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राज्य सभा में हंगामे से दुखी उपराष्ट्रपति ने क्वेश्चन आवर की व्यवस्था की समाप्ति पर सुझाव दिया: संसद स्थगित

संसद के दोनों सदन आज भी हंगामे के कारण स्थगित किये गए |लोक सभा एक घंटे और राज्यसभा की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित की गई|लोक सभा में आज सुबह वालमार्ट द्वारा लाबिंग के लिए खर्च किये गए १२५ करोड़ की आड़ में भारत में घूस दिए जाने का आरोप लगा कर जांच की मांग की गई और विपक्ष ने सदन के वेळ में आ कर शोर शराबे से सदन को सर पर उठा लिया |लोक सभा स्पीकर मीरा कुमार ने बार बार इस प्रश्न के लिए क्वेश्चन आवर्स में समय देने का आश्वासन दिया मगर इस मुद्दे के हाथ लगने और वाम पंथियों के सहयोग से उत्साहित भाजपा ने वेळ से हटने से इंकार कर दिया तब बिना किसी बिजनेस के ही सदन को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया|उधर राज्य सभा में भी बीते दिन की भांति ही क्वेश्चन आवर में हे शोरहुआ और दुखी मन से चेयर पर्सन हामिद अंसारी ने दुखी मन से कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने में असमर्थता जाहिर की और कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगित किया और कहा के प्रति दिन क्वेश्चन आवर की बर्बादी के चलते यह मामला संसद की रूल कमेटी को देने के अलावा उनके पास कोई और दूसरा विकल्प नहीं बचा है |इसके लिए दो सुझाव भी उन्होंने सुझाए |

एक सुझाव था के क्वेश्चन आवर की व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया जाए |

Indian Parliament

वाल मार्ट ने १२५ करोड़ की लाबिंग कराई यह सच्च है मगर भारत में इसका प्रभाव साबित हो पायेगा यह वहम है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

झल्ली

में क्या सुणो जी!ये आज कल जिसे देखो वहम और हकीकत वहम और हकीकत चिल्लाता जा रहा है|इनमे अंतर क्या होता है ज़रा उदहारण देकर समझा देयो जी

झल्ला

ओ भली लोके दरअसल हकीकत वो होती है जो होती या होता है और वहम वोह होता है जिसके होने की संभावना होती है उदहारण के तौर पर देखो
[१] अन्ना बाबू राव हजारे ने आज तक अजेंडा में कहा था कि वोह अपने प्रिय शिष्य अरविन्द केजरीवाल को सपोर्ट नहीं करेंगे यह तो हो गया हकीकत मगर चुनावों में अन्ना अरविन्द के खिलाफ जायेंगे यह वहम साबित हो सकता है
[२]वाल मार्ट ने भारत में खुदरा व्यापार पर कब्जे के लिए अमेरिकी कानून के मुताबिक़ अपने सांसदों द्वारा लाबिंग कराई और १२५ करोड़ रुपये खर्च कर दिए यह हकीकत है|मगर भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है फिर भी अमेरिकी लाबिंग के प्रभाव का भारत में हुआ कोई असर प्रूव साबित हो पायेगा यह वहम हो सकता है
[३] भारतीय क्रिकेट तेम की इंग्लैण्ड के हाथो शर्मनाक हार हुई और उसके बाद कप्तान तक को बदला जाना चाहिए यह हकीकत है मगर कप्तान धोनी बदला जाएगा यह वहम है

लगातार हारती जा रही क्रिकेट टीम की ओवरहालिंग के लिए केंद्र सरकार को आगे आना होगा

Logo Of Indian Cricket

इंग्लैण्ड के हाथों दोहरी हार से आहत क्रिकेट प्रेमी और खिलाड़ी चिंता में हैं और सभी दिशाओं से खिलाड़ी+कप्तान+कोच+और सलेक्टरों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं|
पहला विश्व कप भारत में लाने वाले कपिल के डेविल्स में शामिल मोहिंदर अमरनाथ ने अभी हाल ही में बतौर सलेक्टर टीम के कप्तान एम् एस धोनी को बदले जाने की सिफारिश की थी मगर उस सिफारिश के ठीक उलटे धोनी को अभय दान देते हुए अमरनाथ को हे बदल दिया गयाइसके बाद की कहानी तो जग जाहिर है|इंग्लैण्ड के स्पिनरों के हाथों कोलकत्ता में सात विकटों से करारी हार का सामना करना पडा है| अब उन्होंने फिर से टीम में दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण की कमी पर चिंता व्यक्त की है|
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व मिडिल आर्डर के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में टीम इंडिया की दो लगातार हार पर नाराजगी जाहिर करते हुए खिलाड़ियों की सक्षमता व उनकी प्रतिभा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।’ उन्होंने कहा है “भारत को स्पिन विभाग में पछाड़ दिया गया और यह चिंता का संकेत है क्योंकि स्पिन हमारी मजबूती रही है.” ए’ टीम का दौरा और एकेडमी सिस्टम बहुत ही ज्यादा अहम हो गया है.”
भारतीय टीम में कुछ बदलाव का सुझाव देते हुए द्रविड़ ने कहा, “मैं देख पा रहा हूं कि भारतीय टीम बदलाव की मोड़ पर है और इसे सोचना चाहिए कि कैसे मुश्किल से बाहर आया जाए और कैसे वो नौजवान खिलाड़ी जिनमें हुनर, तकनीक, जोश और चाहत है टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका पा सकें.”
राहुल द्रविड़ ने कहा, ‘लोग खिलाड़ियों के रवैये की बात करते हैं और कहते हैं कि आईपीएल में पैसे की वजह से उनके रवैये में बदलाव आ रहा है। यह सब बातें अलग हैं लेकिन अहम बात है उन खिलाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी, उनकी क्षमता व प्रतिभा और वे मेरे लिए ज्यादा बड़ी चिंता का विषय है। यह एक बड़ा सवाल है कि क्या हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा व गुणवत्ता सही रास्ते पर है। एक बात यह भी है कि हमारे घरेलू क्रिकेट का स्तर इतना ऊंचा नहीं हो सका है कि लगातार खिलाड़ी उसके दम पर सीधे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रख सकें।’ भारत में टीम इंडिया के हाल के शर्मनाक प्रदर्शन को लेकर खेल प्रशंसक बेहद नाराज हैं और इस पर द्रविड़ ने कहा, ‘ज्यादातर लोग सिर्फ इस बात से नाराज नहीं है कि हम हारे बल्कि इस बात से ज्यादा दुखी हैं कि जिस तरीके से हम हारे। भारत ने इस सीरीज में तीन बार टास जीते हैं जिस दौरान मुंबई में मनमर्जी पिच व कोलकाता में बल्लेबाजों के अनुकूल पिच मिली लेकिन हमारी टीम के खिलाड़ी ना सिर्फ इन स्थितियों का फायदा उठा सके बल्कि मुकाबला करने में भी सक्षम नहीं दिखे। इंग्लैंड ने भारत को आइना दिखाया है और साफ किया है कि टीम इंडिया किन कठिनाइयों से जूझ रही है। सफल टीमों में शानदार खिलाड़ियों की एक लंबी फेहरिस्त होती है जो एक साथ मिलकर एक ही समय में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और टीम को बुलंदी तक पहुंचाते हैं।’|सचिन तेंदुलकर+ वीरेंदर सहवाग+जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी भे कुछ कर पाने में असफल रहे अब इनके बदलाव की मांग भी सर्वत्र उठने लगी हैलेकिन केवल खाना पूर्ती के लिए हरभजन सिंह+युवराज और जहीर को ही बाहर का रास्ता दिखाया गया है|कप्तान धोनी को एक बार फिर बचा लिया गया है|सचिन ने कहा था की जब तक वोह चाहेंगे खेलते रहेंगे इसी तर्ज़ पर धोनी ने भी कप्तानी छोड़ने से इंकार कर दिया है|सरकार में प्रभावी राजीव शुक्ला सरीखे क्रिकेट के कर्णधार सब कुछ ठीक ठाक बता कर मामले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया| कोच की भूमिका का भी मजाक उड़ाया जा रहा है| बी सी सी आई की भूमिका पर भी एक बार फिर से सवालिया निशान लग रहे हैंलेकिन दुर्भाग्य से इस दिशा में कोई बात करने को राज़ी नहीं है| केंद्र सरकार ने जिस तरह मुक्के बाज़ी + तीर अंदाजी संघ और आई ओ अ को सुधारने के लिए पहल की है उसी तरह क्रिकेट में भी सुधारों की जरूरत है| बेशक इस गेम को भारत सरकार से फंड्स नहीं मिलते मगरयह गेम भी [१] भारत के नाम पर खेला जाता है [२] स्पोर्ट्स स्टेडियम से लेकर कर छूट और सुरक्षा आदि की व्यवस्था सरकार की ही है ऐसे में सरकारी दखल का समय आ गया है|

रतन टाटा ने अब देश में नागरिक विमानन व्यवसाय से भी तौबा की

भारत में कभी नागर विमानन सेवा की शुरुआत करने वाले टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन रतन टाटा ने छेत्र में विनाशकारी अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा’के चलते इस क्षेत्र में दोबारा कदम नहीं रखने के संकेत दिए हैं| रतन टाटा के अनुसार इस क्षेत्र में ‘विनाशकारी प्रतिस्पर्धा’ घर कर गयी है।
टाटा समूह की ओर से 1990 के दशक के मध्य में भारत में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) के साथ मिल कर एयरलाइन शुरू करने के प्रस्ताव को याद करते हुए टाटा ने कहा, ‘उस समय की तुलना में आज यह क्षेत्र पूरी तरह अलग है.’
टाटा ने समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में

रतन टाटा

कहा, ‘यह बहुत कुछ दूरसंचार क्षेत्र की तरह बन गया है. इसमें कंपननियों की बाढ़ आ गयी और इनमें से कुछ ऑपरेटर वित्तीय संकट में हैं. आज की तारीख में मैं इस क्षेत्र में कदम रखने से हिचकूंगा, क्योंकि इस बात की संभावना रहेगी कि आपको इसमें बहुत हद तक ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा जो अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह ‘गला काट’ प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित हैं, तो टाटा ने इसका न में जवाब दिया पर कहा, ‘गलाकाट प्रतिस्पर्धा आपको बाहर रखने के लिए हो तो वह विनाशकारी प्रतिस्पर्धा है.’ । घाटे में आने पर भी कुछ लोग आपको खत्म करने के लिए परिचालन कर रहे हैं।’ इंटरव्यू के दौरान टाटा से जब यह पूछा गया कि क्या यह सही है कि किसी ने टाटा-सिंगापुर एयरलाइन के प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए उनसे 15 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इस पर टाटा ने कहा कि यह कहानी सही है, लेकिन उस समय के नागर विमानन मंत्री ने सीधे उनसे यह राशि नहीं मांगी थी।
टाटा ने कहा, ‘एक कारोबारी ने मुझसे कहा था कि आप पैसा क्यों नहीं दे देते हैं। मंत्री यही चाहते हैं’ कारोबारी को इस पर उन्होंने क्या जवाब दिया था, इस पर टाटा ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि आप नहीं समझते हैं। हम इस तरह का काम नहीं करते हैं। उन्होंने मुझसे यही कहा था कि यदि आप एयरलाइन शुरू करना चाहते हैं तो आपको पैसा देना होगा। आप जानते हैं कि मंत्री यह चाहते हैं..15 करोड़ रुपये।’
टाटा ने कहा कि 1991 में समूह का चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने रणनीतिक योजना बनाई थी। इसके तहत उनकी निगाह विमानन तथा रक्षा जैसे नए क्षेत्रों पर थी जिनमें निजी क्षेत्र बड़े तरीके से प्रवेश कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि कई वर्षों तक हम पर कई तरह के प्रतिबंध लगे थे और प्रौद्योगिकी नहीं मिल पा रही थी यह अपने आप में बड़ी चुनौती थी।’ लेकिन यह चुनौती देश के निजी क्षेत्र के सामने कभी नहीं रखी गयी जो ‘मेरे लिए कुछ निराशा की बात है।’
टाटा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी प्रयोगशालाओं के निहित स्वार्थी तत्व इन क्षेत्रों में निजी कंपनियों का प्रवेश नहीं होने देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज इन क्षेत्रों को खोल तो दिया गया पर अब भी इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित है।
गौरतलब है कि रतन टाटा ने पिछले दिनों इंग्लैण्ड के एक फायनेंशियल पत्रिका में दिए एक इंटरव्यू में भारतीय आर्थिक नीतियों पर असंतोष जताया था और कहा था कि इसी निराशा जनक माहौल के चलते उन्होंने भारत के बजाय चीन में विमानन सम्बन्धी फेक्ट्री लगाने को मजबूर होनी पडा है|

विश्व प्रसिद्द वैष्णो देवी श्राईन मार्ग पर आग से दर्ज़नों दुकाने राख: अस्थाई रूप से प्रभावित यात्रा पुनः शुरू

VAISHNO DEVI SHRINE Charan paduka

.कटड़ा वैष्णो देवी मार्ग पर रात आग लग गई जिस की वजह से करीब एक दर्जन दुकानें जल गईं| गनीमत रही कि कोई घायल नहीं हुआ|
आग को देखते हुए रात में यात्रा भी रोक दी गई थी| आज सुबह पांच बजे के करीब आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया और यात्रा पहले की तरह शुरू हो गई|
विश्व प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां वैष्णो देवी मार्ग पर चरणपादुका में स्थित इस मार्केट में लगी आग से कई दुकानें राख हो गई। यात्रा अस्थाई रूप से रोके जाने पर कटड़ा में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा हो गई। लोग देर रात तक ठण्ड के मौसम में ठहरने के लिए होटलों के कमरे तलाशते रहे। आग बुझाने के लिए प्रशासन, श्राइन बोर्ड, अग्निशमन विभाग तथा स्थानीय लोग जुटे रहे| यह बाज़ार ड्राइफ्रूट, माला चूड़ी स्टूडियो वगैरह के लिए विख्यात है और यहा करोड़ों रुपये का व्यापार होता है। आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। गौरतलब है कि दो साल पहले भी इसी मार्केट में सिलेंडर फटने के कारण भयंकर आग लगी थी।
बताते चलें कि त्रिकुटा पहाड़ियों में स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां वैष्णो देवी केदर्शन करने के लिए रोजाना दस से पंद्रह हजार यात्री आते हैं और वर्ष में एक करोड़ तक श्र्धालू आते हैं|बीते साल १.०५ करोड़ लोग आये थे और इस सप्ताहंत तक एक करोड़ का आंकड़ा दर्ज़ किया जा चूका है| अनुमान के अनुसार क्रिसमस और नए साल को देखते हुए दिसंबर 20 के बाद कटड़ा पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो सकती है और यह नया रिकॉर्ड कायम हो सकता है| कहने का अभिप्राय है कि यह शक्ति पीठ ना केवल श्रधालूँ जनों की आस्था से जुडा है वरन आतंकवाद से जूझ रहे जे & के राज्य के लिए यह आय का भी मुख्य स्रौत है ऐसे में यहाँ सुविधाओं और सुरक्षा का अभाव दिखाई दे रहा है यह चिंता का विषय है |इस छेत्र में विशेष व्यवस्था की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा सकता|

वाल मार्ट ने खुदरा व्यापार पर कब्जे के लिए सवा सौ करोड़ खर्च किये : राज्यसभा में लाभाथियों के नाम पूछे गए :सदन स्थगित

Indian Parliament

भारत में खुदरा व्यापार में वालमार्ट की एंट्री के लिए अमेरिका की गई लाबिंग [पैरवी]के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा हुआ और सदन १२.२२. पर दस मिनट्स के लिए स्थगित कर दी गई| आज राज्य सभा में नौकरी में प्रोमोशन में १२ बजे आरक्षण पर चर्चा होनी थी मगर सवा बारह बजे भाजपा के रवि शंकर प्रसाद ने खड़े होकर अमेरिका में लाबिंग के लिए वाल मार्ट द्वारा १२५ करोड़ रुपये खर्च करने के समाचारों पर सरकार का स्पष्टीकरण मांग लिया|एक अन्य सदस्य ने प्रधान मंत्री को सदसं में बुलाये जाने की मांग की जिसे उप सभापति ने सिरे से ठुकरा दिया और कहा की सरकार को भी तत्काल जवाब के लिए नहीं कहा जा सकता |इसीबीच हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही प्रभावित होते देख कर राजीव शुक्ला ने आश्वासन दिया की सम्बन्धित प्रश्न को सम्बंधित मंत्री तक पहुंचा दिया जाएगा| सदन में असंतुष्टों ने हंगामा जारी रखा |जयराम रमेश + नारायण सामी और हरीश रावत जैसे धाकड़ मंत्री चुप बैठे रहे| इस पर उप सभापति महोदय ने सदन को दस मिनट्स के लिए स्थगित कर दिया|
गौरतलब है के बीते दिनों भारत के खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश को संसद के दोनों सदनों में मान्यता प्रदान की जा चुकी है|लेकिन इसी बीच एक समाचार आया है के इसी कार्य के लिए दबाब बनाने के लिए वालमार्ट ने अमेरिका में १२५ करोड़ रुपय्ये का भुगतान किया है
|इसी को आधार बनांते हुए लाभार्थियों के नाम पूछे गए |हंगामा जारी रहा |सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है| नौकरी में प्रोमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर ऍफ़ डी आई के बादल मंडराने लग गए हैं|

अमेरिकी २५ सीनेटरों ने नरेन्द्र मोदी के अमेरिकी वीजा पर पतझड़ी एतराज़ उठाया था कहीं ये भी बैकडोर वाल्मार्टी पैरवी तो नहीं


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये हसाड़े सोणे लोक तंत्र को किसी की काली नज़र क्यों लगती जा रही है ? हसाड़े सोणे मुल्क के खुदरा व्यापार में अपनी धाक जमाने के लिए वालमार्ट जैसी बहु राष्ट्रीय धाकड़ निवेशकों ने १२५ करोड़ रुपय्ये लाबिंग [पैरवी ]करने वाले अपने अमेरिकी सीनेटरों में तक्सीम करके यह साबित कर दिया कि हसाड़े जो माननीय संसद में ऍफ़ डीआई लाने के लिए गला फाड़े जा रहे थे उनके पीछे कौन सी उर्जा थी| ओये हुन हसाड़े पूअर +छोटे+व्यापारियों+किसानो +मजदूरों का क्या होगा?

झल्ला

भोले सेठ जी अमेरिका में लाबिंग तो कानूनी जामे में ही है और हसाड़े हरीश रावत+राशिद अल्वी जैसे कांग्रेसी प्रवक्ता आपके सारे आरोपों को नकारते हुए बेसिरपैर का बता रहे हैं |वैसे अगर ये सभी सच बोल रहे हैं तो झल्लेविचारानुसार एक सवाल जरूर उठता है+एक लिंक जरूर उभरता है कि

अमेरिकी २५ सीनेटरों ने नरेन्द्र मोदी के अमेरिकी वीजा पर एतराज़ उठाया था कहीं ये भी बैकडोर वाल्मार्टी पैरवी तो नहीं

चुनावों के मौसम में अमेरिकी २५ सीनेटरों ने नरेन्द्र मोदी के अमेरिकी वीजा पर पतझड़ी एतराज़ उठाया था कहीं ये भी बेकडोर से वाल्मार्टी पैरवी तो नहीं ?

रैम्प पर प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली मॉडल शामला एयरपोर्ट पर भूखी-प्यासी बदहवास पड़ी हैं

Shrilankan Model Shamala

लाइट्स की चकाचौंध और दर्शकों की तालियों के बीच रैम्प पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली श्रीलंकाई मॉडल 25 वर्षीय शामला इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (आइजीआइ) पर पिछले दो दिनों से भूखी-प्यासी बदहवास स्थिति में पड़ी हुई हैं वह किसी से बात तक नही कर रही है| सूत्रों के मुताबिक, मॉडल ने दो बार रेलिंग से छलांग लगाने की कोशिश भी की, मगर उसे बचा लिया गया।
शामला श्रीलंका की जानी-मानी मॉडल बताई जा रही हैं तथा विज्ञापनों में काम कर चुकी हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि शामला के साथ कोई बड़ी अनहोनी घटी है। इस कारण वह सदमे में है। बताया जा रहा है कि श्रीलंकाई मॉडल 17 नवंबर को मॉडलिंग एसाइनमेंट पर भारत हुई थी। 5 दिसम्बर को वह मुंबई से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची। इसके बाद वह टर्मिनल 3 के डिपार्चर एरिया में पहुंचकर इधर-उधर घूमती रही। लगातार घूमने के कारण सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मियों ने उससे पूछताछ की तो वह अजीबो गरीब व्‍यवहार करने लगी।इस पर उसे गुडगाँव के मेंदाता अस्पताल भेजा गया। डाक्टरों ने उसे स्वस्थ बताकर जान छुडा ली |इसके बाद मॉडल को सामान्य होने के लिए डिपार्चर एरिया में ही बिठा दिया गया। पांच दिसंबर से अब तक वह उसी सोफे पर बैठी हुई है। खबर लिखे जाने तक मॉडल को श्रीलंका नहीं भेजा जा सका है।

ऍफ़ डी आई पर पाला बदलने वाले जे डी यू के उपेन्द्र कुशवाहा ने पार्टी की सदस्यता और सांसद पद को छोड़ा

जे डी यू के उपेन्द्र कुशवाहा

जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) के बागी राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा दे कर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है| नई पार्टी का नाम ‘बिहार नवनिर्माण मंच’ होगा।एफडीआई के मुद्दे पर जेडीयू के मतभेद होने के चलते राज्यसभा में सरकार के पक्ष में वोट देने वाले जेडीयू सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है।
हालांकि कुशवाला ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के तानाशाही व्यवस्था के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन दो साल पहले ही बना लिया था, इसीलिए इसे एफडीआई मामले से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इससे पहले जे डी यू के अध्यक्ष शरद यादव ने अपने बागी सांसद कुशवाहा को ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर पार्टी लाईन का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जरी करने का एलान किया था| बिहार में जेडीयू के लिए और राज्यसभा में मात्र ६४ सदस्यों वाली एन डी ऐ के लिए बड़ा झटका है|

मन मोहन सिंह ने राजनीतिक प्रधानमंत्री की पारी खेलते हुए गुजरात में विकास और धर्मनिरपेक्षता के दावों की धज्जियां उडाई

Doctor Manmohan singh In Gujrat

डाक्टर मन मोहन सिंह ने आज केंद्र सरकार के मुखिया की राजनीतिक पारी खेलते हुए गुजरात में विपक्ष के विकास और धर्म निरपेक्षता के दावों पर हमला बोला| गुजरात में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी पर जमकर हल्ला बोला। प्रधानमंत्री ने कहा कि[१] विपक्ष समाज को बांटने वाली राजनीति कर रहा है। [२] अल्पसंख्यक खुद को प्रदेश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। [३] मानव विकास के सूचकांक में गुजरात देश के 20 प्रमुख राज्यों में 18वें स्थान पर है।
उन्होंने कहा, यह दुखद है कि[अ] गुजरात में 41 % महिलाएं कुपोषण और 15 से 50 वर्ष उम्र की 55 % महिलाएं खून की कमी की शिकार हैं।[आ] ग्रामीण गुजरात में बच्चों का एक बड़ा समूह प्राथमिक शिक्षा तथा उच्चतर प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाता जबकि कांग्रेस शासित राज्यों में इससे बहुत बेहतर काम हो रहा है।
गुजरात के वनसाद में डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि बी जे पी प्रदेश में विकास की बात करती है लेकिन विकास का फायदा किसे मिल रहा है। विकास का फायदा हर समुदाय को नहीं मिल रहा है | प्रदेश में विकास का हिस्सा अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और आदिवासियों को नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आदिवासी आज भी समाज की मुख्यधारा से बाहर हैं। समय आ गया है कि आप लोग गुजरात को ऐसी राजनीति से मुक्त करें और ऐसे लोगों को सत्ता में नहीं आने दें जो देश और अपने समाज को बांट कर वोट पाने का प्रयास करते हैं।’
प्रधानमंत्री राज्य में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि कमजोर तबके और अल्पसंख्यक वर्ग के प्रति हर राज्य की जिम्मेदारी है गुजरात सरकार उस दिशा में अधिक ध्यान नहीं दे रही है। इस संबंध में राज्य की जनता और अधिकारियों की ओर से शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘यह काफी अफसोसजनक है कि महात्मा गांधी के राज्य में ऐसा माहौल है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है और युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके भी सृजित नहीं हो रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘गुजरात में विकास सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस आर्थिक विकास से अछूता है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण समाज में असंतुलन की स्थिति है।
मनमोहन सिंह ने प्रदेश में विकास के तमाम दावों को झुठलाते हुए पूछा पूछा कि यदि प्रदेश में विकास हुआ है तो लोगों को पीने के लिए पानी क्यों नहीं मिल रहा है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में पेय जल का पर्याप्त अभाव है। केंद्र सरकार की तरफ से दी गई रकम प्रदेश की सरकार विकास की योजनाओं में खर्च नहीं कर पा रही है।