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देश की बहादुर बेटी के पार्थिव शव को भारी सुरक्षा घेरे में गोपनीय ढंग में पञ्च तत्व में विलीन किया गया

चलती चार्टर्ड स्कूल बस में हुई दरिन्दगी की शिकार फिजियोथेरेपिस्ट जीने की आस लिए २३ साल में ही दुनिया छोड़ गई जमोस न्यूज डाट काम परिवार की तरफ से देश की इस बहादुर बेटी को शत शत नमन |पीडिता का पार्थिव शरीर रविवार 03:30 बजे एयर इंडिया के विशेष विमान से दिल्ली पहुंचा। सुबह ही बेहद गोपनीय ढंग से साडे सात बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार के समय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह मौजूद थे। 13 दिनों तक जिंदगी के लिए मौत से लड़ने वाली 23 वर्षीय छात्रा की सिंगापुर में शनिवार रात 02:15 बजे मौत हो गई थी|
पीड़िता का शव दक्षिणी दिल्ली में महावीर एन्क्लेव स्थित उसके आवास पर ले जाया गया, और वहां अंतिम संस्कार से पहले का कर्मकांड निपटाया गया। अंतिम संस्कार द्वारका सेक्टर-22 में स्थित एक शवदाह गृह में सम्पन्न हुआ। इस दौरान यहां पुलिस और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) के जवान बड़ी संख्या में तैनात थे
विमान के दिल्ली पहुंचने पर प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह और कांग्रेस+यूं पी ऐ अध्यक्षा श्री मति सोनिया गांधी एयरपोर्ट पर ही मौजूद थे। प्राप्त सूचना के मुताबिक़ सुबह ही लड़की का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। पोस्‍टमार्टम के बाद उसके शव को लेकर विशेष विमान शनिवार को भारतीय समयानुसार रात लगभग 10:30 बजे सिंगापुर से भारत के लिए रवाना हुआ था।सामूहिक दुष्कर्म मामले का आरोप पत्र तीन जनवरी को पेश कर दिया जाएगा।
पीड़िता की मौत की सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही पुलिस ने प्रारंभिक एफआईआर में हत्या और डकैती की धाराएं भी जोड़ दी। इससे पहले हत्या के प्रयास, अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म व अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
हजार पृष्ठों का आरोप पत्र तैयार किया है। आरोप पत्र में पुलिस ने सभी छह आरोपियों राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की भूमिका स्पष्ट की है। सभी आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में हैं। मामले में संलिप्त एक किशोर[ १७ साल आठ महीने] को बाल सुधार गृह भेजा गया है।
इस मौत ने एक बर फिर राष्ट्र की सोच को झकझोर दिया है इंडिया गेट से गेटवे आफ इंडिया तक आक्रोश और संताप के स्वर गूँज रहे हैं|यहाँ तक की आस्ट्रिया और अमेरिका में भी चिंता प्रगट की जा रही है| पूर्वे में फांसी की माफी देने वालीपूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी इन दरिंदों के लिए फांसी की मांग कर डाली है| प्रधान मंत्री और सत्ता रूड यूं पी ऐ की अध्यक्षा ने एक बार फिर दोहराया है की यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा |जनाक्रोश अन सुना नहीं रहेगा|
अब सवाल उठता है की क्या केवल दोषियों को फांसी दे देने से ही सुधार हो जाएगाशायद नहीं |यहाँ एक उदहारण देना पर्याप्त होगा
१९७८ में इसी दिल्ली के दो नाबालिग भाई बहन गीता और संजय चोपड़ा को रंगा और बिल्ला [उपनाम] ने अगवा करके उनके साथ दुष्कर्म करके मार डाला था बेशक उन दोनों को ऐसे ही दबाब के चलते गिरफ्तार करके फांसी पर चड़ा दिया गया था लेकिन फांसी लगाने में चार साल लग गएऔर फांसी देकर ही इतिश्री समझ ली गई| |व्यवस्था सुधारने की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया |जिसके फलस्वरूप आज यह वीभत्स घटना का अभिशाप सामने आया है| अगर आंकड़ों की माने तो ओसतन प्रति दिन एक बलात्कार केवल दिल्ली में ही दर्ज़ किया जा रहा है|अब भी फांसी देकर केवल समस्या को टाला जा सकता है और यह किसी भी समस्या का तात्कालिक हल तो हो सकता है मगर स्थाई नही|इसीलिए अब समय आ गया है की संकीर्ण स्वार्थ को त्याग कर मौजूदा कानून का सभी छेत्रों में पालन कराने में ही सख्ती बरती जाये |इसके सकारात्मक परिणाम अवश्य आयेंगे| वरना मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की भांति आये दिन किसी न किसी राजनेता को जनाक्रोश के अप्रिय अभिशाप का सामना करना पडेगा और फिर किसी बेटी का दाह संस्कार करने के लिए गोपनीयता बरतनी पड़ेगी|

Comments

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