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केंद्र सरकार ने ,लोक सभा में , मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय में वृद्धि का रुख दिखाया और खर्च करने की आदतों में सुधार का दावा किया

केंद्र सरकार ने आज ,लोक सभा में , मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय में वृद्धि का रुख दिखाया और खर्च करने की आदतों में सुधार का दावा किया केंद्र सरकार को आज मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय (एमपीसीई) में वृद्धि का रुख नजर आया| एमपीसीई[MPCE ] में इस वृद्धि के रुख के आधार पर लोक सभा में लोगों की खरीद क्षमता में बढ़ोत्‍तरी और खर्च करने की आदतों में सुधार को दर्शाने का प्रयास किया गया ।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन तथा रसायन एवं उर्वरक राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री श्रीकांत कुमार जेना ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा परिवार उपभोक्‍ता व्‍यय पर ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में समय-समय पर किए गए विभिन्‍न सर्वेक्षणों के प्राप्‍त आंकड़ों से पता चला है कि मासिक प्रति व्‍यक्ति व्‍यय (एमपीसीई) में वृद्धि का रुख नजर आ रहा है। एमपीसीई में यह वृद्धि लोगों की खरीद क्षमता में बढ़ोत्‍तरी और खर्च करने की आदतों को दर्शाती है।
लोगों की खर्च करने की आदत में बदलाव का श्रेय जीवन शैली, खान-पान की आदत, स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूकता में परिवर्तन को जाता है, इसका कारण समय-समय पर शुरू किए गए विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों की वजह से लोगों की आय के स्‍तर में वृद्धि होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और लोगों की आय के स्‍तर में सुधार के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए कुछ कार्यक्रमों में महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा), राष्‍ट्रीय ग्रामीण जीवनयापन मिशन, राष्‍ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), भारत निर्माण, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई), जवाहर लाल नेहरू राष्‍ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) और विशाल शहरों के उप-नगरों में शहरी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।

चालू खाता घाटे को नि‍यंत्रण में रखने के लिए अब सोना, प्‍लैटि‍नम और चांदी पर सीमा शुल्‍क में १०% तक की बढ़ोत्तरी

चालू खाता घाटे को नि‍यंत्रण में रखने के लिए किये जा रहे उपायों में अब सोने और प्‍लैटि‍नम पर सीमा शुल्‍क में 8 से 10 प्रति‍शत तक और चांदी पर 6 से 10 प्रति‍शत वृद्धि‍ की गई है।इस विषय में संसद में आज अधि‍सूचना प्रस्‍तुत कर दी गई। इसके चलते अयस्‍क सोने/सांद्र सोने, सोना डोर छड़ और चांदी डोर छड़ पर सीमा शुल्‍क में समायोजन कि‍या जा रहा है। इसी प्रकार अयस्‍क/सांद्र सोने, सोना डोर छड़ पर सीमा शुल्‍क 6 से 8 प्रति‍शत, जबकि‍ चांदी डोर छड़ पर 3 से 7 प्रति‍शत सीमा शुल्‍क में बढोत्‍तरी की जा रही है।
गौरतलब है कि भारत इन धातुओं का बढ़ा आयातक देश है जिसके बदले में विदेशी मुद्रा बाहर जाती है| अप्रैल से मात्र चार महीनों में चांदी के आयात में कीमत के भुगतान के हिसाब से २००% कि बढ़ोत्तरी हुई है जबकि सोने के इम्पोर्ट में यह वृधि ६८% है|
सोने और चांदी पर सीमा शुल्‍क में बदलाव के परि‍णाम स्‍वरूप अयस्‍क/ सांद्र सोने से बनी सोने की शुद्ध छड़, सोने/चांदी डोर छड़ या तांबे पर उत्‍पाद शुल्‍क में 7 से 9 प्रति‍शत की वृद्धि‍ की गई है। उसी तरह, अयस्‍क/सांद्र चांदी से बनी, सोने/चांदी डोर छड़ या तांबे, जिंक या पि‍घले सीसे पर उत्‍पाद शुल्‍क में 4 से 8 प्रति‍शत की बढ़ोत्‍तरी हो रही है।
भारत, सोने और चांदी का एक प्रमुख आयातक देश है। इस वर्ष 2012-13 के दौरान आयाति‍त सोने की मात्रा 845 मी‍ट्रि‍क टन थी जि‍सका मूल्‍य 2,45,862 करोड़ रूपए था। वर्ष 2012-13 में 10,691 करोड़ रूपए मूल्‍य की 1963 मी‍ट्रि‍क चांदी का आयात कि‍या गया। 17 जनवरी 2012 से पहले 99.5 शुद्धता वाले स्‍टैंडर्ड सोने पर आयात शुल्‍क 300 रूपए प्रति‍ 10 ग्राम था। 17 जनवरी 2012 से शुल्‍क में 2 प्रति‍शत की वृद्धि‍ कर दी गई। उसके बाद 2012-13 के बजट में इसमें 4 प्रति‍शत की वृद्धि‍ की गई जि‍से 21 जनवरी 2013 को और बढाकर 6 प्रति‍शत कर दि‍या गया।
उसके बाद 5 जून 2013 से सोने पर आयात शुल्‍क 6 से 8 प्रति‍शत की दर से बढ़ा दि‍या गया।
शुल्‍क बढ़ाने का मूल उद्देश्‍य सोने के आयात पर अंकुश लगाना था। चांदी पर पि‍छली बार 17 जनवरी 2012 से शुल्‍क दरें संशोधि‍त की गई थीं।
17 जनवरी 2012 से पहले, चांदी पर सीमा शुल्‍क 1500 रूपए प्रति‍ कि‍लोग्राम के वि‍शेष मूल्‍य पर आधारि‍त था जि‍से 17 जनवरी 2012 से 6 प्रति‍शत बढ़ाया गया था।
हाल के महीनों में सोने और चांदी के आयात में उछाल देखा गया है। मात्रामक रूप में अप्रैल से जुलाई 2013 में सोने का आयात 205 मीट्रि‍क टन से बढ़कर 383 मीट्रि‍क टन हो गया जो कि‍ 87 प्रति‍शत की वृद्धि‍ है। मूल्‍य के रूप में देखें तो आयात, 56,488 करोड़ रूपए से बढ़कर 95,092 करोड़ रूपए के मूल्‍य का हो गया जो कि‍ करीब 68 प्रति‍शत बढ़ोत्‍तरी दि‍खाता है। अप्रैल से जुलाई 2013 के दौरान चांदी का आयात अप्रैल से जुलाई 2012 के 4,281 करोड़ रूपए के मुकाबले 12,789 करोड़ रूपए मूल्‍य का रहा, जो‍ करीब 200 प्रति‍शत बढ़ोत्‍तरी है। कल, वि‍त्‍त मंत्री ने सोने और चांदी के आयात को कम करने की आवश्‍यकता पर बल दि‍या था।

भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने सुभारती मेडिकल कॉलेज सहित छह मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द की

भारतीय चिकित्‍सा परिषद (एमसीआई) ने राष्ट्रीय राजधानी छेत्र [ एनसीआर ]में 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द कर दी है
भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय से राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में चल रहे मेरठ+गाजिआबाद+ग्रेटर नॉएडा+हापुड़+गुड गाँव के 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता/अनुमति पत्र रद्द करने की सिफारिश की है। ये कॉलेज हैं –
[1]. संतोष मेडिकल कॉलेज, गाजियाबाद
[2]. सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ
[3]. स्‍कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, ग्रेटर नोएडा
[4]. सरस्‍वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़
[5]. श्री गुरू गोबिन्‍द सिंह ट्राईसेन्‍टेनरी मेडिकल कॉलेज, गुडगांव
[6.] रामा मेडिकल कॉलेज, हापुड़
मंत्रालय को भारतीय चिकित्‍सा परिषद की यह सिफारिश इस साल मई में प्राप्‍त हुई थी।
हालांकि इसे 04 जून को फिर से जांच-पड़ताल के लिए परिषद के निदेशक मंडल के पास वापस भेज दिया गया था।
मेडिकल कॉलेजों को भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 के प्रावधानों और उनके दिशा-निर्देशों के तहत मान्‍यता दी गयी है।
इस उद्देश्‍य हेतु, भारतीय चिकित्‍सा परिषद नियमन, 1999 में निर्धारित न्‍यूनतम शर्तों के अनुसार भारतीय चिकित्‍सा परिषद परीक्षा के मानदंडों और कॉलेजों में उपलब्‍ध सुविधाओं के मूल्‍यांकन के लिए उनकी जांच पड़ताल करती है।
एमसीआई के सिफारिशों के आधार पर केन्‍द्र सरकार भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 11 (2) के तहत किसी भी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मुहैया की जाने वाली विशिष्‍ट चिकित्‍सा अर्हताओं को मान्‍यता प्रदान करती है और उन्हें अधिसूचित करती है।
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के उत्‍तर में लिखित में यह जानकारी दी।

रालोद के कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद नहीं किया गया तो उत्तर प्रदेश में संघर्ष छेड़ा जाएगा: जयंत चौधरी

[नर्इ दिल्ली,]राष्ट्रीय लोकदल[रालोद] के राष्ट्रीय महासचिव युवा जयंत चौधरी ने आज उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार के विरुद्ध हुंकार भरते हुए चेतावनी दी कि प्रदेश में यदि रालोद के कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद नहीं किया गया तो प्रदेश में सरकार के विरुद्ध संघर्ष छेड़ा जाएगा| श्री जयंत जी ने कहा कि समाजवादी सरकार में रालोद कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है, जिसे राष्ट्रीय लोकदल बिल्कुल बर्दाशत नहीं करेगा। यदि राज्य सरकार नहीं चेती तो राष्ट्रीय लोकदल इसके विरूद्ध संघर्ष करेगा। 18 अगस्त को शामली-मुजफ्फरनगर चलो के तहत जयन्त चौधरी की पद यात्रा को ऐतिहासिक कामयाब बनाने के लिए रण नीति पर भी चर्चा हुई|
रालोद की पशिचमी उत्तर प्रदेश की नव-गठित कार्यकारणी की पहली बैठक में आज छोटे[वर्तमान] चौधरी जयंत ने प्रदेश में अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए तीन सूत्री फार्मूला भी पेश किया | पार्टी कार्यालय 13ए, फिरोजशाह रोड़, नर्इ दिल्ली में बैठक आयोजित हुर्इ, जिसमें तीन मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा के बाद आम सहमति बनी।
बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद जयंत चौधरी ने कहा कि
[१]पशिचमी उत्तर प्रदेश में अलग हार्इकोर्ट बैंच,
[२] जाट आरक्षण तथा
[३] हरित प्रदेश के मुददे राष्ट्रीय लोकदल के मुख्य एजेंडे पर हैं।
इसके आलावा गन्ना तथा आलू किसानों के बकाये के लिये जिला कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया गया
राष्ट्रीय महा सचिव ने कहा कि हार्इकोर्ट बैंच को लेकर रालोद हमेशा संघर्षशील रहा है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह इस मुद्दे पर केन्द्रीय कानून मंत्री से मिल चुके हैं तथा उनसे सकारात्मक आशवासन भी मिला है।
रालोद पशिचमी उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यवीर त्यागी ने कहा कि रालोद वकीलों के आन्दोलन को समर्थन प्रदान करता रहा है और आगे भी संघर्षशील रहेगा।
जाट आरक्षण को लेकर भी चौधरी अजित सिंह व श्री जयंत चौधरी केन्द्र सरकार के सम्मुख जाट आरक्षण की मांग उठा चुके हैं
हरित प्रदेश के विषय में श्री जयंत चौधरी ने कहा कि छोटे राज्य हमेशा विकास करते हैं तथा उनमें प्रशासनिक समीक्षा समुचित ढंग से हो सकती है।
18 अगस्त को शामली-मुजफ्फरनगर चलो के तहत श्री जयन्त चौधरी जी की पद यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए तन मन से कामयाब बनाने के लिए रालोद पशिचमी उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष श्री त्यागी ने अपील की।
तथा जिला अध्यक्षों की सहायता के लिए जिला प्रभारीयों की नियुकित की जाएगी।

पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है : लाल कृषण अडवाणी

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा] के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने संसद सत्र को व्यर्थ करने के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की | अडवाणी ने अपने ब्लाग में बताया है कि संसद के मानसून सत्र में तेलंगाना के गठन को लेकर सरकार की ढुल मुल नीति + सीमा पर हुए पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
इन इकतालीस वर्षों के अपने संसदीय जीवन में मैंने पहले कभी भी नहीं देखा कि किसी सरकार ने संसद सत्र को इतनी बुरी तरह से व्यर्थ कर दिया हो जैसाकि यूपीए सरकार ने संसद के वर्तमान मानसून सत्र को किया है।
तीन सप्ताह का सत्र घोषित किया गया था। पहला सप्ताह समाप्त हो गया है। एक दिन भी न तो प्रश्नकाल हो सका या न ही कोई अन्य कामकाज। समूचे सप्ताह में रोज हंगामा होता रहा। और यह हंगामा मुख्य रुप से आंध्र से जुड़े कांग्रेसजनों ने किया-जो तेलंगाना का विरोध और आंधा प्रदेश को संयुक्त रखने की मांग कर रहे थे।
पहले सप्ताह के व्यर्थ जाने में मुख्य कारण तेलंगाना के बारे में घोषणा करना रहा। भाजपा सदस्य सरकार से बार-बार अनुरोध करते रहे कि वह अपनी पार्टी के सदस्यों को संयम में रखें परन्तु इस दिशा में कोई कोशिश होती भी नहीं दिखाई दी! इससे आश्चर्य होता है कि आने वाले दो सप्ताहों के सत्र की सत्तारुढ़ दल कैसे योजना बनाएगा!
तेलंगाना आंदोलन के दशकों पुराने इतिहास में जाए बगैर मुझे स्मरण आता है कि 9 दिसम्बर, 2009 का, जब यूपीए सरकार ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्बरम ने घोषणा की कि भारत सरकार एक पृथक राज्य तेलंगाना बनाने की रुकी हुई प्रक्रिया को राज्य विधानसभा में विधेयक पारित कराकर शुरु करेगी। सभी को लगा था कि इस हेतु आवश्यक विचार-विमर्श कांग्रेस पार्टी के भीतर हो गया होगा। लेकिन इस घोषणा से आंध्र और रायलसीमा में विरोध शुरु हो गया। 23 दिसम्बर, 2009 को भारत सरकार ने दूसरी घोषणा की कि जब तक सभी दलों से एक आम सहमति नहीं बन जाती तब तक तेलंगाना पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसका अर्थ हुआ गृह मंत्रालय की घोषणा का उलट होना। अब जो हो रहा है उससे तेलंगाना के लोग महसूस कर रहे हैं कि यह घोषणा आगामी चुनावों में फायदा उठाने के उद्देश से की गई है और सत्तारुढ़ दल ने एक बार फिर से उन्हें वेबकूफ बनाया है।
मुझे याद है कि एनडीए शासन के दौरान तीन नए राज्यों-उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड-का निर्माण कितनी सहजता से हुआ। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार-इन तीन राज्यों जिनमें से उपरोक्त तीनों राज्यों का जन्म हुआ, की विधानसभाओं ने इनके पक्ष में प्रस्ताव पारित किए और संसद के दोनों सदनों में लगभग सर्वसम्मति से आवश्यक विधेयक पारित किए। यह सब इसलिए हासिल हो सका क्योंकि भाजपा इन नए राज्यों के बारे में इच्छुक थी और इस सम्बन्ध में आवश्यक आधार कार्य कर लिया गया था।
तब भी भाजपा तेलंगाना के पक्ष में थी लेकिन चूंकि उस समय हमारी सरकार को समर्थन दे रही सहयोगी पार्टी तेलुगूदेसम इसके पक्ष में नहीं थी, अत: हमारी सरकार इसके बारे में बात तक नहीं कर सकी।
तेलंगाना मुद्दे को गलत ढंग से ‘हैंडल‘ करने के चलते अब तक का संसद सत्र एकदम व्यर्थ गया है। परन्तु पिछले सप्ताह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक गंभीर त्रासदी घटी, जिसने इस सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है-विशेष रुप से रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी द्वारा त्रासदी के दिन गड़बड़ करने से।
मैं कहना चाहूंगा कि यदि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर घात लगाकर हमारे पांच जवानों को मार गिराया, तो एंटोनी के वक्तव्य से व्यथित भारतीय संसद ने रक्षा मंत्री पर हमलाकर उन्हें अपने पहले दिन के अस्पष्ट वक्तव्य को वापस लेने पर बाध्य किया और उसके स्थान पर दूसरा वक्तव्य आया जो पाकिस्तान के विरुध्द राष्ट्रीय आक्रोश को पूरी तरह से प्रकट करता है।
संसद में रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में चौंका देने वाली यह बात कि उन्होंने इस घटना के बारे में सेना द्वारा जारी किए अधिकारिक बयान में जानबूझर बदलाव किए-बदलाव पाक सरकार और पाक सेना को इस हमले जिम्मेदारी से बचाने के लिए किए गए।
सेना के बयान में बदले गए अंश का उदाहरण:
पीआईबी (रक्षा विभाग) का प्रेस वक्तव्य कहता है: ”हमला पाक सेना के जवानों के साथ लगभग 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा किया गया।” रक्षा मंत्री एंटोनी ने कहा: ”हमला 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहले लोगों से साथ मिलकर किया।”
संसद का वर्तमान सत्र शुरु होने से पूर्व ही प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया में प्रकाशित हुआ था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ वार्ता करने वाले हैं और वह भी 26/11 के मुंबई के आतंकवादी हमलों के अपराधियों को भारत को सौंप जाने की शर्त को भुलाकर। इसलिए संसद को एंटोनी के 8 अगस्त के संशोधित वक्तव्य में यह देखकर प्रसन्नता हुई कि ”पाकिस्तान की आतंकवादियों के नेटवर्क संगठन और ढांचे को नेस्तानबूद करने में निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और नवम्बर, 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने में संतोषजनक कदम उठाने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय हो सके।
घटनास्थल पर सेनाध्यक्ष के दौरे और रक्षा मंत्री को पूरे तथ्यों की जानकारी देने के बाद संसद में मंत्री के संशोधित संस्करण में पाकिस्तान को निम्न शब्दों में चेतावनी दी गई:
”निश्चित तौर पर इस घटना का पाकिस्तान के साथ हमारे सम्बन्धों और नियंत्रण रेखा पर हमारे व्यवहार पर असर पड़ेगा। हमारे संयम को कमजोरी नहीं समझना चाहिए और हमारी सशस्त्र सेना की क्षमता को तथा हमारे इस दृढ़ निश्चय को कि हम नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे, कम करके नहीं आंका जाना चाहिए था।”

अल्‍पसंख्‍यक’ शब्‍द की परिभाषा संविधान में नही हैं फिर भी अल्प संख्यक कल्याणार्थ करोड़ों रुपयों की यौजनाएं बन रही है

अल्‍पसंख्‍यक’ शब्‍द की परिभाषा संविधान में नही हैं फिर भी अल्प संख्यक कल्याणार्थ करोड़ों रुपयों की यौजनाएं बन रही है

अल्‍पसंख्‍यक’ शब्‍द की परिभाषा

संविधान में नही हैं| बेशक इसका विवरण संविधान की धाराओं में शामिल है| केंद्र सरकर ने यह स्वीकारोक्ति आज संसद में एक लिखित उत्तर में की|
अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय राज्‍य मंत्री श्री निनॉन्‍ग ईरिंग ने आज एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि भारतीय संविधान में ‘अल्‍पसंख्‍यक’ शब्‍द का विवरण धारा 29 से लेकर 30 तक और 350ए से लेकर 350बी तक शामिल है। इसकी परिभाषा कहीं भी नहीं दी गई है। भारतीय संविधान की धारा 29 में ‘अल्‍पसंख्‍यक’ शब्‍द को इसके सीमांतर शीर्षक में शामिल तो किया गया किंतु इसमें बताया गया है कि यह नागरिकों का वह हिस्‍सा है, जिसकी भाषा, लिपि अथवा संस्‍कृति भिन्‍न हो। यह एक पूरा समुदाय हो सकता है, जिसे सामान्‍य रूप से एक अल्‍पसंख्‍यक अथवा एक बहुसंख्‍यक समुदाय के एक समूह के रूप में देखा जाता है।
भारतीय संविधान की धारा-30 में विशेष तौर पर अल्‍पसंख्‍यकों की दो श्रेणियों – धार्मिक और भाषायी, का उल्‍लेख किया गया है। शेष दो धाराएं – 350ए और 350बी केवल भाषायी अल्‍पसंख्‍यकों से ही संबंधित हैं।
इसके अलावा

अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए यौजनाओं का विवरण निम्न दिया गया है

वर्ष 2013-14 के वर्तमान वित्‍त वर्ष के दौरान अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के लिए जिन योजनाओं को 12वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया गया था, उन्‍हें स्‍वीकृति प्रदान कर दी गयी है।
योजना
बीई 2013-14
(रुपये करोड़ में)
खर्च की गयी धनराशि
अल्‍पसंख्‍यक छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए शिक्षा ऋण पर ब्‍याज सब्सिडी
2.00
अब तक इस मद में कोई खर्च नहीं हुआ है। कोई राज्‍यवार वित्‍तीय प्रावधान नहीं है।
संघ लोक सेवा आयोग/कर्मचारी चयन आयोग, राज्‍य लोक सेवा आयोग आदि द्वारा आयोजित प्रवेश-परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों की सहायता
4.00
‘सीखो और कमाओ’ नामक कौशल विकास पहलें
17.00
योजनाओं के दायरे में मुसलमानों सहित अधिक से अधिक अल्‍पसंख्‍यकों को शामिल करने के लिए अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों को प्राथमिकता देते हुए इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया और समाचार पत्रों के माध्‍यम से योजनाओं के कार्यान्‍वयन के बारे में जानकारी प्रदान करने के उपाय किये गए हैं।
आज राज्‍य सभा में एक लिखित उत्‍तर में अल्‍पसंख्‍यक मामलों के राज्‍य मंत्री श्री निनांग एरिंग ने यह जानकारी दी।

राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग ने उत्‍तराखंड के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में योगदान दिया

राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग के अध्‍यक्ष, अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्‍तराखंड में आई विनाशकारी आपदा के पीडि़तों के लिए अपने एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया है। आयोग ने प्रधानमंत्री राहत कोष के कार्यालय में 08 अगस्‍त, 2013 को 31054 रुपये का चेक जमा कराया

पूर्व केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और लेखक डी पी यादव का ७७ वर्ष की आयु में निधन हो गया

पूर्व केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और लेखक डी पी यादव का ७७ वर्ष की आयु में निधन हो गया है| मुख्य मंत्री और राज्य के अन्य नेताओं द्वारा दिवंगत आत्मा की चिर शांति और उनके परिजनों को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई है| बिहार सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ श्री यादव के पार्थिव शव का अंतिम संस्कार करने की घोषणा की है|
श्री यादव ने १९७१ से तीन बार मुंगेर संसदीय छेत्र का प्रतिनिधित्व किया|
तत्कालीन श्रीमती इंदिरा गाँधी मंत्रिमंडल में उन्हें शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया था |
श्री यादव डॉ राजेंद्र प्रसाद अकेडमी से भी जुड़े रहे|
इस अवसर पर बिहार के राजनीतिज्ञों ने गहरा शोक व्यक्त किया है| मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने दिवंगत नेता को जुझारू+कर्मठ और जागरूक नेता बता कर अपनी श्रधान्जली अर्पित की|
[२]परिवहन ,सूचना एवं जन संपर्क मंत्री वृषिण पटेल ने कहा के श्री यादव राजनीती के लिए शिक्षा को जरुरी मानते थे| राज्य ने ऐसे राजनीतिक को खो दिया जो शिक्ष विद भी थे
[३]पूर्व विदेश राज्य मंत्री हरि किशोर सिंह ने भी श्रधान्जली अर्पित की|

पहले सुपर स्टार और कांग्रेसी नेता [स्वर्गीय] राजेश [काका] खन्ना को समर्पित हो मुंबई के कार्टर रोड का नाम

बोलीवुड के पहले सुपर स्टार और कांग्रेसी नेता [स्वर्गीय] राजेश [काका] खन्ना

बोलीवुड के पहले सुपर स्टार और कांग्रेसी नेता [स्वर्गीय] राजेश [काका] खन्ना

बोलीवुड के पहले सुपर स्टार और कांग्रेसी नेता [स्वर्गीय] राजेश [काका] खन्ना की कांस्य प्रतिमा का अनावरण [रविवार को] मुम्बई स्थित बांद्रा बैंडस्टैंड पर किया गया|. इससे पूर्व परिवार द्वारा कार्टर रोड का नाम दिवंगत लोक प्रिय नेता के नाम पर किये जाने का आग्रह भी किया गया|फिल्म उद्योग में अपने सहयोगियों के बीच ‘काका’ के नाम से जाने जाने वाले अभिनेता का गत वर्ष गंभीर रूप से बीमार होने के बाद 18 जुलाई को निधन हो गया था।
अनावरण के मौके पर डिम्पल[बॉबी] के अलावा, उनकी पुत्री और दामाद अक्षय [खिलाड़ी]कुमार एवं बॉलीवुड की कई जानीमानी हस्तियां मौजूद थीं।
डिम्पल ने एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, ‘काकाजी को ना केवल एक अभिनेता बल्कि कांग्रेस नेता के रूप में भी याद किया जाता है.उन्होंने राजीव शुक्ला (सांसद) से अनुरोध किया कि कार्टर रोड का नाम राजेश खन्ना के नाम पर किया जाए.
सुपरस्टार के सम्मान और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनोरंजन चैनल यूटीवी स्टार्स ने बांद्रा बैंडस्टैंड स्थित ‘वाक आफ द स्टार्स’ पर खन्ना की प्रतिमा लगायी है. इस प्रतिमा में खन्ना अपने दाहिने हाथ में दो गुब्बारे लिये हुए दिखते हैं. खन्ना की यह मुद्रा उनकी फिल्म ‘आनंद’ से ली गई है.वह असली जीवन में भी आनंद थे और वह आनंद के तरह से ही जीये.’
आनंद फिल्म का एक द्रश्य इसमें अमिताभ बच्चन भी साथ हैं

आनंद फिल्म का एक द्रश्य इसमें अमिताभ बच्चन भी साथ हैं


दामाद [आरव ने ही अपने नाना को मुखाग्नि दी थी]अक्षय ने अपने 10 वर्षीय पुत्र आरव द्वारा लिखा एक संदेश पढ़ा. ‘मैं यहां आने के लिए आप सभी का धन्यवाद करता हूं. मुझे याद है कि उनके निधन से 10 दिन पहले वह बिस्तर में थे और उन्हें मेरे अलावा कोई भी याद नहीं था. उन्होंने मुझे चूमा था. मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या हो गया. वह एक महान व्यक्ति थे और वह हमेशा ही मेरे साथ रहेंगे.’ यह प्रतिमा बॉलीवुड की अन्य प्रमुख हस्तियों जैसे यश चोपड़ा, राज कपूर, शम्मी कपूर और देव आनंद की बगल में लगायी जाएगी|

मुख्य चुनाव आयोग ने देश के राजनीतिक दलों से चुनावी घोषणापत्र के बारे में शीघ्र सुझाव देने को कहा

मुख्य चुनाव आयोग ने देश के राजनीतिक दलों से चुनावी घोषणापत्र के बारे में शीघ्र सुझाव देने को कहा
चुनाव आयोग ने उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्देश की पृष्‍ठभूमि में राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वे चुनावी घोषणापत्र और उपहार देने के संबंध में अपने सुझाव एक सप्‍ताह के भीतर योजना आयोग को उपलब्‍ध कराएं।
मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त वी. एस. सम्‍पत ने यह अनुरोध निर्वाचन सदन में आयोजित राष्‍ट्रीय और राज्‍य स्‍तरीय पार्टियों की बैठक में किया। इस बैठक में चुनावी घोषणापत्र से संबंद्ध दिशा-निर्देश तैयार करने पर मुख्‍य रूप से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में छह राष्‍ट्रीय राजनीतिक दलों और 24 राज्‍य स्‍तरीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त श्री सम्‍पत के अलावा चुनाव आयुक्‍त एच. एस. ब्रह्मा और डॉ. नसीम जैदी भी उपस्थित थे। मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ने इस दौरान बताया कि कई राजनीतिक दलों ने चुनावी घोषणापत्र के मुद्दे पर अपने सुझाव आयोग को दे दिए है। उन्‍होंने अनुरोध किया कि बाकी दलों को भी इस संबंध में अपने सुझाव एक सप्‍ताह के भीतर आयोग को दे देने चाहिए। आयोग आम सहमति से उन सुझावों को आदर्श आचार संहिता में शामिल करेगा।
इसी बीच विधान सभा सदस्यों द्वारा निर्वाचित मौजूदा एक सदस्‍य धनंजय पंडित राव मुंडे के इस्‍तीफे के बाद महाराष्‍ट्र विधान परिषद में एक आकस्मिक रिक्‍तता आ गई है।यह जानकारी भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा 12 अगस्‍त 2013 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित है।
फोटो कैप्शन Chief Election Commissioner, V.S. Sampath at a meeting with the representatives of all recognized National and State Political Parties, in New Delhi on August 12, 2013.
The Election Commissioners, Shri H.S. Brahma and Dr. Syed Nasim Ahmad Zaidi are also seen.

डॉ. अजय छिब्‍बर ने, सरकारी हस्‍तक्षेप के बिना अपनी समीक्षाओं को सार्वजनिक करने के अधिकार के साथ , स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन कार्यालय का कार्यभार संभाला

डॉ. अजय छिब्‍बर ने आज भारत के स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन कार्यालय (आईईओ) के पहले महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाल लिया। यह संस्‍था योजना कार्यक्रमों, खासतौर से प्रमुख कार्यक्रमों का स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन करेगी और कार्यक्रमों की प्रभावितकता, प्रासंगिकता तथा इसके प्रभाव का विश्‍लेषण भी करेगी। उसे सार्वजनिक वित्‍त पोषण वाले या सरकार की तरफ से प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष गारंटी वाले किसी भी कार्यक्रम के स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन का अधिकार होगा। संस्‍था को बिना सरकारी हस्‍तक्षेप के अपनी समीक्षाओं को सार्वजनिक करने का अधिकार भी होगा। आईईओ खुले परामर्श और सिविल सोसायटी तथा जनता के साथ वार्तालाप के जरिए निर्णय करने में सक्षम होगा।
आईईओ की गतिविधियां उसकी वेबसाइट पर देखी जा सकती हैं, जहां भारत सरकार की सभी नीतियों और कार्यक्रमों का स्‍वतंत्र मूल्‍यांकन उपलब्‍ध रहेगा। संस्‍था की मूल्‍यांकन रिपोर्ट को संसद और प्रधानमंत्री कार्यालय में पेश किया जाएगा।
आईईओ के महानिदेशक का पद केन्‍द्रीय राज्‍यमंत्री के बराबर होगा और उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा, जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। संस्‍था के कर्मचारियों को चयन बिना किसी हस्‍तक्षेप के महानिदेशक द्वारा किया जाएगा। महानिदेशक के आग्रह पर संस्‍था को स्‍वतंत्र एवं समुचित बजट प्रदान किया जाएगा।