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पार्टी विद डिफरेंस भाजपा कब तक आडवाणी और मोदी रूपी दो नावों की सवारी करेगी

जनसंघ के भारतीय जनता पार्टी के चोले को ३३ वर्ष होगये |इस अवसर को यादगार बनाने के लिए ६ अप्रैल को देश भर में समारोह हुए| |कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली | भाषण हुए||पार्टी के 33 साल के सफर पर प्रकाश डाला गया |आउट डेटेड जन संघियों को सम्मानित किया गया| जनसंघ के जमाने के नेताओं ने अपनी आदत अनुसार मौजूदा वक्त की चुनौतियों के प्रति वर्तमान पार्टी के कर्णधारों को चेताया |इस आयोजन से भाजपा को पाजिटिव के साथ नेगेटिव पब्लिसिटी भी मिली है|पी एम् इन वेटिंग एल के अडवाणी के मुकाबिले पी एम् डेसीगनेट नरेन्द्र मोदी का गुणगान किये जाने से कांग्रेस की भांति भाजपा में भी सत्ता के दो केंद्र दिखाई देने लग गए हैं|
दिल्ली+गुजरात +उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में भव्य समारोह हुए| जनसंघ के जमाने के कुछ बचे हुए कार्यकर्ताओं का सम्मान भी किया गया | इस अवसर पर जनसंघ को भाजपा का आकर्षक चोला पहनाने के लिए अपना खून पसीना एक कर देने वाले नेताओं में से एल के अडवाणी की उपेक्षा कई लोगों को खली | गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने यहाँ एक विशाल समारोह आयोजित किया|इसमें पार्टी अध्यक्ष राज नाथ सिंह को रेड कारपेट सम्मान दिया गया|उन्होंने अपने भाषण में लम्बे समय से अस्वस्थ्य चल रहे अटल बिहारी वाजपई को कई बार याद किया|अटल बिहारी के हवाले से उन्होंने कंकर को शंकर बता कर तालियाँ भी बटौरी लेकिन अटल बिहारी के ही समकक्ष एल के अडवाणी को किसी बात के लिए श्रेय देना तो दूर उन्हें याद तक नही किया गया |यहाँ तक कि समारोह स्थल पर लगे विशाल पोस्टरों से भी अडवाणी गायब थे|

 पार्टी विद डिफरेंस भाजपा कब तक आडवाणी और मोदी रूपी दो नावों की सवारी करेगी

पार्टी विद डिफरेंस भाजपा कब तक आडवाणी और मोदी रूपी दो नावों की सवारी करेगी


अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी ने राजनितिक बदला उतार दिया है|कुछ दिन पहले दिल्ली में आयोजित एक समारोह में जब मोदी के लिए सभागार में नारे लग रहे थे तब एल के आडवाणी ने मोदी की तीन बार चुनाव जीतने की तारीफ़ तो जरुर की लेकिन इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिव राज सिंह का नाम भी जोड़ दिया|वरिष्ठ नेता ने संभवत यह बताने का प्रयास किया कि नरेन्द्र मोदी अभी भी छेत्रिय स्तर तक ही सिमटे है|उस समय मोदी की बॉडी लेङ्गुएज से असहजता का भाव साफ़ टूर से दिखने लगा था| अब नरेन्द्र मोदी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को सम्मानित करके और आडवाणी को इग्नोर करके दोनों क़र्ज़ चुका दिए| लेकिन इन दोनों समारोहों ने भाजपा में पी एम् पद की दावेदारी को लेकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है|
दिल्ली में भी विजय .गोयल ने अगला चुनाव एल के अडवाणी के न्रेतत्व में लड़ने की बात कही तो बड़ी आलोचना हुई|अडवाणी के साथ बैठे पार्टी अध्यक्ष राज नाथ सिंह बड़े असहज हो उठे|उसके पश्चात आडवाणी ने भी सक्रीय भूमिका निभाने के संकल्प को दोहराया|उन्होंने तो अपनी स्वर्ण युग रथ यात्रा और अयोध्या आन्दोलन पर गर्व भी प्रकट कर दिया| इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर सपा के लोहिया वाद की तारीफ करके यह बताने का प्रयास किया कि नितीश कुमार के साथ अब मुलायम सिंह यादव कि सपोर्ट भी उन्हें मिल सकती है| इसके पश्चात विजय गोयल पर दबाब बना और उन्होंने अपने वक्तव्य से यु टर्न ले लिया|
इससे पूर्व अपने ब्लॉग में भी आडवाणी ने राजनितिक संकेत देने की कौशिश की है|उन्होंनेप्रभु यीशु के पुनर्जन्म से जुड़े त्यौहार ईस्टर से भाजपा के सम्बन्ध स्थापित किये| उन्होंने बताया कि जिस प्रकार अंधकार के पश्चात ईस्टर मनाया जाता है ठीक इसीप्रकार भाजपा का भी जन्म हुआ है और यह त्यौहार कभी एक निश्चित तिथि पर नही आता इसीलिए आगामी वर्ष में यह २० अप्रैल को आयेगा जाहिर है उस समय २०१४ के चुनावों की धूम होगी और उस समय भाजपा और आडवाणी पुनः सत्ता में आ सकते हैं|
वैसे आवश्यकता नुसार वरिष्ठों को किनारे लगाने की पुराणी परम्परा है | केन्द्रीय नेता बलराज मधोक से लेकर छेत्रिय मोहन लाल कपूर+ और स्थानीय ठाकुर दास+धर्मवीर आनंद आदि अनेकों उधारन हैं|अब फिर अपने इतिहास को दोहराने का संकेत दिया जाने लगा है|देखना है कि भाजपा जैसी पार्टी विद डिफरेंस दो नावों कि सवारी कब तक करेगी|