Ad

नागरिक उड्डयन नियंत्रक ने बिना रिवाइवल प्लान के किंगफिशर का लाइसेंस रिन्यू करने से इंकार किया::किसी को फेवर तो नहीं ?

हैंगर्स में पार्क्ड कर्ज़ में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस के लाइसेंस को रिन्यू करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर को खत्म हो रही है। लेकिन नागरिक उड्डयन नियंत्रक [डीजीसीए] ने साफ कर दिया है कि बिना रिवाइवल प्लान के किंगफिशर का लाइसेंस रिन्यू नहीं होगा।इससे सवाल पैदा होना स्वाभाविक है कि क्या किसी दूसरी कमपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किंग फ़िशर एयर लाइन्स को उठाने नहीं दिया जा रहा|
किंगफिशर एयरलाइंस ने डीजीसीए को लाइसेंस रिन्यू का आवेदन दिया है लेकिन डीजीसीए ने कहा है कि बिना रिवाइवल प्लान के आवेदन देना केवल औपचारिकता है। 31 दिसंबर को किंगफिशर का फ्लाइंग लाइसेंस खत्म हो रहा है। 31 दिसंबर के बाद किंगफिशर को नए सिरे से फ्लाइट और ऑपरेटिंग मैनुअल पास कराना होगा।इस अवधि के पश्चात भी 2 साल तक किंगफिशर लाइसेंस रिन्यू करा सकती है|
लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए किंगफिशर एयरलाइंस को अपने रिवाइवल प्लान में[१] फंड का प्रूफ, [२]कर्मचारियों के भुगतान का सबूत देना होगा। [३] एयरपोर्ट, तेल कंपनियों के बकाया भुगतान का एग्रीमेंट भी देना होगा।[४] दोबारा उड़ान में कोई बाधा नहीं आने का भरोसा देना होगा। रिवाइवल प्लान पर किंगफिशर ने चुप्पी साध रखी है। पहले किंगफिशर ने सीमित उड़ान शुरू करने का इरादा जताया था लेकिन इसके लाइसेंस की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है।
वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी का परिचालन अक्टूबर से ही ठप है। इसकी वजह से डीजीसीए ने इसका उड़ान लाइसेंस अस्थाई रूप से निलंबित कर रखा है सूत्रों के मुताबिक बिना वित्तीय योजना पेश किए विजय माल्या की एयरलाइंस का लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो पाएगा। कंपनी 9,000 करोड़ रुपये के घाटे में है और इस पर 7,524 करोड़ रुपये का कर्ज भी है।
दारू किंग विजय माल्या की किंग फ़िशर एयर लाइन्स के ग्राउंड पर आ जाने का लाभ एयर इंडिया और निजी कम्पनी इंडिगो,जेट एयर वेज,स्पाईस जेट को मिल रहा है|किंग फ़िशर के मैदान से हटने से इंडिगो और एयर इंडिया पहले और दूसरे नंबर पर आगये हैं ऐसे में प्रतिस्पर्द्धी किंग फ़िशर के बाहर रहने में ही इंडिगो और एयर इंडिया का फायदा है|इसी प्रकार की नाजायज़ गतिविधियों के आरोप जर्मन के अन्तराष्ट्रीय फायनेंसर डी वी बी ने डी जी सी ऐ पर लगाये हैं|यहाँ यह कहना तर्क संगत ही होगा कि एक तरफ तो इस फील्ड में विदेशी
निवेशकों के लिए बाज़ार को खोलने के दावे किये जा रहे हैं स्वयम एयर इंडिया के लिए बैल आउट पॅकेज लिए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ हज़ारों कर्मियों के रोज़गार और बैंको के ७०००+करोड़ रुपयों को नज़रंदाज़ करके एक कम्पनी को ऊपर उठाने के लिए सहारा देने के बजाय उसे और नीचे गिराने का उपाय किया जा रहा है|