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हलवा सेरेमनी भी क्या बजट की कठिन डगर की सियासी कड़वाहट को कम कर पाएगी ?

[नई दिल्ली]हलवा सेरेमनी भी क्या बजट की कठिन डगर की सियासी कड़वाहट को कम कर पाएगी ?हलवा बांटने के पश्चात आज संसद में बजट सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन राज्य सभा में सुदृढ़ विपक्ष के तेवरों को देख नहीं लग रहा कि कोई भी हलवा सदन की चर्चा में किसी भी प्रकार की मिठास घोल पायेगा |बजट सत्र में सकारात्मक सहयोग के लिए विपक्षी दलों से सत्ता रुड दलों ने विचार विमर्श किया वेंकैय्या नायडू श्रीमती सोनिया गांधी से भी अलग से भी मिले | लोकतान्त्रिक प्रणाली में सभी कि जिम्मेदारियों का स्मरण कराया जा रहा है | इनके आलावा प्रधान मंत्री ने भी सर्वदलीय बैठक में यह आश्वासन दिया कि विपक्ष के सभी मुद्दों पर चर्चा कराई जाएगी उन्होंने बजट को सुधारों पर केंद्रित किये जाने पर जोर दिया है|इसके आलावा उन्होंने सैफई में यादव समाज कि शादी में जा कर राज्य सभा में समाजवादियों की २८ सीटों पर भी दस्तक दे दी है|
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही हड़ताली बैंक कर्मियों से अपनी चार दिन की राष्ट्रीय हड़ताल की कॉल को वापिस लेने कि अपील की है और उन्होंने मध्य वर्गीय टैक्सपेयर्स को राहत के संकेत दे दिए हैं लेकिन सरकारी प्रॉपर्टी और अनुदान पर फलफूल रही एयर इंडिया+एल आई सी+बी एस एन एल+स्टेट बैंक्स जैसी अनेकों संस्थाओं के खर्चों पर नियंत्रण की कोई बात चर्चा में नहीं आई है |भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर अन्ना बाबू राओ हजारे ने भी दिल्ली की तरफ कूच कर दिया है|
इस सबके बावजूद अपने अस्तित्व के लिए हाथ पावँ मार रही कांग्रेस राज्यसभा में अवसर तलाशने से गुरेज नहीं करेगी वोट बैंक की राजनीती करने वाले दल भी भाजपा से अपनी दूरी को पोर्ट्रेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे |इसीलिए कहा जा सकता है “बहुत कठिन है डगर इस बजट की”