग विजय माल्या की कर्ज में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस ने 31 मार्च, को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में ३८०मिलियन $[ 4,301.11 करोड़ रुपये ]का घाटा होने की घोषणा की है। इससे पहले कंपनी को 2,328.01 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने अक्टूबर 2012 से किंगफिशर का परमिट सस्पेंड कर दिया, जिसके कारण कंपनी का कामकाज बंद है।कंपनी ने बैंक आदि को ढाई बिल्लियन $का कर्ज़ लौटाना है|
एयरलाइन को 31 मार्च, 2013 तक लगभग 16,023.46 करोड़ रुपये का कुल घाटा हुआ है और कम्पनी की शुद्ध कीमत नकारात्मक होकर 12,919.81 करोड़ रुपये हो गई है.कम्पनी कई महीनों से अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने में भी असमर्थ रही है.\कंपनी के शेयर आज [एन एस ई] ६.०३ पर नोट किये गए| नंबर दो पर रही इस कम्पनी के बंद रहने से या पतन से एयर इंडिया और इंडिगो के अलावा दूसरी निजी एयर लाइन्स को फायदा हो रहा है|

अमेरिका के आर्थिक नीतियों के सलाहकार एलन क्रूगर अब पुनः विश्व विधालय के छात्रों को श्रम अर्थ शास्त्र पड़ाएंगे

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक [एच]ओबामा ने आर्थिक नीतियों के सलाहकार एलन क्रूगर से पल्ला झाड़ा|क्रूगर अब पुनः विश्व विद्यालय में पडाएंगे |
अमेरिका के व्हाईट हाउस से जारी ब्यान + समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार हाउस की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष एलन क्रूगर अगले छह सात माह में प्रिंसटन विश्व विद्यालय में प्रोफ़ेसर के अपने पुराने काम पर लौट जायेंगे|गौरतलब है कि ओबामा ने पिछले दिनों क्रूगर को आर्थिक नीतियों पर सलाह देने वाले एक अच्छे अर्थ शाष्त्री और विश्वसनीय सलाहकार बताया था|
प्रिंसटन विश्वविद्यालय के श्रम अर्थशास्त्री क्रूगर को ओबामा ने ऑस्टन गूल्सबी के स्थान पर 2011 में अपना शीर्ष आर्थिक सलाहकार बनाया था।

बीसीसीआई [ BCCI ] अध्यक्ष एन श्रीनिवासन[NShrinivasan] नाम का जहाज क्या डूबने वाला है?

लगता है कि बीसीसीआई [ BCCI ] अध्यक्ष एन श्रीनिवासन[NShrinivasan] नाम का जहाज डूबने वाला है तभी अब अपने अध्यक्ष से अलग दिखने की हौड मच लगने लगी है| बी सी सी आई के पूर्व अध्यक्ष एन सी पी सुप्रीमो और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने विवादों से घिरे आईपीएल छह के सभी 75 मैचों की जांच केन्द्रीय गृह मंत्रालय से कराने की मांग उठा दी है|
लेकिन इसके साथ ही एक कंडीशन लगाते हुए कहा है कि यदि बीसीसीआई गृह मंत्रालय को लिखित में दें और सभी मैचों की जांच करने का आग्रह करे तो सरकार सभी मैचों की जांच कर सकती है। वह किसी से भी पूछताछ कर सकती है। उसे कानूनी स्वीकृति हासिल है। उन्होंने कहा कि यदि बोर्ड इसे स्वीकार नहीं करता है तो लगेगा कि इससे निबटने के प्रति बोर्ड गंभीर नहीं है।इसमें अपने कार्यकाल की विशेषताओं को बताना नही भूले उन्होंने कहा कि अगर मै[पवार] अध्यक्ष होते यह [फिक्सिंग]कभी नही होता |
गौरतलब है कि बीसीसीआई की तीन सदस्यीय समिति गुरुनाथ मयप्पन की जांच कर रही है और रिपोर्ट को बोर्ड की डिसिप्लिन कमिटी को सौंपा जाना है श्रीनिवासन इस सबके अध्यक्ष हैं| और अध्यक्ष ने स्वयम को जांच से अलग रहने की बात की है इसी आश्वासन को आगे बढ़ाते हुए दागी आई पी एल के कमिश्नर +केन्द्रीय संसदीय राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है कि जांच चलने तक श्रीनिवासन को अलग रहना चाहिए|
बोर्ड की वित्त समिति के चेयरमैन युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा एक दिन पहले ही अह्य्क्ष से इस्तीफे की मांग की जा चुकी है|खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह भी अब अलग सुर अलापने लगे हैं|
यहाँ यह कहना तर्क संगत ही होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार १५ दिनों में यह जांच पूरी की जानी है इसीलिए संभवत आनन् फानन में जाँच टीम का गठन कर लिया गया है | आने वाले दिनों में क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले इंग्लैंड में मिनी वर्ल्ड कप खेला जाने वाला हैउसमे भाग लेने से पहले यह विवाद पारदर्शिता के साथ हल किये जाने से खिलाड़ियों के आत्म विश्वास में बढोत्तरी होगी और टीम की प्रतिष्ठा भी बढेगी|

शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन में संवाद हीनता के चलते बी टी सी के सैकड़ों परीक्षार्थी गर्मी में परेशान हुए

[मेरठ]अध्यापक बनने की चाह लिए बी टी सी की परीक्षा देने आये सैकड़ों युवाओं को भीषण गर्मी/धूप में घंटों भटकाया गया|प्रतिभागियों का कहना है कि उन्हें पीने के लिए पानी तक मुहैय्या नहीं करवाया गया |
गवर्नमेंट इंटर कालेज में बेसिक टीचिंग कोर्स [बी टी सी] परिक्षण की परीक्षा का आयोजन किया गया|बेच २०११ [सेकेण्ड सेमेस्टर] औरस्नातक शिक्षा मित्र पत्राचार के ४०० से अधिक परीक्षार्थी शामिल थे
प्राप्त जानकारी के अनुसार परीक्षा का समय दस बजे का था लेकिन ग्यारह बजे तक वहां ना तो बैठने के लिए कोई व्यवस्था थी और परीक्षा कराने वाला कोई भी मौजूद नही था|
बताया गया है कि शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन में संवाद हीनता के चलते परीक्षा की पूर्व सूचना स्कूल तक नहीं पहुंची|स्कूल प्रशासन द्वार यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा पिछले छह साल से लगातार जी अई सी को परीक्षा का केंद्र बनाया जा रहा है लेकिन एक भी पैसा खर्चे के लिए नहीं दिया जा रहा इसीलिए व्यवस्था कराने में कठिनाई आ रही है|

उत्तर प्रदेश में स्मारकों के व्यवसाईक उपयोग और उसके विरोध को लेकर वोट बैंक की राजनीती शुरू हो गई है

:उत्तर प्रदेश में जाति धर्म के आधार पर राजनीती करने वाली सत्ता रुड समाज वादी [एस पी]और विपक्षी बहुजन समाज वादी[बी एस पी] पार्टियां लगता है अब जातियों को आपस में लड़ाने की तैय्यारी में लग गई है तभी दलित उत्थान के नाम पर बनाए गए स्मारकों को लड़ाई का मैदान बनाया जा रहा है| प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने दलित महापुरुषों की याद में बने १० अरब की लागत के विशाल स्मारकों से अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए स्मारकों के खाली हिस्सों को मैरिज होम्स [शादी-ब्याह] की तरह प्रोफेशनल उपयोग की इजाजत दे दी है जिसके विरोध में बी एस पी ने दलितों के सड़क पर उतरने की चेतावनी देते हुए सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है|मुख्य मंत्री का कहना है कि स्मारकों में जनता का पैसा खर्च हुआ है। वहां शादी होने से शादी करने वालों की नहीं, स्मारकों की ख्याति ही बढे़गी। उनका प्रचार भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के समय स्मारकों में अस्पताल खोलने और बेहतर इस्तेमाल की बात हुई थी, तब उसे अंदर से नहीं देखा था। यहां के एक स्मारक में अष्टधातु के जानवर और पेड़ लगे हैं। वहां के खाली स्थानों में शादी-ब्याह होने से कौन सी दिक्कत है। मुख्यमंत्री बिना नाम लिए हुए कहा कि एक सरकारी स्थान की बुकिंग के लिए लाइन रहती है, क्योंकि सब जानते हैं कि अच्छे स्थान पर कम पैसों में शादी हो जाएगी। ऐसे में स्मारक का बेहतर इस्तेमाल हो जाएगा। शादी ब्याह होगा तो उनका प्रचार भी हो जाएगा। स्मारकों की ख्याति भी फैल जाएगी।
इस सरकारी घोषणा के विरुद्ध बी एस पी कड़ी हो गई है|सत्ता मुक्त हुई बी एस पी ने इस मुद्दे को सडकों पर ले जाने की बात कह दी है और जाति वादी युद्ध की भूमिका की तरफ इशारा भी कर दिया है|पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके प्रदेश सरकर के निर्णय को दलित विरोधी बताते हुए सरकार को तत्काल बर्खास्त किये जाने के मांग भी कर दी है|
लगता है के २०१४ में होने वाले लोक सभा के चुनावों में अपने अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए दोनों पार्टियों को एक मुद्दा मिल गया है|

जय नंगई +जय दबंगई +जय जय बी सी सी आई +जय श्रीनिवासन + जय श्रीकांत +सबसे बड़ा पैसा राम


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

बी सी सीआई का चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा हसाडे चेयर मैन एन श्रीनिवासन ने दरियादिली+न्यायप्रियता का कैसा सराहनीय प्रदर्शन किया है |एक तरफ तो अपने प्रिय दामाद को अलग किया दूसरे तुम लोग जो स्पॉट फिक्सिंग का भोंपू बजा रहे हो उसकी भी जांच करवाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है|कानून की बात करते हो तो हसाडे उपाध्यक्ष के साथ आई पी एल के चेयर मैन राजीव शुक्ला ने कड़े कानून बनाने की बात कर दी है| ओये अब तो हो जाना है दूध का दूध और पानी का पानी |श्रीनिवासन का इस्तीफा माँगने वालों को याद आ जायेगी उनके आस पास वालों की नानी वानी के साथ मामी शामी |

झल्ला

अरे मेरे चतुर सुजाण जी बकौल पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी क्रिकेट मनोरंजन के लिए बनाया गया था लेकिन अब इसे पैसे के लिए खेला जाता है और पैसे अगर लोगों को नचाता है तो अनेको को चुप भी कराता है|बी सी सी आई और आई पी एल के अनेकों पदाधिकारी दोषियों को आउट करने लिए अपनी उंगली को छुपाये फिर रहे हैं| आई ओ ऐ की नाक में दम करने वाले स्पोर्ट्स मिनिस्टर+कानून मंत्री [पूर्व कौंसिल ]भी वाईड बालिंग कर रहे हैं |अब जहाँ तक जाँच की बात है तो श्रीमान रवि शास्त्री जी [क्रिकेट के खेलों में ] बरसों से कमेंट्री के मोटे +चहेते कांट्रेक्ट से दबे हुए हैं| माफ़ कीजिएगा मुजरिम को अभी तक अपने लिए वकील माँगने की इजाजत थी लेकिन अब आपके श्रीनिवासन अपने लिए मुंसिफ भी खुद ही चुन रहे हैं
इसीलिए जय नंगई +जय दबंगई +जय जय बी सी सी आई +
जय हो आई पी एल ,जय जय जय मयपन्न गुरुनाथ+
जय गवास्कर+ जय श्रीनिवासन जय जय जय श्रीकांत +
जय सी एस के +जय मुम्बई + सबसे बड़ा पैसा राम

हवाई अड्डे के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें तैयार लेकिन पतनाला पुराणी जगह ही गिर रहा है

मेरठ में हवाई पट्टी को हवाई अड्डा बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह तैयार हैं लेकिन इस सबके बावजूद दोनों सरकारों में अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है|इस आपसी लड़ाई में १३३ एकड़ वाली हवाई पट्टी का तक इस्तेमाल भी बंद पडा हुआ है|
सेन्ट्रल सिविल एविएशन मिनिस्ट्री द्वारा ४३३ एकड़ लैंड की मांग की गई है जिसे गावं गगोल+कांशी+ कंचन पुर घोपला से अधिग्रहित की जानी है|
जिस भूमि का ग्रहण किया जाना है उसके लिए साड़े ग्यारह एकड़ भूमि वन विभाग की है|इसके लिए वन विभाग से एन ओ सी[ NOC ] ली जा चुकी है| इसके बदले में सी जाने वाली भूमि की खरीद के लिए एम् डी ऐ [ MDA ] द्वारा कार्यवाही की जानी है|यह अभी फाईलों में ही है|
सरकार के कब्जे में सत्ताईस एकड़ जमीन/ एम् डी ऐ की ढाई एकड़ / गगोल डेरी की दो एकड़ जमें के लिए भी कोई समस्या नही है|ग्राम पंचायत की साड़े सात एकड़ के अलावा प्राईवेट १३४ एकड़ और के लिए भी कोई समस्या नही है लेकिन इसकी रजिस्ट्री अभी लंबित है|
इस सबके अतिरिक्त मुख्य समस्या केंद्र द्वारा ४३३ एकड़ भूमि की मांग को लेकर हुआ है|जिसे पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहित की जानी है| टोटल खर्चा का आधा राज्य सरकार उठाने को तैयार हैं लेकिन इसके साथ आधा खर्चा केंद्र को उठाने की शर्त भी लगा रखी है| इस पर दोनों पक्षों में बातचीत जारी है|
एन सी आर / महानगर में हवाई अड्डे के बनने से दिल्ली के हवाई अड्डे का लोड भी कम होगा।
प्रमुख सचिव नागरिक उड्डयन अनिता सिंह ने मेरठ के डीएम व कमिश्नर को भेजे पत्र में कहा है कि हवाई अड्डे के लिए आवश्यक 433 एकड़ जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाए डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। वह जमीन का सर्वे करके किसानों के नाम व जमीन का ब्यौरा धारा 4 के लिए नागरिक उड्डयन विभाग को भेजेंगे, जिसमें एक माह लगेगा। नागरिक उड्डयन विभाग ने हरी झंडी दी तो जमीन की कीमत की 10 फीसदी राशि जमा करानी होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट मेरठ से मात्र ७० किमी दूर है,लेकिन मेरठ और आस पास से जाने वाला ट्राफिक यहाँ डायवर्ट हो सकेगा|सिविल एविएशन मिनिस्टर चौधरी अजित सिंह भी इसी छेत्र से हैं २०१४ के चुनावों में उतरने से पहले यहाँ कुछ करके दिखाना चाहते हैं लेकिन सूत्रों की माने तो केंद्र द्वारा ४३३ एकड़ भूमि कि मांग कुछ ज्यादा समझी जा रही है|दबी जुबान में यह भी कहा जाता रहा है कि जरुरत से अधिक अधिग्रहित भूमि का इस्तेमाल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माध्यम से किया जाना है इसीलिए केंद्र सरकार को बाज़ार भाव से जमीन की कीमत का आधा खर्च उठाना चाहिए |अब इस सब से ऊपरी टूर से दीखता तो यही है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों तैयार हैं मगर हवाई पट्टीका भविष्य अभी भी उजाले को तरस रहा है|कहा जा सकता है कि सारी बातें सर मात्थे लेकिन पतनाला वहीं पुरानी जगह ही गिर रहा है|

इंटरनेट से सूचना तंत्र में आई क्रांति का भविष्य क्या होगा ;सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से इंटरनेट(अंतरताना)के उपयोग दुरूपयोग और इसके दमन के विषय में रोचक तथ्य दिए हैं| आतंक वादियों द्वारा इसके दुरूपयोग और विक्लिक्स के अनेकों राजनितिक रहस्योद्घाटन और फिर उसके दमन का उल्लेख करके भविष के प्रति चिंता प्रकट की है| प्रस्तुत है सधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से;
गत् सप्ताह एक मित्र ने मुझे ‘इंटरनेट‘ (अंतरताना) से सम्बन्धित एक उत्कृष्ट पुस्तक भेजी, सत्य यह है कि हाल ही के वर्षों में जिन उत्तम पुस्तकों को पढ़ने का मौका मिला, यह उनमें से एक है। पुस्तक का शीर्षक है

”दि न्यू डिजिटल एज”

इस पुस्तक पर की गई टिप्पणियों में

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की टिप्पणी

भी समाहित है, जिसमें वह कहते हैं:
यह पुस्तक इंटरनेट द्वारा सृजित की जा रही नई दुनिया की प्रकृति और इसकी चुनौतियों-दोनों को परिभाषित करती है। यह जन्म ले रही एक प्रौद्योगिक क्रांति का वर्णन करती है। हम इसे कैसे माप पाते हैं, यह देशों, समुदायों और नागरिकों के लिए चुनौती है। एरिक चमस्मिट (Eric schmidt½ और जारेड कोहेन (Jared Cohen½ – इन दोनों से ज्यादा और कौन इसके तात्पर्य को अच्छी तरह से जान सकता है।
इरिक सचमिड्ट, गूगल के इग्जेक्यटिव चेयरमैन हैं और जारेड कोहेन इस पुस्तक के सहयोगी लेखक होने के साथ-साथ गूगल आईडियाज़ के निदेशक हैं।
लेखक द्वारा लिखी गई प्रस्तावना का शुरुआती वाक्य है: ”इंटरनेट उन कुछ चीजों में से है जिसे मनुष्यों ने बनाया लेकिन वे इसे वास्तव में समझते नहीं हैं।”
प्रस्तावना के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है:
”यह पुस्तक गजेट्स, स्माल फोन एप्पस या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में नहीं है, यद्यपि इन प्रत्येक विषयों के बारे में चर्चा की जाएगी….
सर्वाधिक, यह पुस्तक नए डिजिटल युग में मार्गदर्शक मानवीय हाथ के महत्व के बारे में है। संचार प्रौद्योगिकी जिन सभी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, उनका अच्छे या बुरे उपयोग का सारा दारोमदार लोगों पर निर्भर करता है। भूल जाइए उन सभी बातों को जो मशीनों के प्रभावी होने से उठती हैं। हमारे लिए मुख्य है कि भविष्य में क्या होगा।”
मार्च, 2011 में चेन्नई से प्रकाशित हिन्दू ने भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों से सम्बंधित रिपोर्टों की श्रृंखला प्रकाशित करना शुरु किया था, जिनके चलते भारतीय पाठकों को विकीलीक्स नाम के संगठन से घनिष्ठ परिचय हुआ। 15 मार्च, 2011 को हिन्दू के तत्कालीन मुख्य सम्पादक एन. राम ने लिखा:
आज से हिन्दू अपने पाठकों को लिए ऐसी श्रृंखला शुरु कर रहा है जो इसके पाठकों को भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों, कूटनीति, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और बौध्दिक पक्ष की अप्रत्याशित अंतरंग जानकारी देगी जिसे अमेरिकी राजनायिकों ने वाशिंगटन डीसी में विदेश विभाग को भेजे गए केबलों में प्राप्त, प्रत्यक्षदर्शी, जुटाई गई, परिभाषित, टिप्पणियों सहित संजोया गया था।
विषयों, मुद्दों और इण्डिया केबल्स में वर्णित व्यक्तियों का दायरा अद्भुत है। जबकि दक्ष राजनयिकों की दृष्टि बहुधा सदैव अपने लक्ष्य पर थी-विकसित होते भारत-अमेरिकी सामरिक रिश्ते और इसमें सहायक या रोड़ा अटकाने वाली हर चीज-इस दायरे में शामिल है। भारत के अपने पड़ोसियों से रिश्ते, रुस, यूरोपियन यूनियन, ईस्ट एशिया, इस्राइल, फिलस्तीन, इरान और समूचा पश्चिम एशिया, अफ्रीका, क्यूबा और संयुक्त राष्ट्र। गुप्तचर सूचनाओं का आदान-प्रदान, निर्यात नियंत्रण, मानवाधिकार, भारतीय नौकरशाही, पर्यावरण, अफगान-पाक और बहुत कुछ। 26/11 पर विशेष फोकस है, कश्मीर, पाकिस्तान श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश और म्यनमार के प्रति भारत की नीति और भारतीय नीति किधर जा रही है। सभी दलों के राजनीतिक, कूटनीतिज्ञ, और सभी अधिकारी, जासूस, व्यवसायी, पत्रकार, व्यस्ततम लोग, बड़े-बड़े और छोटे-छोटे लोग विकीलीक्स के भारत सम्बन्धी केबल्स में हैं-जो अमेरिकी दूतावास और कान्सुलेट के 5100 केबल्स हैं जो भारत के संदर्भ में प्रासंगिक हैं (सभी भारत से नहीं भेजे गए हैं) और विस्मयकारी 6 मिलियन शब्दों में फैले हैं।”
समाचारपत्र के बहुत से पाठकों की भांति मैं भी विकीलीक्स के मुख्य सम्पादक द्वारा गुप्त दस्तावेजों में सेंध लगाकर रहस्योद्धाटित की गई जानकारियों से काफी प्रभावित हुआ। इसलिए, ब्रिटेन में एसांजे के नजरबंद किए जाने से मैं काफी दु:खी हुआ।
चमस्मिट और कोहेन ने नजरबंदी के दौरान एसांजे से साक्षात्कार किया:
पुस्तक में लिखा है:
साक्षात्कार के दौरान,

एसांजे ने इस विषय पर अपने दो मूल तर्कों को साझा किया। जोकि सम्बंधित हैं: पहला, हमारी मानव सभ्यता हमारे सम्पूर्ण बौध्दिक जीवन इतिहास (रिकार्ड) पर बनी है; अत: रिकार्ड जितना सम्भव हो उतना बड़ा होना चाहिए जो हमारे अपने समय को आकार दे सके तथा भावी पीढ़ियों को सूचित कर सके। दूसरा, क्योंकि विभिन्न पात्र सदैव अपने इतिहास को आत्मसम्मान की खातिर नष्ट करने या संवारने का प्रयास करते हैं, तो अत: सबका जहां तक संभव हो सक,े जो सत्य चाहते हैं और उसे महत्व देते हैं को रिकार्ड को नकारने से बचाने, और फिर इस रिकार्ड को जहां तक सम्भव हो सभी लोगों को सभी जगह सुलभ और शोधयोग्य बनाना चाहिए।

एसांजे के इस अवतार ने स्वाभाविक रुप से मुझे सत्तर के दशक में हमारे आपातकाल के प्रकरण का स्मरण करा दिया जब एक लाख से ज्यादा विपक्षी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानकर जेलों में ठूंस दिया गया, इस पृष्ठभूमि में, इसलिए मैं इस मत का समर्थन करता हूं कि इंटरनेट इत्यादि पर सभी नियंत्रण अवांछनीय हैं और इसलिए एसांजे के उपरोक्त तर्कों से सहमत हूं तथा उनके विचार को समर्थन देता हूं कि व्यापक पारदर्शिता एक ज्यादा न्यायसंगत, सुरक्षित और स्वतंत्र विश्व बनाएगी।
मैं अवश्य ही यह मानता हूं कि इस पुस्तक ने मेरे लिए एक चेतावनी दी है कि इंटरनेट और अन्य आधुनिक संचार उपकरणों द्वारा लाई गई क्रांति ने राष्ट्रों और वैयक्तिक नागरिकों की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर परिणाम पैदा कर दिए हैं।
जब मैंने ‘चेतावनी‘ शब्द का प्रयोग जोर देकर किया कि कैसे यह पुस्तक इंटरनेट जैसे आधुनिक संचार उपकरणों के प्रति मेरे सहज मोह को प्रभावित करती है, तो मुख्य रूप से मेरे दिमाग में इस पुस्तक का पांचवां अध्याय है, जिसका शीर्षक है ”

दि फ्यूचर ऑफ टेरोरिज्म”।

अध्याय की शुरूआत में ही लिखा है:
”जैसाकि हमने स्पष्ट किया कि तकनीक एक समान अवसर हेतु सक्षम बनाने, लोगों को अपने लक्ष्यों के लिए प्रयोग करने हेतु शक्तिशाली औजार प्रदान करती है, कभी अद्भुत रूप से रचनात्मक लक्ष्यों लेकिन कभी-कभी अकल्पनीय विनाशकारी लक्ष्यों के लिए। अपरिहार्य सत्य यह है कि कनेक्टिविटी आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों को भी फायदा देती है; जैसे यह फैलती है वैसे ही जोखिम भी। भविष्यगत आतंकवादी गतिविधियों में भर्ती से लेकर क्रियान्वयन जैसे भौतिक और वास्तविक पहलू शामिल रहेंगे। आतंकवादी समूह बम या अन्य माध्यमों से वार्षिक तौर पर हजारों लोगों को मारते रहेंगे। यह व्यापक लोगों, उन देशों के लिए बहुत बुरा समाचार है जो पहले से ही भौतिक विश्व में अपनी मातृभूमि को बचाने में काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और कम्पनियां निरंतर उनकी मार के दायरे में आएंगी। और निस्संदेह यह भयावह संभावना बनी रहेगी कि इनमें से कोई एक समूह परमाणु, रसायनिक या जैविक हथियार से युक्त हो जाए।
इस पुस्तक के लेखकद्वय ने परिचय में उल्लेख किया है कि इस पुस्तक का विचार उन्हें सन् 2009 में बगदाद में मिलने पर सूझा। दोनों इराक में इस महत्वपूर्ण सवाल से जूझ रहे थे कि एक समाज को फिर से बनाने में कैसे तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
आतंकवाद सम्बन्धी अध्याय में वे कहते हैं ”सन् 2009 में जब वे यात्रा कर रहे थे तब उन्हें यह ख्याल आया कि एक ”आतंकवादी बनना कितना सरल” हो गया है। वे लिखते हैं कि आई ई डी (उन्नत विस्फोटक उपकरण) पहले महंगे थे। सन् 2009 तक वे काफी सस्ते हो गए और ”एक बम जिसका ट्रीगर मोबाईल फोन सेट के कम्पायमान (वाईब्रेट) से दूर से ही नम्बर मिलाकर विस्फोट किया जा सकता है।”
एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन प्रकरण का संदर्भ देते हुए पुस्तक कहती है:
”भविष्य में आतंकवादी पाएंगे कि तकनीक आवश्यक है लेकिन ज्यादा जोखिम वाली है। सन् 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत प्रभावी रूप से आधुनिक प्रौद्योगिकी पर्यावरण से अलग-थलग रहकर गुफा के ठिकाने वाले आतंकवादी युग को समाप्त करती है। कम से कम पांच वर्ष तक बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद के अपने ठिकाने में इंटरनेट या मोबाइल फोन के बगैर छुपा रहा।
और भले ही ‘ऑफ लाइन‘ रहकर बिन लादेन पकड़े जाने से बचा रहा, लेकिन वह फलैश ड्राइव्स, हार्ड ड्राइव्स और डीवीडी का प्रयोग अपनी जानकारी तरोजाता बनाए रखने के लिए किया करता था। इन उपकरणों ने उसे अल-कायदा के दुनियाभर में चल रहे ऑपरेशनों पर नजर रखने में सबल बनाया और उसके गुर्गों को उसके तथा सर्वत्र विभिन्न आतंकी गुटों के बीच बड़ी मात्रा में डाटा प्रदान करने में सहायता की। जब तक वह आजाद रहा, इन उपकरणों पर उपलब्ध सूचनाएं सुरक्षित थीं और पहुंच से बाहर। लेकिन जब नेवी सील टीम सिक्स ने उसके घर पर धावा किया, उन्होंने उसके उपकरणों को कब्जे में लिया, और न केवल उन्हें वांछित व्यक्ति पकड़ने में सफलता मिली अपितु उन सभी के बारे में भी महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलीं जिनके सम्पर्क में वह था।”
इसी संदर्भ में एक और उदाहरण दिया गया है कि कैसे नए उपकरणों ने एक आतंकवादी ऑपरेशन करने में सफलता प्राप्त की लेकिन अपने पीछे सन् 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले जिसमें दस नकाबधारी लोगों ने शहर को तीन दिन तक बंधक बना कर रखा और अनेक विदेशियों सहित 174 व्यक्ति मारे गए, को फंसाने वाला वर्णन भी छोड़ा।
”बंदूकधारी पाकिस्तान में बैठे अपने सूत्रधारों से सामंजस्य बैठाने और हमला करने हेतु, तथा बुनियादी उपभोक्ता प्रौद्योगिकी – ब्लैकबेरी, गूगल अर्थ और वीओआईपी – पर निर्भर थे, जो इस घटना का ताजा प्रसारण्ा सेटेलाइट टेलीविजन पर देख रहे थे और समाचारों की मॉनिटरिंग कर सचमुच में सामरिक निर्देश दे रहे थे। प्रौद्योगिकी ने इन हमलों को अन्य स्थिति की तुलना में ज्यादा घातक बना दिया लेकिन एक बार जब (अंतिम और एकमात्र जीवित) बंदूकधारी पकड़ा गया, उसके पास जो सूचना थी और महत्वपूर्ण यह कि उसके साथियों के छोड़े गए उपकरणों ने जांचकर्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक जांच करते हुए पाकिस्तान में बैठे महत्वपूर्ण लोगों और स्थानों तक पहुंचाया जोकि दूसरी स्थिति में अनेक महीनों तक पता ही नहीं चलते, कभी नहीं भी।”
टेलपीस (पश्च्य लेख)
सी आई ए के पूर्व डारेक्टर जनरल मिशेल हायडेन ‘दि न्यू डिजिटल एज‘ ‘उन सभी को पढ़ने के लिए अनिवार्य मानते हैं जो डिजिटल क्रांति की गहराई को समझना चाहते हैं।‘
यह पुस्तक कहती है कि दुनियाभर के अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को किसी रूप में सेंसरशिप – जिसे कोमल भाषा में ‘फिल्टरिंग‘ के नाम से जाना जाता है – का सामना करना पड़ता है। लेकिन देशों में फिल्टरिंग के तीन मॉडल प्रचलित हैं : खुले तौर पर, संकोची और राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य।
खुले तौर पर : चीन दुनिया में सूचनाओं का सर्वाधिक उत्साही फिल्टर करने वाला देश है। दुनियाभर में प्रर्याप्त लोकप्रिय समूचे प्लेटफार्म – फेसबुक, टि्वटर, टुमबलर – पर चीनी सरकार ने रोक लगाई हुई है। इसी प्रकार राजनीतिक रूप से नाजुक तियनामेन स्कवेयर विरोध, दलाई लामा, तिब्बती अधिकार आंदोलन, 2011 में गूगल के चेयरमैन की बीजिंग यात्रा इत्यादि भी।
संकोची- हालांकि तुर्की में चीन जैसी खुले तौर पर फिल्टरिंग नहीं है परन्तु तुर्की सरकार का खुले इंटरनेट से सम्बन्ध सहज नहीं है। फिर भी लगभग 8000 वेबसाइट्स बगैर सार्वजनिक नोटिस या अधिकारिक सरकारी स्वीकृति के तुर्की मे ‘ब्लॉक‘ कर दी गईं।
राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य: पुस्तक इस श्रेणी में दक्षिण कोरिया, जर्मनी और मलेशिया जैसे देशों को रेखांकित करती है। यह फिल्टरिंग चुनींदा है और कानून आधारित अत्यन्त विशेषीकृत सामग्री को सेंसरशिप से रोकने का न तो प्रयास करती है न ही औचित्य का।
पुस्तक की इच्छा है कि यह तीसरा मॉडल समूचे विश्व का नियम बनना चाहिए।

आई पी एल के सर्वोच्च दोषियों को बचाने के लिए नेताओं ने भी शब्दों की वाइड बालिंग शुरू कर दी है

जेंटल मैन के गेम क्रिकेट में सुधार के नाम पर राजनीतिज्ञों में राजनीति का आई पी एल शुरू हो गया है| जबसे बी सी सी आई के सुप्रीमो एन श्रीनिवासन के दामाद एम् गुरुनाथ का नाम बेटिंग या फिक्सिंग में आया है तब से नेताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं दिल्ली पोलिस द्वारा अपनी जांच को सिमित किये जाने के बावजूद अब कमान मुम्बई पोलिस ने संभाल ली है और गुरुनाथ को पूछ ताछ के लिए हिरासत में ले लिया है इसीलिए फेस सेविंग के लिए अब दलों ने शब्दों की/बयानों की बालिंग शुरू कर दी है लेकिन अधिकाँश बालिंग वाईड ही जा रही है| अर्थार्त वर्तमान समस्यायों को हल करने के लिए भविष्य में यौजनाएं बनाए जाने पर बल दिया जा रहा है| उदहारण देखिये
[१] सबसे पहले कांग्रेस के केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने क्रिकेट को लेकर एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया|
[२]स्पोर्ट्स मिनिस्टर जीतेन्द्र सिंह ने आई पी एल को लेकर हो रहे खुलासों पर शर्मिंदगी दिखाई|
[३] संसद में विरोधी मगर क्रिकेट में साथ साथ भाजपा के राज्य सभा में नेता और बी सी सी आई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली तथा कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री और आई पी एल के चेयर मैन राजीव शुक्ला ने कानून मंत्री कपिल सिब्बल के यहाँ जा कर क्रिकेट में एक सशक्त कानून की मांग करके अपना विरोध जताने के ओपचारिकता पूरी कर दी है|गौरतलब है की कपिल सिब्बल पहले ही इसके लिए आदेश दे चुके हैं|वास्तव में राजीव शुक्ल शुरू से ही श्रीनिवासन के बचाव में रवि वसानी कमिटी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने की बात कहते रहे हैं|जेटली शुरू से ही मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं|
[४]क्रिकेट जगत के एक और महायौद्धा शरद पवार की राजनितिक पार्टी एन सी पी के प्रवक्ता डी पी त्रिपाठी ने और उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने श्रीनिवासन के तत्काल इस्तीफे की मांग कर डाली है| इसके अलावा कांग्रेस के ही एक अन्य सहयोगी लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने बड़े हलके स्वभाव में आई पी एल की आलोचना करके पल्ला झाड लिया है|
[५]सहारा श्री सुब्रोतो रॉय ने पुणे वारियर से अपनी फ़्रेञ्चाईसी को समाप्त कर दिया है और अपनी सिक्यूरिटी जब्त किये जाने से क्षुब्ध होकर रॉय ने श्रीनिवासन के अवगुण गिनाते हुए तत्काल हटाये जाने की मांग करने शुरू कर दी है| टाइम्स नॉव के एंकर अरनव गोस्वामी को दिए इंटर व्यू में रॉय ने श्रीनिवासन को नकारा साबित किया है|
जेंटल मैन गेम क्रिकेट में स्पॉट +मैच फिक्सिंग और बेटिंग के माध्यम से राष्ट्र विरोधियो के हाथ मजबूत किये जा रहे हैं ऐसे में बी सी सी आई के कर्णधार अपने सुप्रीमो को बचाने के लिए दुनिया भर की दलीलें देते फिर रहे हैं| दिल्ल्ली और मुम्बई पोलिस में भी फुटबाल शुरू हो गया है यहाँ तक के नेताओं ने वाईड बालिंग शुरू करके समय लिया जा रहा है ऐसे में यह कहना अनुचित नही होगा के जेंटल मैन का यह गेम अब असभ्य लोगों का खेल बन चुका है|