प्रभु की सरणि सगल भै लाथे दुःख बिनसे सुखु पाइआ ।
दइआलु होआ पारब्रहमु सुआमी पूरा सतिगुरु धिआइआ ।
वाणी : श्री गुरु अर्जनदेव जी महाराज , श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना
प्रभु की सरणि सगल भै लाथे दुःख बिनसे सुखु पाइआ ।
दइआलु होआ पारब्रहमु सुआमी पूरा सतिगुरु धिआइआ ।
श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 13 जनवरी 2013 को प्रात:कालीन सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा :-
ये जन्म तुझे अनमोल मिला चाहे जो इससे कमा बाबा ।
कुछ दीं कमा, कुछ दुनिया कमा, कुछ हरि के हेतु लगा बाबा ।
भाव : हमें
मेरठ भड़काऊ भाषणों के लिए चर्चित भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और सांसद वरुण गांधी ने शनिवार को मेरठ में आध्यात्मिक संयत विचारक की भांति युवाओं से संवाद बनाए|स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर सूरजकुंड पार्क में उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि वह भी बचपन से स्वामी विवेकानंद से प्रभावित रहे हैं।उन्होंने स्वामी विवेक नन्द के विचारों का उल्लेख करते हुए व्यक्ति के बजाय विचारों को महत्त्व देने का अहवाह्न किया |
वरुण गांधी ने युवाओं से आह्वान किया कि वह छोटी मोटी समस्याओं में अपनी उर्जा या सामर्थ्य बर्बाद करने के बजाय राष्ट्र निर्माण की सोंचे और अपने सपनों को साकार करें, इससे देश का विकास होगा ।मंचासीन जनप्रतिनिधियों से कहा कि वह नाली-खड़ंजे की समस्या में न उलझकर देश को ऊंचा उठाने पर विचार करें।
पीलीभीत से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने कहा कि 100 करोड़ लोग खासकर युवा अगर अपनी तरक्की के सपने को साकार करने के लिए उठ खड़े हो जाएँ तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। हम लोग नाली और खड़ंजे से आगे नहीं सोच पाते, जबकि हमें विश्व के मानचित्र पर देश को शक्तिशाली बनाने के लिए भी विचार विमर्श करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सुभाषचंद्र बोस ने कहा था कि अगर भारत को समझना है तो स्वामी विवेकानंद के विचारों को जरूर पढ़ना चाहिए।राजगोपालाचार्य जी ने भी कहा है कि स्वामी जी के कारण ही देश और विदेशों में हिन्दू धर्म की रक्षा हो पाई है| वरुण गांधी ने मोहल्लों और गांवों में अनुभवी और युवाओं का मंच बनाकर देश को विकसित करने के लिए विचार करने की बात कही। विवेकानंद चाहते थे कि सबसे ऊंचे दर्जे के विचार केवल बुद्धिजीवियों व विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं रहें, बल्कि वह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आदमी तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति मिलजुल कर रहे तो यह विवेकानंद के प्रति कृतज्ञता होगी। इससे पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने विवेकानंद के 1893 में अमेरिका में दिए भाषण का जिक्र किया और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। महापौर हरीकांत अहलूवालिया, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल व रवींद्र भड़ाना, कर्मचारी संघ के महामंत्री तुलसी मोहन, जलकल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कृपाल सिंह गुर्जर, सतीश राणा मंच पर मौजूद रहे। महानगर भाजपा अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज, डा. चरण सिंह लिसाड़ी व आलोक सिसौदिया आदि भी मौजूद रहे।
प्रतिभाओं का सम्मान
युवा दिवस के रूप में मनाये गए इस दिवसपर अनेको प्रतिभओंको सम्मानित भी किया गया|अलका तोमर,अजय मित्तल,भुबनेश्वर,आर सी त्यागी,आनंद प्रकाश,जबर सिंह,प्रवीण कुमार,पूनम बिश्नोई आदि को सम्मानित किया गया|
अव्यवस्थाएं
समारोह स्थल पर अव्यवस्थाएं भी हावी रही|वरुण गाँधी के समीप पहुँचने की जद्दोजहद में कार्यकर्ता एक दूसरे पर गिरते देखे गए|
सूरजकुंड पार्क में वरुण गांधी को जबरदस्त धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा। कई बार वह भी गिरते गिरते बचे।
प्रदेश में सत्ता रूड सपा के स्थानीय मुस्लिम पार्षद भी समारोह स्थल पर पहुंचे और साम्प्रदाईक सौहार्द की मिसाल पेश की|यासीन,वसेम गाजी,शकील,दिलशाद,आदि भी वहां पहुंचे|
नगर आयुक्त राज कुमार सचान की किरकिरी
सूरज कुंड पर स्वामी विवेकानन्द की १० फीट की मूर्ति की स्थापना को लेकर विवादों में आये नगर आयुक्त राज कुमार सचान समारोह स्थल से भी नदारद रहे बताया जा रहा है कि इस विवाद के कारण सचान का तबादला मेरठ से बाहर कर दिया गया है|
स्वामी विवेकानंद की १५० जयंती पर उनके आदर्शों को घर घर तक पहुंचाने के लिए शहर में १६ स्थानों से शोभा यात्राएँ निकाली गई ऐ बी वी प् और सनातन धर्म स्कूल के छात्रों सहित सभी शोभा यात्राओं का मिलन समारोह स्थल पर कराया गया|
नकली मंदिर मसजिदों में जाए सद अफ़सोस है ।
कुदरती मसजिद का साकिन दुःख उठाने के लिए ।
कुदरती काबे की तू महराब में सुन ग़ौर से ।
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिए ।
रहिमन रहिला की भली ,जो परसै चित लाय ।
परसत मन मैलो करे , सो मैदा जरि जाय ।
अर्थ : कवि रहीम कहते हैं कि बेसन का आटा हितकर है, जिसको प्रेमपूर्वक शरीर पर मला जाता है , परन्तु मलने पर जो तन-मन को मैला कर दे , उस मैदा का नष्ट हो जाना ही बेहतर है।
मीरा मन मानी सुरत सैल असमानी ।
जब जब सुरत लगे वा घर की , पल पल नैनन पानी ।
श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीभगवानुवाच
कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि ।
योगिन: कर्म कुर्वन्ति संगं त्यक्त्वात्मशुद्धये ।
कर्मयोगी आसक्ति का त्याग करके केवल (ममता रहित )इन्द्रियां , शरीर , मन और बुद्धि के द्वारा अंत:करण की शुद्धि के लिए ही कर्म करते हैं ।
व्याख्या : ममता का सर्वथा नाश होना ही अंत:करण की शुद्धि है । कर्मयोगी साधक शरीर -इन्द्रियाँ -मन -बुद्धि को अपना तथा अपने लिए मानते हुए , प्रत्युत संसार का तथा संसार के लिए मानते हुए ही कर्म करते हैं । इस प्रकार कर्म करते – करते जब ममता का सर्वथा अभाव हो जाता है , तब अंत:करण पवित्र हो जाता है ।
श्लोक
वर्तमान राजनीति में आ रहे रोजाना के आपत्तिजनक बयानों के परिपेक्ष्य में सेकड़ों साल पहले प्रतिष्ठित श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की वाणी आज प्रासंगिक और अनुकरणीय है
अवलि अलह नूर उपाइआ कुदरति के सभ बन्दे ।
एक नूर ते सभु जगु उपजिआ कउन भले को मंदे
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