Ad

कैप्टन अमरिन्दर ने भी पँजांब में बंधुआ मजदूरी पर केंद्र के पत्र पर भड़ास निकाली

(चंडीगढ़,पँजांब)कैप्टन अमरिन्दर ने भी पँजांब में बंधुआ मजदूरी पर केंद्र के पत्र पर भड़ास निकाली
सीएम ने इसे किसानों और पंजाब सरकार को बदनाम करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की एक और साजिश बताया।17 मार्च के केंद्र के इस लेटर पर शिरोमणि अकाली दल बीते दिन आलोचना कर चुका है
आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी खेतों में बंधुआ मज़दूरों के काम करते होने के गंभीर और झूठे दोष लगाकर राज्य के किसानों बारे गलतफहमियां फैलाने के लिए केंद्र सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना की है।
इस समूचे घटनाक्रम का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने पर खुलासा होता है कि बी.एस.एफ. द्वारा भारत -पाकिस्तान सरहद के पास से पकड़े गए कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की गिरफ़्तारी के सम्बन्ध में राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ सम्बन्धित बहुत ही संवेदनशील जानकारी को अनावश्यक रूप से तोड़-मरोड़ कर निराधार अनुमानों के साथ जोड़ दिया गया जिससे किसान भाईचारे के माथे पर बदनामी का कलंक लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह हकीकत इस तथ्य से और भी स्पष्ट हो जाती है जिसमें कहा गया है कि, ’’केंद्रीय गृह मंत्रालय के पत्र की सामग्री के चुनिंदा अंश कुछ अगुआ अखबारों और मीडिया संस्थानों को राज्य सरकार के उचित जवाब का इन्तज़ार किये बिना ही लीक किये गए हैं।’’
वह गृह मंत्री के उस पत्र पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें दावा किया गया कि बी.एस.एफ. द्वारा साल 2019 और 2020 में पंजाब के सरहदी जिलों में से 58 भारतीय पकड़े गए थे और बंदी बनाए व्यक्तियों ने खुलासा किया था कि वह पंजाब के किसानों के पास बंधुआ मज़दूर के तौर पर काम कर रहे थे। पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आगे लिखा था, ’’आगे यह भी बताया गया था कि ग़ैर कानूनी मानव तस्करी सिंडिकेट इन भोले -भाले मज़दूरों का शोषण करते हैं और पंजाबी किसान इनसे अपने खेतों में घंटों काम करवाने के लिए इनको नशा देते हैं।’’
आंकड़े देते हुए उन्होंने बताया कि 58 बंदियों में से चार पंजाब के अलग-अलग इलाकों के साथ सम्बन्धित हैं और वह बी.एस.एफ. द्वारा भारत-पाकिस्तान सरहद के नज़दीक घूमते हुए देखे गए थे जबकि तीन मानसिक तौर पर अपाहिज पाए गए। एक परमजीत सिंह निवासी पटियाला जो पठानकोट के पास से पकड़ा गया, पिछले 20 सालों से मानसिक अपाहिज और पकड़े जाने से दो महीने पहले अपना घर छोड़कर गया था। रूड़ सिंह निवासी गुरदासपुर पकड़े जाने वाले दिन से ही इंस्टीट्यूट ऑफ मैंटल हैल्थ, अमृतसर में दाखि़ल करवाया गया था। एस.बी.एस. नगर का रहने वाला एक और व्यक्ति सुखविन्दर सिंह भी मानसिक रोग का सामना कर रहा है। इसके बाद ये तीनों व्यक्ति स्थानीय पुलिस द्वारा तस्दीक करने के उपरांत उसी दिन इनके परिवारों के हवाले कर दिए गए थे।
हिरासत में लिए 58 व्यक्तियों में से 16 दिमाग़ी तौर पर बीमार पाए गए जिनमें से चार बचपन से ही इस बीमारी से पीडित थे। इनमें से एक बाबू सिंह वासी बुलन्द शहर, (उत्तर प्रदेश) का तो आगरा से मानसिक इलाज चल रहा था और उसके डॉक्टरी रिकार्ड के आधार पर उसे पारिवारिक सदस्यों के हवाले कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.एस.एफ. द्वारा पकड़े गए तीन व्यक्तियों की पहचान उनकी मानसिक स्थिति के कारण नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी मानसिक दशा वाले व्यक्तियों को कृषि के कामों के लिए बंधुआ मज़दूर के तौर पर नहीं रखा जा सकता।