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अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में बिजली के बिल फाड़े और जलवाए

टीम अन्ना से अलग हुए अरविन्द केजरीवाल ने आज अपनी राजनीतिक उडान दिखाते हुए अपने लिए लक्की जंतर मंतर पर रविवार को पहला प्रदर्शन किया | राजधानी दिल्ली में बिजली के बढ़े हुए बिलों का मुद्दा उठाते हुए केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वे न तो बिजली बिल भरें और न किसी को अपनी बिजली सप्लाई काटने दें। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह भी एक तरह का सविनय अवज्ञा आंदोलन है। गौरतलब है कि सविनय अवज्ञा आंदोलन आजादी से पहले महात्मा गांधी की अगुवाई में हुआ था जिसमें देशवासियों ने अंग्रेजी सरकार का बनाया हुआ नमक कानून तोड़ा था। इस अवसर पर अनेकों लोगोने अपने बिजली के बिल फाड़े और उनकी होली जलाई |इस नए आह्वान से सभी सकते में दिखाई दे रहे हैं|
रविवार को जंतर मंतर पर टीम केजरीवाल के आह्वान पर लोग जुटे थे इनमे से अधिकतर बढ़े हुए बिजली बिलों से परेशान हैं। वहां मौजूद कई लोगों ने माईक पर केमेरा के सामने बताया कि पांच-पांच, दस-दस गुना ज्यादा बिल आ रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में बिजली कंपनी मुनाफे में चल रही है। ऐसे में बिजली की दर कम की जानी चाहिए थी। मगर, कांग्रेस सरकार को लोगों की नहीं बल्कि कंपनियों की चिंता है। इसलिए बिजली सस्ती करने के बदले और महंगी कर दी गई। एक तरफ तो सरकार गरीबों की मदद के नाम पर रोजाना सब्सिडी का नारा लगाती है मगर रिक्शे और छोटे मोटे खोके वालों पर चार पांच गुना बिल ठोका गया है|ये सभी आज जंतर मंतर पर बिल लेकर आये थे|

सविनय अवज्ञा आंदोलन

केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि इस बार कोई बिजली का बिल न भरे। उन्होंने कहा कि ‘डर यह दिखाया जाता है कि बिजली काट दी जाएगी। लेकिन, अगर बिजली विभाग के लोग किसी की भी बिजली काटने आएं तो पूरा मोहल्ला या पूरी बस्ती मिलकर उनका विरोध करे। अगर पूरे इलाके के लोग एकजुट होकर विरोध करेंगे तो किसी की हिम्मत नहीं है कि आपकी बिजली काट सके।’
अपने इस आह्वान को केजरीवाल ने आजाद भारत का सविनय अवज्ञा आंदोलन करार दिया। उन्होंने कहा कि जब इन बिजली बिलों पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो लोगों के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है कि वे बिजली बिलों का भुगतान करने से इनकार कर दें।
टीम अरविन्द के प्रशांत भूषण ने बिजली का घोटाला उजागर करते हुए इसके कानूनी पहलुओं को उजागर किया|कुमार बिश्वास के संचालन में मनीष सिशोदिया ने सरकार पर आरोप लगाया कि अरबों रुपयों की

महंगी सरकारी जमीन का सस्ता आवंटन

सरकारी जमीन इन बिजली कम्पनिओं को मात्र एक रुपया महीना किराये पर दे दी गई गई|इसके अलावा बिजली उत्पादन सस्ता होने के उपरांत भी बिजली की दरें बडाई जा रही है |इसके लिए सरकार+बिजली विभाग और निजी कंपनियों की मिली भगत है|

भाजपा सकते में

अरविन्द केजरीवाल के इस सविनय अवज्ञा आंदोलन से सकते में आये कांग्रेस और भाजपा ने अरविन्द के इस आन्दोलन की आलोचना की है|भाजपा के प्रवक्ता मुख़्तार अब्बास नकवी ने इस आन्दोलन को आपसी फूट से ग्रसित पार्टी का भटकाने वाला आन्दोलन बताया

दिल्ली सरकार की ओपचारिकता

इससे पूर्व बिजली के अनापशनाप बढ़े बिलों का मामला दिल्ली सरकार की कैबिनेट में उठ चुका है| इस माह के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बिजली के बिलों के विषय में आ रही शिकायतों की ऊर्जा मंत्री को जांच के आदेश भी दिए थे कंपनियों को भी बिलों की समीक्षा करने को कहा गया था|

सरकार की उदासीनता

गौरतलब है कि दिल्ली में इंडिया अगेंस्ट करप्शन [आईएसी ] ने बिजली कंपनियों के घाटे के रोने को , सरासर गलत बताया है |.आई ऐ सी का आरोप है कि दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों रिलायंस और टाटा ने अपने बही-खाते में हेर-फेर करके मुनाफे को घाटे के रूप में दिखा दिया और उसके आधार पर सरकार से बिजली के रेट बढ़ाने की मंजूरी ले ली|.हैरानी की बात यह है कि शीला दीक्षित की सरकार को बिजली कंपनियों के इस खेल की पूरी जानकारी थी. फिर भी सरकार धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई करने की बजाए उन्हें शह दे रही है| बिजली सप्लाई की व्यवस्था देखने वाली सरकारी संस्था दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष बरजिंदर सिंह ने अपनी जांच में कंपनियों की चोरी भी पकड़ी थी. जांच के बाद डीईआरसी इस नतीजे पर पहुंची थी कि बिजली के दाम बढ़ाने की जगह इसमें 18 % की कमी करनी चाहिए| इस आदेश के बाद रिलायंस और टाटा के अधिकारियों ने शीला सरकार से इस आदेश को रोकने की गुहार लगाई थी. शीला दीक्षित ने इन कंपनियों का साथ दिया और बरजिंदर सिंह के रिटायर होते ही ऐसे नए अधिकारी की नियुक्ति की जिसने बिजली के दाम बढ़ाने का आदेश पारित कर दिया.
.निजी कम्पनिओं को बिजली सप्लाई और बिल वसूली का ठेका दिया गया है| इन्हें बेशकीमती सरकारी जमीन कोडिओं के मूल दी गई है | आये दिन बिजली उत्पादन में खर्चा ज्यादा होने की दुहाई देते हुए बिजली की दरें बड़ा दी जाती है| केबिनेट में मुद्दा उठाने और चीफ मिनिस्टर द्वारा दखल देने के बावजूद उपभोक्ता को राहत के बजाये परेशानी ही मिल रही है| अभी भी दिल्ली में कंपनियां अनापशनाप बिजली के बिल भेज रही हैं| इन कम्पनिओं के दावों का आडिट तक नहीं कराया जा रहा |बेशक ये निजी कम्पनियाँ हैं मगर चीफ मिनिस्टर चाहें तो इनका आडिट कैग से कराया जा सकता है और उसके आधार पर बिजली की दरें तय की जा सकती हैं|लेकिन आरोप है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा |इससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। बिजली कंपनियों के दफ्तरों में लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और बिल जमा न करने पर उनकी बिजली काटने की धमकी दी जा रही है| मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जांच के आदेश भी बेमानी साबित हो रहे हैं| इससे गरीब उपभोक्ताओं में स्वाभाविक असंतोष व्याप्त हो रहा है जिसे आज अरविन्द केजरीवाल ने सफलता पूर्वक भुना लिया

Comments

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