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कोहरा आच्छादित सूर्य और दुविधा की धुंध में छुपी सियासत दोनों कष्ट कारी हैं

सूर्य देव कल से ही कोहरे में घिरे हैं और उसी प्रकार केंद्र सरकार भी दुविधा की धुंध में हताश है|पहाड़ों की बर्फानी हवाओं पर तैरती आ रही कड़ाके की ठण्ड से जूझने के लिए सूर्य देव की बेहद जरुरत है इसी प्रकार सियासी नक्षत्र में भी धुंध को छांट कर विकास और शान्ति की स्थापना की गरमी की जरुरत है| कल विपक्ष की सुषमा स्वराज और बसपा की मायावती ने कुछ संसदीय सुझाव दीये थे और श्रीमती सोनिया गांधी ने भी आन्दोलन कारियों से मुलाक़ात करके उनके जख्मो पर सहानुभूति और आश्वासन का मलहम लगाया था लेकिन पोलिस की दमनात्मक कार्यवाही और शासन और प्रशासन की अकर्मण्यता से सब गुड गोबर हो गया|आज प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने आन्दोलन कारियों के प्रति सहानुभूति दर्शाई और इंडिया गेट पर हिंसा की जांच करवाने का आश्वासन दिया । दुर्भाग्य से आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के आगमन के कारण व्यवस्था बनाने के लिए इंडिया गेट पर की तरफ आने वाली ९ मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है|मीडिया को हटा दिया गया है वहां कर्फ्यू जैसे हालात पैदा कर दिए गए हैं|यहाँ तक की अपने देश के युवाओं से डर रूस और भारतीय न्रेतत्व की मीटिंग हैदराबाद हाउस के बजाय ७ रेस कोर्स कर के एक अजीब अनावश्यक विवाद को जन्म दे दिया गया|

कोहरा आच्छादित सूर्य और दुविधा की धुंध में छुपी सियासत दोनों कष्ट कारी हैं


अर्थार्त एक कदम स्थिति को सुधारने के लिए उठाया जाता है तो दो कदम उस पहल को नष्ट करने के लिए उठ जाते हैं|
इससे आर्थिक हानि के साथ ही विश्व में बदनामी भी हो रही है| अभी भी समय है देश के शीर्ष न्रेत्त्व +विपक्ष दोनों को स्थिति सुधारने के लिए संयुक्त रूप से आन्दोलन कारियों का विश्वास जीतना होगा और इसके लिए प्रदर्शन स्थल पर जा कर अपनी बात कही जा सकती है ठीक हूँ या क्या में ठीक हूँ

Comments

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