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Category: Education

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आकाश 2 टैबलेट लांच करके शिक्षा के प्रसार के प्रति सरकार की प्रतिबद्द्ता दर्शाई

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों के लिए कम कीमत में ज्यादा एप्लीकेशन वाला आकाश 2 टैबलेट लांच किया। । धनतेरस के मौके पर सरकार की तरफ से छात्रों को सबसे बड़ा तोहफा मिला है। गौरतलब है कि देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 124 वीं जयंती के दिन को भारत में ‘एजुकेशन डे’ के रूप में मनाया जाता है। और इस दिन शिक्षा से सम्बंधित मुद्दों को महत्व देकर सरकार ने

राष्ट्रपति ने आकाश 2 टैबलेट लांच करके शिक्षा के प्रसार के प्रति सरकार की प्रतिबद्द्ता दर्शाई

प्रोडक्ट की विशेषता

बताया जा रहा है कि विश्व का सबसे सस्ता टैबलेट आकाश 2 एंड्रॉयड 4.0 पर चलता है।डाटाविंड कंपनी द्वारा तैयार किया गया आकाश 2 टैबलेट 7 इंच की टचस्क्रीन के साथ लीनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है इसमें 1 गीगाहर्ट्ज कॉर्टेक्स ए8 प्रोसेसर के साथ 512 एमबी रैम है। इसमें 4जीबी की इंटर्नल मेमोरी है जिसे 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है। यूएसबी पोर्ट, फ्रंट कैमरा की भी सुविधा दी गयी है।प्रोडक्ट निर्माता कंपनी के मुताबिक इस उपकरण को 2063 रुपये में सरकार को सप्लाई किया जाएगा| सरकार इस पर सब्सिडी देकर 1132 /= में देगी|बाज़ार में प्रोफेशनल प्रोडक्ट 3500 रुपये में लांच किया जाना है|

राष्ट्रीय शिक्षक व शिक्षण मिशन

कपिल सिब्बल से मंत्रालय का चार्ज लेने वाले मानव संसाधन विकास [एचआरडी] मंत्री एमएम पल्लम राजू के अनुसार उनका मंत्रालय जल्द ही राष्ट्रीय शिक्षक व शिक्षण मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने आकाश के जरिये शिक्षकों के प्रशिक्षण और दक्षता विकास की परियोजना ‘ए-व्यू’ का भी उद्घाटन किया। राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित इस समारोह को देश के 15 हजार शिक्षकों ने अपने आकाश टेबलेट पर देखा। आइआइटी मुंबई की मदद से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट के तहत देश के 250 केंद्रों पर 15 हजार शिक्षकों को आकाश के जरिये पढ़ाने के गुर सिखाए जा रहे हैं। एचआरडी मंत्रालय की योजना शुरू में इसके तहत एक लाख 50 हजार शिक्षकों को तैयार करने की है।
गौरतलब है कि इस वर्ष अक्टूबर में आकाश टैबलेट लांच किया गया था और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से यह एक प्रोजेक्ट था|
आकाश बनाने वाली कंपनी डेटाविंड का दावा है कि इस साल दिसंबर तक एक लाख छात्रों को यह टैबलेट बांट दिए जाएंगे
दिनों दिन सस्ते होते जा रहे लेपटाप और टेबलेट्स के सामने इस सरकारी लेपटाप की सफलता तो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह कहना भी जरुरी है कि हमारे देश में प्रतिभाओं कि कमी नहीं है|चित्र में दिखाए गए एक जुगाड़ का उदहारण दिया जा सकता है| इस मशीन से गन्ने का रस निकाल कर जगह जगह बेचा जाता है|सस्ते में बनी इस प्रकार की मशीनों से कई परिवार पल रहे हैं| सरकार का हाथ आम आदमी के साथ का दावा तभी चरित्रार्थ हो पायेगा जब इस प्रकार के छोटे और सस्ते उपकरणों को कानूनी जामा पहनाया जा सकेगा| इससे रेवेन्यु मिलेगा +स्वास्थ्य के प्रति सुरक्षा और गैर कानूनी लेबल हटाने से इनकी तकनिकी सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा| इस प्रकार के उपकरणों को मान्यता देने से शायद भारत और इंडिया के बीच बड रही दूरी को कम किया जा सकेगा|

एल के अडवाणी के ब्लाग से: पटेल के सहयोगी मेनन को भी भुलाया

एन डी ऐ के सर्वोच्च नेता एल के अडवाणी ने अपने ब्लॉग में जर्मन लेखिका आलेक्स फॉन टूनसेलमान की पुस्तक इण्डियन समर के हवाले से भारत के एकीकरण के इतिहास को खंगाला है
पुरस्कार विजेता इतिहासकार विलियम डलरिम्पल ने इस पुस्तक को ‘एक श्रेष्ठ कृति‘ और ”स्वतंत्रता तथा भारत व पाकिस्तान विभाजन पर अडवाणी ने उत्तम पुस्तक” के रुप में वर्णित किया है।में भी इतिहास का छात्र रहा हूँ संभवत इसीलिए यह ब्लाग ख़ास रूचिकर लगा| मुझे इस पुस्तक की एक विशेषता यह लगी कि आज़ादी के बाद विभाजित देश को संयुक्त भारत राष्ट्र बनाने के लिए अभी तक सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू का ही जिक्र किया जाता रहा है| इतिहास रचने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अनेको देश भक्तों को अँधेरे में धकेला जा चुका है कांग्रेस पार्टी के ही गुलजारी लाल नंदा+सरदार पटेल+ लाल बहादुर शास्त्री + महात्मा गांधी के अपने परिवार आदि आदि को वोह सम्मान नहीं मिला जिसके वोह हक़दार थे| मगर इस इस ब्लॉग में पटेल कि मृत्यु के उपरान्त गुमनामी में धकेले गए वापल पनगुन्नी मेनन[ वी पी मेनन] के योगदान का भी अच्छा ख़ासा उल्लेख है| कहा जाता है कि इतिहास से सबक लेना चाहिए उससे छेड़ छाड़ नहीं की जानी चाहिए इसीलिए बिना छेड़ छाड़ के प्रस्तुत है एल के अडवानी के ब्लाग से

एल के अडवाणी के ब्लाग से:


जब भारत पर अंग्रेजी राज था तब देश एक राजनीतिक इकाई नहीं था। इसके दो मुख्य घटक थे: पहला, ब्रिटिश भारत; दूसरा, रियासतों वाला भारत। रियासतों वाले भारत में 564 रियासतें थी।
वी.पी. मेनन की पुस्तक: दि स्टोरी ऑफ इंटग्रेशन ऑफ दि इण्डियन स्टेट्स में प्रसिध्द पत्रकार एम.वी. कामथ ने लेखक के बारे में यह टिप्पणी की है:
”जबकि सभी रियासतों-जैसाकि उन्हें पुकारा जाता था-को भारत संघ में विलय कराने का श्रेय सरदार को जाता है, लेकिन वह भी ऐसा इसलिए कर पाए कि उन्हें एक ऐसे व्यक्ति का उदार समर्थन मिला जो राजाओं की मानसिकता और मनोविज्ञान से भलीभांति परिचित थे, और यह व्यक्ति कौन था? यह थे वापल पनगुन्नी मेनन-वी.पी. मेनन के नाम से उन्हें जल्दी ही पहचाना जाने लगा।”
”वीपी के प्रारम्भिक जीवन के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है। एक ऐसा व्यक्ति जो सभी व्यवहारिक रुप से पहले, अंतिम वायसराय लार्ड लुईस माउंटबेटन और बाद में,, भारत के लौह पुरुष महान सरदार वल्लभ भाई पटेल के खासमखास बने, ने स्वयं गुमनामी में जाने से पहले अपने बारे में बहुत कम जानकारी छोड़ी। यदि वह सत्ता के माध्यम से कुछ भी पाना चाहते तो जो मांगते मिल जाता।”
यह पुस्तक वी.पी. मेनन द्वारा भारतीय इतिहास के इस चरण पर लिखे गए दो विशाल खण्डों में से पहली (1955) है। दूसरी पुस्तक (1957) का शीर्षक है: दि ट्रांसफर ऑफ पॉवर इन इण्डियाA
जिस पुस्तक ने मुझे आज का ब्लॉग लिखने हेतु बाध्य किया, उसमें रियासती राज्यों के मुद्दे पर ‘ए फुल बास्केट ऑफ ऐप्पल्स‘ शीर्षक वाला अध्याय है। इस अध्याय की शुरुआत इस प्रकार है:
”18 जुलाई को राजा ने लंदन में इण्डिया इंटिपेंडेंस एक्ट पर हस्ताक्षर किए और माउंटबेटन दम्पति ने अपने विवाह की रजत जयंती दिल्ली में मनाई, पच्चीस वर्ष बाद उसी शहर में जहां दोनों की सगाई हुई थी।”
यह पुस्तक कहती है कि रियासती राज्यों के बारे में ब्रिटिश सरकार के इरादे ”अटली द्वारा जानबूझकर अस्पष्ट छोड़ दिए गए थे।” माउंटबेटन से यह अपेक्षा थी कि वह रियासतों की ब्रिटिश भारत से उनके भविष्य के रिश्ते रखने में सही दृष्टिकोण अपनाने हेतु सहायता करेंगे। नए वायसराय को भी यह बता दिया गया था कि ‘जिन राज्यों में राजनीतिक प्रक्रिया धीमी थी, के शासकों को वे अधिक लोकतांत्रिक सरकार के किसी भी रुप हेतु तैयार करें।”
माउन्टबेंटन ने इसका अर्थ यह लगाया कि वह प्रत्येक राजवाड़े पर दबाव बना सकें कि वह भारत या पाकिस्तान के साथ जाने हेतु अपनी जनता के बहुमत के अनुरुप निर्णय करें। उन्होंने पटेल को सहायता करना स्वीकार किया और 15 अगस्त से पहले ‘ए फुल बास्केट ऑफ ऐपल्स‘ देने का वायदा किया।
9 जुलाई को स्टेट्स के प्रतिनिधि अपनी प्रारम्भिक स्थिति के बारे में मिले। टुनसेलमान के मुताबिक अधिकांश राज्य भारत के साथ मिलना चाहते थे। ”लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्यों में से चार-हैदराबाद, कश्मीर, भोपाल और त्रावनकोर-स्वतंत्र राष्ट्र बनना चाहते थे। इनमें से प्रत्येक राज्य की अपनी अनोखी समस्याएं थीं। हैदराबाद का निजाम दुनिया में सर्वाधिक अमीर आदमी था: वह मुस्लिम था, और उसकी प्रजा अधिकांश हिन्दू। उसकी रियासत बड़ी थी और ऐसी अफवाहें थीं कि फ्रांस व अमेरिका दोनों ही उसको मान्यता देने को तैयार थे। कश्मीर के महाराजा हिन्दू थे और उनकी प्रजा अधिकांशतया मुस्लिम थी। उनकी रियासत हैदराबाद से भी बड़ी थी परन्तु व्यापार मार्गों और औद्योगिक संभावनाओं के अभाव के चलते काफी सीमित थी। भोपाल के नवाब एक योग्य और महत्वाकांक्षी रजवाड़े थे और जिन्ना के सलाहकारों में से एक थे: उनके दुर्भाग्य से उनकी रियासत हिन्दूबहुल थी और वह भारत के एकदम बीचोंबीच थी, पाकिस्तान के साथ संभावित सीमा से 500 मील से ज्यादा दूर। हाल ही में त्रावनकोर में यूरेनियम भण्डार पाए गए, जिससे स्थिति ने अत्यधिक अंतर्राष्ट्रीय दिलचस्पी बड़ा दी।”
इस समूचे प्रकरण में मुस्लिम लीग की रणनीति इस पर केंद्रित थी कि अधिक से अधिक रजवाड़े भारत में मिलने से इंकार कर दें। जिन्ना यह देखने के काफी इच्छुक थे कि नेहरु और पटेल को ”घुन लगा हुआ भारत मिले जो उनके घुन लगे पाकिस्तान” के साथ चल सके। लेकिन सरदार पटेल, लार्ड माउंटबेंटन और वी.पी. मेनन ने एक ताल में काम करते हुए ऐसे सभी षडयंत्रों को विफल किया।
इस महत्वपूर्ण अध्याय की अंतिम पंक्तियां इस जोड़ी की उपलब्धि के प्रति एक महान आदरांजलि है। ऑलेक्स फॉन टुनेसलेमान लिखती हैं:
”माउंटबेटन की तरकीबों या पटेल के तरीकों के बारे में चाहे जो कहा जाए, उनकी उपलब्धि उल्लेखनीय रहेगी। और एक वर्ष के भीतर ही, इन दोनों के बारे में तर्क दिया जा सकता है कि इन दोनों ने 90 वर्ष के ब्रिटिश राज, मुगलशासन के 180 वर्षों या अशोक अथवा मौर्या शासकों के 130 वर्षों की तुलना में एक विशाल भारत, ज्यादा संगठित भारत हासिल किया।”
जो जर्मन महिला ने जो अर्थपूर्ण ढंग से लिखा है उसकी पुष्टि वी.पी. मेनन द्वारा दि स्टोरी ऑफ इंटीगिरेशन ऑफ दि इण्डियन स्टेट्स‘ के 612 पृष्ठों में तथ्यों और आंकड़ों से इस प्रकार की है।
”564 भारतीय राज्य पांचवा हिस्सा या लगभग आधा देश बनाते हैं: कुछ बड़े स्टेट्स थे, कुछ केवल जागीरें। जब भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान एक पृथक देश बना तब भारत का 364, 737 वर्ग मील और 81.5 मिलियन जनसंख्या से हाथ धोना पड़ा लेकिन स्टेट्स का भारत में एकीकरण होने से भारत को लगभग 500,000 वर्ग मील और 86.5 मिलियन जनसंख्या जुड़ी जिससे, भारत की पर्याप्त क्षतिपूर्ति हुई।”
स्टेट्स के एकीकरण सम्बंधी अपनी पुस्तक की प्रस्तावना में वी.पी. मेनन लिखते हैं: यह पुस्तक स्वर्गीय सरदार वल्लभभाई पटेल को किए गए वायदे की आंशिक पूर्ति है। यह उनकी तीव्र इच्छा थी कि मैं दो पुस्तकें लिखूं, जिसमें से एक में उन घटनाओं का वर्णन हो जिनके चलते सत्ता का हस्तांतरण हुआ और दूसरी भारतीय स्टेट्स के एकीकरण से सम्बन्धित हो।

लिटिल एपेक्स+बचपन प्ले स्कूल+ ब्रिज भूषण स्कूल और सिटी वोकेशनल स्कूल में दीपावली

लिटिल एपेक्स+बचपन प्ले स्कूल+ ब्रिज भूषण स्कूल और सिटी वोकेशनल स्कूल में दीपावली

स्कूलों में त्योहारों का सीजन मनाया जा रहा है| कहीं दीया और थाली सज्जा तो कहीं प्रदर्शिनी लगाई जा रही है|आज मेरठ के लिटिल एपेक्स+बचपन प्ले स्कूल+ ब्रिज भूषण स्कूल और सिटी वोकेशनल स्कूल में भी विभिन्न आयोजन हुए प्रस्तुतु है इन स्कूलों में मनाई जा रही दिवाली की कुछ फोटोस

अखिलेश सिंह यादव ने दीपावली की गिफ्ट्स के रूप में अनेकों घोषणाएं करके मेरठ वासियों को लुभाने का प्रयास किया|

उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्य मंत्री बने अखिलेश सिंह यादव ने आज दीपावली की गिफ्ट्स के रूप में अनेकों घोषणाएं करके मेरठ वासियों को लुभाने का प्रयास किया|
शताब्दी नगर में आयोजित विशाल समारोह में सी एम् ने कन्या विद्याधन+बेरोजगारी भत्ते के चेक बांटें मंत्री शहीद मंज़ूर के किठौर को आई टी आई और खरखौदा के लिए राजकीय कन्या डिग्री कालेज की भी एनाउंसमेंट कर गए | अरसे से लंबित चल रही ही कोर्ट की बेंच और एयर पोर्ट+बिजली की मांग लंबित ही रही |

अखिलेश सिंह यादव ने दीपावली की गिफ्ट्स के रूप में अनेकों घोषणाएं करके मेरठवासियों को लुभाने का प्रयास किया|

मांगें जो लंबित ही रह गई

गौरतलब है की हाई कोर्ट की बेंच के लिए वकीलों का आन्दोलन जारी है और एयर पोर्ट के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा प्रदेश से भूमि की मांग की जा रही है| बिजली की दरों में बढोत्तरी को लेकर आई आई ऐ भी आन्दोलन की चेतावनी दे चुकी है|इस सब के बावजूद भी सौगातों की लिस्ट लम्बी है|
सौगातें
महिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर + जरुरत के हिसाब से नए पोलिस थाणे[चार थानों की मांग लंबित है]की घोषणा की गई|
आश्वासन
इस अवसर पर सी एम् ने आई टी पार्क+स्पोर्ट्स कालेज+एन सी आर की सुविधाएं+सड़कें की जरूरतों को भी स्वीकार किया और आवश्यक प्लान बानाने के निर्देश दिए|
अपने भाषण में मुख्य मंत्री ने किसानों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और सारी समस्यायों के लिए पहले की सरकार के सर ठिकरा फोड़ा| उन्होंने बेरोजगारों को शीग्र रोज़गार उपलब्ध कराने के आश्वासन भी दिए |

किड्स किंगडम में दीपावली सेलिब्रेट की गई |

बुढ़ाना गेट [स्वामी पाड़ा]स्थित किड्स किंगडम प्ले स्कूल में आज शुक्रवार को दीपावली सेलिब्रेट की गई |इस दौरान बच्चो ने रंग बिरंगे दीये बनाकर प्रदर्शित किये|इसके साथ हैप्पी एंड सैफ दीवाली की शुभ कामनाएं भी बांटी गई|स्कूल के निदेशक उत्सव कर्णवाल ने दिवाली का महत्त्व बताया और पटाखों से दूर रहने की सलाह भी दी

किड्स किंगडम प्ले स्कूल में दीपावली

|राधिकाटंडन +गरिमा शर्मा+सारिका+उज्मा+आदि ने सराहनीय योग दान दिया|

लिटिल फ्लावर के बच्चों ने सजाये दिए और थालियाँ

लिटिल फ्लावर की लोहिया नगर शाखा में आज दीया सज्जा थाली +सजावट+मोमबत्ती सजावट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया |इस अवसर पर हर्ष चौहान+अंजिला+वंशिका+वृतिका+सचिन+मो. ओवेश+कार्तिकेय+आदि की प्रस्तुती सराहनीय रही| इन वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाईं गई|

लिटिल फ्लावर के बच्चों ने सजाये दिए और थालियाँ

श्रीमति पूजा खरबंदा निदेशक अमित खरबंदा और शिक्षिकाओं ने आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया|

महात्मा गांधी के आदर्शों की धज्जियां उड़ाने के बाद अब उन्हें राष्ट्रपिता मानने से भी इंकार

महात्मा मोहन दास करम चंद गाँधी के आदर्शों की धज्जियां तो आज कल उडाई ही जा रही थी कि अब गांधी को राष्ट्रपिता मानने से ही इंकार किया जा रहा है| संभवत यह देश का बाजारी करण+ व्यापारी करण +विदेशी करण करने के लिए है| संविधान में आये दिन संशोधन करके महात्मा मोहन दास करम चंद गांधी के नाम को राजनीतिक रूप से भुनाने में माहिर सरकारें महात्मा के आदर्शों की धज्जियां भी लगातार उडाती आ रही है |कुटीर उद्योग+स्वदेशी+ स्वाव्लम्भी जैसे गांधियन मार्गों को त्याग कर अब विदेशी विदेशी की रट लगी है|अब नौबत यहाँ तक पहुँच गई है कि मौजूदा मरकजी सरकार महात्मा को दी गई राष्ट्रपिता की उपाधि भी छीन लेना चाहती है| गृह मंत्रालय ने आरटीआई में पूछे एक सवाल के जवाब में बताया है कि सरकार महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि नहीं दे सकती क्योंकि संविधान एजुकेशनल और मिलिट्री टाइटल के अलावा कोई और उपाधि देने की इजाजत नहीं देता। यह सवाल लखनऊ की 11वीं की एक स्टूडेंट ऐश्वर्या पाराशर ने पूछा था। इसके अलावा सरकार संविधान में संशोशन को तैयार नहीं दिखती|
ऐश्वर्या ने कई आरटीआई दाखिल कर गांधी को राष्ट्रपिता कहे जाने की वजह भी जाननी चाही थी जब उसे बताया गया कि गांधीजी को ऐसी कोई उपाधि नहीं दी गई है, तो उसने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने की रिक्वेस्ट की थी।
ऐश्वर्या की अर्जी इस निर्देश के साथ गृह मंत्रालय को भेजी गई थी कि उनकी रिक्वेस्ट पर क्या कार्रवाई की गई, इसका खुलासा किया जाए मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया कि संविधान की धारा 8(1) एजुकेशनल और मिलिट्री टाइटल के अलावा कोई और उपाधि देने की इजाजत सरकार को नहीं देती। महात्मा गांधी को सरकार की तरफ से राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दी जा सकती क्योंकि संविधान सेना व शिक्षा से जुड़ी उपाधि के अलावा कोई भी खिताब देने की इजाजत नहीं देता।

महात्मा गांधी के आदर्शों की धज्जियां उड़ाने के बाद अब उन्हें राष्ट्रपिता मानने से भी इंकार


इतिहास के पन्नो में दर्ज़ है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने छह जुलाई, 1944 को सिंगापुर रेडियो पर अपने संबोधन में दी थी। इसके बाद सरोजिनी नायडू ने एक सम्मेलन में उन्हें यही उपाधि दी। जवाहर लाल नेहरू आदि तो उन्हें बापू कहते नहीं थकते थे| आज पूरा राष्ट्र उन्हें बापू और राष्ट्रपिता कहता है लेकिन सरकार ने जिस तरह से विदेशी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं उससे पता चलता है कि सरकार ने महात्मा गांधी के मार्ग को छोड़ दिया है अब अपने बात सही साबित करने के लिए गांधी से राष्ट्रपिता की उपाधि भी छीनी जा रही है|संविधान में संशोधन करने में एक्सपर्ट संसद को चाहिए कि एक और संशोधन करके राष्ट्रपिता को पहले से ही मिले हुए उनके सम्मान को बनाए रखा जाए वरना गांधीवादी मुखौटा उतार कर सबसे पहले [१] २ अक्टूबर के सार्वजानिक अवकाश को तो निरस्त कर दिया जाए [२]बापू की समाधि के लिए बने प्रोटोकोल में भी संशोधन कर दिए जाने जरुरी हैं|

एन सी सी शिविर में १० फिट का रावण फूँका

एन सी सी शिविर में १० फिट का रावण फूँका

हस्तिनापुर में चल रहे एन सी सी कैम्प का छठा दिन आज बुधवार को अनोखे रूप में मना | केडेट्स ने उत्साह पूर्वक दशहरा उत्सव मनाया | कैडेट्स ने 10 फुट का रावन का बनाया उसमे पटाखे लगाये गये और फिर बुराई के प्रतीक बने रावन को तेज धमाको के साथ जला दिया गया |पूरा कैम्पस एक शानदार जश्न मनाया गया | इससे पूर्व आज सुबह कैडेट्स की दौड़ प्रतियोगिता भी हुई
कैप्टेन प्रेम कुमार ने पर्यावरण पर व्याख्यान दिया !
प्रस्तुती दीपक शर्मा

गणेश जी की कृपा से नारियल की पूजा की जा रही है|

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नारियल में गणेश जी की आकृति

देश में आस्था के लिए किसी व्यवस्था की जरुरत नहीं है यहाँ चमत्कार को भी नमस्कार है |ऐसा ही गणेश जी की मूर्तियाँ दूध पीने लग जाते हैं तो मंदिरों में आस्थावानों के सैलाब आ जाते हैं| ऐसा ही एक चमत्कार मेरठ में भी देखने को मिल रहा है जिसे नमस्कार करने वाले आस्थावानों की भीड़ आ रही है| जैसा की फोटो में दिखाया गया है एक नारियल में गणेश जी की आकृति बनी हुई है \यह कोतुहल और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है |आज कल त्योहारों का मौसम है और नारियल पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है मगर गणेश जी की कृपा से ब्रह्म पूरी में इस विशेष नारियल की पूजा की जा रही है

टीम स्प्रिट में राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करें

टीम स्प्रिट में राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करें

एन सी सी के दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में आज शिविर के उद्घाटन कर्ता कर्नल एस एम् पुंडीर ने टीम स्प्रिट में राष्ट्र की उन्नति में योगदान देने की प्रेरणा केडेट्स को दी |हस्तिनापुर के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में आयोजित इस शिविर में डी एन कालेज+संत चार्ल्स+एस एस डी+के वी आदि शिक्षण संस्थाओं ने भाग लिया|दीपक शर्मा के आलावा सूबेदार मेजर उम्मीद सिंह+कैप्टेन प्रेम+लेफ्टिनेंट सत्येन्द्र सिंह+आदि भी उपस्थित थे|