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हरियाणा भूमि अधिग्रहण चक्रव्यूह में खेमका घुसे हैं अभिमन्यु बन कर शहीद होंगें या अव्यवस्था परास्त होगी

हरियाणा भूमि अधिग्रहण चक्रव्यूह में खेमका घुसे हैं अभिमन्यु बन कर शहीद होंगें या अव्यवस्था परास्त होगी

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भूमि अधिग्रहण चक्रव्यूह में अशोक खेमका घुस तो गए हैं अब देखना है कि वोह अभिमन्यु बन कर शहीद होते है या अर्जुन की भांति व्यवस्था को परास्त कर बाहर निकलते हैं| राबर्ट वढेरा को आर्थिक साम्राज्य दिलाने के लिए हरियाणा के मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जो भूमि अधिग्रहण चक्रव्यूह रचा था उसमे बेचारे आधुनिक अभिमन्यु वरिष्ठ आई ऐ एस अधिकारी [१९९१] अशोक खेमका फंस गए हैं|अशोक खेमका ने वढेरा के स्काई लाईट हासपितेलिती प्रायवेट लिमिटेड और डी एल ऍफ़ के भूमि सौदों की जांच के आदेश देकर[३.५३१ एकड़] शिकोहपोर -मानेसर की एक डील क्या रद्द कर दी की हरियाणा सरकार ने तत्काल अशोक को मात्र २१ साल में ४० वां ट्रांसफर आर्डर थमा कर साईड लाइन कर दिया है|भूमि सम्बन्धी [आई जी आर]विभाग से हटा कर अशोक को बीज संबंधी विभाग में[डी जी] भेज दिया गया है|इस पर ऐतराज़ करना भी अधिकारी पर भारी पड़ गया है |अब उन पर कार्यवाही की तलवार दिखाई जा रही है| आश्चर्यजनक रूप से मुख्य मंत्री हुड्डा ने तत्काल इस पर प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए कहा है के ट्रांसफर कोई पनिशमेंट नहीं होता| उन्होंने एक तरह से वढेरा और डी एल ऍफ़ के तमाम डील्स को क्लीन चिट देते हुए इस डील्स पर अरविन्द केजरीवाल के आरोपों को भी दर किनार कर दिया है|बताया जा रहा है कि इसी खेमका ने २००४ में तत्कालीन मुख्यमंत्री ॐ प्रकाश चौटाला के आदेशों का पालन करने के लिए मिड टर्म में टीचर्स का ट्रांफर करने से मना कर दिया था| अब कैंसिल की गई मुटेशन को दोबारा जीवित करने के लिए स्थानित प्रशासन से फेवोर वाली रिपोर्ट भी मगा ली गई है|
चीफ सेक्रेटरी पी चौधरी ने सरकार के पक्ष को सामने रख्रते हुए कहा है कि खेमका का ट्रांसफर किसी जल्द बाजी में नहीं किया गया है वरन स्वयम खेमका ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर करके ट्रांसफर माँगा था जबकि खेमका ने कोर्ट में फ़रियाद कि थी कि उनके पास कई चार्ज हैं उनमे से एक चार्ज उनके पद से बेहद जूनियर आधिकारी के लिए है अत उसे विड्रा कर लिया जाए|अब खेमका के ट्रांसफर के लिए उसी कोर्ट के मामले को आधार बनाया जा रहा है|
अगर देखा जाए तो बीज सम्बंधित विभाग में इन्हें डी जी बनाया गया है यह पद इन्स्पेक्टर जनरल रजिस्ट्रेशन के पद से जूनियर है ऐसे में यह ट्रासफर एक तरह से हाई कोर्ट के आदेशो की अवहेलना है |क्योंकि खेमका से जूनियर पोस्ट विड्रा करने के बाजए उन्हें ही दूसरे जूनियर विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है और इस ट्रांसफर को जायज़ ठहराया जा रहा है जाहिर है इससे शक की सुई अपने आप में मुख्य मंत्री की तरफ घूम रही है| शायद इसीलिए अब ३९ ट्रांसफर झेल चुके अशोक खेमका ने व्यवस्था में रह कर व्यवस्था को बदलने का निश्चय कर लिया है और चीफ सेक्रेटरी को पत्र भी भेज दिया है| शायद इसी लिए अब खेमका पर तमाम आरोप लगाने लग हैं| शासन की तरफ से कहा जा रहा है कि अशोक खेमका ने अपने ट्रांसफर होने के बाद लैंड मुटेशन को रद्द किया|इसके अलावा जबी जुबान से हरियाणा सरकार +रॉबर्ट वढेरा और डी एल ऍफ़ के नेक्सस की डिटेल अहोक खेमका ने ही प्रेस को लीक की हैं|
गौरतलब है के 12-02-२००८ में राबर्ट वढेरा को जमीन का एक टुकड़ा साडे सात करोड़ में बेचा गया जिसके लैंड यूज को बदलने के लिए एक ही दिन में परमिशन दे दी गई| इसके मात्र ६५ दिनों के पश्चात ही साडे सात करोड़ के जमीन को डी एल ऍफ़ ही ६५ करोड़ रुपयों में खरीद लेता है|इस भूमि के खरीद फरोख्त में टैक्स के चोरी करने के लिए कई नियम भी बदले गए|इस घोटाले को बीते साल इकोनोमिक्स टाइम्स ने उठाया थाफिर अब इसी महीने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेता अरविन्द केजरीवाल ने राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया |अरविन्द द्वारा मुद्दा उठाये जाने के मात्र दो दिन के पश्चात ही हरियाणा के इन्स्पेक्टर जनरल पंजीकरण [ आई जी आर] ने वढेरा और डी एल ऍफ़ के बीच हुई भूमि सौदों के जांच के आदेश दे दिए एक सौदा के मुटेशन रद्द कर दी गई | इस अधिकारी का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया गया |अंग्रेज़ी के हिन्दू अखबार और इंडियन एक्सप्रेस ने इसे प्रमुखता से उठाया | और कई नए खुलासे किये| फर्स्ट पोस्ट ने तो डी एल ऍफ़ के स्वर्गीय राजीव गांधी से भी रिश्ते खोल दिए |२८-०३-२००८ को टाउन & कंट्री प्लानिंग विभाग ने हाउसिंग कालोनी के लिए परमिशन प्रदान कर दी|लेकिन वहां वढेरा की कंपनी ने कोई निर्माण नहीं किया|हाँ उनके लायसेंस के अवधि को जरूर दो बार[रिन्यू] बढाया गया | इसके बाद बड़े नाटकीय ढंग से मात्र ६५ दिनों के पश्चात यह भूमि डी एल ऍफ़ को ६५ करोड़ में बीच डाली गई|अब कहा जा रहा ही के दी एल ऍफ़ के साथ पहले अग्रीमेंट हुआ था जिसके एवाज़ में ५० करोड़ ले लिए गए थे अब सवाल उठाया गया है के अगर पहले सेल एग्रीमेंट हो गया था तब लायसेंस का रिनुअल कैसे हो गया|
इस डील को देखते हुए आरोप लगाया जा रहे है के राबर्ट वढेरा ने अपने राजनीतिक कनेक्शनों का इस्तेमाल करके जमीन का लैंड यूज बदलवाकर भूमि पुनः डी एल ऍफ़ को लौटा कर मोटा मुनाफ़ा कमाया| केपिटल गेन आदि टैक्सों की चोरी हुई |चूंकि वढेरा रूलिंग पार्टी के सबसे बड़े परिवार से सम्बन्धित हैं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी मुख्य मंत्री की सीट बचाने की खातिर पार्टी प्रधान के दामाद के लिए एक रियल एस्टेट का एम्पायर खड़ा कर दिया| अब पोल खुलने के बाद इस परिवार को बचाने के लिए इनकी एम्पायर को सुरक्षित रखने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं |शायद हुड्डा और राबर्ट वढेरा के दुर्भाग्य से क़ानून मंत्री सलमान खुर्शीद के खिलाफ अरविन्द केजरीवाल ने अपना अनिश्चित कालीन धरना समाप्त कर दिया है| जाहिर है कि अब मीडिया और इंडिया अगेंस्ट करप्शन वालों को राबर्ट वढेरा पर ध्यान केन्द्रित करने का पर्याप्त समय मिलरहा है| | दुर्भाग्य वश इन सारे हरियाणवी हथकंडों से कांग्रेस की छवि लगातार गिरती ही जा रही है|इन तमाम तरह की एक के बाद एक नकारात्मक घटनाक्रम के बीच १९९१ बैच के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी अशोक खेमका ने व्यवस्था में रहते हुए ही व्यवस्था को बदलने का निश्चय किया है यह अपने आप में एक सकारात्मक सन्देश देता है
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