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Category: Social Cause

बेंगलूर छोड़ रहे हैं पूर्वोत्तर राज्यों के छात्र

प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह की चिंता+ गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के निर्देश और चीफ मिनिस्टरजगदीश शेत्तार के प्रयासों के बावजूद कर्नाटका से छात्रों का पलायन जारी है|रेलवे स्टेशनों पर पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की लगातार बड़ती जा रही भीड़ यह बताने के लिए पर्याप्त है की उनका भरोसा जीतने के लिए किये जा रहे प्रयास अभी तक अपर्याप्त ही हैं|
बेंगलूर में यह अफवाह फैलाई जा रही है कि वहां पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों[विशेषकर छात्रों] पर हमले किये जा रहे हैं| इससे त्रस्त लोगों का रुख रेलवे स्टेशनों की तरफ ही है|इस अफवाह कि जाँच के आदेश दे दिए गए हैं|

मेरठ के प्रशासन ने भी दोहराई प्रतिबद्धताएं

६६वे स्वतंत्रता दिवस पर समूचे राष्ट्र ने राष्ट्रीय तिरंगे को सलामी दी इस अवसर पर मेरठ के आयुक्त+जिलाधिकारी और पोलिस वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा भी अपने अपने कार्यालय में झंडा फहराया गया और लोकतांत्रिक मान्यताओं को लागू कराने के प्रति अपनी अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया |जिलाधिकारी ने शहीद स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रधांजलि भी दी

कान्हा की छटी में छकी चावल और कड़ी

कान्हा की छटी में आज चावल कड़ी छकाई गई|आज मंदिरों में कृषण के जन्म की छटी धूम धाम से मनाई गई |इस अवसर पर कान्हा के जन्म संबधी भजन गायन में भक्त जन देर रात तक झूमते रहे |
मिश्री+माखन /कड़ी+ चावल/हलवे और खीर का प्रसाद बांटा गया
गौरतलब है की आज कृष्ण को जन्म लिए छह दिन हो गए हैं और इस त्यौहार को धोम धाम से मनाने की पौराणिक परम्परा है|

सिखों के खिलाफ घृणा अपराधों की गूँज अमेरिकी संसद में भी

सिखों के प्रति अज्ञानता के कारण उनके विरुद्ध फैलाई जा रही नफरत और घर्णा अपराधों की रोक थाम के लिए संघीय जांच ब्यूरो [ऍफ़ बी ई] को आगे आना चाहिए |सिखों की इस मांग का हाउस आफ रिप्रेसेंटेटिव के सात सदस्यों ने समर्थन दे दिया है|सीनेट फीस्टीन ने भी इस विषय में अपील की है|
सिख समुदाय में इसे सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है|
गौरतलब है की ५ अगस्त के रविवार को ओक क्रीक विस्कोंसिन गुरूद्वारे में एक नस्ल आतंकवादी ने छह लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी तभी से इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम के लिए ऍफ़ बी आई से मांग की जा रही है|

न्यायिक स्वतन्त्रता के सिद्धांत का पालन सरकार करे =प्रधान न्यायधीश एच एस कपाडिया

कल भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम सन्देश में संवेधानिक संस्थाओं का सम्मान किये जाने को राष्ट्रीय हित में बताया था और आज एक संवैधानिक संस्था न्यायपालिका के न्यायाधीश ने दूसरी संस्था विधायकी को न्यायिक सिद्धांत कि अवधारणा से नज़र नहीं हटाने के लिए
टिपण्णी कर दी है|
भारत के प्रधान न्यायधीश एच एस कपाडिया ने लोकतंत्र के एक मजबूत संस्था न्यायपालिका की स्वतंत्रता से छेड़ छाड़ न किये जाने के लिए सरकार को आगाह किया |उन्होंने न्यायपालिका के अपने दायरे से बाहर जाने की बात तो स्वाकरी मगर उसके साथ ही न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बहाली के लिए आवाज़ भी उठाई |
श्री कपाडिया ने उच्चतम न्यायालय में स्वाधीनता दिवस समारोह में न्यायिक मानक एवं जवाब देही विधेयक की तरफ इशारा करते हुए कहा की सरकार न्यायधीशों की जवाब देही तय करने के लिए क़ानून तो बना सकती हैलेकिन उसे न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों के साथ छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए |
गौर तलब है कि इस विधेयक को अभी राज्य सभा में पारित किया जाना है इसमें एक धारा पर चलती अदालत में न्यायाधीश को अवांछित टिपण्णी करने से रोकने का प्रावधान है|जसी पर न्यायाधीशों को एतराज़ है|
दरअसल इन दोनों संस्थाओं में पिछले कुछ समय से शीत युद्ध जैसी स्थिति देखी जा रही है कमोबेश येही समस्या पड़ोसी मुल्क को भी परेशान किये हुए हैं |चूंकि श्री प्रणव ने संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान में कोई कम्प्रोमाईज नहीं किये जाने की बात कह दी है सो अब न्यायपालिका ने अपनी स्वतन्त्रता के लिए आवाज़ उठा दी है|

राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान से आत्म बल में वृधि होती है|

आज़ादी के ६५ साल पूरे होने की ख़ुशी में आज ध्वजारोहण किया जा रहा है |ला किले पर अगर प्रधान मंत्री और हरिद्वार में योग गुरु बाबा रामदेव राष्ट्रीय तिरंगा पहरा रहे हैं तो गली मोहल्लों में भी झंडा फहराने वालों की कमी नहीं है|
१३ वर्षीय अनमोल आनंद ने मेरठ के कंकर खेडा के गोविन्दपुरी स्थित अपने घर की छत पर ही गर्व से राष्ट्रीय तिरंगा फहराया है|
दीवान पब्लिक स्कूल में आठवीं का यह छात्र अनमोल पिछले चार सालों से लगातार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का गौरव हासिल कर रहा है|
देश ही नहीं विदेशों में भी राष्ट्रीय तिरंगा भारतीय मूल के लोगों में आत्म विश्वास जगाता रहता है|तभी १३ अगस्त में अमेरिका के अल्बर्किकी में [विस्कोंसिन गुरुद्वारे में मारे गए छह लोगों के सम्मान में] आयोजित विशेष अरदास के समय तिरंगा भी लगाया गया था \अत यह कहा जा सकता है की राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान से आत्म बल में वृधि होती है|

अमेरिकी सिखों ने अमेरिकी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया

बेशक भारत में सिख समुदाय अमेरिका के राष्ट्रीय ध्वज को जला रहे हो या संसद में गालियां दी जा रहे हों मगर अमेरिका के सिख वहां के राष्ट्रपति को धन्यवाद ही दे रहे हैं|कल भी एक ज्ञापन सौंप कर अमेरिकी ध्वज को आधा झुकाने के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया है|
गौरतलब है की ५ अगस्त के रविवार में वेड माईकल पेज नामक एक श्वेत नस्लवाद से पीड़ित आतंकवादी ने ओक क्रीक विस्कोंसिन गुरुद्वारे में अंधाधुंध फायरिंग करके पांच पुरुष और एक महिला की हत्या कर दी थी कई घायल हो गए थे एक पोलिस अधिकारी भी घायल हो गया था |तभी से गुरद्वारों में विशेष अरदास और केंडल मार्च आयोजित किया जा रहे है|
इसके शोक में अमेरिका के ध्वज आधे झुका दिए गए थे| घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं |और बराक ओबामा ने इस जघन्य हत्याकांड को अमेरिका की सार्वभौमिकता पर अटैक बताया था |
सिखों के नेता गुरचरण सिंह ने वाशिंगटन मेट्रोपोलिटन गुरुद्वारा फेडरेशन और अमरीकन सीखो की तरफ से व्हाईट हाउस में ज्ञापन सौंपा और सिखीके मुख्य उपदेश मानस की जात सभै एक ही पहचानिबो के प्रति अपनी प्रतिबद्दता को दोहराया |
गुरु नानक की अध्यात्मिक गद्दी के वारिस दशम पादशाही गुरु गोबिंद सिंह के सिखों के लिए पांच ककार[कंघा+ केश+कृपाण+ कडा+कच्छा]धारण करना जरुरी है और केशों के लिए सर पर पगड़ी भी रखी जाती है मगर अमेरिका में सिखों के प्रति गलत फहमी + केश और पगड़ी के कारण उन्हें भी आतंक वादी समझ लिया जाता है और नसलवाद का शिकार बना दिया जाता है| इसीलिए अब अमेरिका में सिख और उनके धर्म के प्रति जागरूकता जरुरी है इसी उद्देश्य की पूर्ती के लिए न्युयोर्क पोलिस डिपार्टमेंट में सिखों को पगड़ी धारण की आज्ञा दिए जाने की भी मांग की जारही है|

सोचे-समझे बिना कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .

अंतर दाव लगी रहै, धुआं ना प्रगटै सोई
कै जिय आपन जानहिं, कै जिहि बीती होइ
अर्थ : रहीम दास जी कहते है मन में अग्नि धधकती रहती है, परन्तु उसका धुंआ
बाहर प्रकट नहीं होता. जिस व्यक्ति के मन पर जो घटित हो रहा होता है ,
उसका अंतर ही उसको जान सकता है, अन्य कोई नहीं .
भाव : इस दोहे का भाव यही है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने जीवन में अपना
ही दुःख- सुख होता है. किसी की क्या पीड़ा है , वह तब तक नहीं जानी
जा सकती , जब तक वह स्वयं अपने मुख से न कहे .
इसलिए बिना सोचे-समझे कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .
जीवन में न जाने कितने-कितने लोगों के साथ हमारा मिलना-जुलना
होता है और उनके मन की बात को जाने बिना ही हम या तो उन्हें
सलाह देने लगते हैं या उनके किसी कार्य अथवा बात को देख-सुनकर
उस पर टिप्पणी करने लगते है या उसकी आलोचना करने लगते हैं .
यह प्रवृति सरासर गलत है .

दुःख होता है हम राष्ट्रीय दिवसों को छुट्टी का दिन मानते है बस !

अब हर कोई अपना कार्यक्रम समय से पहले ही करना चाहता है , लोग १५ अगस्त भी पहले ही मन रहे है. ये कौन सी देश भक्ति है या फिर देश भक्ति का प्रमाण पत्र पाने का तरीका कही ट्रेन ना छुट जाये. आजकल ऐसे स्लोगन भे फसबूक पर आ रहे है की अगर आप सच्चे देश भक्त है तो ये काम करे ,वो काम करे , अरे भाई आपकी ना मने तो क्या हम भारत के नागरिक नहीं ,रास्ट्र भक्त नहीं , ये प्रमाण पत्र देने वाले ये कहा से आ गये . मुझे बड़ा अफ़सोस हुआ एक मित्र ने कहा क्या आप दिल्ली फलाने के आन्दोलन में नहीं गये ! तो इसका मतलब आप देश भक्त नहीं आप आजादी नहीं चाहते . मै घर लोटते समय सोच रहा था .क्या मै वाकई देश भक्त नहीं जो अपने कर्त्तव्य को छोड़ कर दिल्ली में उस आन्दोलन में नहीं गया जहा पर वही राजनीती शुरू हो चुकी जिससे मै पहले ही दुखी था . ये सब एक दुसरे पर आरोप लगाना छोड़ कर क्यों नहीं देश की छोटी जरुरतो को पूरा कर सरकार को आइना दिखाना शुरू कर दे क्यों नहीं हर आदमी को सिखाये की हर वो व्यक्ति देश भक्त है जो देश की संपत्ति ( ये बहुत विश्तृत शब्द है ) को बनाये रखने में योगदान दे ना की बात बात पर आन्दोलन कर उसे छति पहुचाये .फ्रांसे में मेने देखा की इन्कोमे टैक्स भरने वाला अपने आप पर गर्व करता है यह टैक्स चोरी करने वाला .एसा माहोल बनाया जाये की जो देश की संपत्ति को नुकसान पहुचाये उसे हे द्रस्ती से देखा जाये पर नहीं एसा करने वाले को हम यह पब्लिक फिगर बना देते है .यही मीडिया आन्ना टीम को पिछले आन्दोलन में बहुत अच्छा लगता था . इस बार नहीं ?
ये स्वतंत्रता दिवस शायद हम इसलिए मानते की याद रहे हमें इस देश की संप्रभुता को बचाए रखना है पर दुःख होता है हम इसे छुट्टी का दिन मानते है बस !
दीपक शर्मा

विधायकी से क़ानून बनाने का काम कोई नहीं छीन सकता =महामहिम

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला करने वालो को चेतावनी देते हुए कहा कि लोक तांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार जारी रहे तो देश में अव्यवस्था अराजकता फ़ैल सकती है\
देश के ६६ वें स्वतंत्रता दिवस कि पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार कि महामारी के खिलाफ जनाक्रोश जायज है|यह महामारी हमारे देश को खोखला कर रही है|कभी कभार जनता अपना होश भी खो देती है मगर उसे लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार करने का बहाना नहीं बनाना चाहिए|
महामहिम ने कहा कि ये संस्थाएं संविधान के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं|और इनके बिना आदर्शवाद नहीं रह सकता|हो सकता है कि ये संस्थाएं कुछ सुस्त हों मगर इस सुस्ती को बी संस्थाओं को ध्वस्त करने का बहाना नहीं बनाया जा सकता| सिधांत और जनता के बीच ये संस्थाएं मिलाने वाले बिंदु का काम करती हैं उन्होंने संसद कि सर्वोच्चता को व्यक्त करते हुए कहा कि विधायकी का काम कानून बनाना है जिसे कोई नहीं छीन सकता \संस्थान को ध्वस्त करने के बजाये अच्छे परिणामों के लिए दोबारा से तैयार किया जा सकता है |ये संस्थाएं ही हमारी आज़ादी की अभिभावक हैं|
अपने सन्देश में यद्यपि महामहिम ने अन्ना टीम या बाबा राम द्रव के अनशनों का नाम नहीं लिया मगर लोक तांत्रिक संस्था संसद पर प्रहार करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें चेतावनी भी दे डाली|सत्ता पक्ष द्वारा बेशक ये कहा जा रहा है कि अन्ना और बाबा को कोई तव्वजोह नहीं दी गई मगर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम यह सन्देश ज्यादा तर उन्ही आंदोलनों को एड्रेस करता दिखाई दिया है