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भारतीय संसद की सोमवार की कार्यवाही भी कोयला घोटाले की कालिख से बाहर नही निकल पाई :संसद की कार्यवाही ठप्प

भारतीय संसद के दोनों सदन सोमवार को भी हंगामे की भेंट चड गए|यानि आज भी लोक तंत्र को १.९७ करोड़ का चूना लगा ही दिया गया| प्रतिदिन की कार्यवाही पर १.९७ करोड़ का खर्च आता है| उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पहली और वर्तमान संसद की कार्यवाही लगभग १/३ रह गई है|यह अपने आप में चौंकाने वाला तथ्य है|संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ ने विपक्ष से संवाद स्थापित करते हुए मंगलवार को संसद के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद व्यक्त की है लेकिन आज की कार्यवाही या तेवर देख कर कहा जा सकता है कि प्रमुख विपक्षी भाजपा इस विषय में कोई रियायत देती नज़र नही आ रही|
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने वेल को कब्जा कर कोयला घोटाले और उसमे सी बी आई की कार्यप्रणाली में दखल को लेकर में प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह के इस्तीफे की मांग जारी रखी| लोक सभा की स्पीकर मीरा कुमार और राज्य सभा में हामिद अंसारी सोमवार को भी हंगामे के सामने असहाय नज़र आये |इसीलिए पहले १२ बजे + २ बजे और फिर मंगल वार तक के लिए सदस स्थगित किये गए|लोक सभा में भाजपा का सोमवार का नारा रहा कोयला की दलाली है पूरी कांग्रेस ही काली है|
लेकिन समाजवादी पार्टी ने हमेशा की तरह केंद्र सरकार की ढाल बनते हुए चीन द्वारा १९ किलोमीटर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया| सपा सुप्रीमो और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार की कार्यवाही को डरपोक +अक्षम बताया | उन्होंने कहा कि भारतीय फौज चीन को जवाब देने में सक्षम है लेकिन सरकार का कायरता पूर्ण व्यवहार रुकावट पैदा कर रहा है| सपा सांसदों ने भी वेल में आकर चीन की घुसपैंठ की तरफ ध्यान खीचने का प्रयास किया|
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने तो विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के आगामी माह में चीन दौरे पर ही सवाल उठा दिए.उन्होंने चीन को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि हम कब से चेतावनी दे रहे हैं कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा करना शुरू कर दिया है. लेकिन सरकार है कि सुनने को तैयार नहीं है|
पूर्व रक्षा मंत्री ने दावा किया कि चीन भारत के एक लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर चुका है और भारत सरकार कुछ नहीं कर रही है.|
कोयला घोटाले जैसे मुद्दे पर सरकार की प्रतिष्ठा दावं पर हो सकती है इसीलिए इस विषय पर बहस को टाला जाना समझ में आता है लेकिन चीन जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे पर भी बहस से बचा जा रहा है इस गंभीर राष्ट्रवादी मुद्दे को मात्र अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाना अपने आप में चिंताजनक है|