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Category: Social Cause

Possession of Shark fins would amount to “Hunting” of a Schedule I species Under Wild Life (Protection) Act

 Save Shark fins

Save Shark fins

Policy for prohibiting the removal of shark fins on board a vessel in the sea has been announced .This Policy would Enable the enforcement agencies to monitor the illegal hunting/poaching of the species of Elasmobranchs listed in Schedule I of the Wild Life (Protection) Act, 1972,
Minister of State (Independent Charge) for Environment and Forests Shrimati Jayanthi Natarajan has approved a policy for prohibiting the removal of shark fins on board a vessel in the sea.
The policy prescribes that any possession of shark fins that are not naturally attached to the body of the shark, would amount to “hunting” of a Schedule I species. The Policy calls for concerted action and implementation by the concerned State Governments through appropriate legislative, enforcement and other measures.
Sharks, Rays and Skates (Elasmobranchs) are an important part of the marine ecosystem. They play an important role in the maintenance of the marine ecosystem like tigers and leopards in the forests. India is known to be home to about 40-60 species of sharks. However, the population of some of these have declined over the years due to several reasons including over exploitation and unsustainable fishing practices. Therefore, ten species of sharks have been listed in the Schedule- I of the Wild Life (Protection) Act, 1972, thereby, according them the highest degree of protection.
Due to high demand of shark fines in the shark fin-soup industry, it has been reported that the fins of the sharks captured in the mid sea are removed on the vessel and the de finned sharks are thrown back in the sea to die a painful death. This has not only resulted in in-human killing of large number of sharks and in this process, but also has further decimated the population of Schedule I species. This practice prevailing on board the shipping vessels has led to difficulties in enforcement of provisions of Wild Life (Protection) Act, 1972 as it becomes difficult to identify the species of sharks from the fins alone, without the corresponding carcass, from which the fins have been detached.

मनरेगा के तहत १६२ रुपये प्रति मानव दिवस की दर से भुगतान करने वाला पहला प्रदेश बिहार

[पटना]मनरेगा के तहत भारत सरकार द्वारा मजदूरी दर १३८/= प्रति मानव दिवस तय है लेकिन श्रम विभाग ने १६२/=प्रति मानव दिवस तय किया है|२४/की कमी को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जात है|यह दावा आज बिहार सरकार के ग्रामीण विकास सचिव अमृत लाल मीणा ने किया|
मनरेगा+इंदिरा आवास यौजना+जीविका+प्रखंड प्रशासन +,सामजिक आर्थिक+जाति आधारित कार्यों के निष्पादन में उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए सचिव श्री मीणा ने बताया कि मनरेगा के अधिनियम ६ के तहत भारत सरकार द्वारा मजदूरी दर मात्र १३८/=तय की गई है लेकिन श्रम विभाग ने नियत न्यूनतम मजदूरी दर के आधार पर १६२/= प्रति मानव दिवस दिया जाना चाहिए|ऐसे में २४/=प्रति मानव दिवस[१६२-१३८=२४/=] का भुगतान प्रदेश सरकार द्वार किया जा रहा है|उन्होंने दावा किया कि मनरेगा के तहत १६२/= प्रति मानव दिवस का भुगतान करने वाला बिहार पहला राज्य है|

वोट बैंक की तुष्टिकरण के कारण अल्प संख्यको के कल्याणकारी कार्यक्रम फाइलों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं

Indian Parliament

Indian Parliament

अल्प संख्यको के कल्याण के लिए आज कल तमाम दावे किये + आश्वासन दिए जा रहे है लेकिन आंकड़े बताते हैं के ये तमाम दावे केवल वोट बैंक की तुष्टिकरण ही हैजो की संसद में दिए गए बयानों से साबित भी होता है| अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री निनोंग ईरींग+भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री प्रफुल्ल पटेल के आलावा प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने भी किसी न किसी रूप में इसे स्वीकार किया है और उस पर पर चिंता भी व्यक्त की है| आज देश में नौकरियों के अवसर नहीं हैं +इंडस्ट्रीज निष्क्रिय होती जा रही हैं+महंगाई काबू से बाहर होती जा रही हैं यहाँ तक कि सरकार की विश्वसनीयता+कार्य क्षमता पर देश और विदेश में भी प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं|संसदीय प्रणाली में संसद आये दिन ठप्प की जा रही है|अपनी अक्षमताओं को ढकने के लिए सम्प्रदाईक्ता की मारिजुआना[नशा] हवा में मिलाया जा रहा है|शायद इसी सब से एक बरस में ढाई कोस चालने वाली कहावत अब ज्यादा चरितार्थ हो रही है|
देश में वर्तमान १ ,०२८ ,६१० ,३२८ की जनसंख्या में अल्प संख्यको की संख्या १३८ ,१८८ ,२४० बताई जा रही है जो 13.43%: है| केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रदेशों में कुल बजट का १५% अल्प संख्यको के कल्याण के लिए रखा जाना है| |बिहार में मदरसों के शिक्षकों के वेतन के लिए दस करोड़ की राशी अवमुक्त की जाती है तो उत्तर प्रदेश में अल्प संख्यकों के लिए बजट का २०% आरक्षित किया जाता है| ये सभी बातें अच्छी लगती हैं वास्तविकता इसके अनुरूप दिखाई नही देती ||
भारत में शिक्षा की मौजूदा गुणवत्ता पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने स्वयम कहा है कि सरकारी मंत्रालयों एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग :यूजीसी: की मानसिकता में तेजी से बदलाव नहीं हो रहा और वे अब भी अंधकार युग में ही जी रहे हैं|
जाहिर है इसीके फलस्वरूप कल्याण कारी कार्यक्रम फाईलों से बाहर नहीं आ पाते हैं| यहाँ तक के शिक्षा का स्तर भी ऊपर नहीं उठ रहा है| इसके आलावा
[अ] राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में वित्त तथा कर्मचारियों की कमी है
[१] केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में कर्मचारियों की संख्या 28 .8 %कम हुई है।
[२]भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने आज लोकसभा को बताया कि 31 मार्च 2012 की स्थिति के मुताबिक कर्मचारियों की संख्या घटकर 13 . 98 लाख रह गयी है जो 1997-98 में 19 . 65 लाख थी।
[३]उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब मेंं बताया कि 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या 260 थी। 2010-11 में यह संख्या 248 थी।
[४]कर्मचारियों/अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कारण एनसीएम में कतिपय पद खाली पड़े हैं|
[५] एनसीएम [ नेशनल माइनॉरिटी कमीशन ]कोई कल्याणकारी परियोजनाएं नहीं चला रहा है|
[६] राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा नहीं दिया गया है|
अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री निनोंग ईरींग ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पिछले तीन वर्षों और मौजूदा वर्ष में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को दी गई निधियों के परिव्यय और एनसीएम द्वारा वास्तविक व्यय के ब्यौरे नीचे दिए गए हैं :
(करोड़ रुपये में)
क्रम संख्या
वर्ष== परिव्यय= =व्यय
[१]2010- ११=5.२६= 4.50
[२]2011-१२==5.६५==4.67
[३]2012-१३=6.३६=3.32 (31.12.2013 तक)
[४]2013-१४=5.६३===-
श्री ईरोंग ने यह भी स्वीकार किया कि
[क]एनसीएम पिछले तीन वर्षों के दौरान आबंटित निधियों को व्यय करने में असमर्थ रहा है ।
[का] एक बजटीय संगठन होने से एनसीएम प्रशासनिक मंत्रालय के आईएफडी के माध्यम से सीधे व्यय वहन कर रहा है ।
[ख ]इसके अलावा कर्मचारियों/अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कारण एनसीएम में कतिपय पद खाली पड़े हैं ।
[खा]एनसीएम कोई कल्याणकारी परियोजनाएं नहीं चला रहा है ।

माता-पिता का भरण पोषण के दाईत्व और अधिनियम का पालन नहीं करने वाले पुत्र को एक माह की सजा

माता पिता का भरण पोषण करने के दाईत्व और अधिनियम का पालन नहीं करने वाले एक पुत्र को एक माह की सजा सुनाई गई है|
अनुविभागीय अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव ने वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत यह सजा सुनाई है|
मप्र के राजगढ़ जिले में नरसिंहगढ़ की अनुविभागीय अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव ने माता-पिता का भरण पोषण नहीं करने वाले बद्रीलाल खाती को माता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत एक माह के कारावास की सजा सुनाई है।
भाषा के अनुसार माना गांव की वृद्ध महिला गोराबाई खाती ने अपने पुत्र बद्रीलाल खाती द्वारा भरण-पोषण नहीं किये जाने सम्बन्धी शिकायत की थी। जिसकी शिकायत की जांच करने पर इसे सही पाया गया और बद्रीलाल खाती को एक माह के कारावास की सजा सुनाई गई।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम, के अंतर्गत मान्य माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के लिए अधिक प्रभावकारी प्रावधान सुनिश्चित करना है। यह वरिष्ठ नागरिक को भारत के किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक की हो। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज़रूरत-आधारित भरण-पोषण और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए यह अधिनियम निम्नलिखित प्रावधन करता है:
[१]बच्चों/संबंधियों द्वारा माता-पिता/वरिष्ठ नागरिकों का अनिवार्य भरण-पोषण जिसके अंतर्गत बच्चों के लिए अपने माता-पिता की देखरेख करना अनिवार्य होगा; इस प्रावधान को न्यायाधिकरणों के माध्यम से प्रवर्तित किया जायेगा
[२]माता-पिता को घर से निकालने पर तीन माह तक की कैद और 5000 रुपए तक का जुर्माना जा सकता है;

राष्‍ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में चिन्‍मय,संतोष कुमार,रिशभ को पहले तीन पुरुस्कार दिए गए

राष्‍ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में चिन्‍मय,संतोष कुमार,रिशभ को पहले तीन पुरुस्कार दिए गए
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाई के फोटो प्रभाग ने सभी के लिए टिकाऊ ऊर्जा’ नामक शीर्षक से 24वीं राष्‍ट्रीय फोटो प्रतियोगिता का आयौजन किया |

 राष्‍ट्रीय फोटो प्रतियोगिता

राष्‍ट्रीय फोटो प्रतियोगिता


ऑल इंडिया फाइन आर्ट एवं क्राफ्ट सोसाइटी कॉम्‍प्‍लेक्‍स में आयौजित इस प्रतियोगिता में संयुक्‍त्‍ सचिव, श्री अनुराग श्रीवास्‍तव ने विभिन्‍न श्रेणियों में विजेताओं को पुरस्‍कार प्रदान किये एवं फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
रंगीन श्रेणी में कोलकाता के श्री चिन्‍मय भट्टाचार्य, मिदनापुर(ई) के श्री संतोष कुमार जेना, इंदौर के श्री रिशभ मित्‍तल ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं त़ृतीय पुरस्‍कार प्राप्‍त किेये। इनके अलावा सर्वश्री शेषाद्री मोइत्रा, उदयपुर; क्रेतन सोनी, धार; शिब नारायण आचार्य, जम्‍मू; पियूष रागणेकर, इंदौर; बनवारी आर.राजपूत, अहमदाबाद; प्राची तिवारी, इंद्रौर; सोमनाथ मुखोपाध्‍याय, बीरभूम; देवेन्‍द्र शर्मा, पूरनजीत गंगोपाध्‍याय, कोलकाता; प्रशान्‍त बिश्‍वास, कोलकाता को रंगीन श्रेणी में सराहना पुरस्‍कार प्रदान किये गये।
13 राज्‍यों एवं केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 105 प्रतियोगियों से 439 फोटोग्राफ प्राप्‍त किये गये। प्रथम पुरस्‍कार के लिए 25,000 रूपये, द्वितीय पुरस्‍कार के लिए 20,000 रूपये और तृतीय पुरस्‍कार के लिए 15,000 रूपये की राशि तथा सराहना पुरस्‍कार के लिए 5,000 रूपये की राशि निर्धारित की गई है।
फोटो कैप्शन [१]The Joint Secretary, Ministry of Information & Broadcasting, Shri Anurag Srivastava, the Director General, CAG, Shri Govind Bhattacharjee and the Director, Photo Division, Ministry of Information & Broadcasting, Shri Debatosh Sengupta jointly lighting the lamp to inaugurate the 24th National Photo Contest on the theme of Sustainable Energy for All, in New Delhi on August 22, 2013.

बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने, रक्षा बंधन पर , पेड़ों को रक्षा सूत्र बाँध कर वृक्षों की रक्षा का संकल्प दिलाया

बिहार की राजधानी पटना में रक्षा बंधन के पवित्र त्यौहार को एक अनूठे ढंग से मनाया गया | इस अवसर पर वृक्षों की रक्षा का संकल्प लिया गया|
मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने राजधानी वाटिका में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधाऔर पेड़ों कि रक्षा का संकल्प दिलाया| इस अवसर पर मुख्य मंत्री ने पीपल और पाकड़ आदि पौधों का रौपण भी किया| उनके साथ मंत्री मंडल के अनेकों मंत्री और कन्फ़ेड आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि भी थे|
समाहरणालय में भी वृक्षों को राखी बांध कर अनूठा रक्षा बंधन मनाया गया|
जिलाधिकारी, सुपौल की अध्यक्षता में मनाये गए इस वृक्ष सुरक्षा दिवस पर वृक्षों को राखी बांधी गई| इस अवसर पर वृक्षों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि पेड, पौधे ,वृक्ष हैं तो हम हैं|उन्होंने धरती बचाने के लिए पेड लगाने का आह्वाहन किया| उनके साथ अनेकों स्थानीय अधिकारी भी उपस्थित थे|

मीडिया को कंट्रोल करने के लिए, मनीष तिवारी अलोकतांत्रिक प्रक्रिया में, सर्वसत्तावादी उपाय अपना रहे हैं :एडिटर्स गिल्ड

[नई दिल्ली]मनीष तिवारी , मीडिया को कंट्रोल करने के लिए, अलोकतांत्रिक प्रक्रिया में, सर्वसत्तावादी उपाय अपना रहे हैं :एडिटर्स गिल्ड
एडिटर्स ‘ गिल्ड ने आज सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी द्वारा पत्रकारों के लिए सुझाये गए लाइसेंसिंग की अनिवार्यता की जम कर आलोचना की|मनीष तिवारी के इस सुझाव को अलोकतांत्रिक [ undemocratic ] प्रक्रिया बताते हुए मीडिया को कंट्रोल करने की एक सर्वसत्तावादी [totalitarian ] मानसिकता बताया |
इससे पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मीडिया के लिए भी लाईसेंस प्रणाली शुरू किये जाने पर बल देते हुए कहा था के मीडिया उद्योग को बार काउंसिल द्वारा आयोजित परीक्षा की तर्ज पर पत्रकारों के लिए साझा परीक्षा आयोजित करने पर विचार करना चाहिए| इसके बाद उन्हें इस पेशे के लिए लाइसेंस दिया जा सके। तिवारी ने भारतीय प्रेस परिषद के प्रमुख न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू के विचारों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे लगता है कि अच्छा शुरुआती बिन्दु यह होगा कि पाठ्यक्रम तय करके संस्थानों को आदर्श बनाने के बजाय, संभवत: मीडिया उद्योग कम से कम साझा परीक्षा कराने के बारे में सोच सकता है।
उन्होंने कहा कि जैसा कि बार काउंसिल, मेडिकल या अन्य पेशेवर संस्थानों की परीक्षाएं होती हैं, जिसमें परीक्षा के बाद लाइसेंस जारी किया जाता है, जो आपको पेशे में काम करने के सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और वकीलों को पेशे के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है और ऐसा मीडिया उद्योग को आदर्श स्तर पर लाने के लिए किया जा सकता है|
इससे पहले भारतीय प्रेस परिषद के प्रमुख न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू ने भी पत्रकारों के लिए न्यूनतम योग्यता का मुद्दा उठाया था|
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में सीएमएस अकादमी द्वारा ‘भारत में समाचार माध्यमों की शिक्षा’ विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में व्यक्त किये गए मनीष तिवरी के सुझावों पर एडिटर्स गिल्ड की यह प्रतिक्रिया आई है|

केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही हटा भी लिया :अवसाद को लेकर भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है

केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही हटा भी लिया :अवसाद को लेकर भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों के आधार पर कार्यवाही करते हुए केंद्र सरकार ने पहले तो मधुमेहरोधी दवा पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दो माह के पश्चात ही दवाओं से संबंधित तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की विशेषज्ञ समिति की राय पर इस दवा के विनिर्माण तथा बिक्री से संबंधित निलंबन को वापिस लेने की सिफारिश कर दी गई है| इसके अलावा अवसाद को लेकर भारत में जनसंख्या आधारित कोई भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है|ये रहस्योद्घाटन केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में प्रश्नों के के लिखित उत्तर में किया |
[अ]उन्होंने बताया कि दिनांक 18 जून, 2013 को अपने राजपत्र अधिसूचना जीएसआर 379(ई) के तहत सरकार ने मानव प्रयोग के लिए पायोग्लिटाजोन दवा के विनिर्माण, इसकी बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी थी। सरकार ने यह कदम चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों पर उठाया, जिसमें इस दवा के लगातार उपयोग पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की गई हैं। हालांकि दवाओं से संबंधित तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) ने इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की राय पर इस दवा के विनिर्माण तथा बिक्री से संबंधित निलंबन को वापिस लेने की सिफारिश की । सलाहकार बोर्ड ने यह भी सिफारिश की कि इस दवा के विपणन की अनुमति दी जाए जिसमें एक चेतावनी का खाना बना हो, साथ ही इस दवा को फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम की निगरानी में रखा जाए। तदानुसार सरकार ने दिनांक 31 जुलाई, 2013 को जारी की गई राजपत्र अधिसूचना जीएसआर 520(ई) के तहत इस दवा के विनिर्माण और बिक्री से संबंधित निलंबन को वापस ले लिया। इसके निलंबन से संबंधित कुछ शर्तें रखी गईं,[१] जिसके तहत विनिर्माताओं को दवा के पैकेट पर प्रचार संबंधी जानकारियां उपलब्ध करानी होगी।
इसकी जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि

अवसाद को लेकर भारत में जनसंख्या आधारित कोई भी दीर्घावधि अध्ययन नहीं है,
[आ]

जिससे यह पता लगाया जा सके कि देश में अवसाद के मामले और अवसादरोधी दवाओं के उपभोग में वृद्धि हो रही है। हालांकि भारत में 11 केन्द्रों पर एक साथ किए गए अध्ययन के दौरान यह पता चला कि किसी व्यक्ति विशेष के जीवनकाल के दौरान अवसाद प्रकरण का विकास 9 प्रतिशत (जीवनकाल में प्रसार) था। इस अध्ययन से यह भी पता चला कि किसी भी 12 महीने की अवधि के दौरान किसी भी समय गंभीर अवसाद प्रकरण 4.5 प्रतिशत (अवधि प्रसार) रहा।
स्वास्थ्य जो कि राज्य की विषय वस्तु है और वैसे लोगों की संख्या जो अवसाद से ग्रसित हैं उऩका विवरण केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यवार/केन्द्रशासित प्रदेशवार नहीं रखा जाता। अवसाद के लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अवसाद कई परिस्थितियों के कारण हो सकते हैं, जिनमें अनुवांशिक, जैविक, मनोवैज्ञानिक और अन्य तनाव संबंधित परिस्थितियां शामिल हैं।
मानसिक विकारों की समस्या के समाधान के लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 1982 से देश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरूआत की है। इस बीमारी का पता लगाने, उसके प्रबंधन और इसका उचित इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) के तहत 30 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 123 जिलों को लाया गया है।

भारतीय रुपये में गिरावट को रोक पाने में अक्षम आर बी आई ने अब बैंकों की तिजोरियों की सुरक्षा के लिए उपाय करने जरूर शुरू कर दिए हैं

भारतीय रुपये में गिरावट को रोक पाने में अक्षम भारतीय रिजर्व बैंक ने अब बैंकों की तिजोरियों की सुरक्षा के लिए उपाय करने जरूर शुरू कर दिए हैं| केन्‍द्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री नमो नारायण मीणा ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया के रिजर्व बैंक की लखनऊ शाखा ने संबंधित बैंकों की क्षेत्रीय शाखाओं को नोटों के क्षतिग्रस्‍त होने से बचाने के लिए दीमक रोधी उपाय करने की सलाह दी है। इसके साथ ही तिजोरी रखने वाले बैंकों से रिजर्व बैंक नियमित आधार पर फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करवाना आवश्यक होगा|
देश भर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में रखे गये नोटों के क्षतिग्रस्‍त होने की कोई जानकारी हाल में उसके सामने उजागर नहीं हुई है, हालांकि वर्ष 2010 में स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया, फतेहपुर, बाराबंकी की तिजोरी में रखे गये 3 करोड़ 75 लाख रूपये के नोट दीमकों की वजह से क्षतिग्रस्‍त हो गए।
रिजर्व बैंक की साफ नोट नीति के तहत बैंकों में रखे गये नोटों को नुकसान से रोकने के लिए निम्‍नलिखित कदम उठाये गये है :
-[ १]. बैंकों में तिजोरी की दीवार भारतीय बैंक एसोसिएशन द्वारा स्‍वीकृत नियमों के अनुसार बनाई जाती है।
[2.] रिजर्व बैंक और तिजोरी रखने वाले बैंकों के बीच हुये करार के मुताबिक बैंक तिजोरी और भंडार में रखे गये सामान को सुरक्षित रखने के प्रति जिम्‍मेदार होंगे। [३]. बैंकों को तिजोरियों के बाढ़ग्रस्‍त क्षेत्र में न बनाने और भूतल में स्थित तहखानों में रिसाव और नमी से होने वाले नुकसान की संभावना को देखते हुए इनका निर्माण सावधानीपूर्वक करने के निर्देश दिये गये है।
[४]. तिजोरी रखने वाले बैंकों से रिजर्व बैंक नियमित आधार पर फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
[५]. लंबे समय तक रखे जाने के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए नोटों को प्रथम प्रवेश प्रथम निर्गम के आधार पर जारी किया जाएगा। यह जानकारी केन्‍द्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री नमो नारायण मीणा ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।

वी नारायणसामी ने केन्‍द्रीय मंत्रालयों के संबंध में सूचना देने के लिए वेब पोर्टल जारी किया

वी नारायणसामी ने सूचना के अधिकार का वेब पोर्टल जारी किया |
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल सूचना के अधिकार कानून में एक नया मील का पत्‍थर है। उन्‍होंने कहा कि वेब पोर्टल जारी हो जाने के बाद नागरिकों की भागीदारी और अधिक होगी। पोर्टल जारी करने के दौरान उन्‍होंने कहा कि अभी यह सुविधा केन्‍द्रीय मंत्रालयों के संबंध में ही दी जा रही है, लेकिन जल्‍द ही इससे केन्‍द्र सरकार के अधीनस्‍थ कार्यालयों को भी जोड़ दिया जाएगा। श्री सामी ने राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि वे इसी प्रकार की सुविधाएं विकसित करें, ताकि सूचना के अधिकार के आवेदन पत्र ऑन लाइन प्राप्‍त किए जा सकें। उल्‍लेखनीय है कि ऑन लाइन वेब पोर्टल को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की पहल पर राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र ने विकसित किया है।
फोटो कैप्शन
The Minister of State for Personnel, Public Grievances & Pensions and Prime Minister’s Office, Shri V. Narayanasamy launching the RTI online Web Portal for all Central Ministries, in New Delhi on August 21, 2013.