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सोशल साईट्स को बैन किये जाने की संसद में उठी मांग

सोशल साईट्स के सर पर आज फिर संसद में ठीकरा फोड़ा गया है कुछ सांसदों ने तो फेस बुक +ट्विट्टर+यूं टियूब +एस एम् एस +एम् एम् एस आदि पर तत्काल प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है|
असाम में हो रहे दंगों के आग की आंच अब मुम्बई +पुणे +रांची से होते हुए कर्नाटका+चेन्नई +दिल्ली में भी महसूस की जा रही है|
असाम और महाराष्ट्रा में यूं पी ऐ की सरकार है तो कर्नाटका में बी जी पी जबकि तमिल नाडू में यूं पी ऐ की विपक्षी दल सत्ता में है|अर्थार्त दो दो का स्कोर है|
अब इन राज्यों से पूर्वोत्तर के लोगों को बाहर निकालने के लिए तरह तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है इसके लिए बेशक कुछ सोशल साईट्स का भी प्रयोग किया जा रहा है|कहा जाता है की अफवाह के पावँ नहीं होते सो यह बहुत तेज़ी से फैलती है|गुजरात के दंगे हो या गणेश जी के दूध पीने की सरफेस टेंशन+ इंदिरा गाँधी की इमरजेंसी हो सब में अफवाहों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है|तब इस प्रकार के सोशल साइट्स ज्यादा प्रेक्टिस में नहीं थे |
अब कर्नाटका और मुम्बई में असाम दंगों को लेकर भय +भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है| इन अफवाहों के कारण ही कर्नाटका+चेन्नई के साथ मुम्बई +पुणे और रांची से भी रेल गाड़ियां भर कर निकल रही हैं|
प्रधान मंत्री द्वारा इस पर चिंता जताए जाने और कर्नाटका सी एम् के प्रयासों के बावजूद पूर्वोत्तर के लोगों का विशवास नहीं जीता जा सका है उनका पलायन जारी है\
आज संसद ने भी इस विषय पर चिंता व्यक्त करके नार्थ ईस्ट के इन भयभीत लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है|मगर टी वी चेनलों पर दिखाई जा रही रेल स्टेशनों पर पलायन के द्रश्य +आगजनी के क्लिपिंग्स से भय रेल गाड़ियों में भीड़ कम नहीं हो रही|
नेताओं ने अपनी विफलाता के लिए सोशल मीडिया को बैन किये जाने की मांग कर दी है|जरुरत के हिसाब से बल्क एस एम् एस पर कुछ समय के लिए रोक भी लगा दी गई है|
दुर्भाग्य से देश के नेताओं का सोशल नेटवर्क बेहद कमजोर साबित हुआ है| सोशल साईट्स के उपयोग दुरूपयोग के विषय में अनभिज्ञता है|इन पर बैन की मांग करने वाले साईट्स के विषय में कुछ जानते भी नहीं
एक टी वी चेनल पर वरिष्ठ टी वी पत्रकार दिवांग ने जब एक डिबेट में बैन की मांग करने वाले नेता से पूछा की ट्विटर क्या है तो नेता जी कुछ जवाब नहीं दे पाए | दरअसल एक अरसे से अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए सोशल साइट्स का गला घोंटने की कवायद जारी है |अन्ना हजारे का आन्दोलन हो बाबा राम देव का अनशन हो या फिर अब ये असाम कर्नाटका की समस्या हो केवल सोशल साइट्स को बैन करने की ही मांग उठती रहती है|
सोशल साइट्स के उपयोग के साथ इसका दुरूपयोग भी हो रहा है यह सत्य है मगर दुरूपयोग रोकने के लिए केवल बैन की मांग मांग उचित नहीं लगती |इसके ठीक उलट दुरूपयोग को रोकने के लिए डिवाईस तलाशने की बेहद जरूरत है|इंग्लेंड में भी इस समस्या से जूझने के लिए वहां की पोलिस को ट्रेन किया जा रहा है क्या अच्छा हो भारत में भी सोशल साइट्स को बंद करके अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का गला घोटने के बजाये सोशल साइट्स के दुरूपयोग के रूट में जाकर इसकी रोक थाम के उपाय किये जाने जरुरी हैं|अगर जरुरत समझी जाये तो टेक्नोक्रेट्स को इसी काम के लिए रोज़गार दिया जा सकता है|