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चीन ने फिर दिखाई भारत में धमक

चीन के रक्षा मंत्री जनरल लियांग गुआंगलेई भारत में चार दिन की सरकारी यात्रा पर आये हैं|२ सितम्बर को आये और चले भी गए|हमेशा की तरह पीछे कई विवादों को चर्चा के लिए छोड़ गए| चार दिनों की इस भारत यात्रा पर लगातार संशय के काले बादल मंडराते रहे| पहले उन्होंने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करने से इनकार कर दिया और अब उन्होंने प्रोटोकॉल का उल्‍लंघन करते हुए भारतीय वायु सेना के दो पायलटों को एक लाख रुपये नकद का लिफाफा थमा दिया हैं। ये दोनों पायलट उन्हें स्पेशल प्लेन से मुंबई से दिल्ली लाए थे।
कूटनीतिक संवेदनशीलता के लिहाज़ से पैसा लौटाया नहीं गया है लेकिन परम्परानुसार इस राशि को तोषाखाने[सरकारी माल खाना ] में जमा करा दिया गया है।
सरकारी मालखाना [तोषाखाना] में सभी सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों द्वारा विदेशों से मिलने वाले तोहफे जमा कराए जाने की परंपरा है|
मीडिया में छपी खबरों के अनुसार चीनी रक्षा मंत्री ने विमान के कैप्टन को तोहफे में एक लिफाफा दिया। चीनी रक्षामंत्री के जाने के बाद जब पायलट ने उसे खोला, तो उसमें नकद राशि थी। विमान के कैप्‍टन ने एयरफोर्स हेडक्‍वॉर्टर को इस बारे में सूचित किया। साथ ही नियमानुसार भेंट में दी गई राशि को तोषाखाने में जमा करा दिया गया है।
आगंतुक मेहमान रक्षा मंत्री द्वारा शहीद स्मारक [अमर जवान ज्योति]पर श्रद्धांजलि अर्पित करने की प्रथा है इस प्रथा को तोड़ कर जनरल लियांग ने जनरल परवेज मुशर्रफ के उस हरकत की पुनर्रावर्ति की है जब पाकिस्तानी जनरल परवेज ने पकिस्तान में प्रवेश पर तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपई को सेल्यूट करने से मना कर दिया था |
इससे पहले अगर जाया जाये तो पंडित जवाहर लाल नेहरु के काल में भी चीनी नेता आये थे उन्होंने भारत भ्रमण के बाद भाखड़ा डेम पर टिप्पणी कर के सबको चौंका दिया था “इस डेम को तोड़ कर पूरा भारत डुबाया जा सकता है”
वर्तमान में चीन की गतिविधियाँ पकिस्तान में जमीन हड़पने और अपने नजदीक सागर सीमा में [तेल और गैस] प्रभुत्व जमाने में अधिक सक्रिय हैं | इसके अलावा व्यापार में भी भारत से टक्कर मिल रही है|इस लिए १९६२ में चीन से चोट
की याद को ताज़ा ही रखना जरुरी है|