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Category: Jhalli Gallan

गुरु धीरे -धीरे हमें शरीर और शारीरिक व्यापार से ऊपर ले जाता है .


मेरी नज़र का हुस्न भी शरीके हुस्न हो गया
वो और भी निखर गए वो और भी संवर गए

अर्थात गुरु खूबसूरती का स्रोत तो होता ही है मगर ज्यों – ज्यों हम उसकी रहमत से तरक्की
करते चले जाते हैं उसका हुस्न और निखरता चला जाता है , और रोशन होता चला जाता है
और हमें वो ज्यादा खूबसूरत दिखाई देता है . अगर खुशकिस्मती से हमें ऐसा गुरु मिल जाये
तो फिर हमें अपना सब कुछ उस पर न्यौछावर कर देना चाहिए . अगर हम अपना सब कुछ
न्यौछावर कर देंगे तो फिर गुरु धीरे -धीरे हमें शारीर और शारीरिक व्यापार से ऊपर ले
आयेगा . हमारे अन्दर जो असली सूर्य और चन्द्रमा हैं , उनके मण्डलों से गुजारकर गुरु हमें
अपने दिव्य स्वरूप के दर्शन कराएगा और वो दिव्य स्वरूप ज्यादा से ज्यादा रोशन और
सुंदर होता चला जायेगा .
सावन कृपाल रूहानी मिशन आश्रम के संत दर्शन सिंह[१९२१-१९८९] जी महाराज जी की रूहानी शायरी
प्रस्तुती राकेश खुराना

एयर इंडिया को भी सुप्रीम कोर्ट ने ६७००० करोड़ की डील में नोटिस दे ही दिया

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक रालोद नेता

ओये झल्लेया ये क्या मज़ाक चल रहा है ?अभी हसाड़े छोटे चौधरी ने एविएशन मंत्रालय का कार्य भर सम्भाला ही है कि घोटालों के आरोपों की बाड़ ही आ गई है|एयर पोर्ट लीज का मामला अभी सर दर्द पैदा कर ही रहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच टीम या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से एयर इंडिया के मामलों में आपराधिक जांच कराने की याचिका पर नोटिस जारी किया है। सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर याचिका पर केंद्र+ सी बी आई और सीवीसी के साथ हसाडी लडखडाती एयर इंडिया को भी नोटिस भेज दिया गया है|
इस अधिवक्ता प्रशांत भूषण को कोई काम धाम तो है नहीं अब 2004-08 के गड़े मुर्दे उखाड़ कर कह रहा है कि एन सी पी कोटे के तत्कालीन नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के कार्यकाल के दौरान बड़ा घोटाला हुआ है। विदेशी विमान विनिर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 67,000 करोड़ रुपये में 111 विमान खरीदे गए हैं| हजारों करोड़ रुपये में विमान पट्टे पर लिए गएहैं| विदेशी विमानन कंपनियों को डबल अधिकार दिए गए जबकि बदले में एयर इंडिया को झुनझुना भी नहीं दिया गया|और तो और इस दौरान निजी विमानन कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए फायदे वाले हवाईमार्गों पर एयर इंडिया की उड़ान को भी रोकने को कह दिया गया|
इस पर भी बस नहीं हुई | इतने गलत कदम उठाने के बाद मंत्रालय ने दो राष्ट्रीय विमानन कंपनियां एयर इंडिया + इंडियन एयरलाइंस का विलय कर दिया। इस विलय के कारण महज 100 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रही एयर इंडिया जिसके पास विमान खरीदने की क्षमता भी नहीं थी, घाटे में चली गई|अब इस सब के दोषी एन सी पी में हैं और सरकार के साथ हैं इसीलिए जब तक वोह सरकार के साथ हैं उनका बाल भी बांका नहीं होगा लेकिन हमारे चौधरी साहब को ख्वाह्मखाह भुगतना पड़ रहा है|
वैसे यार अरबों डॉलर के इस विमान खरीद सौदों के एवज में भारी रिश्वत भी तो जरूर मिली ही होगी?

jhallaa

अरे चौधरी आज कल तो लोग बाग़ कोयले की कालिख से नहीं डरते और आप हो की काजल के कालिख पर ही हाय तोबा मचा रहे हो|अब जब काजल की कोठरी में घुसे हो तो काजल की कालिख से क्यूं डरते हो ?फेस दी म्यूजिक |मेरी मानो तो आपके पीरियड में जो ये ड्रीम लाइनर की डील हो रही हैइसमें हर्जाने को वसूलने और घरेलू उड़ानों के लिए यूज किये जाने का भी आडिट अपने सामने ही करा लो वरना पांच या दस साल बाद कोई उठ खड़ा हुआ तो वोह ज़माना जयंत चौधरी [छोटे से छोटे] का होगा और को अगर जयंत को मंत्री बन्ना पडा तो उस बेचारे को ये सब भुगतना न पड़ जाए |

सच्चे गुरु – भक्त के समक्ष कामवासनाएँ ठहरती नहीं हैं .

लगा रहे सतज्ञान सों , सबही बंधन तोड़
कहैं कबीर वा दास सौं, काल रहै हथजोड़
भाव : कबीर दास जी शिष्य की महिमा बताते हुए कहते हैं , जिसने विषयों से अपने मन को हटा लिया है,
जो सांसारिक बन्धनों से रहित है और सत्य – स्वरूप में जिसकी दृढ निष्ठा है , ऐसे गुरु – भक्त के
सामने तो काल भी सिर झुकाए हुए रहता है अर्थात – मन की लम्बी दौड़ और काम वासना ही
मनुष्य का काल है . एक सच्चे गुरु – भक्त के सामने कामवासनाएँ या कल्पनाएँ ठहरती ही नहीं हैं .
कबीर संत थे या दास यह हमेशा चर्चा का विषय रहा है|वास्तव में कबीर संत और दास दोनों ही थे|उन्होंने एक जुलाहे परिवार में परवरिश पाई थी मगर विचारों से क्रांतिकारी थे उन्होंने एक धर्म या कुरीतिओं में बंधे रहना कभी स्वीकार नहीं किया| संत कबीर की भाषा को पञ्च मेल खिचडी भी कहा जाता है|हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो के अनुयायियों ने उन्हें अपनाया है यहाँ तक की वर्तमान में सिख धर्म में भी कबीर की अमृत अमर वाणी का आदर किया गया है|
संत कबीर वाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना

मुलायम ने सरकार की फटी झोली में २२ सांसद सरकाए


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई

ओये झल्लेया ये क्या मज़ाक हो रहा है|ये बसपा +सपा कल तक हसाड़े नाल भारत बंद में शामिल थे |लेफ्ट और राईट्स के साथ गल बहिय्याँ डालते हुए अपने उत्तर प्रदेश में भी अभूतपूर्व बंद करा दिया| केंद्र सरकार को अविश्वसनीय बता दिया|अब जब सरकार लढ़खड़ा रही है तो उसकी फटी झोली में अपने २२ सांसदों की सपोर्ट सरका दी है|ओये पहले ममता को धोका दिया अब पूरे विपक्ष को ही धत्ता बता दिया ओये धरती पुरुष की राजनीती ऐसे चलती है|नेता जी शायद भूल गए हैं कि वन इन हैण्ड इज बेटर देन टू इन अ बुश

झल्ला

ओये मेरे भोले शाह जी दरअसल नेता जी की नज़रों के सामने अब प्रधान मंत्री पद रूपी मछली की आंख है उसे बेधने के लिए भाजपा के तीर को काम आने से रहे हाँ वक्त पड़ने पर कांग्रेस जरुर अपनी कमान इनके हाथों सौंप सकती है| ये और बात है कि चुनाव आने पर कमान की डोरी खोलने में माहिर है|अब चौधरी चरण सिंह +ठाकुर चन्द्र शेखर +आई के गुजराल के उदहारण अपनी पुनरावर्ती को दोहराने को उतावले हो रहे हैं|कांग्रेस को भी संकट की घड़ी में एक अदद मुलायम मोहरे की दरकार रहती ही है| ऐसे में बहती गंगा में यह वयोवृद्ध नेता भी हाथ धोने से क्यूं चूके |इसी लिए मुलायम सिंह यादव आये दिन इस शेर का उपयोग करते रहते हैं
शब् में मयकशी की और सुबह तौबा कर ली|
रिंद के रिंद रहे जन्नत भी हाथ से ना गई ||

बेशक गाडी में जायेंगे मगर आयेंगें कल के जमोस न्यूज डाट काम में

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

झल्ली

सुनो जी आज मुझे पहली तनख्वाह मिली है चलो कहीं बाहर घूम आते हैं पेट्रोल का खर्चा में कर दूंगी और गाड़ी भी में ही चला लूंगी

झल्ला

फिर तो समझो हो गया धूम धाम धडाम तख्ता | ओये भलिये लोके रहने दे वरना जायेंगे बेशक गाडी में ही मगर आयेंगें कल के जमोस न्यूज डाट काम में

सद्विचारों की रस्सी से मोह माया के सागर से बाहर निकला जा सकता है

तन रहीम है कर्म बस , मन रखो ओहि ओर
जल में उलटी नाव ज्यों , खैंचत गुन के जोर
अब्दुर्रहीम खानखाना
अर्थ : कवि रहीम कहते हैं कि शरीर तो कर्म फल के आधीन है परन्तु मन को प्रभु भक्ति
की ओर लीन करके रखना चाहिए . जैसे – जल में नाव के उलट जाने पर उसे रस्सी से
खींचकर ही बचाया जाता है .
भाव : हमारा यह शारीर हमारे कर्म फल को ही हमेशा प्राप्त करता है . हम जैसा करते हैं ,
ईश्वर हमें वैसा ही फल देता है . ऐसे प्रभु के प्रति सदैव भक्ति – भाव बनाए रखना चाहिए .
जिस प्रकार जल में नाव के उलट जाने पर उसे रस्सी से बांधकर जल से बाहर निकालते हैं .
उसी प्रकार यदि संसार रुपी भवसागर की मोह – माया में हमारा मन लिप्त हो जाए तो हमें
दृढ़ता से अपने मन के चंचल स्वभाव पर अंकुश लगाना चाहिए और उसे सद्विचारों की रस्सी
से बांधकर इस मोह – माया से बाहर खींचकर लाना चाहिए , तभी हम अपने जीवन को सफल
बना सकते हैं अर्थात चंचल मन पर अंकुश रखना परम आवश्यक है
संत रहीम वाणी
(अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना[ १७-१२-१५५६-१६२७],मुग़ल बादशाह अकबर के नव रत्नों में से एक थे| जहाँ इन्हें इनके दोहों के लिए हिंदी साहित्य में इतिहास में श्रेष्ठ स्थान दिया गया है वहीं आस्ट्रालोजी पर उनकी किताब भी मील का पत्थर है|इन्ही के नाम पर पंजाब के नवांशहर में खानखाना गावं है|इनकी ननिहाल में कृष्ण भक्ति की जड़े बताई जाती है|
प्रस्तुती राकेश खुराना

रसोई गैस के आठसे दस सिलेंडर ही मिल पाते हैं


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी

ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ?हसाड़ी सोणी सरकार एक तरफ तो डीजल से कुछ कम करने और रसोई गैस सिलेंडरों की लिमिट कुछ बढाने को तैयार हो गई थी मगर ये ममता बेनर्जी ने तो सारा गुड गोबर ही कर दिया|खुले आम इतनी वड्डी सरकार को धमकी दे डाली हैं ऐसा भी होता है कभी|अरे भाई ममता माई को अगर हसाड़ी ऍफ़ डी आई की नीति नहीं भायी तो अपने प्रदेश में उसे लागू न करें इससे तो नहीं होने थी उनकी जग हसाईं|

झल्ला

मेरे चतुर सुजान जी आप लोगों के तरकश में रखे सारे तीरों की मार सबको पता चल चुकी है|इसीलिए अब ज्यादा चालाकी चलने वाली नहीं है|अब ध्यान दे कर सुनो मेरठ में गैस एजेंसियां एक महीने से पहले तो गैस बुक ही नहीं करती और बुकिंग के बाद भी डिलीवरी के लिए हफ्ता दस दिन से लेकर महीना लग जाता है|ऐसे में उपभोक्ता को मुश्किल से ८ से १० सिलेंडर ही मिल पाते हैं|मेरे विचार में यही हाल देश भर में भी होगाअब अगर आप कृपा करके छह से आठ सिलेंडर की डिलीवरी करा भी दोगे तो कौन सा और कहाँ का एहसान कर दोगे|और डीजल +पेट्रोल का इतिहास तो जग जाहिर है पहले बढाओ फिर थोड़ा सा कम कर दो|यानि रिंद के रिंद रहो और जन्नत भी हाथ ही में रहे|

बुल्ल्हा शौह नूं सोई पावे , जेह्ड़ा बकरा बणे कसाई दा

तेरा नाम तिहाई दा, साईं तेरा नाम तिहाई दा
बुल्ल्हे नालों चुल्ल्हा चंगा , जिस पर ताम पकाई दा
रल्ल फकीरां मजलस कीती , भोर भोर खाई दा
रंगड़े वालों खिंगर चंगा , जिस पर पैर घिसाई दा
बुल्ल्हा शौह नूं सोई पावे , जेह्ड़ा बकरा बणे कसाई दा
साईं बुल्लेशाह
सतगुरु परमात्मा का को प्राप्त करने का मार्ग अत्यंत कठिन है . इस मार्ग पर चलने से पहले अपने अहंकार और
स्वार्थ का त्याग करना पड़ता है. बुल्लेशाह इसी को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि हे सतगुरु परमात्मा ! हम बस तेरे
नाम का ही सुमिरन करते हैं .
बुल्ले से तो यह चूल्हा अच्छा है , क्योंकि इस पर कम – से – कम रोटी तो पकती है जिसे फकीर एकत्र होकर अत्यंत
संतोष से बांटकर खा लेते हैं .
अहंकारी से तो वह पत्थर अच्छा है जिस पर पैर घिसकर मैल साफ़ कर लिया जाता है परन्तु अहंकार तो रोज नई
गंदगी इस मन में एकत्र करता है .
सतगुरु परमात्मा को वही प्राप्त कर सकता है जो कसाई का बकरा बनने के लिए तैयार हो अर्थात सतगुरु परमात्मा
को प्राप्त करने के लिए ‘मैं ‘ को मिटाना पड़ता है क्योंकि परमात्मा का मिलन ही जीवन के चरम लक्ष्य की प्राप्ति है .

बेचारी छोटी सी मक्खी ने कितनी स्काच पी ली होगी


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

शाम समय के एक घनिष्ठ मितर

ओये झल्ले यारा ये तो गड़बड़ हो गई |देख तो जरा मेरे पेग में मक्खी घुस गई|ये तो स्काच पेग का नुक्सान हो गया

झल्ला

ओये झल्ली देया तेनु लगदा है की चढ़ गई है|ओये एक छोटी से मक्खी ने कितनी स्काच पी ली होगी |फिर भी अपनी तसल्ली के लिए मक्खी को निचोड़ और बेचारी को बाहर फैंक दे

फल इच्छा बिना कर्म करने से ईश्वर प्राप्ति सरल होती है


न में पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि
श्रीमदभगवदगीता
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं -हे पार्थ ! मुझे तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है
और न कोई प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्य है , फिर भी मैं कर्तव्य में लगा रहता हूँ .
व्याख्या : भगवान भी अवतार काल में सदा कर्तव्य , कर्म में लगे रहते हैं , इसलिए जो साधक फल की
इच्छा से रहित और आसक्ति से रहित होकर सदा कर्तव्य , कर्म में लगा रहता है , वह आसानी
से भगवान को प्राप्त कर लेता है.
भगवद गीता
प्रस्तुती राकेश खुराना