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अब अन्तराष्ट्रीय एजेंसी फिच ने घटाई भारत की क्रेडिट रेटिंग

अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज आज कल भारत की अर्थ व्यवस्था को लेकर बेहद चिंतित हैं|आये दिन कोई न कोई एजेंसी देश की अर्थ व्यवस्था की नई गिरावट की और इशारा कर रही हैं|भारत सरकार सुधारों को रफ्तार देने की भले ही लाख कोशिश करे मगर स्टेंडर्ड & पूअर्स के ५.५% के अनुमान के बाद अब फिच नामक अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग्स विशेषग्य ने [६%] साख बताई है| विकास दर अनुमान में कटौती का सिलसिला जारी है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अनुमान को ६.५% से घटाकर ६% कर दिया है।
फिच का कहना है कि बढ़ते राजकोषीय घाटे और निवेश में कमी के चलते उसने अपने अनुमान को घटाया है। फिच की ‘ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट’ में कहा गया है कि हाल में मनमोहन सरकार द्वारा सुधारों में तेजी लाने की कोशिश के बावजूद अर्थव्यवस्था के चुनौतियां बनी हुई हैं। इसके बाद जिस तरह से राजनीतिक उठापटक शुरू हुई है उससे यही लगता है कि बाकी आर्थिक फैसले लेने को लेकर सरकार पर जोखिम बरकरार है| हाल ही में केंद्र सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल और विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को मंजूरी दी है। साथ डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी में कटौती जैसे कड़े फैसले लिए हैं। इसके बाद से ही देश में राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। पिछले हफ्ते ही रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने देश के विकास दर अनुमान को 5.5 % बताया है।

अब अन्तराष्ट्रीय एजेंसी फिच ने घटाई भारत की क्रेडिट रेटिंग

Comments

  1. John S : I could not concur far more !