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स्ट्रीट लाईट्स जलती देख कर एक साथ सुखद और दुखद दोनों अनुभूतियों का अनुभव Am I Lucky ?

स्ट्रीट लाईट्स जलती देख कर एक साथ सुखद और दुखद दोनों अनुभूतियों का अनुभव

स्ट्रीट लाईट्स जलती देख कर एक साथ सुखद और दुखद दोनों अनुभूतियों का अनुभव

पिछले चार दिन से सुबह मोर्निंग वाक् के दौरान एक ही द्रश्य में सुखद और दुखद दोनों अनुभव हुए|अरसे के बाद स्ट्रीट पर लगी अधिकाँश लाइट्स जल रही थी इसे देख कर अच्छा लगा चलो सरकार के बदलने पर व्यवस्था सुधारने के लिए जनाब आज़म खान का फरमान चल गया |ज्यूँ ज्यूँ आगे बढता गया लाइट्स जली मिलती गई|लेकिन यकायक एक जगह मोबाईल पर घंटी बजी कालर का नाम देखा तो नज़र टाईम पर भी अटक गई|मोबाईल की घड़ी सात बजा रहे थी |ऊपर देखा तो सूर्य देव भी अपनी किरणोंके साम्राज्य को फैला रहे थे|यह अपने आप में एक दुखद अनुभव था | चार दिन से लगातार यह मिक्स्ड अनुभव मिल रहा है|जहां बिजली के लिए रात दिन की मारामारी चल रही हो दिन में बिजली जलाने पर कार्यवाही के लिए आज़म खान जैसे ओखे मिनिस्टर चेतावनी दे चुके हों वहां बिजली की ऐसी बर्बादी वाकई एक दुखद अनुभव था | फिर सोचा के आज़म खान साहब कौन सा मेरठ में रहते हैं जो उन्हें पल पल की खबर रहेगी |मार्ग पर बिजली विभाग का बड़ा दफ्तर भी है लेकिन उनका समय तो सरकारी है समय से पहले उनकी कोई जिम्मेदारी तय करना किसी छत्ते में हाथ डालना होता है सो यह रिस्क लेने को कोई तैयार नहीं है| इसी मार्ग पर मेरठ के माननीय महापौर हरिकांत अहलुवालिया का निवास बोर्ड भी लगा है| मेयर महोदय पंजाबी कोटे से भाजपा के हैं सो उनके बोर्ड के सामने भी सभी नियम कायदे ताक पर दिखाई दिए |बोर्ड के सामने लाईट जली मिली|मेयर साहब के निवास का सूचक बोर्ड को देखा तो बात समझ में ये आई के बोर्ड पर बना तीर का निशान जिस तरफ था उसके विपरीत दिशा में लाईट्स जल रहे थी |सो मेयर साहब भी बच ही गए |बोले तो तीनो ही बच गए