कांग्रेसी विधायक विश्वजीत राणे ने गोवा में बिहारी मजदूरों का विरोध करके केंद्र की बिहार के प्रति सहानुभूति को कटघरे में खडा किया
विधायक राणे के अनुसार खनन के काम पर पाबंदी के बाद दूसरे सूबों से आये मजदूर अपराध में लिप्त हो गए हैं। इन्हें निकाले बिना सूबे में जुर्म की बढ़ती दर काबू नहीं की जा सकती है।
,विश्वजीत राणे ने बजट सत्र के दौरान आज मंगलवार को प्रश्नकाल में बढ़ते अपराध का जिक्र करते हुए कहा, सूबे के खनन क्षेत्र में बड़ी तादात में बिहार-ओड़िशा [उड़िया] के लोग ठेके पर काम कर रहे हैं। खनन का काम बंद होने से बाहरी राज्यों से यहां काम करने आए लोग बेरोजगार हो गए। इसके चलते वे लूटपाट के काम में लिप्त हो गए हैं। अपराध नियंत्रण के लिए इन्हें राज्य से निकाला जाना जरुरी है| मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिक्कर ने राणे की बात का जवाब देते हुए कहा,गृह विभाग गैर प्रांतीय मजदूरों और यहां लाने वाले ठेकेदारों को चिन्हित करेगा। उन्होंने कहा, अवैध खनन चिंता का विषय है। इस पर रोक नहीं लगी तो वैश्विक आतंकी दाऊद भी इसमें निवेश कर सकता है।
हेगड़े ने रविवार को राज्य सरकार द्वारा खनन क्षेत्र पर पाबंदी के बाद इस क्षेत्र को आर्थिक पैकेज देने के प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया था कि खनन के काम में अंडरवर्ल्ड का दखल है,इस काम में लगे लोग मुआवजे का दावा नहीं कर सकते। ऐसे तो दाऊद पकड़ा जाएगा तो भी बहुत से लोग बेरोजगार हो जाएंगे। गौरतलब है कि एमबी शाह आयोग द्वारा 35 हजार करोड़ के अवैध खनन घोटाले की रिपोर्ट के बाद इस तटीय प्रदेश गोवा में खनन कार्य पर पाबंदी लगा दी गई है।
बिहारी मजदूरों को समस्या बता कर अवैध खनन की राजनीति से ध्यान हटाने का यह प्रयास हो सकता है|लेकिन एक तरफ केंद्र में बिहार को अति पिछड़ा राज्य स्वीकारने की जद्दो जहद चल रही है तो दूसरी तरफ गोवा में कांग्रेस के ही विधायक बिहारिओं के खिलाफ बोल रहे हैं जाहिर है इससे केंद्र सरकार की बिहार के प्रति दिखाई जा रही सहानुभूति पर प्रश्न चिन्ह लगाना स्वाभाविक है|