Ad

Category: Religion

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है इसीलिए नम्रता और आदर भाव से इसे साफ और शुद्ध रखा जाना चाहिए

आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ।
तिसै अगे नानका खलिइ कीचै अरदासि ।

Rakesh khurana

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है और इसीलिए इसे प्रार्थना में लगाने से पहले शुद्ध और साफ करना जरूरी है । ह्रदय की शुद्धता में नम्रता और आदरपूर्वक प्रभु का भाव होता है जो दुनिया की तमाम चिंताओं और झंझटों से मुक्त होता है ।
अर्थात वह मालिक सब कुछ जानता है , सब करण – कारणहार है और स्वयं ही कार्य पूर्ण कर देने में समर्थ है । उसके आगे खड़े होकर विनयपूर्वक प्रार्थना करो ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी पर बादल गुट का कब्जा

एन डी ऐ के लिए दिल्ली के तख्त की दूरी कुछ कम होनी शुरू हो गई है इसके एक भरोसे मंद घटक शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी चुनाव में एतिहासिक जीत करके यूं पी ऐ के गढ़ ने चुनौती दे दी है| पिछले 6 साल से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी पर काबिज सरना गुट का सफाया हो गया है । बादल गुट इस जीत को ऐतिहासिक मान रहे हैं, वहीं परमजीत सिंह सरना चुनाव में धन, बल और बोगस वोटों का आरोप लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि ये चुनाव किसी उम्मीदवार के खिलाफ नहीं बल्कि पंजाब सरकार वर्सेज दिल्ली हो गया था। शिरोमणि अकाली दल (बादल) के दिल्ली अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके का कहना है कि यह चुनाव भ्रष्टाचार के खिलाफ था, जिसमें लोगों ने उनका साथ दिया।
गौरतलब है कि कमिटी के चुनाव में कुल 46 वॉर्ड हैं। इनमें से[ ४५] वॉर्ड के लिए चुनाव हुआ था। गांधी नगर की एक सीट पर निर्विरोध उम्मीदवार चुना गया। कुल [४६ ]सीटों में से[ ३७] सीटें शिरोमणि अकाली दल बादल को मिलीं, सरना गुट को केवल[ ८] ही सीटें मिल पाईं। [१] सीट केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा के उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह ने जीती। सबसे कड़ा मुकाबला पंजाबी बाग सीट पर था। यहां शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और शिरोमणि अकाली दल (बादल) की ओर से मनजिंदर सिंह सिरसा मैदान में थे। इस सीट पर सिरसा ने सरना को रिकॉर्ड [४४५४] वोटों से हराया। सिरसा को [९००६] वोट मिले।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी पर बादल गुट का कब्जा


राजौरी गार्डन पर सरना गुट के हरपाल सिंह कोचर ने अपने प्रतिद्वंद्वी शिरोमणि अकाली दल बादल के हरमनजीत सिंह पर [२९] वोटों से जीत दर्ज की। कोचर को [१७७४] वोट मिले। इस सीट पर वोटों की जीत का मार्जिन सबसे कम था। खास बात यह रही कि इस सीट पर सबसे देर में चुनाव नतीजे आए। यहां मतगणना दुबारा हुई। बादल गुट के लिए यह सीट बेहद अहम मानी जा रही थी जो सरना गुट के उम्मीदवार कोचर ने छीनी।|
माना जा रहा है कि शराब किंग पोंटी चड्डा की ह्त्या के बाद से ही उनके नजदीकी सरना गुट के साम्राज्य के पतन की कहानी शुरू हो गई थी |जिसका अब पटाक्षेप हो गया है|

लक्ष्य हीन मानव जीवन व्यर्थ है: निंदनीय वचन फलदायी नहीं होते

अधम वचन काको फल्यो , बैठि ताड़ की छांह ।
रहिमन काम न आय है , ये नीरस जग मांह ।

Rakesh Khurana On Sant Rahim Das

अर्थ : जैसे ताड़ की छाया में बैठकर कोई फल नहीं मिलता , इसी प्रकार निंदनीय वचन फलदायी नहीं होते । संत रहीम दास जी कहते हैं – जो मनुष्य संसार में आकर किसी काम के नहीं होते , वे मनुष्य संसार में रसहीन होते हैं ।
भाव : इस संसार में निष्प्रयोजन जीवन जीना व्यर्थ है । यदि जीवन का कोई लक्ष्य नहीं है , जीवन किसी के काम नहीं आता है तो ऐसे जीवन का लाभ क्या ? संत रहीम के कहने का आशय यही है कि जीवन सार्थक होना चाहिए । कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए ।जीवन को ऐसा बनाना चाहिए , जो दूसरों के काम आ सके । दूसरों के साथ सहयोग करके ही आदमी यश पाता है और लोकप्रिय होता है ।
संत रहीम दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

कैलिफोर्निया में एक गुरुद्वारे में घुसकर पांच सशस्त्र बदमाशों ने दानपात्र में रखी नकदी लूटी

कैलिफोर्निया में एक गुरुद्वारे में घुसकर पांच सशस्त्र बदमाशों ने दानपात्र में रखी नकदी लूटी

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के शहर कैलिफोर्निया में एक गुरुद्वारे में घुसकर पांच सशस्त्र बदमाशों ने दानपात्र में रखी नकदी लूटी और फरार हो गए।
तीन लुटेरे रविवार सुबह गुरुद्वारे के सामने के दरवाजे से घुसे। इनमें एक के पास बंदूक और दूसरे के पास चाकू था। जबकि तीसरा निहत्था था। तीनों ने हजारों डॉलर दान पात्र से निकाले और बराबर के दरवाजे से बाहर भाग गए, जहां उनके दो अन्य साथी इंतजार कर रहे थे।
गुरुद्वारे में डकैती की यह पहली घटना है। यह भयावह घटना है, क्योंकि वे हथियार लेकर आए थे।यहाँ यदपि कुछ श्र्धालू थे मगर किसी ने भी लुटेरों का विरोध नहीं किया गौरतलब है कि यहाँ की जनसंख्या में 20 प्रतिशत आबादी सिखों की है।
पिछले साल अगस्त में विस्कांसिन स्थित ओकक्रीक गुरुद्वारे में हुई गोलीबारी में छह लोग मारे गए थे।राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सिखों के धार्मिक स्थलोंपर अटैक पर कड़ी चिंता व्यक्त की थी |

राम नाम के जाप से सद्गुणों की वृद्धि होती है और अज्ञानता समाप्त होजाती है

राम नाम जप-पाठ से ,
हो अमृत संचार।
राम-धाम में प्रीती हो ,
सुगुण – गुण का विस्तार ।।

Amrit Vani

भावार्थ : संतजन समझाते हैं कि परमात्मा के पावन नाम राम नाम का जाप बड़ी श्रधा, भावना , प्रेम से कीजिये तो उससे आप में अमृत , प्रेम तथा सुभाव नाओं का संचार होता हैं तथा धीरे धीरे उस प्रभु के पावन धाम , उसके निवास स्थान से प्रीति हो जाती है । हमारे अन्दर सद्गुणों के समूह की वृद्धि होती है । जब सद्गुण रुपी सूर्य हमारे अन्दर अवतरित होता हैं तो अवगुण तथा अज्ञान रुपी अँधेरा समाप्त हो जाता है ।
संत शिरोमणि स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित अमृतवाणी बगिया का एक पुष्प
प्रस्तुती राकेश खुराना

मोह,माया,ममता,अहम, फरेब को त्यागे बगैर अगर कहूं परमात्मा नहीं मिलता तो झल्ली ही कह्लाउंगी

तांघ माहि दी जली आं
नित काग उडावां खली आन
नै चन्दन दे शोर किनारे
घुम्मन घेरा ते ठाठा मारे
डुब डुब मोहे तारु सारे
शोर करा ते मैं झल्ली आं ।

Rakesh khurana

भाव: आत्मा की सबसे बड़ी इच्छा सद्गुरु परमात्मा को पाने की चाह होती है । सद्गुरु परमात्मा को पाने के लिए खुद को खोना भी पड़ता है तभी परमात्मा की समीपता प्राप्त हो सकती है । जीवन की सबसे बड़ी सार्थकता यही है ।
बुल्ले शाह फरमाते हैं कि हे प्रियतम मैं तेरी चाह में विरह की आग में जल रही हूँ , कागों[क्रो] के रूप में सांसारिक वासनाओं को अपने समीप नहीं आने देती,
संसार के तमाम रिश्ते नाते, कामनाएँ , वासनाएं प्रेम नदी के किनारे इतना शोर मचा रही हैं जिसके कारण आत्मा नदी में उतर ही नहीं पा रही है । तथा नदी भी इतनी भयानक है कि मोह , माया एवं ममता की भँवरे इतनी तेज पड़ती हैं कि तैरने वाला तो तैरने वाला कभी कभी दूसरों को पार पहुँचाने वाली लकड़ी की नाव भी इस में डूब जाती हैं । कितने ज्ञानी विज्ञानी इस नदी में डूब कर मर गए ऐसे में मेरा क्या होगा ? एक तरफ तो मैं तो इन मोह , माया, ममता, अहम्, फरेब, का त्याग नहीं कर पा रही , तथा दूसरी तरफ मैं शोर मचा रही हूँ की मुझे सद्गुरु परमात्मा की समीपता नहीं मिल पा रही, तो लोग तो मुझे झल्ली ही कहेंगे नां ।
सूफी संत बुल्ले शाह का कलाम
प्रस्तुति राकेश खुराना

असली ५ रत्न वोह हैं जो हमें हमारे मानव जीवन की वास्तविक मंजिल की तरफ ले जाते हैं

तुलसी या संसार में पांच रत्न हैं सार
साध संगत , सतगुरु शरण , दया , दीन , उपकार ।

Rakesh Khurana

भाव: संत तुलसी साहिब कहते हैं यूँ तो इस संसार में बड़े रत्न हैं , परन्तु वो रत्न जो हमें हमारे मानव जीवन की मंजिल की तरफ ले जाते हैं – वो केवल पांच हैं । पहला रत्न है – किसी साधु अर्थात किसी प्रभु रूप हस्ती की संगत। पहला रत्न जो मरने के बाद भी हमारे साथ जाता है , वो हमारा सतगुरु है ।दूसरा रत्न सतगुरु की शरण है । तीसरा रत्न सब पर दया करना है ।चौथा रत्न हमारी दीनता , हमारी विनम्रता है और पांचवा रत्न सब पर उपकार करना है । संत तुलसी साहिब कहते हैं ये पांच रत्न ऐसे हैं जो इस संसार में भी हमारा साथ देते हैं और उसके बाद भी हमारा साथ देते हैं । यदि हम किसी प्रभु रूप हस्ती के चरणों में बैठकर इन रत्नों को हासिल कर लें तो हमारी जिंदगी का जो ध्येय है – अपने आप को जानना और प्रभु को पाना – वो पूरा हो जायेगा । हमारी ये जिंदगी संवर सकती है और अगली जिंदगी भी ।
संत तुलसी साहिब हाथरस वाले
प्रस्तुति राकेश खुराना

एल के अडवाणी के ब्लॉग से :विदेशी लेखकों की कलम से भारतीय धार्मिक पर्यटन का महत्व

एन डी ऐ और भाजपा के सर्वोच्च नेता और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग में विदेशी लेखकों की कलम से भारतीय धार्मिक स्थलोंऔर कुम्भ मेले का महत्व बताया है|उन्होंने बताया है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रवाह से धार्मिक पर्यटकों की संख्या में क्रांतिकारी बढोत्तरी हो रही है यात्रियों की संख्या के सही आंकलन के लिए |केन्द्र सरकार के इसरो नेशनल रिमोट सैंसिंग सेन्टर और राज्य सरकार के उत्तराखण्ड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर को मिलकरअधिक विश्वसनीय आकलन संख्या देने पर भी बल दिया । दोनों संगठन हाई रिसोल्यूशन इंडियन सेटेलाइट द्वारा और ग्राऊण्ड बेस्ड इन्फोरमेशन का उपयोग करके कुम्भ के प्रमुख शाही स्नान का नकलन कर सकने में सक्षम हैं | हमारे इंग्लिश के पत्रकार इस उपलब्धि को कम करके आंक रहे हैं|प्रस्तुत है एल के अडवाणी के ब्लाग से

कुम्भ मेला : अन्यत्र दुर्लभ एक नजारा

चालीस वर्षों से अधिक समय से मैं संसद में हूं। एक समय था जब मिलने आने वाले लोग कोई न कोई काम कराने के लिए आते थे। उनमें से अधिकांश ऐसे थे जो टेलीफोन कनेक्शन चाहते थे। उनमें से अधिकतर का कहना रहता था कि उनका नाम प्रतीक्षा सूची में वर्षों से दर्ज है, फिर भी निकट भविष्य में उन्हें टेलीफोन कनेक्शन मिलने की संभावना नहीं दिखती।

एल के अडवाणी के ब्लॉग


मोबाइल फोन के आने के बाद स्थिति आमूलचूल बदल चुकी है। आज शायद ही कोई इस काम के लिए आता होगा। भारत में मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की संख्या विश्व के किसी भी हिस्से की तुलना में तीव्रता से बढ़ रही है। ऐसा अनुमान प्रकट किया गया था कि सन् 2010 तक देश में मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की संख्या 60 करोड़ से ज्यादा थी और इसके अलावा 15 मिलियन नए उपभोक्ताओं की संख्या हर महीने इसमें जुड़ती जा रही है। इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या में भी भारी वृध्दि हुई है। सन् 1998 में यह संख्या 1.4 मिलियन थी। आज यह 75 मिलियन से भी ज्यादा है। हार्वर्ड की विद्वान डायना एल एक्क की पुस्तक

‘सेक्रिड जियोग्राफी‘,

जिसे पिछले पखवाड़े मैंने उध्दृत किया था, ने

भारत को ”कैपिटेल ऑफ दि टेक्नालॉजी रिवोल्यूशन” (प्रौद्योगिकी क्रांति की राजधानी)

के रूप में वर्णित किया है।
डायना एक्क की पुस्तक के अंतिम अध्याय का शीर्षक ”

ए पिलग्रिम्स इण्डिया टूडे

” (एक तीर्थयात्री का वर्तमान भारत) है। इसमें वह लिखती हैं:
इससे हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि यातायात और संचार क्षेत्र में क्रांति ने तीर्थयात्रियों की संख्या को बढ़ावा दिया है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रवाह के चलते कम होना दूर उल्टे तीर्थयात्रा ने नई उर्जा ग्रहण की है।

इंटरनेट, तिरूपति या वैष्णोदेवी की वेबसाइट के

माध्यम से कोई पूजा और विशेष दर्शनों हेतु बुकिंग कर सकता है तथा धर्मशाला में अपना आरक्षण भी करा सकता हैं। यदि कोई किसी कारण से यात्रा पर नहीं जा पाए, तो भी वह तिरूपति मंदिर से प्रात: सुप्रभातम् सुन सकता है और ऑनलाइन दर्शन तथा दान हेतु भी सम्पर्क उपलब्ध है। तीर्थयात्री इंटरनेट के माध्यम से हिमालय स्थित चारधाम यात्रा या अनगिनत अन्य तीर्थस्थलों, पहाड़ों पर स्थित बदरीनाथ से लेकर दक्षिण में तमिलनाडू के रामेश्वरम तक के बारे में अच्छा पैकेज पा सकते हैं।”
इस अध्याय में वैष्णो देवी (जम्मू एवं कश्मीर) जाने वाले यात्रियों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी को भी दर्ज किया गया है। डायना कहती

1986 में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या 14 लाख थी

जबकि

सन् 2009 में यह 82 लाख से ऊपर हो गई

। गत् तीन वर्षों में, वार्षिक संख्या निश्चित रूप से

एक करोड़ पार कर गई

होगी!
गत् सप्ताह

प्रयाग, जहां गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती नदियों की त्रिवेणी है,

पर दुनियाभर में सबसे बड़े धार्मिक उत्सव कुम्भ की शुरूआत हुई। प्रयाग ही एकमात्र स्थल नहीं है जहां यह विशाल कुंभ मेला लगता हो। कुम्भ का शाब्दिक अर्थ है कलश, और पवित्र कुम्भ मेले का आशय है अमृत से भरे कलश से। यहमेला तीन अन्य स्थानों पर विभिन्न समयों पर आयोजित होता है- हरिद्वार, उज्जैन और नाशिक।
बारह वर्ष पूर्व मैं प्रयागराज कुम्भ गया था। पिछली बार मैं हरिद्वार के कुम्भ मेले में गया था। यह सन् 2010 की बात है जब भाजपा के डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ मुख्यमंत्री थे। इस मेले में, परमपूज्य दलाई लामा अधिकांश कार्यक्रमों में मेरे साथ थे।
हरिद्वार जाने से पूर्व मैं स्वामी चिदानंदजी के परमार्थ निकेतन, जहां सामान्यतया मैं रूकता हूं, गया था, वहां मुझे

मार्क टुली द्वारा कुम्भ मेलों पर लिखित एक उत्कृष्ट लेख पढ़ने को मिला।

मार्क टुली अनेक वर्षों तक नई दिल्ली में बी.बी.सी. के ब्यूरो चीफ रहे हैं और आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने उन्हें भारत से बाहर भेज दिया था क्योंकि उन्होंने आपातकाल का सशक्त विरोध किया था। यह उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्ति के बाद मार्क टुली भारत में ही बस गए हैं।अपने लेख में मार्क टुली ने इस पर खेद प्रकट किया था कि जबकि मीडिया अक्सर कुम्भ के अवसर पर पवित्र गंगा में स्नान करने वाले लाखों की अनुमानित संख्या की बात तो करता है परन्तु वास्तविक संख्या के सही आकलन के लिए सेटेलाइट फोटोग्राफर्स, कम्प्यूटर्स और आधुनिक तकनीक के अन्य उपकरणों का सहारा नहीं लेता।
जब 2010 में, मैं कुम्भ हेतु गया तब मैंने हमारे मुख्यमंत्री डॉ0 पोखरियाल को यह करने के लिए कहा। श्री पोखरियाल ने केन्द्र सरकार के इसरो नेशनल रिमोट सैंसिंग सेन्टर और राज्य सरकार के उत्तराखण्ड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर को मिलकर आने वाले तीर्थ यात्रियों की और अधिक विश्वसनीय आकलन संख्या देने को कहा।उपरोक्त वर्णित दोनों संगठनों ने हाई रिसोल्यूशन इंडियन सेटेलाइट द्वारा और ग्राऊण्ड बेस्ड इन्फोरमेशन का उपयोग करके कुम्भ के प्रमुख शाही स्नान दिवस (14 अप्रैल, 2010) पर स्नान करने वाले तीर्थयात्रियों की अनुमानित संख्या दी जोकि 1 करोड़ 63 लाख 77 हजार और 5 सौ थी! मैं आशा करता हूं कि ये संगठन प्रयागराज के कुम्भ मेले में इस वर्ष भाग लेने वाले लोगों की संख्या का स्वयं ही आकलन करेंगे।
कुम्भ पर

मार्क टुली का लेख उनकी पुस्तक ”नो फुल स्टाप््स इन इण्डिया”

में से लिया गया था जो कहता है:
”दुनिया में कोई अन्य देश कुंभ मेले जैसा दृश्य नहीं प्रस्तुत कर सकता। यह सर्वाधिक बदनाम भारतीय प्रशासकों की विजय है लेकिन उससे ज्यादा यह भारत के लोगों की विजय है। और अंग्रेजी प्रेस इस विजय पर कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करती है? अपरिहार्य रूप से, तिरस्कार के साथ। देश के सर्वाधिक प्रभावशाली दैनिक द टाइम्स ऑफ इण्डिया ने एक लम्बा लेख प्रकाशित किया जिसमें ये वाक्य कई बार दोहराए गए थे ‘अबस्क्युअरिज्म रूल्ड दि रूट्स इन कुम्भ’ (कुम्भ में रूढ़िवाद ने बसेरा डाला), ‘रिलीजियस डॉगमा ओवरब्हेल्म्ड रीज़न एट दी कुम्भ |कुंभ में धार्मिक कर्मकाण्ड ने तर्क को पीछे धकेला |और ‘दि कुंभ आफ्टर ऑल रिमेन्ड ए मेअर स्पेक्टेकल विद इट्स मिलियन ह्यूज बट लिटिल सबस्टेन्स’|कुंभ में लाखों की भीड़ उमड़ी मगर ठोस कुछ नहीं निकला

सत्संग में केवल ढोलक बजाना या भजन गाना ही नहीं है वरन चित्त – चुनरिया को प्रभु प्रेम में रंगना है

राजौरी गार्डन, दिल्ली में माता की चौकी के रूप में सत्संग का आयोजन हुआ । इस सुअवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी द्वारा दिए गए प्रवचन के कुछ अंश प्रस्तुत हैं: :
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि ने बड़ी संख्या में आये श्रधालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमेश्वर अपने नाम में ऐसे समाया है जैसे स्रोतों में जल , पुष्पों में खुशबू एवं लकड़ी में अग्नि । जैसे पुष्प में छिपी खुशबू इत्रकार पुष्प से अलग कर देता है , इसी प्रकार संतजन , भेदीजन हमें युक्ति बताते हैं , परमात्मा के पावन नाम का अभ्यास कराते हैं और हमें परमात्मा के दर्शन कराते हैं ।

Respected Neeraj Mani Rishi Ji


हमें अपने पाप और पुण्य सभी प्रभु के चरणों में अर्पित कर देने चाहिए क्योंकि पाप और पुण्य के फल अर्थात दुःखों और सुखों को भोगने के लिए शरीर धारण करना पड़ता है । हम जो भी पुण्य करें , वह निष्काम अर्थात कामना रहित भावना से करना चाहिए | सत्संग करने का अर्थ केवल ढोलक बजाना या भजन गाना ही नहीं है , सत्संग के द्वारा साधक परमात्मा से सामूहिक रूप में प्रार्थना करते है कि हे प्रभु ! हम अबल हैं , आप सबल हैं , हम गुणहीन हैं , आप गुणवान हैं , आप अपने देव – द्वार से हम दीन – हीनों पर कृपा की बरसात करो । हमारी चित्त – चुनरिया को अपने प्रेम और भक्ति से रंग दो ।

ईद मिलादुलनबी पर हज़ारों स्कूली बच्चों ने आकर्षक जुलूस निकाले: तिलावातें कुरआन,नातें प्रस्तुत की

ईद मिलादुलनबी पर हज़ारों स्कूली बच्चों ने आकर्षक जुलूस निकाले: तिलावातें कुरआन,नातें प्रस्तुत की

ईद उल मिलादुलनबी के मुबारक मौके पर आज हज़ारों स्कूली बच्चों ने आकर्षक जुलूस ,झांकियां निकाली|आज सुबह लगभग ९ बजे जश्ने मिलादुल नबी कमेटी द्वारा लालकुर्ती के इस्लामिक पब्लिक स्कूल से जुलुस निकाला गया जिसमे शहर के ९ विभिन्न स्कूलों और मदरसों के बच्चों ने शिरकत की | जुलूस लाल कुर्ती फव्वारा चौक,सब्जी मंडी, से होता हुआ नॅशनल इंटर कालेज पर समाप्त हुआ जहां तिलावातें कुरआन,नातें प्रस्तुत करके धर्म लाभ कमाया गया |
तोप खाना के मदरसा मजिदिया,सर सैय्यद एकेडमीकरम अली खैर नगर स्थित हमीदिया गर्ल्स हाई स्कूल,घंटा घर कोटला तथा नौचंदी बाले मिया मज़ार से भी अनेकों काबिले तारीफ़ कार्यक्रम किये गए|
गुलाम मोहम्मद,मोहम्मद हनीफ,गुलाम गौस,सलीम कुरेशी,शरीफ कुरेशी,नजाकत अली,शादाब,परवेज,अजमल ,आदिल सिद्दीकी,रियाजुदीन,पप्पू आदि ने फल भी तकसीम किये