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भारत बंद की सफलता या असफलता का आंकलन शुरू हो गया है

कल के भारत बंद से हुए लाभ या हानि बंद सफल या असफल का आंकलन शुरू हो गया है|भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लेकर वामपंथी पार्टियों द्वारा आहूत और व्यापार संघों द्वारा समर्थित इस एक दिवसीय देश व्यापि हड़ताल से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और सड़क परिवहन+ रेलवे, फैक्टरी+ खनन, छोटे और बड़े दुकान दार+ शिक्षण संस्थान और अस्पतालों का काम काज अवरुद्ध हुआ।
आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक पंडित द्वारा अपने अपने नज़रिए से इसका आंकलन किया जा रहा है | डीजल+रसोई गैस और ऍफ़ डी आई को भी बाँट कर ही देखा जा रहा है| जहां तक आर्थिक हानि का सवाल है

आर्थिक हानि

भारतीय उद्योग परिसंघ [सी आई आई]ने इस देश व्यापि हड़ताल से सवा दो अरब डालर अर्थार्त साड़े बारह हज़ार करोड़ भारतीय रुपयों की हानि का अनुमान लगाया है| जबकि एक अन्य संस्था एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने 10 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान व्यक्त किया है|शेयर मार्केट भी सहमा सा ही रहा जोकि शाम तक उभर नहीं पाया |सेंसेक्स १४६ अंक और निफ्टी ४५ अंक लुडक कर बंद हुए| |कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार देश भर के लगभग पांच करोड़ कारोबारी प्रतिष्ठानों में काम काज बंद रहा| श्री खंडेलवाल ने दावा किया है कि देश भर के 25 हजार से अधिक व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हुए। |
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने भी हड़ताल से छोटे व्यापारिओं के पेट पर लात मारे जाने पर चिंता व्यक्त की है| स्वयम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने इसे अर्थ नाश की संज्ञा दी है|अब यह कहना अनुचित नहीं होगा कि भारत बंद हुआ और उससे आर्थिक हानि भी हुई \

सरकार पर असर

केंद्रिय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि हड़ताल से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, लेकिन उन्होंने दोहराया कि सरकार सुधार का फैसला वापस लेने पर विचार नहीं कर रही है।
श्री चिदम्बरम ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारी नीति का विरोध करने का सबको अधिकार है। लेकिन जिस प्रकार का यह विरोध हैं वह दुखद है| इससे देश को भारी नुकसान होगा।
सम्ब्व्थ इसी नुक्सान की भरपाई के लिए सरकार ने ऍफ़ डी आई के लिए अधिसूचना[नोटिफिकेशन]जारी कर दिया है|

औद्योगिक संगठनों पर असर

इनका कहना है कि सरकार को राजनीकि दबाव में सुधार के फैसले से पीछे नहीं हटना चाहिए।
सीआईआई के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने उम्मीद जताई है कि विभिन्न पार्टियां देश में प्रतीक्षित आर्थिक सुधारों के लिए काम करेंगी।
सीआईआई का मानना है कि , सुधार के सरकार के फैसले के सकारात्मक पहलुओं के बारे में आम आदमी को बताया जाना जरूरी है।

राजनीतिक असर

केंद्र सरकार ने इस बंद का मजाक उड़ाया है| कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और पी एम् ओ मंत्री नारायण सामी ने अपने पीछे भाग रही मीडिया की भीड़ से व्यंगात्मक शैली में पूछा कहाँ बंद है?आप लोग मौजूद है हम काम कर रहे हैं| गाड़ियां चल रही है फिर बंद कहाँ है?
वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने एक कदम आगे जाते हुए बताया कि सरकार को कोई खतरा नहीं है सरकार के पास पहले भी दोस्त थे अभी भी सरकार को नीतियों पर सहयोग करने वाले नए दोस्त मिल गए हैं।

बंद से बाहर

यदपि कंग्रेस शासित प्रदेशों में भी बंद का असर देखा गया मगर ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को तलाक से पहले सेपरेशन देने वाली टी एम् सी ने बंद से स्वयम को अलग रखा है| सी एम् सुश्री ममता बेनर्जी की दलील हैकी उनका प्रदेश पहले ही कर्जे में डूबा है ऐसे में बंद से और हानि होगी | उन्होंने बंद से बंगाल का नाश होना बताया है|
एन डी ऐ की सहयोगी शिव सेना ने बंद से महाराष्ट्रा को अलग रखने की अपील की थी |इसके लिए गणेश चतुर्थी के उत्सव को कारण बताया गया है|
इस बंद से बेशक यूं पी ऐ को नए दोस्त मिल गए हों मगर दूसरी तरफ भारतीय राजनीति में अलग अलग राग अलापने वाले धुर्र विरोधी धड़े एक ही सुर में सुर मिलाने लग गए हैं|एक अनुमान के अनुसार छोटी बड़ी लगभग ४० पार्टियाँ एक जुट हो गई हैं| सपा और वाम पन्थियो ने बेशक भाजपा से दूरी बनाए रखने का प्रयास किया मगर अपने दल की शासित प्रदेश यूं पी में भाजपा के साथ मिल कर बंद को सफल बना दिया|