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कांग्रेस और भाजपा दिल्ली में त्रिकोणीय चुनावी मुकाबिले की “आप” की इच्छा पूरी करने के मूड में नही दिख रहे

आम आदमी पार्टी [आप]के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीती में बीते दिन जो लंगर घुमा कर विजय गोयल और शीला दीक्षित को चुनाव लड़ने के लिए ललकारा था उसे मीडिया ने तो हाथों हाथ लिया मगर भाजपा और कांग्रेस केजरीवाल की इस महत्त्वकांक्षा को पूरी करते नही दिख रहे|
बीते दिनों आप पार्टी के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली की मुख्य मंत्री श्री मति शीला दीक्षित के विरुद्ध चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल को भी त्रिकोणीय [भाजपा+कांग्रेस+आप] मुकाबिले में आने को उकसाया|
लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने इस चुनौती को कोई महत्त्व नहीं दिया है|
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने फोन पर हँसते हुए प्रतिक्रिया देते हुए कहा के अरविन्द केजरीवाल ने जो लंगर घुमाया है उस पर हम कोई प्रतिक्रिया नहीं देते|उधर प्रदेश कांग्रेस के पवन खेडा ने बड़े सधे हुए स्टीरियो टाइप शब्दों में कहा के यह तो लोक तंत्र हैं यहाँ हर किसी को कहीं से भी चुनाव लड़ने की आज़ादी है|यह पूछने पर के क्या आप इस चेतावनी का स्वागत करते हैं तो थोड़ा कर्कश स्वर में पुनः कहा गया के स्वागत या विरोध का कोई प्रश्न नही है यह लोक तंत्र हैं कोई भी कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है|
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सलीम ने पुराने आरोप को दोहराते हुए कहा है के साबित हो गया है के आप पार्टी किसके इशारे पर चल रही है|कांग्रेस शुरू से ही अरविन्द केजरीवाल को भाजपा की बी टीम बताती आ रही है|
गौरतलब है के अरविन्द केजरीवाल का यह पहला चुनाव होगा लेकिन फ़िलहाल मीडिया में छाए रहते हैं| दिल्ली विधान सभा के होने वाले चुनाव केजरीवाल के राजनीतिक कद को स्थापित करेंगे | इन चुनावों के नतीजे ही बताएँगे कि उत्साही केजरीवाल का यह कदम आत्मघाती है या राजनीती को बदलने के लिए एक पड़ाव है |