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ट्रैफिक बीमार हो गया है: महामहिमजी इसके उद्धार के लिए भी एक अदद क्रान्ति बिगुल बजवा ही दीजिये

आज मुझे मेरठ ऐसा बीमार शहर लगा जिसकाइलाज अगर जल्द नही ढूंडा गया तो यह लाईलाज हो जाएगा| अब ढाई किलोमीटर का सफ़र २५ मिनट्स में करना पड़े तो इसे बीमारी ही कहा जाएगा|और अगर इस समय माननीय गवर्नर महोदय का आगमन हो तो इसे अति गंभीर कहा जाएगा|गवर्नर बी एल जोशी ने मेरठ में आयोजित दीक्षांत समारोह मेंएक और कृषि क्रांति की जरूरत पर बल दिया है कृषि विश्वविध्यालय के दीक्षांत समारोह में कृषि क्रान्ति की जरुरत पर बल दिया जाना ही चाहिए लेकिन अगर महामहिम राज्यपाल शहर के बीच में एक नज़र ट्रैफिक पर डाल लेते तो यहाँ के बीमार ट्रैफिक के उद्धार के लिए भी क्रान्ति को जरूरी बताते | आजएस एस डी चौराहा + बेगमपुल +बच्चा पार्क+हापुड़ चौराहा पर ट्रैफिक जाम से रूबरू होना पड़ा |यहाँ तक की जाम में एम्बुलेंस भी अपने सायरन बजाती रही मगर ट्रैफिक पोलिस महज अपनी वी आई पी ड्यूटी ही निभाने में लगी रही|हापुड़ अड्डा चौराहे पर दो पोलिस वाले आम यात्रियों से गाली गफ़्तोर करते देखे गए लेकिन ये लोग मात्र अपनी विभागीय जीप निकलवाने में ही मशगूल रहे | दरअसल शहर के बीचों बीच अनेको रुकावटें खड़ी हैं और दिनी दिन ये रुकावटें नासूर बनती जा रही हैं| भीड़ भाड़वाले चौराहों पर [१]अनाधिकृत वाहन स्टैंड [२]अतिक्रमण[३] ऑटो दोपहिये और तिपहिये छोड़ भी दें तो भी बस और ट्रक जाम की स्थिति पैदा करते दिखाई देते हैं पहले सेना के वाहन छावनी से बाहर कम ही दीखते थे मगर आज कल सेना के ३ टन ट्रक भी कचहरी+ बेगम पुल आदि में दिखाई दे जायेंगे| [४] आये दिन असंतोष व्यक्त करते जुलूस निकलना शहर का नसीब बन गया है |कमिशनरी पार्क तो एक तरह से कोप पार्क बन गया है आये दिन यहाँ कोई न कोई नाराज़ दल या समूह या गुट डेरा डाले रहता है |तिपहिया वाहनों की एक एतिहासिक मानसिकता है जिसके अनुसार अगला पहिया घुसा दो रास्ता अपने आप मिल जाएगा और ये द्रुत गति के दोपहिया वाले तो न जाने कहाँ से निकल कर सामने आ जाते हैं और दिल को धडका कर फुर्र से न जाने कहाँ निकल जाते हैं|वैसे यहाँ ट्रैफिक का मिजाज दुरुस्त करने के लिए इचा शक्ति का भी अभाव नज़र आता है क्योंकि खूनी पुल के किनारे रोज़गार तलाश कर रहे झुग्गी वालों को उजाड़ कर सड़क को चौड़ी करने का काम चल रहा है मगर शहर के दूसरे हिस्सों में शायद भीड़ तंत्र या फिर निज़ी स्वार्थ आड़े जाता है |आये दिन स्टाफ की कमी का रोना भी रोया जाता ही है| माफ़ कीजिये में मेरठ के ट्रैफिक का रोना रो रहा हूँ और उधर टी वी की खबरों में डी एन डी[नोयडा] पर जाम का रौना रोया जा रहा है
इसीलिए महामहिमजी ट्रैफिक की बीमारी को दूर करने के लिए एक अदद क्रान्ति के लिए बिगुल बजवा दीजिये

Comments

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