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केंद्रीयमंत्री वीके सिंह के विरुद्ध संसद और अदालत में आज भी बहाई गई गर्म हवाएँ

[नई दिल्ली]सेवानिवृत जनरल वीके सिंह के विरुद्ध बहाई जा रही गर्म हवाएँ अभी थमने का नाम नहीं ले रही हैं |संसद में लगातार विरोध झेल रहे सिंह के खिलाफ दायर प्राथमिकी की याचिका पर अदालत ने भी आदेश सुरक्षित रख लिया है |फौज से राजनीती में आये वीके सिंह द्वारा सार्वजानिक रूप से माफ़ी मांगे जाने और संसद में भी स्पष्टीकरण देने के पश्चात भी मामले को लेकर पहले लोक सबह और अब राज्य सभा को बाधित किया जा रहा है |पहले कांग्रेस और आज सपा बसपा द्वारा शोर शराबा किया गया |इसके साथ ही अदालत द्वारा फैसला सुरक्षित रखे जाने से ऐसे आभास होने लगे हैं के कहीं अदालत पर दबाब बनाने के लिए परशेप्शन तो नहीं गढ़ा जा रहा ?
प्राप्त समाचार के अनुसार दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री वी के सिंह के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला आज सुरक्षित रख लिया। यह याचिका दरअसल फरीदाबाद में दलित परिवार के दो बच्चों को कथित तौर पर जिंदा जला दिए जाने के बाद सिंह की कथित ‘कुत्ते’ वाली टिप्पणी को लेकर लगाई गई है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुनीश गर्ग ने शिकायतकर्ता वकील सत्यप्रकाश गौतम की दलीलें सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सात दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया । गौतम के अनुसार विदेश राज्य मंत्री ने दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
वकील ने कहा, ‘‘सिंह ने दलित समुदाय के उन नाबालिग बच्चों को ‘कुत्ते’ कहा था।
इसके अलावा राज्यसभा में आज भी केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के इसी ब्यान का भारी विरोध करते हुए बसपा+सपा +कांग्रेस सदस्यों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर भारी हंगामा किया जिससे जिससे सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर एक बजे के लिए स्थगित कर दी गयी। इस मुद्दे में आज मोहन भागवत के बयान को भी जोड़ लिया गया है|
हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि सिंह के सफाई देने के बाद यह मुद्दा खत्म हो जाना चाहिए जबकि भागवत के बयान में राममंदिर का संकल्प दोहराया गया है तथा संकल्प करना संविधान के तहत मूलभूत अधिकार है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राममंदिर का निर्माण न्यायालय के निर्णय के तहत ही होगा।’
फाइल फोटो