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पँजांब को फिर बदनाम किया,सिख किसानों के विरुद्ध फिर भड़क रहा आक्रोश

(नयी दिल्ली)#पँजांब फिर बदनाम हुआ। #किसान रूपी #सिखों के विरुद्ध बिफरे लोग ।दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए आंदोलनकारियों को वापिस लौटने के अल्टीमेटम जारी।लेकिन प्रदर्शनकारी अभी भी आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए है।
1984 में पवित्र #स्वर्णमंदिर पर कब्जा करकेकुर्सी मोहियों ने आपरेशन #ब्लूस्टार को आमांत्रित किया। स्वर्ण मंदिर की पवित्रता भंग करने की साजिश हुई।दुष्परिणाम स्वरूप तत्कालीन पीएम श्रीमती इंदिरा गांधी की जघन्य हत्या हुई जिसका बदला निर्दोष सिखों की हत्या करके लिया गया।उस समय सिखों को सन्देह की नजर से देखा जाने लगा।पँजांब से बाहर निर्दोष सिखों को लूटा गया उन्हें मौत के घाट उतारा गया।
अब उस अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति का षड्यंत्र रचा गया।कृषि कानूनों का विरोध करते समय 72 वें गणतन्त्र दिवस पर दिल्ली को ट्रैक्टर टेरर से भयभीत किया गया।ऐतिहासिक #लालकिले पर नाजायज कब्जे की नाकाम कोशिश की गई। यह तो गनीमत रही कि दिल्ली पुलिस ने अपने 394 कर्मियों को घायल होने के उपरांत भी बंदूक चलाने के बजाय पूर्ण। संयम से हाथ जोड़ कर उग्रवादियों की उग्रता को कम करने का प्रयास किया ।ट्रैक्टर टेरर के षड्यन्त्र के विरुद्ध यूपी+हरियाणा+राजस्थान के सीमावर्ती किसान एक जुट होकर किसान प्रदर्शनकारियों के विरोध में खड़े होने लग गए हैं।इनकी भाषा मे पँजांब के सिखों के प्रति वही पुराना गुस्सा +वही पुरानी नफरत दिखाई देने लग गई है।
दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा को लेकर योगेंद्र यादव और बलबीर सिंह राजेवाल समेत 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।अभी तक पर्दे के पीछे से प्रदर्शन का समर्थन कर रहे विपक्ष ने आंदोलनकारियों के समर्थन में संसद में भी खुल कर सामने आने की घोषणा कर दी है।विपक्ष किसानों के मुद्दे पर 16 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला कर लिया है।