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वायु सेना ने भारत सरकार पर साड़े तरेसठ करोड़ के बकाये का तकाजा ठोंका

वित्त मंत्रालय ने सेना के बजट में ५% की कटौती तो कर दी मगर अब सेना ने सरकार से अपनी वसूली की कवायद तेज़ कर दी है|इस दिशा में वायु सेना ने पहली उडान भरते हुए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों पर विमानों एवं हेलीकॉप्टरों के किराये के रूप में 63 करोड़ रुपया बकाया निकाल कर तकाजा शुरू कर दिया है| ।प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों ने 229 बार वायुसेना के विमानों का उपयोग किया जिसके एवज में इन मंत्रालयों पर वायुसेना का 63 करोड़ 54 लाख 89 हजार 40 रुपया किराया बकाया है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा कई बार रिमाईंडकराये जाने के बावजूद बकाया राशि बढ़ती जा रही है।
बताया गया है कि विदेश मंत्रालय ने पांच वर्षों में 131 बार वायु सेना के हेलीकॉप्टर एवं विमानों का उपयोग किया जिसके एवज में किराये के रूप में मंत्रालय पर 44 करोड़ 52 लाख रुपया बकाया है। गृह मंत्रालय पर करीब 9 करोड़ रुपया किराया बाकी निकाला गया है

वायु सेना ने भारत सरकार पर साड़े तरेसठ करोड़ के बकाये का तकाजा ठोंका

2012-13 में विदेश मंत्रालय पर [50 उड़ान] 17 करोड़ 65 लाख रुपया किराया बकाया है। 2009-10 में विदेश मंत्रालय ने वायुसेना के विमानों का45 बार उपयोग किया जिसका 18 करोड़ 10 लाख रुपया किराया बाकी है। 2007-08 में वायुसेना के विमानों का 10 बार उपयोग करने के मद में मंत्रालय पर 5 करोड़ 93 लाख रुपया बाकी है, जबकि 2004-05 में 21 बार विमानों का उपयोग करने के मद में विदेश मंत्रालय पर 4 करोड़ 42 लाख रुपया बाकी है।
वायुसेना के विमान का उपयोग करने के पात्रों के अलावा उचित मंजूरी के बाद यह सुविधा लेने वालों ने भुगतान नही किया है|
हिसार स्थित आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना मुख्यालय से वायुसेना के वीआईपी वायुयान, हेलीकाप्टरों के गैर सैन्य प्रयोजन एवं राजनीतिक व्यक्तियों को मुहैया कराये जाने के मद में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों पर बकाया राशि का ब्यौरा मांगा था। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक जल संसाधन मंत्रालय ने वायु सेना के विमानों का तीन बार उपयोग किया जिसका 77 लाख 4 हजार रुपये किराया बाकी है।
रेल मंत्रालय पर 38 लाख 61 हजार, पंचायती राज मंत्रालय पर 11 लाख 96 हजार रुपए, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पर 25 लाख 45 हजार, कोयला मंत्रालय पर 49 लाख 49 हजार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पर 23 लाख 52 हजार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्रालय पर 13 लाख 33 हजार, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय पर 27 लाख 88 हजार, बिजली मंत्रालय पर 4 लाख 92 हजार, पर्यटन मंत्रालय पर 2 लाख 98 हजार, शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय पर 2 लाख, सड़क परिवहन मंत्रालय पर 76 हजार, और नागर विमानन मंत्रालय पर 5 लाख 76 हजार रुपए किराया बाकी है।
सूत्रों की माने तो थल सेना की टुकड़ियों द्वारा हेलीकाप्टरों को भी ऐ टी ऍफ़ [जहाज़ों का तेल] मुहैय्या करवाया जाता है जिसके विवरण में भी पारदर्शिता की मांग की जा सकती है|

Comments

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