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Category: Glamour

नन्हे हाथों से एक दूसरे के कोमल गालों पर गुलाल लगा कर नन्हे मुन्नों ने होली मनाई

 नन्हे हाथों से एक दूसरे के कोमल गालों पर गुलाल लगा कर नन्हे मुन्नों ने होली मनाई

नन्हे हाथों से एक दूसरे के कोमल गालों पर गुलाल लगा कर नन्हे मुन्नों ने होली मनाई

शैम रॉक के नन्ने मुन्नों ने आज नन्हे नन्हे हाथों से एक दूसरे के गालों पर गुलाल लगा कर होली मनाई|
शास्त्री नगर स्थित शैम रॉक लिटिल स्टैप प्ले स्कूल में मनाये गए फेन डे में होली उत्सव मनाया गया|प्रचार्या किरण भूटानी ने होली के महत्त्व पर प्रकाश डाला|उन्होंने गुब्बारे +गंदगी से होली नही खेलने को प्रेरित किया| होली के मस्ती भरे गीतों पर नृत्य हुए और बच्चों का जन्म दिन भी मनाया गया| शोभित+दिया+ऋषिद+कंगना+लक्ष्य+कामाक्षी+ आदि ने धमाल मचाया |सावित्री कथुरिया+श्वेता अग्रवाल+स्वाति+सपना+सुरभि और रेखा ने सहयोग दिया|

एन सी सी आफिसर आई ऐ खान को डी जी कमाडेशन कार्ड और बैज से सम्मानित किया गया

एन सी सी आफिसर आई ऐ खान को डी जी कमाडेशन कार्ड और बैज से सम्मानित किया गया

एन सी सी आफिसर आई ऐ खान को डी जी कमाडेशन कार्ड और बैज से सम्मानित किया गया

एन सी सी ग्रुप मुख्यालय [तोप खाना] में आज एन सी सी आफिसर आई ऐ खान को डी जी कमाडेशन कार्ड और बैज से सम्मानित किया गया |कर्नल दीपक कपाटिया +कमान अधिकारी कर्नल ओमिंदर सिंह+ शाहिद और ७० यूं पी बटा के अधिकारी भी . उपस्थित उपस्थित थे|

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

संजय दत्त का एक दुखी चाहने वाला

ओये झल्लेया ये तो हसाडे बड़ा अनर्थ हो गया हसाडे लोक प्रिय अभिनेता संजय दत्त को १९९३ के बम धमाकों के लिए ना तो आरोपी और नाही षड्यंत्रकारी ही माना गया है फिर भी देश की सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्स एक्ट की धारा २५[ऐ]के अंतर्गत [न्यूनतम] पांच साल की सजा सुना दी |ओये ऐसे हथियार तो बड़े बड़ों के घरों में सजाये जाते हैं लेकिन माननीय सुनील दत्त के ऊपर राजनितिक बन्दूक चलाने के लिए पहले तो इस बेचारे संजय के कन्धों का इस्तेमाल किया गया | आग्नेय अस्त्र रखने के विषय में सच्चाई दिखाने वाले संजय दत्त को डेड़ साल तक जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया |अब जब वोह सुधर गया है तो फिर से साडे तीन साल की सजा सुना दी गई है|माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को तो उम्र कैद में तब्दील कर दिया मगर इस बेचारे को अभी भी सादे तीन साल जेल में काटने होंगे| बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों को अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है | तीन तीन सांसदों वाले परिवार से जुड़े इस बेचारे को अपनी सच्चाई की कीमत चुकानी पड़ रही है| ओये यार इस जेल की घरेड से निकलने की कोई सूरत है या नहीं

 संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

झल्ला

बाऊ जी वड्डे कह गए हैं के पीछे से बेशक हाथी निकल जाये मगर सामने से चींटी भी नहीं निकलनी चाहिए |सामने आने का खिमयाज़ा तो इस मुंजाल ब्राह्मण संजय दत्त को भुगतना ही पडेगा|इससे पूर्व इनके पूर्वजों ने भी एक बड़े युद्ध में पैगम्बर साहेब के परिवार का साथ दिया था और अपना सबकुछ सच्चाई पर कुर्बान कर दिया था |मुसलमान+ हिन्दू ] कुर्बानी वाली इस पीडी के इस प्रतिनिधि की रीड मज़बूत है और एक बार फिर कुंदन बन कर निकलेगी|
झल्लेविचारानुसार उम्मीद पर दुनिया कायम है इसीलिए निराश होने का अभी समय नहीं है|अगर राज्यपाल या राष्ट्रपति चाहें तो निम्न आधार पर पासा अभी भी पलट सकता है|
[१] बालीवुड का लगभग २५० करोड़ रुपया इस सफल अभिनेता संजय दत्त पर लगा हुआ है|यदि संजय को जेल हो गई तो अनेको परिवार बेहाल हो जायेंगे
[२]जेलों को भारत में सुधार गृह कहा जाता है| पिछले बीस साल से अपमान और अनजाने भय के साये में जीने वाले संजय दत्त की जीवनशैली में चमत्कारिक रूप से सुधार देखा जा सकता है|यह पूर्व में जेल में बिताये डेड़ साल का प्रभाव हो सकता है|और शायद यही कोर्ट का उद्देश्य भी होगा|
[३] जस्टिस [रिटायर्ड]मार्कंडेय काटजू ने भी महाराष्ट्र के राज्यपाल से संविधान की अनुच्छेद 1611 के अंतर्गत संजय दत्त को माफी की अपील की है|
[४] इससे पूर इसी प्रकार के एक केस में नानावटी को राहत दी जा चुकी है|

नन्ने मुन्नों ने शिक्षिकाओं के साथ हर्षोल्लास से फूलों की होली मनाई

नन्ने मुन्नों ने शिक्षिकाओं के साथ हर्षोल्लास से फूलों की होली मनाई

नन्ने मुन्नों ने शिक्षिकाओं के साथ हर्षोल्लास से फूलों की होली मनाई

ब्लूमिंग बड नर्चिरिङ्ग फ्यूचर प्ले स्कूल के नन्ने मुन्नों ने आज अपनी शिक्षिकाओं के साथ हर्षोल्लास से होली मनाई|
साकेत स्थित वेंकटेशवरा ब्लूमिंग बड नर्चिरिङ्ग फ्यूचर प्ले स्कूल में सबसे पहले सरस्वती वंदना हुई|चेयर पर्सन श्रीमती अंजुला गिरी ने फूलों की वर्षा की| उन्होंने होली के महत्त्व पर प्रकाश डाला|प्रधानाचार्य सदफ खान ने कहा के बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक होती है इसीलिए विशेषकर बचों को रासायनिक रंगों से बचाना चाहिए|
दीक्षा कर्णवाल +विधि+ऋतू+स्वाति+कोकिल+सुप्रिया+हिना+हिमानी+मुद्रिका+शिखा+विश्वास राणा ने सहयोग दिया| +

ब्रहस्पति देव मंदिर में आज फूलों की होली खेली गई

ब्रहस्पति देव मंदिर में आज फूलों की होली खेली गई

ब्रहस्पति देव मंदिर में आज फूलों की होली खेली गई

[मेरठ]सिद्धपीठ ब्रहस्पति देव मंदिर में आज फूलों की होली खेली गई|
सूरज कुंड स्थित एक मात्र सिद्ध पीठ ब्रहस्पति देव मंदिर में देव गुरु ब्रहस्पति देव से होली खेलते समय भक्तों ने एक दूसरे पर फूलों के साथ केवडा छिडका और ढोल की थप पर जम कर झूमकर नृत्य किया|सबसे पहले ब्रहस्पति देव की कथा की गई उसके पश्चात महिलाओं ने कीर्तन किया
मंदिर संस्थापक पंडित जगनंदन लाल तिक्खा ने सभी भक्तों को होली की शुभ कामनाएं दी |अंत में हलवे का प्रसाद भी वितरित किया गया|राकेश मेहरा[महामंत्री]+मनोज तिक्खा[व्यवस्थापक] +अर्चना[कोशाध्यक्ष ]+सुरेश चंद शर्मा+निम्मी+कीर्ति+उर्वशी+वेदांशी+धनजय+अभिनव+दिनेश+राईम आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया|

संजय दत्त की फरियादों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने [और] साडे तीन साल की सजा सुनाई

फिल्म अभिनेता संजय दत्त की तमाम फरियादों को नकारते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने [और] साडे तीन साल की सजा सुना दी है| टाडा कोर्ट ने पहले छह साल की सजा सुनाई थी| इसे घटाकर पांच साल कर कर दिया है जिसमे से डेड साल की सजा काटी जा चुकी है| इस फैसले के मद्देनजर अब संजय दत्त को जेल जाना होगा. गौरतलब है कि मुंबई की टाडा अदालत ने संजय दत्त को आर्म्स एक्ट के तहत छह साल कैद की सजा सुनायी थी. जिसके खिलाफ संजय दत्त ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी |

संजय दत्त की फरियादों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने [और] साडे तीन साल की सजा सुनाई

संजय दत्त की फरियादों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने [और] साडे तीन साल की सजा सुनाई


मुंबई में 1993 ब्लास्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए याकूब मेनन की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाकी दस भगोड़ों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करदिया गया है
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य 17 लोगों की उम्रकैद को बरकरार रखा है. एक एचआईवी पॉजिटिव आरोपी की सजा कम कर दी गई है जबकि एक आरोपी जो जुवेनाइल था उसको बरी कर दिया गया है.
याकूब मेमन का टाइगर मेमन का भाई है. याकूब मेमन को साजिश के लिए पैसे जुटाने का दोषी पाया गया है. इसके अलावा याकूब मेमन साजिश की मीटिंग में भी शामिल था.
इस फैसले के मद्देनजर मुंबई में अलर्ट जारी किया गया है और संजय दत्त के घर[हाईट] के बाहर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है.अपने समय के मशहूर अभिनेता +निदेशक और निर्माता सांसद सुनील दत्त के बेटेऔर सांसद प्रिया दत्त के भाई संजय दत्त को टाडा कोर्ट ने जुलाई 2007 में 6 साल की सजा सुनाई थी. संजय दत्त को अवैध रूप से एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया गया था|. एक समय|.देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी|

अल्ट्राटेक ने अपने डीलर्स और उनके परिजनों के साथ मस्ती भरे त्यौहार होली की खुशियाँ बांटी

अल्ट्राटेक ने अपने डीलर्स और उनके परिजनों के साथ मस्ती भरे त्यौहार होली की खुशियाँ बांटी

अल्ट्राटेक ने अपने डीलर्स और उनके परिजनों के साथ मस्ती भरे त्यौहार होली की खुशियाँ बांटी

[मेरठ ]आदित्य बिरला ग्रुप की सीमेंट कम्पनी अल्ट्राटेक ने आज अपने डीलर्स और उनके परिजनों के साथ मस्ती भरे त्यौहार होली की खुशियाँ बांटी |दिल्ली से आये यूं पी और दिल्ली के छेत्रिय प्रमुख[जी एम्] देवेन्द्र सिंह ने होली की सबको बधाईयाँ दी और बताया के इसी प्रकार डीलर्स पार्टनर्स के साथ प्रति वर्ष होली मिलन आयोजित किया जाता है|
सेवेन इलेवन में आयोजित इस होली मिलन में नोयडा+गाजियाबाद+मेरठ और बिजनौर के डीलर अपने परिवार जनों के साथ शामिल हुए|राकेश शर्मा+नम्रिता+ने अनेको रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सबका मनोरंजन किया|बच्चों के अनेकों खेल भी कराये गए|अनुराग अग्रवाल ने बताया के इस समारोह में मेरठ+बिजनौर+नोयडा और गाजियाबाद के डीलर और उनके परिवारजनों ने भाग लिया|पंकज पनिश्वर+पी कटियाल+शुरित रॉय +आदि ने सहयोग दिया|

पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ६०वे समारोह में २०१२ के लिए पुरुस्कारों की घोषणा कर दी गई है| डाकू बने एक खिलाड़ी के जीवन को चरितार्थ करने वाली फिल्म पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म चुना गया है ।।राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिए 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया है ।
टी धूलिया द्वारा निर्देशित इस फिल्म के लिए इरफान खान ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिया गया है|। इरफान ने इस फिल्म में राष्ट्रीय स्तर के एक धावक का किरदार निभाया है, जो बाद में चम्बल घाटी का दुर्दांत डकैत बन गया।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार इरफान और विक्रम गोखले को सामूहिक रूप से प्रदान किया गयाहै| 2012 के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा फिल्मकार बासु चटर्जी,+अरूणा राजे +स्वपन मलिक द्वारा की गई| मनोरंजन[Entertainment] प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मिलित रूप से हिंदी फिल्म ‘विकी डोनर+ मलयालम फिल्म उस्ताद होटल को मिला।
‘विकी डोनर के लिए ही अनु कपूर तथा डॉली अहलूवालिया को क्रमश: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया |

पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया

पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया


सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का पुरस्कार हिंदी फिल्म ‘देख इंडिया सर्कस में अभिनय के लिए वीरेंद्र प्रताप तथा मलयालम फिल्म 101 चोदियांगल में अभिनय के लिए मिनन के नाम सामूहिक रूप दिया गया है।
कमल हासन की तमिल फिल्म ‘विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय पुरस्कार बिरजू महाराज के नाम गया है
सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म की श्रेणी का पुरस्कार फिल्म विक्की डोनर के खाते में गया।
मुख्य पुरूस्कार इस प्रकार रहे
सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म- पान सिंह तोमर
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – इरफान खान
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – उषा जाधव (धाग)
सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म – विक्की डोनर
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता – अन्नू कपूर (विक्की डोनर)
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री- डॉली आहलूवालिया
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक – शिवाजी लोटन पाटिल (धाग)
सर्वश्रेष्ठ पटकथा – कहानी

एम नॉट रेडी आई एम् जैल सिंह

 एम नॉट रेडी आई एम् जैल सिंह

एम नॉट रेडी आई एम् जैल सिंह

एल के अडवाणी के ब्लाग से उद्धत टेलपीस (पश्च्यलेख)
राष्ट्रपति जैल सिंह का उसी टेक्सन अस्पताल में ऑपरेशन हुआ जिसमें उनके पूर्ववर्ती संजीवा रेड्डी का हुआ था। जब उन्हें ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया तो मुख्य सर्जन ने राष्ट्रपति से पूछा: ‘आर यू रेडी?’ (क्या आप तैयार हो)।
‘नो, ऑय एम नॉट, उन्होंने जवाब दिया ‘ऑय एम जैल सिंह।‘ (नहीं, मैं नहीं हूं। मैं जैल सिंह हूं)।
पुस्तक के ”ह्यूमर इज ए लैथिल वैपन” अध्याय से

लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग ८५ वर्षीय [८ नवम्बर १९२७] लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में 98 नाट आउट खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक: और उनकी नवीनतम पुस्तक ‘खुशवंतनामा : दि लेसन्स ऑफ माई लाइफ‘ को विचारप्रेरक पुस्तक बताया है| प्रस्तुत है अडवाणी के ब्लाग से साभार उनके विचार उनके ही शब्दों में :
पिछले महीने मुझे ‘खुशवंतनामा : दि लेसन्स ऑफ माई लाइफ‘ की एक प्रति प्राप्त हुई। 188 पृष्ठों की इस पुस्तक को मैं लगभग एक बार में ही पढ़ गया। पुस्तक पढ़ने के पश्चात् मुझे पहला काम यह लगा कि मैंने अपने कार्यालय से खुशवंत सिंह से सम्पर्क करने को कहा ताकि पेंगइन[Penguin] विंकिंग द्वारा प्रकाशित इस शानदार पुस्तक के लिए मैं उनको बधाई दे सकूं।
खुशवंत सिंह के घर पर फोन उठाने वाले व्यक्ति ने मेरे कार्यालय को सूचित किया कि वे फोन पर नहीं आ सकेंगे। एक संदेश यह दिया गया कि यदि आडवाणी खुशवंत सिंह ही को मिलना चाहते हैं तो शाम को आ सकते हैं। मैंने तुरंत उत्तर दिया कि आज शाम को मेरा अन्यत्र कार्यक्रम है लेकिन अगले दिन में निश्चित ही उनसे मिलने आऊंगा।

 लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया

लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया


खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी, 1915 को हुआ। इसलिए जब फरवरी, 2013 में यह पुस्तक प्राप्त हुई तो मैं जानता था कि उन्होंने अपने जीवन के 98 वर्ष पूरे कर 99वें में प्रवेश किया है!
मैंने किसी और अन्य लेखक को नहीं पढ़ा जो सुबोधगम्यता के साथ-साथ इतना सुन्दर लिख सकता है, और वह भी इस उम्र में। इसलिए इस ब्लॉग के शीर्षक में मैंने न केवल पुस्तक अपितु लेखक की भी प्रशंसा की है।
पुस्तक की शुरुआत में शेक्सपियर की पंक्तियों को उदृत किया गया है:

दिस एवव ऑल, टू थाइन ऑन सेल्फ बी टू्र
एण्ड इट मस्ट फॉलो, एज दि नाइट दि डे,
थाऊ कांस्ट नॉट दैन बी फाल्स टू एनी मैन।
हेमलेट एक्ट-1, सीन III

(भावार्थ: जो व्यक्ति अपने बारे में ईमानदार होगा वही दूसरों के बारे में झूठा नहीं हो सकता।)
मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि यह पुस्तक मन को हरने वाले प्रमाण का तथ्य है कि खुशवंत सिंह ने अपने बारे में लिखते समय भी उन्होंने असाधारण साफदिली के साथ लिखा है। उनके परिचय के पहले दो पैराग्राफ उदाहरण के लिए यहां प्रस्तुत हैं:
”परम्परागत हिन्दू मान्यता के अनुसार अब मैं जीवन के चौथे और अंतिम चरण संन्यास में हूं। मैं कहीं एकांत में ध्यान लगा रहा होऊंगा, मैंने इस दुनिया की सभी चीजों से लगाव और अनुराग छोड़ दिया होगा। गुरु नानक के अनुसार, नब्बे की आयु में पहुंचने वाला व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है, इस कमजोरी के कारणों को नहीं समझ पाता और निढाल सा पड़ा रहता है। अपने जीवन के इस मोड़ पर मैं अभी इनमें से किसी भी अवस्था में नहीं पहुंचा हूं।
अठानवें वर्ष में, मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं कि हर शाम को सात बजे मैं अभी भी माल्ट व्हिस्की के एक पैग का आनन्द लेता हूं। मैं स्वादिष्ट खाना चखता हूं, और ताजा गपशप तथा घोटालों के बारे में सुनने को उत्सुक रहता हूं। मुझसे मिलने आने वाले लोगों को मैं कहता हूं कि यदि किसी के बारे में आपके पास अच्छा कहने के लिए नहीं है, तो आओ और मेरे पास बैठो। मेरे आस-पास की दुनिया के बारे में जानने की उत्सुकता मैंने बनाए रखी है; मैं सुंदर महिलाओं के साथ का आनन्द लेता हूं; मैं कविताओं और साहित्य तथा प्रकृति को निहारने का आनंद उठाता हूं।”
प्रस्तावना के अलावा पुस्तक में सोलह अध्याय हैं। एक पूर्व पत्रकार होने के नाते यह तीन विशेष मुझे ज्यादा पसंद आए:
1- दि बिजनेस ऑफ राइटिंग
2- व्हाट इट टेक्स टू बी ए राइटर
3- जर्नलिज्म दैन एण्ड नाऊ
***‘डीलिंग विथ डेथ‘ शीर्षक वाले अध्याय में लेखक लिखता है :
वास्तव में मृत्यु के बारे में, मैं जैन दर्शन में विश्वास करता हूं कि इसका जश्न मनाना चाहिए। सन् 1943 में जब मैं बीसवें वर्ष में था तभी मैंने अपनी स्वयं की श्रध्दांजलि लिखी थी। बाद में यह लघु कहानियों के मेरे संस्करण में ‘पास्चुमस‘ (मरणोपरांत) शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। इसमें मैंने कल्पना की कि दि ट्रिब्यून ने अपने मुखपृष्ठ पर एक छोटे चित्र के साथ मेरी मृत्यु का समाचार प्रकाशित किया है। शीर्षक इस तरह पढ़ा जाएगा: ‘सरदार खुशवंत सिंह डेड; और आगे छोटे अक्षरों में प्रकाशित होगा: गत् शाम 6 बजे सरदार खुशवंत सिंह की अचानक मृत्यु की घोषणा करते हुए खेद है। वह अपने पीछे एक युवा विधवा, दो छोटे बच्चे और बड़ी संख्या में मित्रों और प्रशंसकों…. को छोड़ गए हैं। दिवगंत सरदार के निवास पर आने वालों में मुख्य न्यायाधीश के निजि सचिव, अनेक मंत्री और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।‘
पुस्तक के अंत में एक अध्याय ”ट्वेल्व टिप्स टू लिव लॉन्ग एण्ड बी हैप्पी” (लंबे और प्रसन्न जीवन के बारह टिप्स) शीर्षक से इसमें है। मेरी सुपुत्री प्रतिभा ने मुझे कहा: ”इस पुस्तक को पढ़े बगैर ऐसा लगता है कि खुशवंत सिंह द्वारा बताए गए टिप्स में से अधिकांश का आप पालन कर रहे हैं। इस पुस्तक में बताए गए टिप्स में से दो अत्यन्त मूल्यवान यह हैं: अपना संयम बनाए रखें, और झूठ न बोलें! और आप लगभग सहज भाव से दोनों का पालन करते हैं।”
पुस्तक का अंतिम अध्याय स्मृतिलेख (एपटैफ) है जोकि निम्न है:
जब मैं नहीं रहूंगा तब मुझे कैसे स्मरण किया जाएगा? मुझे एक ऐसे व्यक्ति के रुप में स्मरण किया जाएगा जो लोगों को हंसाता था। कुछ वर्ष पूर्व मैंने अपना ‘स्मृति लेख‘ लिखा था:
यहां एक ऐसा शख्श लेटा है जिसने न तो मनुष्य और न ही भगवान को बख्शा,
उसके लिए अपने आंसू व्यर्थ न करो, वह एक समस्या कारक व्यक्ति था,
शरारती लेखन को वह बड़ा आनन्द मानता था,
भगवान का शुक्रिया कि वह मर गया, एक बंदूक का बच्चा।
-खुशवंत सिंह
रविवार 3 मार्च, 2013 को मैं सरदार खुशवंत सिंह से मिलने नई दिल्ली स्थित उनके निवास स्थान सुजान सिंह पार्क (उनके दादा के नाम पर) गया। मैंने उन्हें इस पुस्तक को लिखने पर हार्दिक बधाई दी और उनका अभिनंदन किया। चाय पीते हुए उस स्थान पर एक घंटा आनन्द से गुजारा। मैं उनकी पुत्री माला से भी मिला जो साथ वाले फ्लैट में रहती हैं और उनकी अच्छे ढंग से देखभाल करती हैं।