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शक के आधार पर असाम में बांग्लादेशियों पर कार्यवाही नहीं की जा सकती

शक के आधार पर एक धर्म विशेष के ४०००००० वोटरों को मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता असाम में हो रहे दंगों के लिए बंगलादेशी अल्पसंख्यक घुसपैठियों को कारण बता कर इन्हें मताधिकार से वंचित किये जाने की मांग जोर पकड़ रही है|यह उत्तर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिया गया है|
असाम के एक एन जी ओ ने ४०००००० वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जाने की मांग करते हुए उन्हें देश से वापिस बँगला देश में भेजने के लिए दबाब बनाया था|इस दबाब को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया लेकिन इसके साथ ही जस्टिस प स्थासिवं और रंजन गोपाल की बेंच के समक्ष एक एफिडेविट देकर यह आश्वासन दिया है की अवैध नागरिकों को राज्य से निकाल दिया जायेगा|
गौरतलब है की वर्तमान दंगों में ७० से ज्यादा मौतें और १०० जख्मी हो चुके हैं जबकि ४००००० लोग रिफ्यूजी केम्प में रह रहे हैं|यह आरोप लगाया जा रहा है कि राजनीतिक बडत पाने के लिए बंगलादेश से आने वाले रिफ्युजिओं को वोटिंग राईट्स दिए जा रहे हैं जिस कारण वहां इन रिफ्यूजी और स्थानीय नागरिकों के बीच युद्ध कि स्थिति रहती है वर्षों से इस समस्या के मूल कारण में बन्ग्लादेशिओन को देखा जाता रहा है और उनके डिपोर्टेशन कि मांग उठती रही है |लेकिन प्रधान मंत्री ने अपने हाल ही के दौरे में दंगों के लिए बंगला देशियों का हाथ होने से इंकार करके सरकार कि मंशा साफ़ कर दी थी