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विधायकी से क़ानून बनाने का काम कोई नहीं छीन सकता =महामहिम

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला करने वालो को चेतावनी देते हुए कहा कि लोक तांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार जारी रहे तो देश में अव्यवस्था अराजकता फ़ैल सकती है\
देश के ६६ वें स्वतंत्रता दिवस कि पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार कि महामारी के खिलाफ जनाक्रोश जायज है|यह महामारी हमारे देश को खोखला कर रही है|कभी कभार जनता अपना होश भी खो देती है मगर उसे लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार करने का बहाना नहीं बनाना चाहिए|
महामहिम ने कहा कि ये संस्थाएं संविधान के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं|और इनके बिना आदर्शवाद नहीं रह सकता|हो सकता है कि ये संस्थाएं कुछ सुस्त हों मगर इस सुस्ती को बी संस्थाओं को ध्वस्त करने का बहाना नहीं बनाया जा सकता| सिधांत और जनता के बीच ये संस्थाएं मिलाने वाले बिंदु का काम करती हैं उन्होंने संसद कि सर्वोच्चता को व्यक्त करते हुए कहा कि विधायकी का काम कानून बनाना है जिसे कोई नहीं छीन सकता \संस्थान को ध्वस्त करने के बजाये अच्छे परिणामों के लिए दोबारा से तैयार किया जा सकता है |ये संस्थाएं ही हमारी आज़ादी की अभिभावक हैं|
अपने सन्देश में यद्यपि महामहिम ने अन्ना टीम या बाबा राम द्रव के अनशनों का नाम नहीं लिया मगर लोक तांत्रिक संस्था संसद पर प्रहार करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें चेतावनी भी दे डाली|सत्ता पक्ष द्वारा बेशक ये कहा जा रहा है कि अन्ना और बाबा को कोई तव्वजोह नहीं दी गई मगर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम यह सन्देश ज्यादा तर उन्ही आंदोलनों को एड्रेस करता दिखाई दिया है