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Category: Poetry

उजालों के आते ही स्याह साये हो गए साफ़ ,रह गई W UP फिरने को यहाँ से वहां मारी मारी

आश्वासन की मृगतृष्णा में आरोपों के हैं चश्मे ,बेचारी जनता फिर रही यहाँ से वहां मारी मारी
ग़ुरबत में जो थाम ले हाथ वोही है सच्चा हमदर्द , उजालों में तो स्याह साये तक साथ छोड़ देते हैं
सियासी मुस्कराहट से किस का हुआ कब भला ,फूल सूखने पर ये भवरें कब कली पर टिकते हैं
केंद्र के एलेक्शंस हुए यूं पी में देरी है सालों की,वेस्टर्न यूं पी के भाग्य में केवल है भारी लाचारी
बिजली नही ,न्याय नहीं,नहीं है कहीं रोजगारी ,आश्वासन की मृगतृष्णा हैं आरोपों के हैं चश्मे
मीडिया के अनेकों स्तम्भों में नीवं में हैं विज्ञापन,इसीलिए “गोयनका” की कमी खलती भारी
इलेक्ट्रॉनिक्स हो या प्रिंट मीडिया या फिर हो कोई सोशल साइट सबने ढपली अलग ही बजाई
उजालों के आते ही स्याह साये भी साफ़ हो गए ,रह गई जनता फिरने को यहाँ से वहां मारी मारी

दिल और दिमाग की जंग में फंसा “झल्ला” हाय, दिल ले रहा पंगे जिस्म रहा पिटवाए

[१]दिल हे अपना बावरा हर तरफ दौड़ा जाये ,खुद तो बैठा चैन से मुझको रहा पिटवाए
[२]सर पर बाल सफा हुए चाल भी लड़खड़ाये ,खुद तो लेता मौज ये मुझको रहा पिटवाए
[३]आँखों पर चश्मा लगा, फर्क नजर नहीं आये खुद तो लेता पंगे ये मुझको दे पिटवाए
[४] दिल और दिमाग की जंग में फंसा “झल्ला” हाय खुद तो लेता पंगे मुझको दे पिटवाए

“सपा”ने भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के राजनीतिक प्रस्ताव को बताया झूठ का पुलिंदा

उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी ने भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के प्रस्ताव को झूठ का पुलिंदा बताया |
सपा प्रवक्ता राजिंदर चौधरी ने कहा कि भाजपा का राजनैतिक प्रस्ताव विशुद्ध रूप से उत्तर प्रदेश की जनता केा बदनाम करनेवाला है और विधान सभा चुनावों में मिले जनादेश का अपमान करता है। गौरतलब है कि भाजपा की प्रदेश इकाई की बैठक वृन्दावन में हुई जिसमे उत्तर प्रदेश में अपराधो को लेकर साप को कटघरे में खड़ा किया गया |
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था भंग होने का राग बसपा समाजवादी पार्टी सरकार बनने के पहले दिन से ही अलापती रही है अब उसकेनक़्शे कदमो पर चलते हुए भाजपा द्वारा अपना राजनैतिक प्रस्ताव लाया गया है |
सपा प्रवक्ता ने बताया कि अपराध और सांप्रदायिकता रोेकने में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देशों पर प्रशासन ने कड़े और त्वरित कदम उठाए उसी के फलस्वरूप शांति व्यवस्था में कोई गड़बड़ नहीं हुई |इसके लिए भाजपा को धन्यवाद के दो शब्द भी शिष्टाचारवश ही सही जरूर लिखना चाहिए था।
राजिंदर चौधरी ने अपनी सरकार कि उपलब्धियों को दोहराते हुए कहा कि जहां तक महिलाओं की सुरक्षा का प्रश्न है समाजवादी पार्टी सरकार ने कड़े उपाय किए हैं। वूमेन पावर लाइन 1090 सेवा से महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों से रोक लगी है। प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयत्न तेजी पर हैं और बाहर से पूंजीनिवेश के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं उद्यमियों के साथ बैठकें की है। प्रदेश में कृषि और उद्योग के साथ अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रदेश में व्यापक स्तर पर कार्य हो रहा है।
उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले पांच सालों के बसपा राज में न तो एक यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ और नहीं कोई बिजलीघर लगा। जनता के किसी वर्ग यहां तक कि दलितों से भी तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावतीे कभी नहीं मिली। उनके दुःखदर्द में शामिल होने या उनके घावों पर मरहम लगाने की बात तो दूर रही। आज मुख्यमंत्री विकास कार्यो का स्वयं अनुश्रवण कर रहे हैं और ऊर्जा क्षेत्र में उत्पादन की नई इकाइयां शीघ्र ही अपना काम शुरू करेगी।
यह अजीब बात है कि बसपाराज में जब सरकारी खजाने की लूट हो रही थी, विकास के नाम पर पार्क, स्मारक और पत्थर की प्रतिमाएं लगाकर मोटा कमीशन वसूला जा रहा था और हर तरफ भ्रष्टाचार व्याप्त था तब भाजपा को कभी संघर्ष का इरादा क्या सपना भी नहीं आया। अब जब समाज के हर वर्ग के कल्याण की योजनाओं को अमल में लाया जा रहा है तब भाजपा समाजवादी सरकार की खिलाफत में उतरना चाहती है। वस्तुतः केन्द्र में सत्ता में आने से बौखलाई भाजपा प्रदेश में अराजकता को बढ़ावा देकर शांति और सौहार्द को नष्ट करने पर उतारू हैं। वह प्रदेश की प्रगति के रास्ते में रोड़ा बनना चाहती है। प्रदेश की जनता सच्चाई समझती है और अपने अपमान तथा उत्तर प्रदेश को बदनाम करने का जवाब देना जानती है।

नहीं रहा वोह घर ,कान्हा,नहीं रही वोह यमुना,मुख्य मंत्री भी हर साल बधाई देकर करते इतिश्री

kali paltan mandir meerut2नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ,हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की
घुट्टी ले माखन दूध की खड़ा हिंदुस्तान ,लोग लुगाई आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
नहीं रहा घर तुम्हारा नहीं रही वोह यमुना, मुख्य मंत्री मात्र बधाई देकर करते इतिश्री
फिर भी दिल्ली से मुंबई जहाँ तक नजर गई बूढ़ा बच्चा बन गोविंदा झूमे घडी घडी
जन्म लिया कान्हा ने फिर से उम्मीद जगी मिट जाएगी देश से महंगाई+क्राइम +बदी
कंस भरे है घर घर कान्हा राह नहीं आसान ,सुदर्शन होना चाहिए ऐ के ४७ से महान तभी
हो सकता है बहें फिर मख्हन+दूध+ दही ,झल्ले की अरदास है ये सपना सच हो कभी

बालों में सफेदी,आँखों पर चढ़ा चश्मा लेकिन कमबख्त का सर झटकने से दिल ही नहीं भरा

बाँकी पलकें झुका कर कातिल अदा से उठाई उस जालिम ने
इस कदर उनमे खोया “झल्ला” पलकें झपकाना भूल गया
बालों को संवारने को जब उसने दिया अपने सर को झटका
कसम उस झटके की दिल उन्हींं जुल्फों में जाकर अटका
कसमे उसकी+खुद्की खा कर जब होने लगा मुह बदमज़ा
बालों में है उसके सफेदी और आँखों पर चढ़ा मोटा चश्मा
लेकिन कमबख्त का सर को झटकने से दिल ही नहीं भरा

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+जनता सुलग रही है और सत्तारुड सपा उछल रही है

वेस्टर्न यूं पी सिहर रही है+ईस्टर्न यूं पी चमक रही है
जनता बेचारी सिमट+सुबग+सिसक रही है और
सपा तो उछल रही है इसीलिए सभी को खटक रही है
बिजली हो+बीमारी हो+अपराध हो या भाई चारे का नाश
कांग्रेस भटक रही है+बसपा भाम्भड भूसे है
और भाजपा बिलख बिलख ओनली उछल रही है
और अभिशिप्त बेचारी वेस्टर्न यूं पी सुलग रही है

सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन

निकला हूँ घर से सामान के लिए, हाथों में थैला और फरमान लिए हुए
वाजिब पैसे हैं जेब में तरकारी के लिए,ऐ टी एम से निकाले इसी काम के लिए
सलाद के लिए टमाटर के जब पूछे भाव जेब खाली होती दिखी बिना भाव
सौ रुपयों में टमाटर अगर खाया तो चढ़ा रंग हुआ भी उतरेगा फ़ौरन
सब्जी मंडी में है चहुँ और मारा मारी.लेना हो तो लो वरना आगे बढ़ो
बस यही कोहराम मचा हुआ है हर तरफ इस छोटी सी जान के लिए

पैगामे इश्क खतो किताबत का मोहताज नहीं, हवाओं के पत्ते अहसास की स्याही बस काफी है

इश्क का पैगाम किसी खतो किताबत का मोहताज नहीं
इसे पहुँचाने के लिए एक अहसास एक लम्हा ही काफी है
हवाओं के पत्ते अहसास की स्याही बस इतना काफी है
पत्ते पीपल के हों या ताड़ के रकीबों का डर लगा रहता है

दादा का अपने पहले पोते को सन्देश

में तेरा दादू हूँ ,तू मेरा पोता है
तेरा नाम अर्जुन ,जगमोहन मेरा है
हम दोनों सबलोक हैं,कुशल गौत्र है
पिंड हसाडा दन्दी ,रावल पिंडी में है
अब ये पिंड अपना ,पाकिस्तान है
पापा तेरा जतिन है मेरा गोकुल चंद
तू जन्मा इंडिया में, मेरा भी इंडिया है
तेरा इंडिया मेरा इंडिया अलग अलग हैं
दोनों के इंडिया में जमीनी अंतर है
तेरे इंडिया खोजी कोलम्बस ने बनाया
यूं एस ,आज विश्व में नंबर वन है
मेरा इंडिया खोजा था वास्को डी गामा ने
यह भारत बनने तक भी तरस रहा है
हमारा पारिवारिक वृक्षकी कुछ जड़ें इस प्रकार है
1) अर्जुन सबलोक year=== january=2014
3)जतिन सबलोक 1981====wife vatsla
4)जगमोहन सबलोक === SHASHI==1952
5)गोकुल चंद सबलोक -====रामप्यारी सबलोक
6)गुरदित्ता मल सबलोक – लक्ष्मी देवी सबलोक
7)जवाहर लाल सबलोक – ==हीरा देवी सबलोक
8)रंगा शाह सबलोक ======ज्ञात नहीं
9)खुशु शाह सबलोक
10)मख्हन मल सबलोक
11)सुल्तान मल सबलोक
12)गुलाब राय सबलोक
13)मनसा राम सबलोक संवत =1853YEAR=१७५३
कैमल पुर – डिस्ट्रिक्ट
दंडी – – विलेज
पिंडी घैप – तहसील
संवत – 1853

गाज़ा पट्टी पर बड़ों ने दिखला बचपना किया राज्य सभा का बंटाधार

मुजफ्फर नगर की सांप्रदयिकता की भड़की आग
शिरडी वाले साईं बाबा से शंकराचार्य का टकराव
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी से हो रहा
सीधे सीधे हरियाणा कांग्रेस का खुल्ला टकराव
जब इनसे भी न बनी बात तो गाज़ा पट्टी पर बड़ों ने
दिखला बचपना किया राज्य सभा का बंटाधार