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Category: Religion

परमजीत सिंह सरना को १९८४ सिख कत्लेआम यादगार का विरोध महंगा पड़ने लगा: पीड़ित सरना निवास के बाहर धरना देंगें

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी[DSGMC ] के पूर्व चेयरमैन सरदार परमजीत सिंह सरना को गुरुद्वारा रकाब गंज में बनने वाले १९८४ सिख कत्लेआम यादगार के निर्माण का विरोध महंगा पड़ने लगा है| सिखों की सर्वोच्च न्यायलय श्री अकाल तख्त साहब ने दोष पत्र जारी करके सरना को तलब कर लिया है|इसके अलावा अब सुना जा रहा है कि १९८४ के दंगा पीड़ित सरना के घर का घेराव करने जा रहे हैं|
परमजीत सिंह सरना आज कल गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहब में बनने वाले १९८४ सिख कत्लेआम यादगार के निर्माण का विरोध कर रहे हैं उनके अनुसार गुरुद्वारापरिसरयह निर्माण नहीं होना चाहिए|इसके अलावा उन्होंने कोर्ट में भी हलफनामा देकर इस इन निर्माण को रुकवाने का प्रयास किया है|बताया जा रहा है कि हलफनामे में दी गई दलीलों से दंगा पीड़ितों कि भावनाओं को ठेस पहुंची है| प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी का विरोध जताने के लिए सोमवार को दंगा पीड़ितों द्वारा सरना के निवास के बाहर धरना दिया जाएगा| | इससे पूर्व श्री अकाल तख्त साहब ने भी सरना को स्पष्टीकरण के लिए समन किया किया है|
जाहिर है धर्म में इस सियासत से परमजीत सिंह सरना के लिए मुश्किलें बढनी शुरू हो गई हैं|

गुरु प्रीतम मेरे साथ है कष्टों में , वह स्वयम मुझे छुड़ा लेता है

गुरु प्यारे मेरे नाल है , जित्थे किथे मैनूं लए छुड़ाई ।
अर्थात गुरु प्रीतम मेरे साथ है , जहाँ कहीं भीड़ पड़ती है , वह मुझे छुड़ा लेता है ।
गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत गाढ़ा है जिसकी मिसाल नहीं दी जा सकती , फिर भी महात्माओं ने समझाने का यत्न किया है । माता और बच्चे के प्रेम के उदाहरण से इस रिश्ते को समझने में मदद मिल सकती है । बच्चे को जन्म देकर माता उसकी कितनी संभाल करती है ,बच्चा दुखी हो तो माता को चैन नहीं , उसका दुःख दूर करना का यत्न करती है । सारी – सारी रात जागती है , बच्चा खुश हो तो माता का ह्रदय खिल उठता है । बच्चा मल-मूत्र में सन जाता है , माता को घिन नहीं आती , उसको साफ़ करके ह्रदय से लगा लेती है । बच्चे के लालन-पालन के साथ -साथ वह उसके बौद्धिक विकास में सहायता देती है , बुरे भले का ज्ञान उसे देती है । इसी प्रकार शिष्य जब सतगुरु के घर जन्म लेता है अर्थात दीक्षा या नाम लेता है तो वह परमार्थ में अबोध होता है , गुरु मन और इन्द्रियों को स्थिर करने का साधन शिष्य को देता है अपनी दया – मिहर की दृष्टि से अंतर्मुख नाद या ध्वनि का परिचय और अनुभव उसे देता है । गुरु को हर वक्त शिष्य की भलाई का ध्यान रहता है , वह यत्न करता है कि शिष्य विकार रहित हो , उसके सारे अवगुण धुल जाएं ।
ज्यों जननी सुत जन पालती रखती नदर मंझार ।
त्यों सतगुरु सिख को रखता हरि प्रीत प्यार ।
गुरुवाणी ,
प्रस्तुति राकेश खुराना

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

तमाम रुकावटों को धत्ता बताते हुए आज सुबह पांच सिंह साहबान की सरपरस्ती में एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा दिया गया| राजनीतिक+सामाजिक+ धार्मिक नेताओं ने बड़ी संख्या में सिख इतिहास के इस नए अध्याय की रचना के गवाह बनने का गौरव प्राप्त किया| दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सौजन्य से आज एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ में हुए जनसंहार के शहीदों की याद में स्मारक की नीव का पत्थर रखा गया |सिख कत्ले आम यादगार का नीव पत्थर ज्ञानी त्रिलोचन सिंह [जत्थे दार तख्त केशगड़साहब]द्वारा अरदास के उपरांत रखा गया|पत्थर का अनावरण ज्ञानी गुरबचन सिंह[जत्थे दार अकाल तख्त साहब]ने किया |इस अवसर पर प्रमुख धार्मिक विद्वान् ज्ञानी बलवंत सिंह [जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहब]+ज्ञानी मल सिंह[ मुख्य ग्रंथी श्री दरबार साहब]ज्ञानी गुरमुख सिंह[श्री अकाल तख्त साहब]बाबा बचन सिंह[कारसेवा वाले]बाबा लखा सिंह [नानक सर वाले]महंत अमृतपाल सिंह[गुरुद्वार टिकाना साहब]+ आदि उपस्थित थे |इस अवसर पर एस ऐ डी [अकाली दल]के अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली राज्य की सरकारों ने लगातार सिखों को न्याय देने से इंकार किया है|इसीलिए दोषी सज्जन कुमार +जगदीश टायटलर को खुला छोड़ा हुआ है|जब न्याय नही मिला तो पंथ के पास केवल इस मेमोरियल के निर्माण का ही विकल्प बचा है|उन्होंने बताया कि १९८४ के जनसंहार में ४००० निर्दोष सिखों का कत्ल हुआ था| ४००० लोगों की आत्माओं को शांति प्रदान करने और काले अध्याय को जिन्दा रखने के लिए जब इस मेमोरियल को बनाने का निर्णय लिया गया तब दिल्ली सरकर इसगैर कानूनी बता रही है|गुरुद्वारा अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि कौमे वोही जिन्दा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती हैं इसीलिए यह मेमोरियल हमें हमारे विरुद्ध अन्याय का याद दिला कर हमें ज़िंदा रखेगा|महा सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने सपोर्ट के लिए सबको धन्यवाद दिया|

 गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया


इनके अलावा पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल+अवतार सिंह+ सांसद सुख देव सिंह ढींडसा + हर सिमरन कौर बादल +मंजीत सिंह[दिल्ली कमेटी अध्यक्ष]+मनजिंदर सिंह सिरसा[महासचिव]रविंदर सिंह खुराना+तन्वन्त सिंह+हरमीत सिंह कालका+भाजपा के अध्यक्ष राज नाथ सिंह+ श्री मति सुषमा स्वराज+ सांसद नरेश गुजराल+विजय गोयल+अवतार सिंह हित+ओंकार सिंह थापर+कुलदीप सिंह भोगल+भूपिंदर सिंह आनंद+गुरमिंदर सिंह+जतिंदर सिंह शंठी +जसबीर सिंह जस्सी+कप्तान इन्द्रप्रीत सिंह+अमरजीत सिंह पप्पू+समर दीप सिंह+चमन सिंह+गुरलाड सिंह+ एम् पी एस चड्डा+परम जित सिंह चंडोक+मोंटी+ बलवंत सिंह रामूवालिया+त्रिलोचन सिंह आदि ने भी इस एतिहासिक घटना में हाजरी भरी|
इस अवसर पर गुरुद्वारा परिसर में भाई लखी शाह वंजारा हाल में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर कीर्तन समागम भी हुआ|इसमें कीर्तनी +ढाडी जत्थों +कवियों ने गुरुवाणी के अमृत की वर्षा करके सबको निहाल किया| अवतार सिंह प्रधान ने कहा कि कौमे वोही ज़िंदा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती है|नवम्बर १९८४ में सिखों ने तो अन्याय का संताप झेला है उसकी यादगार का पत्थर रखने पर दिल्ली कमेटी बधाई का पात्र है| ज्ञानी गुर बचन सिंह ने कहा कि १९८४ में जो सिखों कि बर्बादी हुई है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता|सुख देव सिंह ढींढसा ने सिख कौम के योगदान का वर्णन करते हुए बताया कि सिख कौम कि आबादी केवल २% है लेकिन अन्न भण्डार में ७०% का यौग दान है |सभी युद्धों में आगे बढ कर लहू बहाया है|इसके बाव्जोद पवित्र धार्मिक स्थलों को १९८४ में ढहाया गया है|

भगवान का नाम परम पवित्र और संसार सागर से पार उतारने वाला है

परम – पुण्य प्रतीक है , परम – ईश का नाम ।
तारक-मन्त्र शक्ति घर , बीजाक्षर है राम ।
साधक-साधन साधिये , समझ सकल शुभ-सार ।
वाचक – वाच्य एक है , निश्चित धार विचार ।

भाव: परमेश्वर, स्वामी , उच्चतम शासक अर्थात भगवान का नाम परम पवित्रता का चिन्ह है – परम शुद्धता की मूर्ति है- नाम। “राम ” जो शक्ति का पुंज है , पूर्ण अर्थात मूल मन्त्र है , वह संसार सागर से पार उतरने वाला है , उद्धार करने वाला है , मोक्ष दाता है ।
अतएव हे साधक , राम-मन्त्र को सब अच्छाइयों का निचोड़ समझकर आध्यात्मिक साधनों का अभ्यास करो । इस तथ्य को निश्चित रूप से धारण करो कि जिस वस्तु तथा शब्द द्वारा उसे वर्णित किया जा रहा है , दोनों एक हैं , अर्थात अपने ह्रदय में यह सुदृढ़ विश्वास रखो कि नाम एवं नामी , वाचक एवं वाच्य एक ही हैं ।
स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश,
प्रस्तुति राकेश खुराना

शनिदेव जयंती पर शनि मंदिरों में भक्तों ने धूमधाम से शनिदेव का तेलाभिषेक किया

शनिदेव जयंती पर शनि मंदिरों में भक्तों ने धूमधाम से शनिदेव का तेलाभिषेक किया | मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए |शनि अमावस्या पर अपने इष्ट देव के मन्त्रों के उच्चारण के साथ आराधना की गई| जीवन में सुख प्राप्ति के लिए प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट ने इन मन्त्रों का जाप आवश्यक बताया है|
[१]शनि मंत्र व स्तोत्र सर्वबाधा निवारक वैदिक गायत्री मंत्र ‘ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।'[२]वैदिक शनि मंत्र ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:। शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र बताया गया है|
[३]कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर: शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्। चर्तुभुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाऽस्तुं मह्यं वरंदोऽल्पगामी[४] सुख-समृध्दि दायक शनि मंत्र कोणस्थ:पिंगलो वभ्रु: कृष्णौ रौद्रान्त को यम:। सौरि: शनैश्चरौ मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:॥
[५]शनि पत्नी नाम स्तुति ॐ शं शनैश्चराय नम: ध्वजनि धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा॥ [६]ॐ शं शनैश्चराय नम

शनिदेव जयंती पर शनि मंदिरों में भक्तों ने धूमधाम से शनिदेव का तेलाभिषेक किया

शनिदेव जयंती पर शनि मंदिरों में भक्तों ने धूमधाम से शनिदेव का तेलाभिषेक किया

मेरठ में शनि मंदिरों में तैलाभिषेक किया गया|
[१]बच्चा पार्क स्थित शिव दुर्गा शनिधाम मंदिर में 51 लीटर सरसों के तेल से शनिदेव का तेलाभिषेक किया गया।
[२] सूरजकुंड रोड स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ शनिदेव मंदिर में शनिदेव जयंती धूमधाम से मनाई गई।
[३]छावनी क्षेत्र स्थित संकट मोचन हनुमान श्री बालाजी एवं शनि शक्ति पीठ शनि धाम मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। शनि महाराज की आरती के उपरांत तेलाभिषेक किया गया।
[४]विश्व जागृति मिशन की ओर से शनि जयंती के उपलक्ष्य में गोलक बाबू मंदिर नानक चंद इंटर कालेज के सामने सत्संग किया गया। यहाँ हवं भी किया गया|

सच्चे गुरु के बगैर माया रुपी जाल से मुक्ति नही मिलती

माया दीपक नर पतंग , भ्रमि भ्रमि इवैं पड़ंत ।
कह कबीर गुरु ग्यान तैं , एक आध उबरंत ।
भाव: कबीर दास जी कहते हैं कि जीव पतंगे के समान बार-बार माया रुपी
दीपक के प्रति आकर्षित होकर भ्रमजाल में पड़ जाता है और अपने जीवन को बिगाड़ लेता है । एकाध ही गुरु कृपा और गुरुज्ञान के सहारे इस आवागमन के चक्र से छूट जाता है । अर्थात- चाहे आप कितनी ही साधना,जप और नियमों में बंधे हैं जब तक आपको सच्चा गुरु नहीं मिल जाता , तब तक आप इस माया रुपी जाल से निकल नहीं सकते और न ही आत्म-ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं ।
वाणी: संत कबीर दास जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना

हे प्रभु मुझे आपने मोह माया की दुनिया में फंसा तो दिया है अब इससे निकलने में मदद भी करो

साहिब कौन देस मोहि डारा ।
साहिब कौन देस मोहि डारा ॥
वह तो देश अजर हंसन का ।
यह सब काल पसारा ॥
भाव: इन शब्दों में रूह की पुकार है । हे परमात्मा , ये तूने क्या किया ? मैं जो सतनाम की वासी हूँ , महाचेतनता के समुद्र की बूंद हूँ , मुझे मोह माया की दुनिया में फंसा दिया है और अब मेरी ऐसी शोचनीय अवस्था है कि कुछ कहते नहीं बनता । मेरी मदद कर , मुझे अपने घर ले चल । मेरी हालत ऐसी है कि मैं मोह माया में , इन्द्रियों के घाट पर , रो रही हूँ , हे गुरुवर , मुझ पर दया करो और मुझे अपने निज घर ले चलो । जो मेरा असली देश है वह तो अविनाशी है , वहां रहने वाले हंस वृत्ति के लोग हैं जो सत – असत का निर्णय कर सकते हैं । मगर इस दुनिया में जहाँ तुमने मुझे डाल दिया है , सब कुछ नष्ट होने वाला है ।
वाणी : श्री धर्म दास जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना

तमिल नाडू में जल्लीकट्टू त्यौहार में बैलों पर अत्याचार बंद हो:पेटा

पशुओं के कल्याण को समर्पित संस्था पेटा [ PETA ] ने तमिल नाडू में मदुरै [ Madurai ]डिस्ट्रिक्ट के तीन विभिन्न स्थानों पर पशुओं [साँड़/बैल BULL[ पर अमानवीय अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई है| संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मदुरै में जल्लीकट्टु [ jallikattu ] नामक प्रतियोगिता के नाम पर बैलों को ठीक सरकार की नाक के नीचे गैर कानूनन यातनाएं दी जाती हैं| पूँछ मरोड़ने से लेकर छुरेऔर नुकीले भाले तक घोंपे जाते हैं|
केंद्र सरकार आदेशों के बावजूद माननीय सुप्रीम ने तमिल नाडू में कुछ प्रतिबंधों के साथ मान्यता दे दी है| लेकिन ऐसे किसी भी गाईड लाइन को फोलो नही किया जा रहा| बैलों के अलावा खिलाड़ियों की मृत्यु तक हो जाती है|
पेटा[ PETA ] ने हाल ही में तमिल नाडू के जल्लीकट्टू एक्ट २००९ के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पेटीशन दाखिल की है|,
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू अर्थार्त [Eruthazhuvuthal,] तमिल नाडू के विशेष कर मदुरै+पलामेदु[ Palamedu ] अलंगनल्लुर [ Alanganallur, ]में पिछली चार शताब्दियों से पोंगल त्यौहार का मुख्य आकर्षण माना जाता है| जनवरी से जुलाई तक खेला जाने वाला यह त्यौहार कभी महिलाओं कि ख़ास पसंद हुआ करता थासभी जातियों की महिलाओं को अपने वर को तलाश करने में सहायता मिलती थी |जल्लीकट्टू को सिक्कों की थैली भी कहा जाता है|बैल के सींग पर सिक्कों की थैली इनाम स्वरुप बाँधी जाने लगी
लेकिन कालांतर में इस खेल में भी दोष आने लगे दो दशकों में ही दो सौ के मरने के खबर है| २००४ में ही ५ लोगों की मृत्यु और अनेको घायल हुए |पशु प्रेमियों ने इस की रोक थाम के लिए अदालतों की शरण लेनी शुरू की जिसके फलस्वरूप कुछ नियम बनाये गए लेकिन पेटा का आरोप है कि इनका पालन नही किया जा रहा और निरीह पशुओं का वध जारी है|

ईश्वर ने ही मानवता और जिंदगी के सभी रूपों की उत्पत्ति की है :संत राजेंद्र सिंह जी महाराज

सावन कृपाल रूहानी मिशन के मौजूदा संत राजेंदर सिंह जी महाराज ने फरमाया है कि हमें यह सिखाया जाता है कि प्रभु सृष्टि का कर्ता है । प्रभु की ताकत से ही सृष्टि का अस्तित्व है । यह ईश्वर ही है जिसने मानवता और जिंदगी के सभी रूपों की उत्पत्ति की । इस हकीकत को जानने के बाद हमें यह एहसास होना चाहिए कि हम प्रभु की सृष्टि के छोटे से हिस्से हैं, वह परवरदिगार सर्वशक्तिमान है और हम एक मामूली इंसान हैं, इसके बावजूद हम में से बहुत कम लोग इस बात का एहसास करते हैं । अगर हम अपने विचारों की जांच – पड़ताल करें तो हमें मालूम होगा कि हममें से कितने लोग प्रभु और उसकी दी हुई दातों को कितनी बार याद करते हैं। हम जिंदगी के कार्यों में इस कदर फँस गए हैं कि हम प्रभु के बारे में सब भूल बैठें हैं । यह सच है कि हम प्रभु को उस समय याद करते हैं जब हम किसी मुसीबत में या बीमारी के आलम में होते हैं और उससे निजात पाना चाहते हैं ।आज के समय प्रभु को भूलना इतना आसन हो गया है कि कुछ लोग तो उसके अस्तित्व तक को नकारते हैं । बहुत से लोग नास्तिक हैं और प्रभु के होने में विश्वास नहीं करते । काफी वर्षों से वैज्ञानिक परमात्मा का सृष्टि में विद्यमान होना नहीं मानते क्योंकि प्रभु का होना विज्ञान के यंत्रों से प्रमाणित नहीं होता ।
संत राजिंदर सिंह जी महाराज के प्रवचनों का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना

शरीर की प्रयोगशाला में ध्यान के फार्मूले से ईश्वर को पाया जा सकता है: संत राजेंद्र सिंह जी महाराज

संत कृपाल रूहानी मिशन SKRM की अध्यात्मिक गद्दी के मौजूदा वारिस संत राजेंद्र सिंह जी महाराज अध्यात्मिक विज्ञानं की गंगा केवल अपने देश में ही नहीं वरन अमेरिका+कनाडा+और यूरोप में भी बहा रहे हैं|महाराज का मानना है कि ईश्वर को बाह्य भौतिक संसार के बजाय ध्यान +तप से अपने अन्दर ही तलाशना होगा| संत राजेंद्र सिंह जी महाराज ने नवीनतम उपदेश में अपने ही शरीर रुपी प्रयोगशाला में ध्यान का प्रयोग के फार्मूले भी बताये हैं |महाराज ने बताया है कि उनसे अक्सर ईश्वर के विषय में प्रश्न किये जाते हैं|आत्मा+रूह+जीवन के विषय में जिज्ञासू पूछते रहते हैं| परमाणु [ATOM] में से सूक्ष्म को तलाशने के लिए सभी यत्न किये जा रहे हैं|बेशक आज कल ईश्वरीय पदार्थ की खोज के लिए भौतिक वादी संसार में नित नए प्रयोग किये जा रहे हैं| शक्तिशाली टेलेस्कोप+और स्पेस शिप भी बना लिए गए हैं| ईश्वर की खोज की सफलता के प्रति विश्व में अभी भी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है| लेकिन अबी तक हम लोग भौतिक वादी बाह्य संसार में ईश्वर के अस्तित्व को ढूंढ नही पाए हैं|इसीलिए प्रक्रति के रचियेता को को अपने अन्दर ही तलाशना होगा| इसके लिए संत+ महापुरुष सदियों से मार्ग दर्शन करते आ रहे हैं| संतो महापुरुषों ने ध्यान तप[ meditation ]से इष्ट देव को प्राप्त भी किया है|
संत राजेंद्र सिंह जी महाराज ने ध्यान +तप के विषय में ज्ञान देते हुए बताया कि कुछ लोग ध्यान को अपने शरीर और दिमाग की तंदरुस्ती के लिए केवल व्यायाम ही मानते हैंलेकिन संतों के अनुसार ध्यान ईश्वर की प्राप्ति का साधन है|
कुछ संतों के अनुसार शरीर रुपी मंदिर में ईश्वर का वास है| इसकी व्याख्या करते हुए संत महाराज ने बताया है कि चूंकि मानव शरीर में वास कर रही आत्मा स्वयम ईश्वर का ही सुक्ष स्वरुप है इसीलिए प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है जिसे देखने के लिए स्वयम के अन्दर ध्यान के माध्यम से झांकना होगा|
ध्यान प्रक्रियाको बेहद आसान बताते हुए संत राजेंद्र सिंह जी ने बताया कि सुविधाजनक एकांत स्थान पर अपनी ऑंखें बंद करके अपने अन्दर झांकना है |इस प्रक्रिया में दिमाग हमें अनेक विचारों से भटकाता है इसीलिए इस भटकाव से बचने के लिए आध्यामिक शब्दों [ spiritually charged words]को बार बार दोहराना होता है|प्रारम्भिक जिज्ञासूं को ज्योति ध्यान [Jyoti Meditation,]जरुरी है|इसके अंतर्गत अपने ईष्ट देव के नाम को दोहराना होता है|इस प्रक्रिया को रोजाना करने से इच्छा की पूर्ती होती है|
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