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Category: Social Cause

नागर विमानन मंत्रियों के सम्‍मेलन में राज्यों से ऐ टी ऍफ़ पर लागू वैट में ४% कटौती करने का आग्रह किया गया

राज्‍यों के नागर विमानन मंत्रियों सम्‍मेलन में राज्यों और केंद्र में परस्‍पर लाभकारी और उपयोगी साझेदारी पर बल देते हुए राज्यों से ऐ टी ऍफ़ पर वैट में ४% कटौती करने का आग्रह किया गया| सम्‍मेलन में 8 राज्‍यों के नागर विमानन मंत्रियों सहित लगभग 50 प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया।
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री चौ. अजित सिंह ने इस सम्मलेन में कहा है कि उड्डयन क्षेत्र को और ऊचांई पर ले जाने के लिए केन्‍द्र सरकार तथा राज्‍य सरकारों की आपसी साझेदारी आवश्‍यक है। विमान सेवओं के घाटे में जाने के कारणों की चर्चा करते हुए नागर विमानन मंत्री ने कहा कि एटीएफ (विमान र्इंधन) की उच्‍च लागत विमान सेवाओं के आर्थिक नुकसान का प्रमुख कारण है। एटीएफ घरेलू विमान सेवाओं के संचालन लागत का 40 से 50 % बैठता है। पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में एटीएफ की कीमतें 50 से 60 % ज्‍यादा हैं। ऐसा मुख्‍य रूप से इसलिए है कि क्‍योंकि एटीएफ का आधार मूल्‍य अधिक है और उस पर राज्‍य सरकारें वैट लगाती हैं
श्री सिंह ने बताया कि उनके मंत्रालय ने इस मसले को पेट्रोलियम मंत्रालय तथा राज्‍य सरकारों के साथ उठाया है। कुछ राज्‍यों का जवाब सकारात्‍मक है। झारखण्‍ड ने एटीएफ पर वैट में 4 % की कमी की है, मध्‍य प्रदेश सरकार ने इंदोर तथा भोपाल हवाई अड्डों पर इसे घटाकर 23 % करने पर सहमति दी है और अन्‍य हवाई अड्डों पर 13 %करने पर सहमति व्‍यक्‍त की है।पश्चिम बंगाल ने कुछ शर्तों के साथ इसे घटाने पर सहमति दी है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एटीएफ पर वैट में कमी करने से राज्‍यों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा। ऐसा छत्तीसगढ़ में देखने को मिला है। छत्तीसगढ़ ने 2010 में एटीएफ पर लगाये जाने वाले वैट में 4 % की कमी की थी और इसका नतीजा यह हुआ कि रायपुर से एटीएफ लेने में 6 गुणा वृद्धि हुई और वहां से उड़ान भरने वाले विमानों की संख्‍या रोजाना 8 से 18 हो गई। उन्‍होंने राज्‍य सरकारों के प्रतिनिधियों से एटीएफ पर वैट में 4 % की कमी करने का अनुरोध किया।
टायर 2 और तथा टायर 3 के शहरों को विमान सेवा से जोड़ने के प्रश्‍न पर श्री अजीत सिंह ने कहा कि यह तभी संभव होगा जब विमान सेवाओं के संचालन खर्च में कमी होगी। इसमें राज्‍य सरकारें सुरक्षा लागत, बिजली तथा हवाई अड्डों के सम्‍पत्ति कर में कमी कर योगदान दे सकती हैं।
योजना आयोग ने अंतर मंत्रालय कार्यबल का गठन 12वीं योजना अवधि में वित्तीय नियोजन का खाका तैयार करने के लिए किया था। कार्यबल ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ देश के कुछ हवाई अड्डों के विकास और आधुनिकीकरण का खाका तैयार किया। कार्यबलों की सिफारिशों के अनुसार भारत सरकार ने सिद्धांत रूप में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ देश के 20 हवाई अड्डों के संचालन प्रबंधन तथा उनके विकास का फैसला किया है। ये हवाई अड्डे हैं – कोलकात्ता, चेन्‍नई, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर गुवाहाटी, भुवनेश्‍वर, कोयमबटूर, त्रिची, वाराणसी, इंदौर, अमृतसर, उदयपुर, गया, रायपुर, भोपाल, अगरतला, इंफाल, मंगलौर तथा वड़ोदरा हैं।
सम्‍मेलन को नागर विमान राज्‍य मंत्री श्री केसी वेणु गोपाल ने भी संबोधित किया।

केन्द्रीय मंत्री डॉ शशि‍ थरूर को पहला श्री नारायण गुरू वैश्‍वि‍क धर्मनि‍रपेक्ष एवं शांति‍ पुरस्‍कार, 2013

उपराष्‍ट्रपति‍ हामि‍द अंसारी ने केन्द्रीय मंत्री डॉ शशि‍ थरूर को प्रथम श्री नारायण गुरू वैश्‍वि‍क धर्मनि‍रपेक्ष एवं शांति‍ पुरस्‍कार, 2013 प्रदान कि‍या और लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत अपरि‍हार्य बताते हुए कहा कि श्री थरूर ने इस दिशा में एक आदर्श स्‍थापि‍त कि‍या है और भारत में और विदेशों में उन्‍होंने इन आदर्शों के प्रति‍ अपने लेखन और अपने सार्वजनिक जीवन के कार्य में अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है|
इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति‍ श्री अंसारी ने कहा है कि‍ धर्मनि‍रपेक्षता और लोकतंत्र वे आधारभूत सि‍द्धांत हैं जि‍नपर हमारे लोकतंत्र की स्‍थापना हुई है। वे हमारे संवि‍धान की प्रस्‍तावना में अंतर्नि‍हि‍त हैं। वास्‍तव में वे सब सामाजि‍क, आर्थि‍क और राजनीति‍क न्‍याय के सि‍द्धांत+वि‍चारों+ अभि‍व्‍यक्‍ति‍+ मत+आस्‍था और पूजा की स्‍वतंत्रता+ स्‍थि‍ति‍‍ और अवसर की समानता से जुड़ी हैं।
उप राष्ट्रपति ने आज ति‍रुअनंतपुरम, केरल में मानव संसाधन वि‍कास राज्‍यमंत्री श्री शशि‍ थरूर को ‘’ प्रथम श्री नारायण गुरु वैश्‍वि‍क धर्मनि‍रपेक्ष और शांति‍ पुरस्‍कार, 2013’’ प्रदान कि‍या।
उन्‍होंने अपने संबोधन में कहा कि‍ हमारे पूर्वज वास्‍तवि‍कता को जानते थे। वे जानते थे कि‍ एक एकीकृत, आधुनि‍क और बहुल भारत के नि‍र्माण के लि‍ए हमारे प्राचीन और विविधतापूर्ण देश में, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत अपरि‍हार्य थे।
श्री अंसारी ने कहा कि‍ उल्‍लेखनीय है कि‍ 19 वीं सदी के अंति‍म और 20 वीं सदी के आरंभ के वर्षों के अपने जीवनकाल के दौरान, श्री नारायण गुरु इसी सामाजिक न्याय और समानता, धर्मनिरपेक्षता, उत्पीड़न से मुक्‍ति‍ और गरीबों के सशक्तिकरण तथा हाशिए पर पड़े लोगों के सामाज-आर्थिक उत्थान और शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि‍ पि‍छले 65 वर्षों में सामाजि‍क न्‍याय, आर्थि‍क वि‍कास और राजनीति‍क सशक्‍ति‍करण के लि‍ए बहुत कुछ कि‍या गया है, फि‍र भी भारत को एक आधुनिक, प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने के लिए और भी बहुत कुछ कि‍या जाना बाकी है।
उपराष्‍ट्रपति‍ ने कहा कि‍ आज के पुरस्‍कार का उद्देश्‍य एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को सम्‍मान देना है जि‍न्‍होंने एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्‍होंने कहा कि‍ महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु ने सभी मानव जाति‍ के प्रति‍ एकता और समानता का पाठ पढ़ाकर केरल के सामाजिक ढांचे को बदल दि‍या। उन्‍होंने योग्‍य प्राप्‍तकर्ता के रूप में श्री थरूर के चयन के लि‍ए प्रति‍ष्‍ठि‍त ज्‍यूरी की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि‍ श्री थरूर ने एक आदर्श स्‍थापि‍त कि‍या है और भारत में और विदेशों में उन्‍होंने इन आदर्शों के प्रति‍ अपने लेखन और अपने सार्वजनिक जीवन के कार्य में अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
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[1] The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari presenting the “First Sree Narayan Guru Global Secular & Peace Award 2013” to the Minister of State for Human Resource Development, Dr. Shashi Tharoor, at a function, at Thiruvananthapuram, Kerala on September 10, 2013.
The Governor of Kerala, Shri Nikhil Kumar is also seen.

प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरनगर की हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए बेगुनाह लोगों के जान-माल की पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया

प्रधानमंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने आज मुजफ्फरनगर की हिंसा में हुई जनहानि पर गहरा दु:ख व्यक्त किया|
डॉ मन मोहन सिंह ने उत्‍तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हाल की सांप्रदायिक हिंसा में हुई जनहानि पर गहरा दु:ख प्रकट किया है।इससे पूर्व डॉ मन मोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव से भी बात करके हिंसा की भर्त्सना की है|
प्रधानमंत्री डॉ सिंह ने राष्‍ट्रीय आपदा कोष से मारे गये प्रत्‍येक के परिजनों को 2-2 लाख और गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि स्‍वीकृत की है।
इससे पूर्व अल्‍प संख्‍यक कार्यमंत्री के. रहमान खान ने बेगुनाह लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात की और पश्चिमी ऊत्तर प्रदेश खासकर मुज़फ्फरनगर+ शामली + आस-पास के क्षेत्रों में हाल में हुए साम्‍प्रदायिक दंगों के बारे में गहरी चिंता व्‍यक्‍त की।
उन्‍होंने राज्‍य की कानून-व्‍यवस्‍था की स्थिति तथा अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की दु:खद स्थिति पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया। इसके परिणाम स्‍वरूप लोगों को अपना घर छोड़ कर सुरक्षित स्‍थानों पर जाना पड़ा। यह अत्‍यंत खतरनाक प्रवृति है जो साम्‍प्रदायिक विभाजन करा सकती है।
उन्‍होंने प्रधानमंत्री से यह अनुरोध किया कि ऊत्तर प्रदेश सरकार गुनाहगारों के विरूद्ध तत्‍काल कार्रवाई करे तथा लोगों की सम्‍पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री ने उन्‍हें यह आश्‍वासन दिया कि बेगुनाह लोगों के जान-माल की पूरी सुरक्षा की जाएगी।

मेरी गल्ल मन्नो , नौकरियों की दौड़ छोड़ो ,झट से विदेशी डिग्री लो और पट से देसी हुकुमरान बन जाओ


झल्ले दी झल्लियाँ गल्ला

एक चिंतित बुद्दि जीवी

ओय झल्लेया ये तुहाडे कपिल सिबल ने कौन सा नया फुहाड़ा डाल दिया ओये हसाड़े मुल्क में पहले ही नौकरियां नहीं हैं प्रबंध कालेजों की सींटे भरने में पसीने छूट रहे हैं और अब काबिल सिब्बल के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने-अपने कैम्पस खोले जाने की इजाजत देने के लिए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) तथा आर्थिक मामला विभाग (डीईए) को इस संबंध में प्रस्ताव भेज दिया है ओये पहले हसाड़े नौजवान बेशक बाहर पढाई के लिए जाते रहे हैं मगर उन्हें वहां नौकरियाँ मिलती रहीहैं और अब तो देश की कमी विदेश में जायेगी और बेरोजगारी बढायेगी|

झल्ला

अरे मेरे सोणे महानुभाव जी आप ये क्यों नहीं सोचते के पहले महात्मा गाँधी+जवाहर लाल नेहरु+ इंदिरा गाँधी+ राजीव गाँधी+राहुल गाँधी कपिल सिबल आदि आदि विदेशों में पढाई करके आये तब जाकर यहाँ हुकुमरान बने अब तो घर बैठे बैठे ही ४०० विदेशी यूनिवर्सिटी के टोप सरपर रख कर फोटो खिचवाने का सुनहरा मौका मिलेगा| भाई जीमेरी मानो तो छोटी मौटी नौकरियों को छोड़ो, झट से विदेशी डिग्री लो और पट से देसी हुकुमरान बन जाओ

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक कंपनी के रूप में भारत में अपने कैम्पस खोलने का रास्ता साफ़ हो गया है

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में अपने कैम्पस खोलने का रास्ता साफ़ हो गया है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम के तहत एक कंपनी के रूप में देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने-अपने कैम्पस खोले जाने की इजाजत देने के लिए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) तथा आर्थिक मामला विभाग (डीईए) को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के तहत नियम बनाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रदत्त अधिकारों के तहत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी [UGC ](विदेशी शिक्षण संस्थानों के कैम्पस की स्थापना और उनका संचालन) नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, ताकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने कैम्पस स्थापित कर सकें और विदेशी उपाधि जारी कर सकें। मंत्रालय ने डीआईपीपी[ DIPP ] तथा डीईए[ DEA ] से नियमों के संबंध में सुझाव मांगे थे। डीआईपीपी तथा डीईए दोनों ने मंत्रालय के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
प्रस्तावित नियमों के तहत यूजीसी द्वारा विदेशी शिक्षण संस्थानों (एफईआई)[FEI ] को एक बार विदेशी शिक्षा प्रदाता (एफईपी) [FEP ]के रूप में अधिसूचित करने के बाद एफईआई भारत में अपने कैम्पस खोल सकते हैं। एफईआई को निर्धारित पात्रता शर्तें पूरी करनी होगी। कोई भी एफईआई भारत में अपना कैम्पस खोलना चाहता है तो वह कंपनी अधिनियम 1956 के खंड-25 के अंतर्गत एक संघ के जरिए पंजीकृत होकर कैम्पस खोल सकता है। एफईआई को विश्व के शीर्ष 400 विश्वविद्यालयों में श्रेणीबद्ध किया जाएगा। नियमों के तहत आवेदन करने को इच्छुक सभी एफईआई बिना लाभ वाले वैधानिक संस्थाओं के रूप में काम कर रहे हों, साथ ही वे 20 वर्षों से संचालन में हों तथा देश के मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा मान्यता दी गई हो, या उस देश में मान्यता के अभाव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मान्यता प्राप्त प्रणाली के जरिए मान्यता दी गई हो।
मुख्य कैम्पस में विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रम के अनुकूल ही एफईपी को अपने कैम्पस में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने होंगे। प्रत्येक एफईआई को एफईपी में अधिसूचित होने से पहले उन्हें कम से कम 25 करोड़ रुपए का कोष रखना होगा। यूजीसी अथवा इन नियमों के प्रावधान का उल्लंघन किए जाने के संबंध में एफईपी पर 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है। एफईपी द्वारा जारी की गई उपाधि को विदेशी उपाधि के रूप में मान्यता दी जाएगी।

मुजफ्फरनगर में तीन दिन बाद हिंसा प्रभावित छेत्रों में लगे कर्फ्यू में दो घंटे की ढील ;38 लोग दंगों का शिकार हो चुके है

मुजफ्फरनगर में तीन दिन बाद हिंसा प्रभावित छेत्रों में लगे कर्फ्यू में दो घंटे की ढील दी गयी। जिले में अब तक 38 लोग दंगों का शिकार हो चुके हैं|
जरूरी सामान की खरीददारी के लिए तीन थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू में अपराह्न दो घंटे की ढील दी गयी है| दंगों पर काबू पाने के लिए एक तरफ अधिकारियों क तबादला किया जा रहा है तो दूसरी तरफ गिरफ्तारियों पर जोर है| मेरठ रेंज के आइजी और डीआइजी को हटा दिया गया है। यहां के आइजी ब्रजभूषण को हटाकर उनकी जगह भावेश कुमार सिंह को नया आइजी बनाया गया है।
मेरठ जिले से सटे बागपत में सांप्रदायिक तनाव फ़ैलाने के प्रयास में पुलिस ने 899 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि 2225 लोगों के खिलाफ 107,116 के तहत कार्रवाई की गई है। 35 अवैध शस्त्र बरामद किये गये हैं और 126 लाइसेंसी हथियार जमा कराये गये हैं। भाषा ने बागपत पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी सिंह के हवाले से बताया कि यह कार्रवाई 28 अगस्त से अब तक की गयी है।इसके अलावा 81 लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है|मेरठ के डी एम् रिणवा ने भर्ती घायलों के इलाज का निरीक्षण किया[फोटो] |. सिविल लाइंस, शहर कोतवाली तथा नई मंडी में कर्फ्यू अभी भी जारी है| घटनाओं के सिलसिले में 17 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. इनमें से एक प्राथमिकी सुखेडा गांव में आयोजित हुई महापंचायत के सिलसिले में है जिसमें कथित तौर पर भड़काउ भाषण दिये गए जिससे हिंसा हुई.
भाजपा ने इन दंगों से अपना पल्ला झाड़ लिया है| पूर्व अध्यक्ष वेंकैय्या नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश कि जनता को मालूम है कि इन दंगों के लिए कौन जिम्मेदार है| शांति स्थापित होते ही सत्य सबके सामने आ जाएगा| उन्होंने सत्ता रुड समाज वादी पार्टी के सर दंगों को भड़काने का आरोप लगाया है|
पीएम मनमोहन सिंह ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का एलान किया है। यह राशि पीएम राहत कोष से दी जाएगी।

देश में ८ स्मारकों पर अतिक्रमण हो चूका है और कुल 92 स्‍मारक/स्‍थल विलुप्‍त हो चुके हैं

देश में ८ स्मारकों पर अतिक्रमण हो चूका है और कुल 92 स्‍मारक/स्‍थल विलुप्‍त हो चुके हैं |
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)[कैग] ने अपनी रिपोर्ट में देश के संस्कृति मंत्रालय की शिथिलताओं को उजागर किया है| भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग के निष्‍पादन लेखा परीक्षण के बाद, कैग ने संसद में 23 अगस्‍त, 2013 को प्रस्‍तुत रिपोर्ट में कहा कि 92 स्‍मारक/स्‍थल विलुप्‍त हो चुके हैं या फिर उनका पता नहीं लगाया जा सका है। सीएजी की इस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र अधिकारियों से कहा गया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले उस हर एक स्‍मारक का विस्‍तृत प्रमाणन करे, जिनका उल्‍लेख लेखा परीक्षण दल ने विलुप्‍त हो चुके स्‍मारकों के तौर पर किया है।
भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के क्षेत्रीय अधिकारियों से जरूरी सूचना प्राप्‍त हुई है और इसमें कहा गया है कि 92 स्‍मारकों में से 65 स्‍मारक विलुप्‍त हो चुके स्‍मारक या ऐसा स्‍मारक नहीं कहा जा सकता, जिनका पता न लगाया जा सकता हो। जो स्‍मारक जलाशयों में डूब गए हैं, जिन पर अतिक्रमण हो चुका है या फिर जो तेज गति से होते शहरीकरण से प्रभावित हुए हैं, उन्‍हें भी लेखा परीक्षण दल द्वारा विलुप्‍त हो चुके स्‍मारकों के तौर पर दर्शाया गया है। एएसआई द्वारा प्रमाणन किये जाने के बाद 92 स्‍मारकों/स्‍थलों की स्थिति निम्‍नलिखित है –
(i) स्‍मारक मौजद हैं====================================39
(ii) स्‍मारक जो बांधों/जलाशयों में डूब गए हैं=====================12
(iii) जिन स्‍मारकों पर अतिक्रमण हो चुका है======================08
(iv) जिन स्‍मारकों पर शहरीकरण का प्रभाव पड़ा है=================06
(v) जिन स्‍मारकों का क्षेत्र कार्यालयों द्वारा प्रमाणन किया जाना बाकी है==06
(vi) प्रमाणन के बाद जिन स्‍मारकों का पता नहीं चल सका=============21

मुजफ्फरनगर के हिंसा प्रभावित छेत्रों में रालोद सुप्रीमो अजित सिंह और भाजपा सांसदों की एंट्री पर रोक : मरने वालों की संख्या ३१ तक पहुंची

मुजफ्फरनगर में हिंसा प्रभावित छेत्रों में रालोद सुप्रीमो अजित सिंह और भाजपा सांसदों की एंट्री पर रोक :
मरने वालों की संख्या ३१ तक पहुंची उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में शनिवार को भड़की हिंसा से सोमवार तक मरने वालों की संख्या ३१ तक पहुंच गई है।सेना की तैनाती के बावजूद साम्प्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।रालोद सुप्रीमो और सिविल एविएशन मिनिस्टर चौ.अजित सिंह के साथ ही भाजपा के सांसदों पर भी दंगा प्रभावित छेत्रों में जाने से रोक लगा दी गई है| इसके अलावा पुलिस द्वारा 200 लोगों को गिरफ्तार किया है और चार भाजपा विधायकों + कांग्रेस के एक पूर्व सांसद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।प्रदेश में हाई अलर्ट है |
सोमवार को जिले के प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेना का फ्लैग मार्च और पुलिस की गश्त जारी रही | पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद तनावपूर्ण हालात के बीच सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र बताते हुए कहा कि हिंसा पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। इस मामले में आज उनकी प्रधानमंत्री और राज्यपाल से बात हुई है। जो लोग माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं, उन्हें सफल नहीं होने दिया जाएगा। सरकार जांच में जुटी हुई है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

डॉ मन मोहन सिंह ने शहीद पत्रकार लाला जगत नारायण को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री द्वारा शहीद पत्रकार लाला जगत नारायण की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया
डॉ मन मोहन सिंह ने लाला जगत नारायण को एक बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानी+ निडर पत्रकार+ और कुशल सांसद के रूप में याद किया|लाल जगत नारायण द्वारा शुरू किये गए ३ अख़बारों को 33 लाख से भी ज्‍यादा लोग रोज पढ़ते हैं|
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्‍ली में लाला जगत नारायण की स्‍मृति में एक डाक टिकट जारी किया।इस आवसर पर पी एम् ने कहा कि लाला जगत नारायण जी हमारे देश के एक महान सपूत थे। वह एक बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानी, एक निडर पत्रकार और कुशल सांसद थे, उनकी राष्‍ट्रभक्ति हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हम आज उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी याद में एक डाक टिकट जारी कर रहे हैं।
डॉ मन मोहन सिंह ने लाला जी कि उपलब्धियों का वरन करते हुए बताया कि 21 साल की उम्र में लाला जगत नारायण जी ने पढ़ाई छोड़कर महात्‍मा गांधी की अपील पर असहयोग आंदोलन में हिस्‍सा लिया। उनको ढाई साल की सज़ा हुई, लेकिन लाला लाजपत राय के सचिव के रूप में उन्‍होंने जेल में भी आजादी की लड़ाई में योगदान देने का काम जारी रखा। जेल से रिहाई के बाद वह देश के स्‍वतंत्र होने तक बराबर आजादी की लड़ाई में सरगर्मी से हिस्‍सा लेते रहे। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्‍सा लेने के लिए उन्‍हें 3 साल की सज़ा हुई और आजादी की जंग के सिलसिले में वह कुल 9 साल जेल में रहे।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the release of the commemorative postage stamp

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the release of the commemorative postage stamp


आजादी के बाद वह लाहौर से जालंधर आ गए। उन्‍होंने देश सेवा का अपना काम जारी रखा। वह पंजाब विधान सभा के सदस्‍य और पंजाब सरकार में शिक्षा, परिवहन और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रहे। 1964 से 1970 तक वह राज्‍य सभा के सदस्‍य रहे। इन सभी पदों पर उन्‍होंने अपनी कार्यकुशलता की एक अलग छाप छोड़ी।
पत्रकारिता से लाला जगत नारायण जी का संबंध 1924 में बना, जब वह भाई परमानंद की पत्रिका आकाशबानी के संपादक बने। वह श्री पुरूषोत्‍तम दास टंडन जी की साप्‍ताहिक पत्रिका पंजाब केसरी के संपादक भी रहे। आजादी के बाद उन्‍होंने उर्दू अख़बार ”हिंद समाचार” की शुरुआत की और आगे चलकर हिंदी अख़बार ”पंजाब केसरी” और पंजाबी अख़बार ”जगबानी” भी स्‍था‍पित किए। आज इन तीनों अखबारों को 33 लाख से भी ज्‍यादा लोग रोज पढ़ते हैं।
लाला जगत नारायण जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में जिन आदर्शों और मूल्‍यों का हमेशा पालन किया, वह आज भी हमारे देश के पत्रकारों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्‍होंने मीडिया पर काबू रखने की कोशिश का जोरदार विरोध किया। उनकी निडरता हमारे लिए एक मिसाल है। उन्‍होंने आतंकवादी ताकतों की पुरजोर मुखालफत की, जिसकी वजह से उन्‍हें अपनी जान भी कुर्बान करनी पड़ी। उनके जीवन से हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, हमें अपने उसूलों से कभी भी कोई समझौता नहीं करना चाहिए।
पत्रकारों के लिए लाला जगत नारायण जी का संदेश खास अहमियत रखता है। मीडिया को किस प्रकार की भूमिका अदा करनी चाहिए और किस तरह से मुश्किल हालात में भी एक पत्रकार को ईमानदार, निडर और निष्‍पक्ष रहना चाहिए, उनका जीवन हमें यह खास सीख देता है।
अपनी बात खत्‍म करने से पहले मैं एक बार फिर लाला जगत नारायण जी को श्रद्धांजलि देता हूं।”
फोटो कैप्शन [1]प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह लाला जगत नारायण की स्मृति में ९ सितम्बर २०१३ को नई दिल्ली में डाक टिकेट जारी करते हुए| साथ में केन्द्रीय मंत्री कपिल सिबल भी हैं

ओलम्पिक्स-खेलों में कुश्ती को आखिरकार पुनः शामिल कर ही लिया गया :केंद्रीय खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह ने स्वागत किया

ओलम्पिक्स-खेलों में कुश्ती को आखिरकार पुनः शामिल कर ही लिया गया है |यह फैसला मतदान के जरिए हुआ।अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के इस फैसले का केंद्रीय खेल और युवा कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह ने स्वागत किया है|
केंद्रीय खेल और युवा कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह ने 2020 के ओलम्पिक खेलों में[७१ देशों में खेले जाने वाले] कुश्ती को शामिल करने के अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
खेल मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 सितंबर 2013 को ब्यूनस आयरस, अर्जेंटीना में समिति के 125वें अधिवेशन में ओलम्पिक्स-2020 में अन्य 25 प्रमुख खेलों के साथ कुश्ती को शामिल करने का फैसला लिया गया। कुश्ती, स्कवॉश और बेसबॉल/सॉफ्टबॉल को ओलम्पिक्स-2020 में अतिरिक्त खेल के रूप में शामिल करने के बारे में विवाद बना हुआ था। कुश्ती को शामिल करने का फैसला मतदान के जरिए हुआ।
गौरतलब है कि [१]12 फरवरी, 2013 को आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की बैठक ने सिफारिश की थी कि कुश्ती को 2020 के ओलम्पिक्स में प्रमुख खेलों की सूची में शामिल न किया जाए। इसका संचालन कुश्ती एसोसिएशनों की अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन द्वारा किया जाता है।
[२]20 मई, 2013 को रूस में सेंट पीटर्सबर्ग में हुई बोर्ड की बैठक में सिफारिश की गई कि कुश्ती, स्कवॉश और बेसबॉल/सॉफ्टबॉल को ओलम्पिक्स-2020 में अतिरिक्त खेल के रूप में शामिल करने के बारे में आईओसी के 125वें अधिवेशन में विचार किया जाए।
12 फरवरी, 2013 को आईओसी के कार्यकारी बोर्ड द्वारा कुश्ती को प्रमुख खेलों की सूची से बाहर रखने के फैसले से धक्का लगा था।
युवा कार्य और खेल मंत्रालय ने आईओसी और उन देशों के साथ, जहां कुश्ती लोकप्रिय है, इस मामले को उठाया, ताकि कुश्ती को ओलम्पिक खेलों में शामिल रखा जा सके।
श्री जितेन्द्र सिंह ने आईओसी के अध्यक्ष श्री जैक्स रॉग को पत्र लिखकर उनसे बोर्ड के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया। श्री जितेन्द्र सिंह ने अन्य देशों के खेल मंत्रियों को भी पत्र लिखा, जहां कुश्ती लोकप्रिय है और उनके पहलवानों ने लंदन ओलम्पिक्स-2012 में भाग लिया था। खेल सचिव ने भी विदेश सचिव को लिखा था कि विदेश मंत्रालय 70 देशों में हमारे राजदूतों और उच्चायुक्तों से कहे कि वे उन देशों के खेल मंत्रियों से इस मामले को आईओसी के सामने उठाऩे को कहें। 2 सितंबर, 2013 को मंत्रालय ने आईओसी के सभी सदस्यों से अनुरोध किया था कि वे कुश्ती को ओलम्पिक खेलों की प्रमुख सूची में शामिल रखने के बारे में फैसला लें।
इन सब प्रयासों का सुखद परिणाम निकला। कुश्ती 1886 में एथेंस में शुरू हुए आधुनिक ओलम्पिक खेलों में शामिल थी और उसके बाद भी रही है। प्राचीन ओलम्पिक्स में भी कुश्ती खेलों का हिस्सा थी। आज के समय में भी कुश्ती लोकप्रिय है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लंदन ओलम्पिक्स-2012 में 71 देशों ने कुश्ती स्पर्धाओं में भाग लिया था।