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१.८६ लाख करोड़ के कोल घोटाले की कैग रिपोर्ट को सरकार ने अस्वीकार किया

कैग ने अपनी रिपोर्ट में १.८६ लाख करोड़ रुपयों के घोटाले को उजागर किया है जबकि कोल मंत्री श्री प्रक्स्श जायसवाल ने रिपोर्ट को ही स्वीकार करेने से इनकार कर दिया है|पार्लियामेंट में चर्चा के लिए राखी रिपोर्ट पर संसद के बाहर मंत्री ने मीडिया में सफाई दी
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि कोयला खानों को प्रतिस्पर्धी बोलियों की बजाय आवेदन के आधार पर आवंटित करने से चुनिंदा निजी फर्मों को संभावित 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
सीएजी की राय में यदि प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिए आवंटन किए गए होते, तो निजी फर्मो के इस संभावित लाभ का एक हिस्सा सरकारी खजाने को भी मिल सकता था।
प्रतिस्पर्धी बोलियां नहीं मंगाकर निजी क्षेत्र की कंपनियों को सीधे नामांकन के आधार पर कोयला ब्लॉक आवंटित किये जाने से उन्हें फायदा हुआ।
कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की आज संसद में पेश रिपोर्ट में निजी क्षेत्र की 25 कंपनियों के नाम गिनाये गये हैं जिन्हें सीधे नामांकन के आधार पर कोयला ब्लॉक आवंटित किये गये। इनमें एस्सार पावर, हिन्डाल्को इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, टाटा पावर और जिंदल स्टील एण्ड पावर का नाम शामिल है।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है प्रतिस्पर्धी बोलियों के आधार पर आवंटन की प्रक्रिया में देरी की वजह से कोयला ब्लॉक आवंटन की मौजूदा प्रक्रिया निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिये फायदेमंद साबित हुई।कैग का अनुमान है कि निजी क्षेत्र की इन कंपनियों को जिस तरह कोयला ब्लॉक आवंटित किये गये उससे उन्हें 1.86 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ हो सकता है।
कैग ने कहा है कि उसने यह अनुमान कोल इंडिया की वर्ष 2010-11 के दौरान कोयला उत्पादन की औसत लागत और खुली खदान से कोयला बिक्री के औसत मूल्य के आधार पर लगाया है।
कोग की रिपोर्ट पर विपक्ष बे जे पी ने नैतिकता के आधार पर प्रधान मंत्री का इस्तीफा मांग लिया है|