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Category: Poetry

परमात्मा को छल कपट से नहीं सच्चे प्रेम से पाया जा सकता है

जिस मन में छल कपट हो, उस में न भक्ति मेल,
जिस तरु जड़ में आग हो, उस पर चढ़े न बेल.

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रभु की आराधना निष्काम,निष्कपट एवं सच्चे मन से करो क्योंकि अगर हमारे मन में छल कपट हो तो भक्ति भवानी जाग्रत नहीं हो सकती.
परमात्मा को छल कपट से नहीं वरन प्रेम से पाया जा सकता है. जैसे किसी वृक्ष की जड़ में अगर आग लगी हुई हो तो कोई भी बेल उस पेड़ पर नहीं चढ़ती.
स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

सोचे-समझे बिना कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .

अंतर दाव लगी रहै, धुआं ना प्रगटै सोई
कै जिय आपन जानहिं, कै जिहि बीती होइ
अर्थ : रहीम दास जी कहते है मन में अग्नि धधकती रहती है, परन्तु उसका धुंआ
बाहर प्रकट नहीं होता. जिस व्यक्ति के मन पर जो घटित हो रहा होता है ,
उसका अंतर ही उसको जान सकता है, अन्य कोई नहीं .
भाव : इस दोहे का भाव यही है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने जीवन में अपना
ही दुःख- सुख होता है. किसी की क्या पीड़ा है , वह तब तक नहीं जानी
जा सकती , जब तक वह स्वयं अपने मुख से न कहे .
इसलिए बिना सोचे-समझे कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .
जीवन में न जाने कितने-कितने लोगों के साथ हमारा मिलना-जुलना
होता है और उनके मन की बात को जाने बिना ही हम या तो उन्हें
सलाह देने लगते हैं या उनके किसी कार्य अथवा बात को देख-सुनकर
उस पर टिप्पणी करने लगते है या उसकी आलोचना करने लगते हैं .
यह प्रवृति सरासर गलत है .

इन्द्रियों को वश में कर लेने वाले मोह -माया के जाल से मुक्त रहते हैं

Rakesh Khurana [Right] In A Social Gathering

जो रहीम तन हाथ है, मनसा कहुं किन जाहिं
जल में जो छाया परी, काया भीजती नाहीं

अर्थ : कवि रहीम कहते हैं कि यदि शरीर पर अपना वश है तो मन कहाँ जाएगा?
जैसे – यदि पानी में अपना प्रतिबिम्ब दिखाई दे तो शरीर नहीं भीगता.
भाव : कवि रहीम का संकेत यहाँ इन्द्रियों को वश में करने की ओर है . उनका
कहना है कि यदि आदमी पूर्ण संयम से अपनी समस्त कर्मेन्द्रियों को
वश में कर ले तो वह अपनी ज्ञानेन्द्रियों अर्थात मन को भी वश में कर
सकता है . जिस प्रकार पानी में दिखाई देने वाले प्रतिबिम्ब को पानी
गीला नहीं कर सकता , उसी प्रकार अपनी कर्मेन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों
को वश में कर लेने वाले व्यक्ति को सांसारिक मोह -माया अपने जाल
में कभी नहीं फंसा सकती .

नाम की कमाई से कुकर्मों का अंत =कबीरवाणी

नाम की कमाई से कुकर्मों का अंत
जबहिं नाम ह्रदय धरयो, भयो पाप का नास
जैसे चिनगी आग की, परी पुरारी घास

भावार्थ
संत कबीर दास जी कहते हैं जिस समय हमारे ह्रदय में नाम प्रकट हो जाता है, हमारे कुकर्मों का अंत हो जाता है .
जिस प्रकार घास का बड़े से बड़ा ढेर भी चिंगारी से जलकर राख हो जाता है . इसी प्रकार हम संसारी कितने
भी खोटे कर्म कर चुके हों, नाम की कमाई हमारे सब पापों का नाश कर देती है .
कबीर दास जी नाम का प्रताप इस तरह भी बताते हैं –
नाम जपत कोढ़ी भला, चुइ-चुइ पड़े जिस चाम
कंचन देह किस काम की, जिस मुख नाहीं नाम

अर्थात अगर कोई कोढ़ी भी, जिसके घाव से पानी बह रहा है, परन्तु अंतर में वह नाम से जुड़ा हुआ है तो वह
उस व्यक्ति से कहीं अच्छा है, जो सोने जैसी काया लेकर सांसारिक मोहमाया, विषयभोग में लिप्त है.

परमात्मा के अवतरण से सांसारिक बेड़ियों से मुक्ति= भगत श्री नीरज मणि ऋषि

विषय -परमात्मा का अवतरण सांसारिक मोह -माया की बेड़ियों से मुक्ति

जब श्री कृष्ण भगवान् का जन्म हुआ तो उस समय वासुदेव जी की सारी बेड़ियाँ टूट गईं, जेल के सारे दरवाजे खुल गए और वे बंधनमुक्त
हो गए. इसी प्रकार जब हमें परमात्मा और संतों की संरक्षता एवं समीपता प्राप्त होती है तो हमारी भक्ति परवान चढ़ती है और हमारी
आत्मा निर्बंध हो जाती है और संसार के मोह-माया के बन्धनों से मुक्त हो जाती है.
हमारे जीवन का उद्देश्य भगवत प्राप्ति है. संत हमें समझाते हैं कि हाथों से जगत के कार्य करो और मन से प्रभु की भक्ति करो. परमात्मा से दूर जाकर तो दुःख मिल सकता हैं परन्तु परमात्मा की संरक्षता एवं संतों के सानिध्य में रहकर कोई कमी नहीं आती. साधना करने में जो
साधन भक्तों के पास हैं उनकी प्रभु रक्षा करते हैं तथा जो साधन भक्तों के पास नहीं हैं उनका प्रबंध करते हैं. प्रभु की अपने भक्तों के
लिए ऐसी प्रतिज्ञा है .
कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर श्री रामशरणम् आश्रम गुरुकुल डोरली , मेरठ में]

भगत श्री नीरज मणि ऋषि
जी द्वारा दिए गए प्रवचन का एक अंश
प्रेषक: श्री रामशरणम् आश्रम गुरुकुल डोरली , मेरठ
file photos .

राम नाम का जाप से आध्यात्मिक सुखों की कोई सीमा नहीं

तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार
इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार

भावार्थ: राम नाम का जाप इस संसार रुपी भवसागर से पार उतारने वाला है.
इस मंत्र के जाप से मिलने वाले आध्यात्मिक सुखों की कोई सीमा
नहीं है तथा इसके जाप से मनुष्य निश्चय ही जनम मरण के चक्र
से छुटकारा पा जाता है.

स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश
प्रेषक: श्री राम शरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग
चन्दन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग

भावार्थ
कवि रहीम कहते हैं कि जो उत्तम स्वभाव और दृढ-चरित्र वाले व्यक्ति
होते हैं, बुरी संगत में रहने पर भी उनके चरित्र में विकार उत्पन्न नहीं
होता .जिस प्रकार चन्दन के वृक्ष पर चाहे जितने विषैले सर्प लिपटे
रहें, परन्तु उस वृक्ष पर सर्पों के विष का प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात
चन्दन का वृक्ष अपनी सुगंध और शीतलता के गुण को छोड़कर
जहरीला नहीं हो जाता .
भाव यह है कि जिस प्रकार विषैले सर्प चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने
पर भी उसकी सुगंध को विषैला नहीं बना सकते, उसी प्रकार दुर्जन
और दुष्ट प्रवृत्तियों वाले व्यक्ति, दृढ-चरित्र वाले व्यक्ति को दुर्जन या
दुष्ट नहीं बना सकते

झूठी काया झूठी माया झूठो सब संसार फिर क्यूं करें जंजाल

झूठी काया झूठी माया झूठो सब संसार फिर क्यूं करें जंजाल
कोन करे जंजाल , जग में जीवन थोरो,
झूठी रे काया, झूठी रे माया, झूठो सब संसार.

भावार्थ: संत मीराबाई कहती हैं कि इस छोटे से जीवन में हमें जग के जंजालों में नहीं उलझना चाहिए . यह संसार नश्वर है, हमारा शरीर यह माया सब झूठी हैं. सद्गुरु की भक्ति, नाम का जप सत्य हैं. गुरु परमात्मा का रूप है.
गुरु बिना भक्ति अधूरी है. गुरु ही मोक्ष का द्वार हैं.Permalink: http://jamosnews.com

किंग फिशर के एयर क्राफ्ट्स रिलीज करने से एयर पोर्ट अथोरिटी ने इंकार किया

किंग फिशर एयर लाइंस से कर्जा वसूलने के लिए एयर पोर्ट आथोरिटी आफ इंडिया ने एयर लाइंस द्वारा लीज पर लिए गए एयर क्राफ्ट्स को रिलीज करने से इनकार कर दिया है|
विजय माल्या की किंग फिशर एयर लाइंस ने छ एयर क्राफ्ट्स लीज पर लिए थे ये सभी चेन्नई एयर पोर्ट पर पार्क किये गए हैं| कंपनी द्वारा फरवरी माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है |लीज का किराया नहीं दिया गया है इसके साथ ही एअरपोर्ट आथोरिटी को लेंडिंग & पार्किंग फीस की एवज में ३०० करोड़ रुपये भी नहीं दिए गए हैं| दिवालिया होने की कगार पर आ चुकी कंपनी से एयर क्राफ्ट वापिस लेने के लिए लीजर्स ने एयर पोर्ट आथोरिटी को नोटिस देकर अपने एयर क्राफ्ट्स जल्द रिलीज करने को कहा है \ एयर पोर्ट अथोरिटी द्वारा यह कह कर इनकार कर दिया गया है कि कंपनी पर उसकी ३०० करोड़ रुपयों की लेन दारी है ऐसे में कंपनी के एयर क्राफ्ट्स को रिलीज नहीं किया जा सकता

जब दिल में ख्याले सनम हो बसा , तो गैर की पूजा कौन करे.

हमारे संत सूफियों ने परमात्मा को अपने अन्दर ही तलाश कर उसकी पूजा को ही असली धर्म बताया है
अपने ही घर में खुदाई है,तो काबे में सजदा कौन करे,
जब दिल में ख्याले सनम हो बसा , तो गैर की पूजा कौन करे.

भावार्थ: सूफी संत बुल्लेशाह कहते हैं कि
मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारे में भगवान कहाँ मिलता है, परमात्मा तो तेरे अन्दर समाया हुआ है पहले उसे तो जान ले पहचान ले, जब सच्चे संत की शरण में जाओगे तभी वास्तविक तथ्य का पता चल पाएगा और सद्गुरु की मूर्ति को घट मंदिर में विराजमान करके उसकी आराधना करो फिर कहीं और जाने की जरूरत नहीं है.

इसी सन्दर्भ में संत कबीर दास जी फरमाते हैं,
मन मक्का दिल दवारिका, काया काशी जान,
दश द्वारे का देहरा, तामें ज्योति पिछान.