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एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में वर्तमान न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे लोक तंत्र के लिए इमरजेंसी कल से भी ज्यादा घातक बताया है उन्होंने इस कॉलिजियम पध्दति की पुनरीक्षा की जरूरत पर बल दिया है|इस ब्लाग में श्री अडवाणी ने टेलपीस नही दिया है
प्रस्तुत है एल के अडवाणी के ब्लाग से एक वरिष्ठ पत्रकार की चिंता
भारत को स्वतंत्र हुए 65 से ज्यादा वर्ष हो गए हैं। यदि कोई मुझसे पूछे कि साढ़े छ: दशकों की इस अवधि में देश की सर्वाधिक बड़ी उपलब्धि क्या रही है, तो निस्संकोच मेरा जवाब होगा : लोकतंत्र।

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

हम गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण पर विजय नहीं पा सके हैं। लेकिन पश्चिमी विद्वानों के प्रचंड निराशावाद के विपरीत 1947 के बाद से औपनिवेशिक दासता से मुक्त होने वाले देशों में विशेष रूप से भारत जीवंत और बहुदलीय लोकतंत्र बना हुआ है।
यह भी सत्य है कि 1975-77 के आपातकाल की अवधि के दो वर्ष का कालखण्ड एक काले धब्बे की तरह है, जब कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की अन्य जरूरी विशेषताओं पर ग्रहण लग गया था।
मेरा मानना है कि 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय जिसने न केवल प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी के चुनाव को अवैध करार दिया था अपितु उनके 6 वर्षों तक कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी, की आड़ में सत्ता में बैठे लोगों ने हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त लोकतंत्र को ही समाप्त करने का गंभीर प्रयास किया।
पं. नेहरू द्वारा शुरू किये गये नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र नेशनल हेराल्ड ने तंजानिया जैसे अफ्रीकी देशों में लागू एकदलीय प्रणाली की प्रशंसा करते हुए एक सम्पादकीय लिखा:
जरूरी नहीं कि वेस्टमिनिस्टर मॉडल सबसे उत्तम मॉडल हो और कई अफ्रीकी देशों ने इस बात का प्रदर्शन कर दिया है कि लोकतंत्र का बाहरी स्वरूप कुछ भी हो, जनता की आवाज का महत्व बना रहेगा। एक मजबूत केन्द्र की आवश्यकता पर जोर देकर प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की शक्ति की ओर संकेत किया है। एक कमजोर केंद्र होने से देश की एकता, अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा को खतरा पहुंच सकता है। उन्होंने एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है : यदि देश की स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती तो लोकतंत्र कैसे कायम रह सकता है?
दो सदियों के ब्रिटिश राज में भी अभिव्यक्ति के अधिकार को इतनी निर्ममता से नहीं कुचला गया जितना कि 1975-77 के आपातकाल के दौरान। 1,10,806 लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, जिनमें 253 पत्रकार थे।
इस सबके बावजूद यदि लोकतंत्र जीवित है तो इसका श्रेय मुख्य रूप से मैं दो कारणों को दूंगा: पहला, न्यायपालिका; और दूसरा मतदाताओं को जिन्होंने 1977 में कांग्रेस पार्टी को इतनी कठोरता से दण्डित किया कि कोई भी सरकार आपातकाल के प्रावधान का दुरूपयोग करने की हिम्मत नहीं कर पाएगी जैसा कि 1975 में किया गया।
सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं, सांसदों इत्यादि को आपातकाल में मीसा-आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने वाले कानून-के तहत बंदी बना लिया गया था। इनमें जयप्रकाश नारायण के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, चन्द्रशेखरजी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता भी थे। कुल मिलाकर मीसाबंदियों की संख्या 34,988 थी। कानून के तहत मीसाबंदियों को कोई राहत नहीं मिल सकती थी।
सभी मीसाबंदियों ने अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की हुई थी। सभी स्थानों पर सरकार ने एक सी आपत्ति उठाई: आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निलम्बित हैं और इसलिए किसी बंदी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। लगभग सभी उच्च न्यायालयों ने सरकारी आपत्ति को रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिए। सरकार ने इसके विरोध में न केवल सर्वोच्च न्यायालय में अपील की अपितु उसने इन याचिकाओं की अनुमति देने वाले न्यायाधीशों को दण्डित भी किया। अपने बंदीकाल के दौरान मैं जो डायरी लिखता था उसमें मैंने 19 न्यायाधीशों के नाम दर्ज किए हैं जिनको एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में इसलिए स्थानांतरित किया गया कि उन्होंने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया था!
16 दिसम्बर, 1975 की मेरी डायरी के अनुसार:
सर्वोच्च न्यायालय मीसाबन्दियों के पक्ष में दिये गये उच्च न्यायालय के फैसलों के विरूध्द भारत सरकार की अपील सुनवाई कर रहा है। इसमें हमारा केस (चार सांसद जो एक संसदीय समिति की बैठक हेतु बंगलौर गए थे लेकिन उन्हें वहां बंदी बना लिया गया) भी है। न्यायमूर्ति खन्ना ने निरेन डे से पूछा कि : संविधान की धारा 21 में केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं बल्कि जिंदा रहने के अधिकार का भी उल्लेख है। क्या महान्यायवादी का यह भी अभिमत है कि चूंकि इस धारा को निलंबित कर दिया गया है और यह न्यायसंगत नहीं है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति मार डाला जाता है तो भी इसका कोई संवैधानिक इलाज नहीं है? निरेन डे ने उत्तर दिया कि : ”मेरा विवेक झकझोरता है, पर कानूनी स्थिति यही है।”
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के अधिकांश न्यायाधीशों ने बाद में स्वीकारा कि उक्त कुख्यात केस में फैसला गलत था। इनमें से कई ने सार्वजनिक रूप् से अपने विचारों को प्रकट किया।
सन् 2011 में, सर्वोच्च न्यायालय ने औपचारिक रुप से घोषित किया कि सन् 1976 में इस अदालत की संवैधानिक पीठ द्वारा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस में दिया गया निर्णय ”त्रुटिपूर्ण‘ था, चूंकि बहुमत निर्णय ”इस देश में बहुसंख्यक लोगों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है,” और यह कि न्यायमूर्ति खन्ना का असहमति वाला निर्णय देश का कानून बन गया है।
इन दिनों देश में सर्वाधिक चर्चा का विषय भ्रष्टाचार है। एक समय था जब भ्रष्टाचार की बात कार्यपालिका-राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के संदर्भ में की जाती थी। कोई भी न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात नहीं करता था, विशेषकर उच्च न्यायपालिका के बारे में तो नही ही।
परन्तु हाल ही के वर्षों में इसमें बदलाव आया है। सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व न्यायाधीश रूमा पाल ने नवम्बर, 2011 में तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में बोलते हुए ”न्यायाधीशों के सात घातक पापों” को गिनाया। इनमें भ्रष्टाचार भी एक था।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि यह मानना कि आजकल न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, भी ”न्यायपालिका की स्वतंत्रता की विश्वसनीयता के लिए उतना ही हानिकारक है जितना कि भ्रष्टाचार।”
मैं अक्सर इस पर आश्चर्य व्यक्त करता हूं कि यदि जून 1975 जैसी स्थिति आज देखने को मिले तो न्यायपालिका की प्रतिक्रिया कैसी होगी। क्या उच्च न्यायालयों के कम से कम 19 न्यायाधीश मीसाबंदियों के पक्ष में निर्णय कर कार्यपालिका की नाराजगी मोल लेने का साहस जुटा पाएंगे? सचमुच में मुझे संदेह है।
कालान्तर में, चयनित न्यायाधीशों के स्तर के सम्बन्ध में काफी बदलाव आया है जब रूमा पाल ने न्यायाधीशों के सात पापों के बारे में बोला तो, स्वयं एक सम्मानित न्यायविद् होने के नाते उन्होंने अपने भाषण में जानबूझकर यह चेतावनी जोड़ी कि वह ”सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित” होकर बोल रही हैं।
वर्तमान में, न्यायिक नियुक्तियों और न्यायाधीशों के तबादले – भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की एक समिति जिसे ‘कॉलिजियम‘ कहा जाता है, द्वारा किए जाते हैं। इस कॉलिजियम प्रणाली की जड़ें तीन न्यायिक फैसलों (1993, 1994 और 1998) में निहित हैं। इनमें से पहला और दूसरा निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा ने दिया। फ्रंटलाइन पत्रिका (10 अक्तूबर, 2008) को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा ”सन् 1993 का मेरा निर्णय जिसका हवाला दिया जाता है को बहुत ज्यादा गलत समझा गया, दुरूपयोग किया गया। यह उस संदर्भ में कहा गया कि कुछ समय से निर्णयों की कार्यपध्दति के बारे में जो गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं उन्हें गलत नहीं कहा जा सकता। इसलिए पुनर्विचार जैसा कुछ होना चाहिए।”
सन् 2008 में, विधि आयोग ने अपनी 214वीं रिपोर्ट में विभिन्न देशों की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए कहा: ”अन्य सभी संविधानों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में या तो कार्यपालिका एकमात्र प्राधिकरण्ा है या कार्यपालिका मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से न्यायधीशों की नियुक्ति करती है। भारतीय संविधान दूसरी प्रणाली का अवलम्बन करता है। हालांकि, दूसरा निर्णय कार्यपालिका को पूर्णतया विलोपित अथवा बाहर करता है।”
‘फ्रंटलाइन‘ में प्रकाशित न्यायमूर्ति वर्मा के साक्षात्कार को उदृत करते हुए विधि आयोग लिखता है: ”भारतीय संविधान अनुच्छेद 124 (2) और 217(1) के तहत नियंत्रण और संतुलन की सुंदर पध्दति का प्रावधान करता है कि सर्वोच्च न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका और न्यायपालिका की संतुलित भूमिका का उल्लेख है। यही समय है कि अधिकारों के संतुलन का वास्तविक स्वरुप पुर्नस्थापित किया जाए।”
हम, विश्व का सर्वाधिक बड़ा लोकतंत्र हैं जिसमें स्वाभाविक रुप से आशा की जाती है कि कम से कम उच्च न्यायिक पदों से जुड़ी नियुक्तियां पारदर्शी, निष्पक्ष और योग्यता आधारित पध्दति से हों। तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में न्यायमूर्ति रुमा पाल ने टिप्पणी की कि ”सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया देश में सर्वाधिक रुप में गुप्त रखे जाने वाला विषय है।”
उन्होंने कहा कि ”इस प्रक्रिया की ‘रहस्यात्मकता‘ जिस छोटे से समूह से यह चयन किया जाता है और बरती जाने वाली ‘गुप्तता और गोपनीयता‘ सुनिश्चित करती है कि ‘अवसरों पर प्रक्रिया में गलत नियुक्तियां हो जाती हैं और इससे ज्यादा अपने आप को भाईभतीजावाद में फंसा देती हैं।”
वे कहती हैं कि एक अविवेकपूर्ण टिप्पणी या अनायास अफवाह ही पद के लिए किसी व्यक्ति की दृष्टव्य सुयोग्यता को बाहर कर सकती है। उनके अनुसार मित्रता और एहसान कभी-कभी अनुशंसाओं को सार्थक बना देते हैं।

संजय दत्त ने हीरो की तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जेल की सजा को सहर्ष काटने का एलान किया :माफी नहीं मांगेंगे

अवैध हथियार रखने के दोष में सजा पाए फिल्म स्टार संजय दत्त ने आज हीरो की तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई [और] साडे तीन साल की जेल की सजा को सहर्ष काटने का एलान कर दिया | 1993 मुंबई ब्लास्ट के संबंध में अविध हथियार रखने के दोष में सुप्रीम कोर्ट से 5 साल की जेल की सजा पाने के बाद बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त आज पहली बार मीडिया के सामने आए| अपना स्टेटमेंट देते समय संजय दत्त इतने भावुक हो गए कि वो रो पड़े और उनके साथ उनकी बहन सांसद प्रिय दत्त ने उन्हें कंधे का सहारा दिया|

संजय दत्त ने हीरो की तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जेल की सजा को सहर्ष काटने का एलान किया :माफी नहीं मांगेंगे

संजय दत्त ने हीरो की तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जेल की सजा को सहर्ष काटने का एलान किया :माफी नहीं मांगेंगे


मीडिया को एड्रेस करते हुए संजय दत्त ने कहा है कि वोह [संजय] टूट चुके हैं उनका परिवार टूट चूका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और जेल जाने के लिए निश्चित अवधि में ही सरेंडर करेंगे |सजा से माफी के लिए कोई अपील नहीं करेंगे| कोर्ट का सम्मान करते हैं और अपने देश से प्यार करते हैं| इसके साथ उन्होंने यह भी साफ किया कि वह दिए हुए वक्त के अंदर सरेंडर करेंगे|
संजय दत्त ने अंग्रेज़ी में मीडिया से कहा कि यह मेरे [संजय]लिए काफी मुश्किल वक्‍त है. मैंने माफी की अपील नहीं की है और ना ही करूंगा.
उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मेरा साथ दिया. मैं अपने देश और यहां के लोगों से बेहद प्यार करता हूं. इसके बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि मुझे जेल जाने से पहले अपना काम खत्म करना है इसलिए मैं शांति चाहता हूं.|उन्‍होंने रूंधे गले से कहा, ‘मैं मीडिया से कहना चाहूंगा कि मेरे जेल जाने में कुछ ही दिन बाकी बचे हैं. मुझे बहुत से काम करने हैं जो आधे पड़े हैं. मुझे अपनी फिल्‍में पूरी करनी हैं. मुझे परिवार के साथ भी वक्‍त गुजारना है. तो मैं हाथ जोड़कर गुजारिश करना चाहूंगा कि मुझे थोड़ा वक्‍त शांति से गुजारने दें.| इसी के साथ संजय दत्त ने मीडिया से भी अपील की कि उनकी सजा को माफ किए जाने पर बहस नहीं की जाए.
इसके पश्चात संजय दत्त कमालिस्तान[कमल अमरोही स्टूडियो] फिल्म स्टूडियो में पुलिसिया फिल्म की शेष शूटिंग करने चले गए|स्टूडियो में भी भावुक नज़ारा था वहां कम करने वाले कर्मियों ने अपनी बाजु पर सफ़ेद पट्टी बाँध कर अपने नायक को समर्थन दिया|इसी बीच रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू का ब्यान भी आया है उन्होंने कहा है कि संजय दत्त को माफी के लिए अपील करने की कोई जरुरत नहीं है संजय की शेष सजा माफी के लायक है और उसके लिए जरुर प्रयास किये जायेंगे|
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1993 के मुंबई ब्‍लास्‍ट मामले में संजय दत्त को हथियार रखने का दोषी पाया है.| उन्‍हें आर्म्‍स एक्‍ट के तहत पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई है|12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी|
संजय पहले ही 18 महीने जेल में रह चुके हैं और १८ साल तक उनके माथे पर आतंकवादी का काला टीका लगा कर सजा दी जा चुकी है|इसके बावजूद भी उन्‍हें अब करीब साढ़ तीन साल और सजा काटनी होगी|इस अवधि में अच्छे आचरण के लिए उनकी साल भर की सजा जेल प्रशासन द्वारा कम करने की सिफारिश की जा सकती है|ऐसे में उन्हें केवल ढाई साल और जेल में गुजारने होंगे | अब ढाई साल की सजा के लिए माफ़ी की दी जानी है| उन्‍हें चार हफ्तों के अंदर खुद को सरेंडर करना है|कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी माफ़ी के लिए आवाज उठा चुके हैं|
राज्यसभा सांसद अमर सिंह और जया प्रदा ने भी २६ मार्च मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकर नारायणन से मुलाकात की थी.
बीजेपी + शिवसेना +अन्ना हजारे ने इसका विरोध किया है|.उल्लेक्नीय है के [१]संजय दत्त की फिल्मो पर इंडस्ट्री का लगभग २५० करोड़ रूपया लगा हुआ है|
[२] संजयदत्त ने १८ साल तक उस अपमान को पीया है जिसके वोह दोषी नही थे [३] जो अपराध उन्होंने किया नहीं था उसके लिए डेड साल की सजा काट चुके हैं[४]अब वोह सुधर चुके हैं और सजा भी मात्र ढाई साल की बचती है ऐसे में माफी की मांग उठना स्वाभाविक ही है|

होली के उपदेश के अनुरूप आपसी प्रेम और भाई चारे के सन्देश को फैलाएं :डा. लक्ष्मी कान्त वाजपई

होली के उपदेश के अनुरूप आपसी प्रेम और भाई चारे के सन्देश को फैलाएं :डा. लक्ष्मी कान्त वाजपई

होली के उपदेश के अनुरूप आपसी प्रेम और भाई चारे के सन्देश को फैलाएं :डा. लक्ष्मी कान्त वाजपई

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा.लक्ष्मी कान्त वाजपई ने अपनी विधायकी छेत्र[न्यू मोहन पूरी] में अपने समर्थकों के संग होली खेली| पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुलाला लगा कर अपने नेता के प्रति विश्वास दोहराया|इस अवसर पर डा. वाजपई ने होली के त्यौहार की भावना के अनुरूप आपसी प्रेम और भाई चारे को बनाये रखने की अपील भी की | मीडिया प्रभारी आलोक शिशोदिया +अश्विनी त्यागी+मनोज+विवेक आदि उपस्थित थे|

चौ. अजित सिंह की चौधराहट पर चहुँ और से हमला :पोलिटिकल बारगैनिंग पावर प्रभावित हो सकती है

हवाई जहाज़ों के मंत्रालय का सुख भोग रहे चौधरी अजित सिंह को अपने गढ़ वेस्टर्न यूं पी में पूरी तरह से घेरने की तैय्यारी शुरू हो गई है| चौधरी चरण सिंह के वारिस अजित सिंह के पारंपरिक राजनीतिक हितों पर एटैक किये जाने लग गए हैं जाहिर है इनकी चौधराहट और सत्ता के लिए बारगैनिंग [मोल भाव] पावर भी प्रभावित हो सकती है|मेरठ में एयर पोर्ट+गन्ना के बकाये का भुगतान + बकाये पर ब्याज+हाई कोर्ट की बेंच +जाट आरक्षणजैसे मुद्दे इनके हाथ से निकलते जा रहे हैं|यहाँ तक के पांच सांसदों के बल पर सिविल एविएशन मंत्रालय में बैठने वाले चौधरी अजित सिंह के सांसद देवेन्द्र नागपाल और सांसद श्रीमती सारिका की बगावत उजागर हो चुकी है |[५-२=३]
सिविल एविएशन मंत्री बनने के बाद से ही संसद में इनके पुराने मित्रों ने भी कहा था के चौ. अजित सिंह ने गलत मंत्रालय चुन लिया है गलती के अब परिणाम भी आने लग गए हैं|अभी तक ऍफ़ डी आई की नीति के उत्साह जनक परिणाम नहीं है|एयर लाइन्स की दुर्घटनाएं और स्टाफ की नाराज़गी कंट्रोल नही हुई है|इसके अलावा प्रदेश में भी स्थिति कोई उत्साह वर्धक नहीं है|प्रदेश में इनके ९ विधायक हैं जिनकी उपस्थिति से पार्टी को कोई लाभ होता नहीं दिख रहाशायद इसी लिए प्रदेश सरकार में रालोद का कोई प्रभावी दखल दिखाई नहीं दे रहा |

चौ. अजित सिंह की चौधराहट पर चहुँ और से हमला :पोलिटिकल बारगैनिंग पावर प्रभावित हो सकती है

चौ. अजित सिंह की चौधराहट पर चहुँ और से हमला :पोलिटिकल बारगैनिंग पावर प्रभावित हो सकती है


[१]इस केन्द्रीय मंत्रालय के जरिये केन्द्रीय मंत्री ने . उत्तर प्रदेश में [११]एयर पोर्ट्स और वर्कशाप्स के माध्यम से पैर ज़माने का प्रयास किया|प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी बेशक केंद्र में सरकार को बाहर से सहयोग दे रही है मगर प्रदेश में कांग्रेस के साथ ही अजित सिंह के दल रालोद को भी बाहर ही रखने को हर संभव प्रयास कर रही है|इसी कड़ी में प्रदेश में प्रस्तावित नए एयर पोर्ट्स के लिए फ्री में जमीन देने में आये दिन आनाकानी की जा रही है|
[२]हाई कोर्ट की बेंच मेरठ में लाने के लिए किये जा रहे सारे प्रयासों पर प्रदेश सरकार ने पानी फेर दिया|
चौ. अजित सिंह की चौधराहट पर चहुँ और से हमला :पोलिटिकल बारगैनिंग पावर प्रभावित हो सकती है

चौ. अजित सिंह की चौधराहट पर चहुँ और से हमला :पोलिटिकल बारगैनिंग पावर प्रभावित हो सकती है


[३]गन्ना किसानो की लड़ाई के लिए सरदार वीरेंदर मोहन[वी एम्] सिंह पीली भीत से मेरठ आ गए हैं और कमिश्नरी पार्क में किसान धरने के नित नए रिकार्ड बना रहे हैं | गौरतलब है के गन्ना छेत्र जिसे शुगर बाऊल भी कहा जाता है यह चौ. अजित सिंह की राजनीति की रीड मानीजाती है| इसी रीड को बचाने के लिए रालोद छोटे मोटे ज्ञापन जारी करता रहता है |प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से चर्चा में आता रहता है लेकिन सरदार वी एम् सिंह के धरने के साथ बेशक रालोद ने दूरी बना रखी है लेकिन इस धरने से अब खाप भी जुड़ने लग गई हैं|लम्बे खींचे जा रहे इस धरने का शायद उद्देश्य भी यही लग रहा है|
[४]जाट आरक्षण के लिए दिल्ली में किसान और जाट चौ. अजित सिंह के बगैर इकट्ठे हो रहे हैं |यहाँ तक [शायद पहली बार] चौ. अजित सिंह के पुतले सवयम जाटों द्वारा जलाये गए हैं| नाराज जाटों को पुचकारने केलिए चौ. अजित सिंह के युवा और उत्साही पुत्र और मथुरा से रालोद के सांसद जयंत चौधरी आगे आ गए हैं और उन्होंने मोदी नगर में जाट आरक्षण के लिए पार्टी का समर्थन देने का आश्वासन दे दिया है|
[५] लास्ट बट नोट दी लीस्ट रालोद के पांच सांसदों की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है|इसमें शायद न्रेतत्व की कमी भी कही जा सकती है|रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान का कहना है के पार्टी न्रेतत्व ने अमरोहा से सांसद देवेन्द्र नागपाल का टिकट काट दिया है इसीलिए अब नागपाल अपने लिए दूसरी पार्टी तलाश रहे हैं| इसके अलावा हाथरस से एस सी कोटे से श्रीमती सारिका का भी दूसरी पार्टी से राजनीतिक प्रेम उजागर हो चुका है|अब स्वयम चौ, अजित सिंह उनके पुत्र जयंत सिंह [मथुरा]के अलावा ले देकर बिजनौर से संजय सिंह चौहान[पूर्व उपमुख्य मंत्री के पुत्र] ही बचते हैं| यहाँ यह कहना अनुचित नहीं होगा की केंद्र में सत्ता रुड यूं पी ऐ एक एक सांसद के समर्थन के लिए जोर लगाया जा रहा है इस संकट की घड़ी में उसके एक घटक के दो सांसद एक झटके में अलग होने से सत्ता में बारगेनिंग की पावर तो प्रभावित हो सकती है

नवनीत कौर ढिल्लन पत्रकार बनने से पहले स्वयम खबर बनी :फेमिना मिस इंडिया 2013

नवनीत कौर ढिल्लन पत्रकार बनने से पहले स्वयम खबर बनी :फेमिना मिस इंडिया 2013

नवनीत कौर ढिल्लन पत्रकार बनने से पहले स्वयम खबर बनी :फेमिना मिस इंडिया 2013

चंडीगढ़ की रहने वाली पत्रकारिता की छात्रा नवनीत कौर ढिल्लन पत्रकार बनने से पहले स्वयम खबर बन गई है| ‘फेमिना मिस इंडिया 2013’ प्रतियोगिता में . मिस इंडिया प्रतियोगिता के 50वें संस्करण में मिस नवनीत को सर्वश्रेष्‍ठ चुना गया. है|
शोभिता धुलिपला को दूसरा और जोया अफरोज को तीसरा स्थान दिया गया है|
2012 में मिस इंडिया रह चुकीं वान्या शर्मा ने मिस नवनीत को ताज पहनाया|
नवनीत कौर मिस यूनिवर्स कंपीटिशन में भारत का नेतृत्व करेंगी।
देशभर से चुनी 23 सुंदरियों में हुए इस मुकाबिले में जूरी का रोल श्यामक डावर+ करन जौहर+जॉन अब्राहम+ रितु बेरी+चित्रांगदा सिंह +आसिन ने निभाया |

अरविन्द केजरीवाल का असहयोग और उपवास २सरे दिन भी जारी:पहले दिन ३६७४३ समर्थक आये

अरविन्द केजरीवाल का असहयोग और उपवास २सरे दिन भी जारी:पहले दिन ३६७४३ समर्थक आये

अरविन्द केजरीवाल का असहयोग और उपवास २सरे दिन भी जारी:पहले दिन ३६७४३ समर्थक आये

आम आदमी पार्टी (आप) के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल आज रविवार को दूसरे दिन भी लगातार उपवास पर रहे|
रामलीला मैदान व जंतर-मंतर की खुली जगह के स्थान पर उन्होंने इस आंदोलन के लिए यमुनापार की सुंदर नगरी की तंग गली को चुना है| आप की वेबसाइट पर पहले दिन के समर्थकों का आंकडा ३६७४३ दिखाया गया है|अरविंदकेजरीवाल के अनुसार उपवास तभी टूटेगा, जब दिल्ली वासियों के मन में बैठा सत्ता का डर निकल जाएगा।दिल्ली वासी भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक जुट हो जायेंगे| उन्होंने दिल्‍लीवासियों से अपील की है कि वे बिजली-पानी का बिल न भरें। दिल्ली में बिजली-पानी के नाजायज़ रूप से बढ़े बिलों के खिलाफ, जनता को एकजुट करने के लिए यह असहयोग आन्दोलन और उपवास का कार्यक्रम चलाया गया है|
आप के नेताओं का कहना है कि बिजली और पानी के नाजायज़ बिलों से दिल्ली के आम आदमी की ज़िन्दगी हलकान है. यह बिल बढ़ने का एक ही कारण है – भ्रष्टाचार. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जी बिजली-पानी कंपनियों से मिली हुई हैं. वे जनता के हितों को बेचकर, बार बार बिजली पानी के दाम बढ़ा रही हैं. दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा चुप है या फिर विरोध का नाटक करती है.
सर्व विदित है कि २०१० में डीईआरसी के तत्कालीन चेयरमैन बरजिंदर सिंह ने बिजली के दाम कम करने का आदेश तैयार किया था, लेकिन दिल्ली कि मुख्य मंत्री शीला दीक्षित ने इसे रुकवा दिया | उस आदेश की प्रति दो साल से दिल्ली के बीजेपी नेताओं के पास थी लेकिन उनके विधायकों ने दो साल में एक बार भी इसे विधानसभा में नहीं उठाया. आज वो चुनाव के पहले विरोध का नाटक कर रहे हैं
ये . दोनों बड़ी पार्टियां बिजली-पानी की बड़ी बड़ी कंपनियों से मिली हुई हैं.श्री मति शीला ने दिल्ली में बिजली के दाम और बढ़ाने का निर्णय कर लिया है. उनका कहना है कि बिजली कंपनियों को २० हज़ार करोड़ का घाटा हुआ है. दिल्ली में ३५ लाख बिजली कनेक्शन हैं, अगर यह २० हज़ार करोड़ रुपया लोगों से वसूला गया तो औसतन हर परिवार को ५०००/- रूपए महीना अतरिक्त देने पड़ेंगे| आने वाले कुछ महीनों में दिल्ली में नाटक खेला जाएगा कि डीईआरसी बिजली के दाम बढ़ाएगा, शीला दीक्षित चुनाव के पहले सब्सिडी देकर बिल कम करने का नाटक करेंगी, और भाजपा विरोध का नाटक करेगी. जनता पिसती रहेगी.इस अन्याय से लड़ने के लिए हमें महात्मा गांधी का बताया रास्ता नज़र आता है. वे कहते थे कि – “जो अन्यायपूर्ण कानून हो, उसका पालन मत करो. उसके बदले में सरकार जो सज़ा दे तो वह भी भुगतने को तैयार रहो.”
इस आन्दोलन में कुछ नया पन भी दिख रहा है|जनता से सीधे जुड़े बिजली पानी के मुद्दे को लेकर अबकी बार जंतर मंतर या राम लीला मैदान जैसे खुले स्थान को नहीं चुना गया [१] वरन यमुनापार की सुंदर नगरी की तंग गली को चुना गया है|शायद अरविन्द को एहसास हो गया है कि दिल्ली के तख्त तक पहुंचाने के लिए वोटों की सीडियां इन्ही गली मोहल्लों से होकर निकलती हैं|[२] अरविन्द केजरीवाल ने उपवास पर बैठने से पहले माथे पर बहुत बड़ा लाल टीका लगाया हुआ है शायद यह भाजपा के वोट बैंक के लिए चुम्बक का काम कर सकेगा|[३]पहले दिन ३६७४३ समर्थकों के जुटाने का दावा अपने आप में “आप” के उत्साह को बढाने के लिए पर्याप्त है |

सरदार वी एम् सिंह ने चौ. टिकैत के किसान आन्दोलन में २५ दिन के धरने का रिकार्ड तोड़ा

किसान आन्दोलनो के इतिहास में आज एक और अध्याय जुड़ गया है| गन्ने को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का कमिश्नरी पार्क में चल रहा अनिश्चितकालीन धरना २३ मार्च ,शनिवार को २६ वें दिन भी जारी है |इस धरने ने बाबा महेंद्र सिंह टिकैत [अब स्वर्गीय]केसबसे लम्बे चले २५ दिन के धरने के रिकार्ड को तोड़ दिया है|अब तक सबसे लम्बे धरने का रिकार्ड बाबा टिकैत के ही नाम है| यह चौ. अजित सिंह की राजनीतिक चौधराहट को चुनौती भी है|
आज सुबह शहीदे आज़म भगत सिंह+सुखदेव+राजगुरु की शाहदत की स्मृति में हवन करा कर अमर शहीदों को श्रधांजली अर्पित की गई| ढोल नगाड़े से गीत गए गए| २४ मार्च को महा पंचायत है|दोपहर बाद धरना स्थल पर जा कर देखा तो किसान नेता सरदार वी एम् सिंह आराम की मुद्रा में दिखे लेकिन यहाँ भी कुछ किसान अपनी समस्यायों की चर्चा करते देखे गए|
धरने के इस रिकार्ड के विषय में प्रतिक्रिया और उपलब्धि के विषय में जानना चाहा तो उन्होंने किसी रिकार्ड ब्रेकिंग या उपलब्धि से बचते हुए कहा कि “मेरा मकसद किसी के रिकार्ड को तोड़ना नहीं है, बाबा टिकैत तो महान किसान नेता थे, मेरा मकसद केवल किसानो को उनका हक़ दिलाना है|और उसके लिए लड़ता रहूंगा”धरने में आ रहे रुकावटों के विषय में सरदार वी एम् सिंह कहना है कि “हां रुकावटें तो कई आ रही हैं,मिल मालिक और कुछ जिनकी चौधराहट को खतरा है वोह लोग जरुर रुकावटें पैदा कर रहे हैं|उन्होंने खुल कर चौधराहट को खतरा महसूस कर रहे चौधरियों के नाम का खुलासा नहीं किया |
उन्होंने किसानों की एकजुटता को जरुरी बताते हुए कहा कि क्रांति की बात करना बहुत ठीक है, मगर क्रांति व्यवस्था परिवर्तन में आनी चाहिए। गांव में दूध व फसल उत्पादन आदि में क्रांति की जरूरत है इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो गावों में जाकर किसानों के आपसी झगडे़ निपटाकर उन्हे एकजुट करने का भागीरथी प्रयास किया जाएगा|२४ मार्च को महा पंचायत का एलान किया गया है|
उन्होंने अपने इस
आन्दोलन की उपलब्धियों
को दोहराते हुए कहा कि मलकपुर और मोदीनगर मिल किसानों को ब्याज देने लगी हैं, जो मिलें देरी से भुगतान करेंगी उन्हे 15 प्रतिशत ब्याज देना ही होगा। हालांकि अभी सरकार ने न्यायालय का आदेश आधा ही माना है। जून 2012 से ब्याज भुगतान दिया जा रहा है, जबकि आदेश पहली पर्ची से ही देने का है। कहा कि किसान अब जागरूक हो चुका है वह किसी के बहकावे में नहीं आएगा। बताया कि 24 मार्च को होनी वाली महापंचायत के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार कई हजार किसान धरनास्थल पर पहुंचेंगे और विचार-विमर्श किया जाएगा।

एलीट क्लब की सदस्यायों ने होली उत्सव मनाया

एलीट क्लब की सदस्यायों ने होली उत्सव मनाया

एलीट क्लब की सदस्यायों ने होली उत्सव मनाया

एलीट क्लब की सदस्यायों ने आज की मीटिंग में होली उत्सव मनाया |सदर बाज़ार स्थित बार बी क्यू रेस्टोरेंट में अनेकों लोक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए |नीलम राजवंशी+मीनू रस्तौगी ने नन्द भौजाई की होली प्रस्तुत की|निताशा सरार्फ +ज्योत्सना +गीता तोमर +अंशु गप्ता ने होली के गीत सुनाये|
[१] रंग रंगीली नार रहीकिरण गुगलानी +अनीता पूरी +मधु+राशि चांदना+आदि ने सहयोग दिया|

काले हिरण[Black Buck] के शिकार के आरोपी फ़िल्मी सितारों ने संजय दत्त की गलती से सबक लिया और आरोपों से इन्कार किया

 काले हिरण[Black Buck] के शिकार के आरोपी फ़िल्मी सितारों ने संजय दत्त की गलती से सबक लिया और आरोपों से इन्कार किया

काले हिरण[Black Buck] के शिकार के आरोपी फ़िल्मी सितारों ने संजय दत्त की गलती से सबक लिया और आरोपों से इन्कार किया

काले हिरण [Black Buck] के शिकार के आरोप में पेश हुए फ़िल्मी सितारों ने आज जोधपुर की अदालत में अपने ओपर लगाये गए आरोपों से इंकार किया अब अगली सुनवाई २७ अप्रैल को होगी|मामले में अभिनेता सलमान खान कोर्ट नहीं पहुंचे हैं उन्होंने अपना मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में भेजवा दिया है | सलमान खान के अलावा बाकी के आरोपी कलाकार [१]सैफ अली खान[२]तब्बू[३] नीलम[४] सोनाली बेंद्रे कोर्ट में पेश हुए। इन सभी कलाकारों पर आरोप तय कर दिए गए हैं।इन सभी पर 1998 में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान काले हिरण के शिकार करने शिकार में सहयोग और शिकार के लिए उकसाने के आरोप है।
मुंबई ब्लास्ट केस में संजय दत्त को सजा होने के बाद अब सबकी निगाहें अब इस हाई प्रोफाईल केस पर टिकी हैं | संजय दत्त के २० साल पुराने केस में आये फैसले के मद्दे नज़र सुपरस्टार [दबंग ] सलमान खान पर, 14 साल पुराने इस मामले को लेकर मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
, आरोप है कि इन्होंने जोधपुर के कांकानी गांव में दो काले हिरणों का शिकार किया। हिरणों की मौत पर स्थानीय बिश्नोई समाज ने इसका जमकर विरोध किया।आज सलमान के खिलाफ एक बिश्नोई वकील ही खडा है|
[१]सलमान खान के खिलाफ वाइल्ड लाइफ एक्ट की धारा 51,[२] सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्र के खिलाफ वाइल्ड लाइफ एक्ट की धारा 51 और 52 लगाई गई है।[आई पी सी १४९]
आज अपने आरोपों को नकार कर इन सितारों ने संजय दत्त के कन्फेशन वाली गलती को दोहराने से किनारा किया है उल्लेखनीय है की संजय दत्त ने निर्दोष होते हुए भी अपने सलाहकार के कहने पर हथियार रखें को स्वीकार कर लिया था उसी के फलस्वरूप अब उसे ५ साल की सजा भुगतनी पद सकती है| अब यदि ये हिरन के शिकार के आरोप साबित हो जाते हैं तो सलमान खान सहित बाकी कलाकारों को भी तीन साल से लेकर छह साल तक की सजा हो सकती है।

वार्षिकोत्सव में मेधावी बाल कलाकारों ने धमाल मचाया

वार्षिकोत्सव में मेधावी बाल कलाकारों ने धमाल मचाया

वार्षिकोत्सव में मेधावी बाल कलाकारों ने धमाल मचाया

राधा गोबिंद पब्लिक स्कूल में आयोजित पहले वार्षिकोत्सव में मेधावी बाल कलाकारों ने धमाल मचाया |
स्वागत गीत से प्रारम्भ कराये गए इस समारोह में गणेश वन्दना और संक्षिप्त नाटिका रामायण की प्रस्तुति विशेष रूप से सराही गई| इस अवसर पर पंजाब और गोवा आदि के लोक नृत्यों के अलावा फ़िल्मी गानों की भी धूम रही| बलात्कार पीडिता दामिनी के माध्यम से वर्तमान विसंगतियों पर भी चिंता व्यक्त की गई|
उपाध्यक्ष अनुभा त्यागी ने वार्षिक पड़ी| न्यायाधीश उमा शंकर शर्मा ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई|चेयर मैन योगेश त्यागी+एम् एस मैथ्यू+ वग्मिता त्यागी+प्रेम मेहता+अनिल बंसल+अजय त्यागी+डा. माधव+डा. अमित शर्मा आदि भी उपस्थित थे|तान्या+सार्थक+गौरव+तुषार+रितेश+यश+आयुष+बिलाल+आशीष+आदित्य+विनायक+वैभव आदि को पुरुस्कृत भी किया गया|