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पशुओं के समान मानव शवों की दुर्दशा

लगता है कि अब मानवीय संवेदनाएं मरने लगी हैं या इनका कोई महत्त्व और मौल नहीं रह गया है|तभी आये दिन पशुओं के समान मानव शवों की दुर्दशा देखने को मिल रही है शासित और शासक दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार हैं \ इन चित्रों से तो यही साबित होता है

Comments

  1. Verdie says:

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