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अन्ना और केजरीवाल चले थे संग संग मगर लोग मिले और कारवाँ बिछुड़ गया

एक बेहद पुराने शेर को अगर आज के हालात में पडा जाए तो बनेगा हम तो चले थे संग संग जानिबे मंजिल मगर लोग मिलते गए और कारवां बिछुड़ता रहा|जी हाँ कमोबेश यही हालत आज कल टीम अन्ना माफ़ कीजिये भूत पूर्व अन्ना टीम का है|आज से लगभग दो साल पहले अन्ना बाबू राव हजारे और अरविन्द केजरीवाल ने मिल कर एक टीम बनाई थी और उसका नाम रखा अन्ना टीम इन्होने बामुश्किल एक साल में तीन बार अनशन किया और अपनी पहचान दुनिया भर में बना ली|सराकर की सरदर्दी बने और जनता में कुछ उम्मीद भी जगी|लेकिन इतिहास गवाह है कि इस प्रकार के आन्दोलनों की उम्र लम्बी नहीं होती सो जन लोक पाल के लिए चलाया गया यह आन्दोलन भी आपसी विरोधाभासों की भेंट चढ़ गया|जहां पहले संग संग मंजिल की तरफ बड़ा जा रहा था अब गाया जा रहा है कि रस्ते अलग अलग हैं ठिकाना तो एक है|यानि अन्ना और अरविन्द दोनों जन लोक पल के लिए लड़ाई लड़ेंगें मगर उनका रास्ता अलग अलग हो रहा है|अन्ना ने पिछले अनशन [जंतर मंतर] की दुर्दशा देख कर अब अनशन नहीं करने का फैसला करलिया है अन्ना ने कहा है कि वोह अब अनशन नहीं वरन आन्दोलन करेंगें |उधर अरविन्द का कहा है कि अनशन से सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा इसीलिए अब राजनीति में विकल्प देने के लिए चुनाव लड़ना होगा इसके लिए उन्होंने पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है| शक्ति प्रदर्शन करने के लिए अरविन्द ने दिल्ली में बिजली के बिलों को जलाया और सरकार को रुलाया| बेशक इस आन्दोलन के साथ कुछ हज़ार लोग ही जुड़े मगर इस आन्दोलन की गूँज बहुत दूर तक गूंजी और सरकार ने बिजली के बिलों की स्क्रूटिनी के आदेश दे दिए हैं| अन्ना ने आन्दोलन के लिए फिर से टीम जुटाने की मुहीम अलग से शुरू कर दी है|
अरविंद केजरीवाल से अलग होने के बाद पहली बार आज रविवार को अन्ना हजारे दिल्ली पहुंचे। उन्‍होंने अपने पुरानी मान्यता को दोहराते हुए कहा कि राजनीति में बहुत गंदगी है और राजनीतिक हाथों में देश सुरक्षित नहीं है। श्री हजारे ने यह भी कहा कि देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है। यानी वो नई टीम बना सकते हैं। अन्ना दो दिन दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और सेना के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। वह यहां अपने समर्थकों से मिलेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे |कहा जा रहा ही कि अन्ना की पींगें आज कल बाबा राम देव से बढ रही हैं मगर अन्ना इस मामले में चप्पी साधे हुए हैं|
पुणे से दिल्ली रवाना होने से पहले अन्ना ने कहा था कि वो[अन्ना] लोकपाल के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।अन्‍ना हजारे ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए नई टीम बनाने का संकेत दिया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के लिए अपनी रणनीति बदलने का भी ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि देश में परिवर्तन लाने के लिए राजनीति का रास्ता सही नहीं है, इसके लिए देश भर में आंदोलन करना होगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालेइस वयोव्रद्ध समाज सेवी ने कहा कि वह संसद में साफ सुथरी छवि वाले लोगों को भेजने के लिए कार्य जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए उनके आंदोलन में शामिल होने की इच्छा जतायी है। उन्होंने देश के युवाओं में पूरा भरोसा जताते हुए उनसे कहा कि वे देश के भविष्य को लेकर निराशावादी नहीं हों। उन्होंने संकेत दिया कि पांच डी जी पी रैंक के अधिकारिओं ने भी उनके आन्दोलन को ज्वाईन करने की इच्छा जताई है|
हजारे ने यहां पिंपरी-चिंचवाड में एक गणोश मंडल कार्यक्रम में कहा कि वे अब भी संसद में साफ छवि वाले लोगों को भेजने का काम जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने इस आंदोलन में शामिल होने की इच्छा जताई है।’ अन्ना रविवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। यहां वे आंदोलनकारियों से मिलेंगे।
अपने नए ब्लॉग पर उन्होंने लिखा, ‘लोकपाल के पहले ही दुर्भाग्यवश हमारी टीम दो हिस्सों में बंट गई। एक हिस्सा आंदोलन का सहारा लेना चाहता है तो दूसरा राजनीति में जाना चाहता है। शुरुआत में सरकार ने हमें अलग करने की बहुत कोशिश की। लेकिन इस बार उनके बिना कुछ किए ही हम अलग हो गए। ऐसा इसलिए

अन्ना और केजरीवाल चले थे संग संग मगर लोग मिले और कारवाँ बिछुड़ गया


हजारे ने अपने साथियों के साथ टकराव पर पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने इसके लिए टीम में मौजूद एक ‘वर्ग’ को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही उन्होंने वोटरों को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नाम पर वोट मांगने वालों से भी सचेत रहने को कहा।लेकिन दिल्ली आते ही उन्होंने कहा कि अरविन्द से उनका कोई भेद भाव नहीं है दोनों की मंजिल तो एक ही है|
अरविंद केजरीवाल और अन्ना की राहें बेशक अलग अलग हो गई हैं दोनों एक दूसरे पर टीम तोड़ने का आरोप लगाने लग गए हैं मगर कहते फिर रहे हैं कि हम एक दूसरे की बहुत इज्ज़त करते हैं|

Comments

  1. Pamala Duhn says:

    I don’t know. I heard some man happening and on on NPR this afternoon about how he and his dear buddy and traveling companion Gore would stay up the night chatting madly about politics and aesthetics and empire and American drop and this and that and exactly how Gore, who did so really like a great dust-up in pubic, in personal was this kind of a tender and charitable soul. And all I could think was, “Okay so had been you the mommy and he was the daddy? Or was it the reverse?”