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दलाई लामा आधी शताब्दी से भारतीय में शरण हैं और अब पूर्णतय भारतीय रंगों में रंगे दिखाई देते हैं

दलाई लामा को भारत में शरण लिए अब ५० से अधिक साल हो गए हैं शायद इसीलिए अपने हाव भाव और व्यवहार से पूर्णतय भारतीय रंग में रंगे दिखाई देते हैं|मेरठ आगमन पर उन्होंने भारतीय मूल्यों की सार्थकता को वर्तमान परिवेश में प्रमाणित करने का भी प्रयास किया | बेशक तिबत्ती धर्म गुरुओं वाली पोशाक पहने हुए थे मगर उन्होंने किसी भारतीत विशेषग्य की भांति देश में व्याप्त विसंगतियों ,विषमताओं पर चिंता जताई |युवाओं को भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ साथ मन की प्रसन्नता पाने के लिए भी प्रेरित किया| ११ मार्च सोम वार को गंगा नगर स्थित आइआइएमटी इंस्टीट्यूट में तिबत्ती धर्म गुरु दलाई लामा ने पत्रकारों और छात्रों से खुल कर बात की| बातचीत में दलाई लामा ने कहा कि छोटे-छोटे स्वार्थो की खातिर राजनेताओं और धर्मगुरुओं ने अपने सिद्धांतों से समझौता किया है और इसी के प्रतिफल में बड़े-बड़े घोटाले हुए और भ्रष्टाचार की बेल बढ़ी है।यहाँ तक के राजनीति के दखल ने शिक्षा के अहम् स्तर को भी गिराया है।

 दलाई लामा आधी शताब्दी से भारतीय में शरण हैं और अब पूर्णतय भारतीय रंगों में रंगे दिखाई देते हैं

दलाई लामा आधी शताब्दी से भारतीय में शरण हैं और अब पूर्णतय भारतीय रंगों में रंगे दिखाई देते हैं


उन्होंने कहा के भारत ही एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहां अनगिनत धर्म और संप्रदाय वास करते हैं और इनमें समरसता है।
तिब्बत-चीन संबंध पर दलाई लामा ने कहा कि चीन में लोकतंत्र और संविधान दोनों ही हैं, लेकिन तिब्बत में इनका लाभ आज तक नहीं मिला। इसकी वजह कुछ वर्ग का स्वार्थ है। उन्होंने यह भी कहा कि अब चीन में भी हजारों की संख्या में बुद्धिजीवी तिब्बत के समर्थन में उतर आए हैं।
बौद्ध धर्म के भविष्य के बारे में धर्म गुरु ने कहा कि मौजूदा युवा पीढ़ी इस धर्म के अध्ययन के प्रति रुचि दिखा रही है, शोध पर फोकस कर रही है। यह एक सकारात्मक संकेत है और हो भी क्यों न, यह तो भारत का ही धर्म है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा के संसार की सभी सुविधाए हासिल करो मगर पहले मानसिक शांति जरूर प्राप्त करो|उनके शब्दों में आधी शताब्दी से जयादा तिब्बत बिछोह का दर्द भी झलका उन्होंने कहा के भारत ने १९५६ में तिब्बत को समर्थन देने का वायदा किया था लेकिन जरुरत पड़ने पर १९५९ में सहयोग नहीं दिया
धर्म गुरु ने भारतीय समस्यायों को चिन्हित करते हुए कहा के भ्रष्टाचार भारत की सबसे बड़ी समस्या हैइसके साथ नसलवाद+दहेज़ +आतंकवाद से देश कमजोर हो रहा है| तिब्बती बौद्ध गुरू ने कहा कि भारतीय राजनीति में सुधार की जरूरत है और गलत राजनीति के साथ ही यहां कई धर्म गुरुओं के घोटालो का उजागर होना चिंताजनक है।उन्होंने भारतीय संस्कृति की प्रशंसा की।
दलाई लामा ने ये भी स्पष्ट किया कि वह अलग राष्ट्र या आजादी की नहीं बल्कि तिब्बत का स्वशासन चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत तो पहले से ही उनके समर्थन में था। लेकिन अब न केवल चीन बल्कि दुनिया के बाकी देश भी उनके समर्थन में आ रहे हैं।