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Category: Religion

प्रभु की शरण में आते ही भय,दुःख,दर्द दूर हो जाते हैं

प्रभु की सरणि सगल भै लाथे दुःख बिनसे सुखु पाइआ ।
दइआलु होआ पारब्रहमु सुआमी पूरा सतिगुरु धिआइआ ।

Rakesh Khurana And Guru Arjun dev Ji Mahaaraaj

भाव : श्री गुरु अर्जनदेव जी महाराज हमें समझा रहे हैं कि जब हम प्रभु की शरण में आते हैं तो हमारे जितने भय हैं , वे दूर हो जाते हैं , जितने हमारे दुःख – दर्द हैं , सबका नाश हो जाता है और हमें सुख प्राप्त होता है ।जब हम अपना पूरा ध्यान सतगुरु की ओर कर देते हैं तब पारब्रह्म का स्वामी परमात्मा हम पर दयालु हो जाता है । महापुरुष हमें समझाते हैं हम अपना समय व्यर्थ न करें , हमारा हर पल परमात्मा की याद में हो ।
वाणी : श्री गुरु अर्जनदेव जी महाराज , श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब को वधाईयां

लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब को वधाईयां

सूर्य देवाय नमः
भास्कराय नमः
रवि देवाय नमः
ऊर्जा देवाय नमः जय सूर्य देव जय गंगा मईया ।Donate Khichadi To The Needy
लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब नू वधाईयां ।रब्ब करे मकर सक्रांति की पूजा से सूर्य देव प्रसन्न हो जाएँ +अच्छी धूप सेंकने को मिले और ठण्ड का प्रकोप कम हो।
इस पर्व पर सूर्य देव और गंगा मईया की पूजा का प्रावधान है इस के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए चावल और उड़द की खिचडी को दान करने को भी शुभ माना जाता है |एक अनुमान के अनुसार अलाहाबाद के संगम पर आयोजित कुम्भ में लग भग साडे छह से सात करोड़ श्र्धालू और मेला प्रेमी जुड़ सकते हैं |इतनी बड़ी भीड़ के लिए व्यवस्था तो क्या हो पायेगी उलटे गंगा मईया भी श्रधालुओं के पाप धोते धोते अपनी सफाई के लिए आंसू बहाने लगी है|ठण्ड के इस रिकार्ड तोड़ प्रकोप के मध्य नज़र कहा जा सकता है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थार्त घर में ही गंगा स्नान करना श्रेष्ठ है|जहाँ तक दान की बात है तो झल्लेविचारानुसार खिचडी के दान की परम्परा का निर्वाह किया जाना जरुरी है लेकिन यह अन्न दान केवल जरुरत मंद को ही देना उचित होगा|इसमें परेशां होने की जरुरत नहीं है अपने आस पास ही गौर से देखने पर ऐसे जरुरत मंद अनेकों मिल जायेंगे |

सांसारिक सुख मृगतृष्णा है और परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में ही है

श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 13 जनवरी 2013 को प्रात:कालीन सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा :-
ये जन्म तुझे अनमोल मिला चाहे जो इससे कमा बाबा ।
कुछ दीं कमा, कुछ दुनिया कमा, कुछ हरि के हेतु लगा बाबा ।
भाव : हमें

Poojy Niraj Mani Rishi Ji

मिला , संत भी मिले , संतों से नाम भी मिला , संतों के द्वारा बनाए गए आश्रम अर्थात नाम जपने का स्थान भी मिला परन्तु हमारे अंत:करण में परमात्मा के नाम को जपने का शौक पैदा नहीं होता । हम पूरी आयु सांसारिक सुखों के पीछे ही भागते रहते हैं जो स्थायी नहीं है । जगत के सुख तो ऐसे हैं जैसे मृगतृष्णा ।जैसे रेगिस्तान में हिरन , रेत की चमक को पानी समझकर अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पीछे भागता है , उसकी प्यास तो नहीं बुझती परन्तु भागते – भागते अचेत होकर गिर पड़ता है और अपने प्राण दे देता है , इसी तरह से हम मोह , ममय और कामनाओं के जाल में फंस जाते हैं , कामनाओं की पूर्ति तो नहीं होती परंतु हमारा जीवन इसी में व्यतीत हो जाता है।
संत हमें समझाते हैं कि इस अनमोल जीवन को परमात्मा का नाम लेने में लगाओ क्योंकि परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में है इसलिए उसके नाम का भजन का करो और उनके चरणों के अनुरागी बनो
प्रस्तुति राकेश खुराना

पंजाबी समाज ने मेयर से साफ सफाई की व्यवस्था की लोहड़ी मांगी

पंजाबी समाज ने मेयर से साफ सफाई की व्यवस्था की लोहड़ी मांगी

मेरठ के पंजाबी समाज ने नगर निगम और मेयर से लोहड़ी मांगी है और इस लोहड़ी में शहर में साफ सफाई की व्यवस्था की मांग की गई है|पंजाबी कल्चरल सोसायटी के अध्यक्ष सुनील शर्मा और महामंत्री राज कोहली ने मेयर से मुलाकात करके शहर में विशेष कर सूरज कुंड थापर नगर कंकर खेडा और प्रहलाद नगर आदि पंजाबी बाहुल्य इलाकों में सफाई की दुर्दशा का चित्रण प्रस्तुत किया इस पर मेयर हरि कान्त अहलुवालिया ने शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया |गौरतलब है कि यूं तो आये दिन पूरे शहर में साफ़ सफाई की व्यवस्था की आलोचना होती रहती है लेकिन पंजाबी बाहुल्य इलाकों में स्थिति बाद से बदतर होती जा रही है यहाँ तक कि लोहड़ी जैसे त्यौहार पर भी सूरज कुंड के नाले की सफाई नही कराई गई है|सुनील शर्मा का कहना है कि इस नाले के किनारे लग भग ४० परिवार रहते हैं अनेकों बार शिकायत करने पर भी यहाँ से स्लिट निकलवाई नहीं गई है| पिछले ४० सालों से सूरज कुंड की स्पोर्ट्स कालोनी के इस नाले में कभी कोई सफाई अभियान नहीं चलाया गया है|अब चूंकी मेयर हरिकांत अहलुवालिया स्वयम बी जे पी के पंजाबी कोटे से आये हैं ऐसे में उनसे कुछ ज्यादा उम्मीद है क्योंकि लोहड़ी पर बच्चों द्वारा घरों से लोहड़ी मांग कर पवित्र अग्नि प्रज्वल्लित की जाती है इसीलिए अब इस त्यौहार पर मेयर से सफाई के लिए लोहड़ी मांगी गई है|

छोटी मोटी समस्यायों में शक्ति गंवाने के बजाय चरित्र और राष्ट्र निर्माण में युवा आगे आयें:वरुण गांधी

मेरठ भड़काऊ भाषणों के लिए चर्चित भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और सांसद वरुण गांधी ने शनिवार को मेरठ में आध्यात्मिक संयत विचारक की भांति युवाओं से संवाद बनाए|स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर सूरजकुंड पार्क में उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि वह भी बचपन से स्वामी विवेकानंद से प्रभावित रहे हैं।उन्होंने स्वामी विवेक नन्द के विचारों का उल्लेख करते हुए व्यक्ति के बजाय विचारों को महत्त्व देने का अहवाह्न किया |
वरुण गांधी ने युवाओं से आह्वान किया कि वह छोटी मोटी समस्याओं में अपनी उर्जा या सामर्थ्य बर्बाद करने के बजाय राष्ट्र निर्माण की सोंचे और अपने सपनों को साकार करें, इससे देश का विकास होगा ।मंचासीन जनप्रतिनिधियों से कहा कि वह नाली-खड़ंजे की समस्या में न उलझकर देश को ऊंचा उठाने पर विचार करें।
पीलीभीत से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने कहा कि 100 करोड़ लोग खासकर युवा अगर अपनी तरक्की के सपने को साकार करने के लिए उठ खड़े हो जाएँ तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। हम लोग नाली और खड़ंजे से आगे नहीं सोच पाते, जबकि हमें विश्व के मानचित्र पर देश को शक्तिशाली बनाने के लिए भी विचार विमर्श करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सुभाषचंद्र बोस ने कहा था कि अगर भारत को समझना है तो स्वामी विवेकानंद के विचारों को जरूर पढ़ना चाहिए।राजगोपालाचार्य जी ने भी कहा है कि स्वामी जी के कारण ही देश और विदेशों में हिन्दू धर्म की रक्षा हो पाई है| वरुण गांधी ने मोहल्लों और गांवों में अनुभवी और युवाओं का मंच बनाकर देश को विकसित करने के लिए विचार करने की बात कही। विवेकानंद चाहते थे कि सबसे ऊंचे दर्जे के विचार केवल बुद्धिजीवियों व विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं रहें, बल्कि वह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आदमी तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति मिलजुल कर रहे तो यह विवेकानंद के प्रति कृतज्ञता होगी। इससे पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने विवेकानंद के 1893 में अमेरिका में दिए भाषण का जिक्र किया और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। महापौर हरीकांत अहलूवालिया, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल व रवींद्र भड़ाना, कर्मचारी संघ के महामंत्री तुलसी मोहन, जलकल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कृपाल सिंह गुर्जर, सतीश राणा मंच पर मौजूद रहे। महानगर भाजपा अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज, डा. चरण सिंह लिसाड़ी व आलोक सिसौदिया आदि भी मौजूद रहे।

प्रतिभाओं का सम्मान

युवा दिवस के रूप में मनाये गए इस दिवसपर अनेको प्रतिभओंको सम्मानित भी किया गया|अलका तोमर,अजय मित्तल,भुबनेश्वर,आर सी त्यागी,आनंद प्रकाश,जबर सिंह,प्रवीण कुमार,पूनम बिश्नोई आदि को सम्मानित किया गया|

अव्यवस्थाएं

समारोह स्थल पर अव्यवस्थाएं भी हावी रही|वरुण गाँधी के समीप पहुँचने की जद्दोजहद में कार्यकर्ता एक दूसरे पर गिरते देखे गए|
सूरजकुंड पार्क में वरुण गांधी को जबरदस्त धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा। कई बार वह भी गिरते गिरते बचे।
प्रदेश में सत्ता रूड सपा के स्थानीय मुस्लिम पार्षद भी समारोह स्थल पर पहुंचे और साम्प्रदाईक सौहार्द की मिसाल पेश की|यासीन,वसेम गाजी,शकील,दिलशाद,आदि भी वहां पहुंचे|

नगर आयुक्त राज कुमार सचान की किरकिरी

सूरज कुंड पर स्वामी विवेकानन्द की १० फीट की मूर्ति की स्थापना को लेकर विवादों में आये नगर आयुक्त राज कुमार सचान समारोह स्थल से भी नदारद रहे बताया जा रहा है कि इस विवाद के कारण सचान का तबादला मेरठ से बाहर कर दिया गया है|
स्वामी विवेकानंद की १५० जयंती पर उनके आदर्शों को घर घर तक पहुंचाने के लिए शहर में १६ स्थानों से शोभा यात्राएँ निकाली गई ऐ बी वी प् और सनातन धर्म स्कूल के छात्रों सहित सभी शोभा यात्राओं का मिलन समारोह स्थल पर कराया गया|

प्रभु के संगीत के श्रवण मात्र से वापस अपने निजधाम सचखंड में पहुंचा जा सकता है

नकली मंदिर मसजिदों में जाए सद अफ़सोस है ।
कुदरती मसजिद का साकिन दुःख उठाने के लिए ।
कुदरती काबे की तू महराब में सुन ग़ौर से ।
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिए ।

Rakesh Khurana

भाव : संत तुलसी साहिब फरमा रहे हैं कि जो बाहर के मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं उसमें हम लोग जाते हैं , उनका स्वरूप भी इन्सान के रूप में बनाने का प्रयास किया जाता है।उनके गुम्बद सिर के सामान होते हैं । धर्म – स्थान पर दिया या मोमबत्ती जलेगी , घंटियाँ बजेंगी , या मुल्ला अजान देगा । परन्तु जो कुदरत ने मस्जिद बनाई है , वह यह मानव चोला है और इसका साकिन अर्थात इसमें रहने वाली हमारी आत्मा दुःख उठा रही है क्योंकि वह परमात्मा से अलग है ।
परमात्मा का बनाया हुआ जो यह शरीर है उसकी महराब शिव नेत्र है (दसवाँ द्वार अथवा दिव्य चक्षु ) उस पर हम अपना ध्यान टिकाएं और प्रभु के संगीत को सुनें । उस मधुर संगीत , उस धुन के साथ , वह जो धारा परमात्मा की ज्योति और श्रुति की है , जो स्वयं प्रभु से उत्पन्न हुई है , उसके जरिये हम वापस अपने निजधाम सचखंड में पहुँच सकते हैं ।
संत तुलसी साहिब हाथरस वाले
प्रस्तुति राकेश खुराना

कुविचार और दुष्कर्म जितने भी लुभावने लगें , उन्हें त्याग देना ही हितकर होता है

रहिमन रहिला की भली ,जो परसै चित लाय ।
परसत मन मैलो करे , सो मैदा जरि जाय ।
अर्थ : कवि रहीम कहते हैं कि बेसन का आटा हितकर है, जिसको प्रेमपूर्वक शरीर पर मला जाता है , परन्तु मलने पर जो तन-मन को मैला कर दे , उस मैदा का नष्ट हो जाना ही बेहतर है।

Rakesh khurana On Sant Rahim Das

भाव: जिन सद्विचारों और कर्मों से तन_मन शुद्ध और पवित्र हो उन्हें ही ग्रहण करना हितकर होता है। किन्तु जिन कुविचारों और कर्मों से तन-मन मैला हो , वे देखने में चाहे कितने ही अच्छे लगें , उन्हें त्याग देना ही हितकर होता है।
संत रहीम दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

स्वयम को आत्मा के रूप में देखने से परमात्मा के साथ रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है

मीरा मन मानी सुरत सैल असमानी ।
जब जब सुरत लगे वा घर की , पल पल नैनन पानी ।

Rakesh Khurana On Sant Meera Bai

भाव : संत मीरा जी कहती हैं कि मेरा मन इसे मान गया है कि ये जो शरीर है , ये मेरा असली धाम नहीं है । अपने गुरु के बताये हुए रास्ते पर चलकर मैं मन की जकड़ से निकल आई हूँ । मेरी रूह अब अन्दर के आसमानों की , अन्दर के चेतन मंडलों की सैर कर रही है ।जब – जब मुझे अपने घर की याद आती है , वह घर जहाँ से मैं आई हूँ , परमात्मा का घर जिसे सचखंड कहा जाता है , उस समय मेरी आँखें भर आती हैं ।जब हम अपने आपको आत्मा के रूप में देखना शुरू कर देते है , तो हमारे अन्दर परमात्मा के साथ हर समय रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है ।
संत मीराबाई जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

ममता का सर्वथा नाश होना ही अंत:करण की शुद्धि है: श्रीमद्भगवद्गीता

श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीभगवानुवाच
कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि ।
योगिन: कर्म कुर्वन्ति संगं त्यक्त्वात्मशुद्धये ।
कर्मयोगी आसक्ति का त्याग करके केवल (ममता रहित )इन्द्रियां , शरीर , मन और बुद्धि के द्वारा अंत:करण की शुद्धि के लिए ही कर्म करते हैं ।
व्याख्या : ममता का सर्वथा नाश होना ही अंत:करण की शुद्धि है । कर्मयोगी साधक शरीर -इन्द्रियाँ -मन -बुद्धि को अपना तथा अपने लिए मानते हुए , प्रत्युत संसार का तथा संसार के लिए मानते हुए ही कर्म करते हैं । इस प्रकार कर्म करते – करते जब ममता का सर्वथा अभाव हो जाता है , तब अंत:करण पवित्र हो जाता है ।
श्लोक

Rakesh Khurana On श्रीमद्भगवद्गीता


प्रस्तुती राकेश खुराना

कुदरत एक है , सभी बन्दे भी उसी के हैं , इसीलिए कोई बुरा या अच्छा कैसे हो सकता है?

वर्तमान राजनीति में आ रहे रोजाना के आपत्तिजनक बयानों के परिपेक्ष्य में सेकड़ों साल पहले प्रतिष्ठित श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की वाणी आज प्रासंगिक और अनुकरणीय है
अवलि अलह नूर उपाइआ कुदरति के सभ बन्दे ।
एक नूर ते सभु जगु उपजिआ कउन भले को मंदे

rakesh khurana कुदरत एक है , सभी बन्दे भी उसी के हैं ,

भाव : परमात्मा सबसे पहले अकेला था । नूर पहले उत्पन्न हुआ । जितने भी बन्दे हैं , सभी उसी नूर से बने हैं यह सारा जग उसी नूर का बना है ,हम सब को एक ही परम पिता परमेश्वर ने बनाया है, तो यहाँ पर कौन अच्छा कौन बुरा हो सकता है ?हर एक जीव उस नूर के जरिये यहाँ आया है । जिसमे प्रभु का नूर बस्ता है , वह बुरा कैसे हो सकता है ? यही तो हमारे लिए समझने की बात है यही सच्ची समझ “विवेक ” है ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुती राकेश खुराना