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हरी वसुंधरा को बचाने को आज पृथ्वी मईया को नमन जरूरी है

कंक्रीट जंगल पानी की किल्लत जिंदगी जहन्नुम बनने लगी है

कंक्रीट जंगल पानी की किल्लत
जिंदगी जहन्नुम बनने लगी है

अरे हुकमरानों अब तो सुधर लो ,ये पृथ्वी हमारी सिमटने लगी है
कंक्रीट जंगल पानी की किल्लत ,जिंदगी जहन्नुम बनने लगी है
शहर बसाओ व्यापार भी बढ़ाओ ,लेकिन प्रकृति प्रेम मत गिराना
हरी वसुंधरा को बचाने को आज पृथ्वी मईया को नमन जरूरी है
दुनिया मनाये अर्थ डे ख़ुशी से, ये दिवस मना कर सोना नही है
अगर सो गए तो कहीं खो गए तो बर्बादी में कोई देरी नहीं है