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बादल आखिर फटते क्यूं हैं

बादलों के फटने से उत्तरकाशी और कुल्लू मनाली में तबाही मची है राहत कार्य जारी हैं लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है |कई लोगों ने बादलों के फटने के विषय में जानना चाहा है कि ये बादल आखिर फटते क्यूं हैं| विशेषज्ञों के अनुसार संघनित बादलों का नमी बढ़ने पर बूदों की शक्ल में बरसना बारिश कहलाता है। पर अगर किसी क्षेत्र विशेष में स्थित बादल में इक्कठा हुई बूंदों का भार बढ जाता है तब भारी बारिश की संभावनाओं वाला बादल एकाएक बरस जाता है, तो उसे बादल का फटना कहते हैं। इसमें थोड़े समय में ही असामान्य बारिश होती है।
भारत में बादल फटने की घटनाएं तब होती हैं, जब बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मानसूनी बादल हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं और तेज तूफान से बने दबाव के कारण एक स्थान पर ही पानी गिरा देते हैं।बरसने से पहले बादल पानी से भरी एक ठोस वस्तु का आकार लिए होता है, जो आंधी की चपेट में आकर फट जाता है। किसी एक स्थान पर एकाएक तेज दबाव में पानी गिरता है। मानो नदी का मुहाना खुल गया है। ये बहाव इतना तेज होता है कि इसके साथ रास्ते के पत्थर और मलबा भी बह जाता है और रास्ते में आने वाली हर चीज बह जाती है। जमीन तक कट जाती है|
बादल फटने की घटनाएं अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों में ही होती है।नवंबर, 1970 में हिमाचल के बरोत में (भारत में रिकॉर्ड 38 मिमी तक) दर्ज कि गई थी
पर इसके अपवाद के रूप में जुलाई, 2005 में मुंबई में बादल फटने के कारण आठ-दस घंटे में करीब 950 मिमी तक बारिश हुई थी।
विदेशों में भी बादल फटने कि घटनाएँ इतिहास में दर्ज़ हैं |अगस्त, 1906 में अमेरिका के गिनी वर्जीनिया में बादल फटने से 40 मिनट में 9.2 इंच बारिश हुई थी।इसी तरह नवंबर, 1911 में पनामा के पोर्ट बेल्स में (पांच मिनट में 2.43 इंच), जुलाई, 1947 के रोमानिया के कर्टी-डी-आर्जेस में (20 मिनट में 8.1 इंच), और कराची में पिछले साल जुलाई में तीन घंटे के अंदर 250 मिमी बारिश हुई थी।
बादल फटने से बचाव के उपाय
बादल को फटने से रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं हैं मगर , वन क्षेत्र की मौजूदगी और प्रकृति से सामंजस्य बनाकर चलने पर इससे होने वाला नुकसान कम हो सकता है।
जम्मू एवं कश्मीर में बेटे दिनों बादल फटने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और कई लापता हो गए। इस हादसे में राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा भी बह गया, जिससे वहां पहुंचना काफी कठिन हो गया है। यह हादसा जम्मू से करीब 140 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में बगार इलाके में बातोते-किश्तवाड़ राजमार्ग पर हुआ। बादल फटने से सड़क का एक बड़ा हिस्सा और कई वाहन बह गए। अधिकारी अभी तक जानमाल के नुकसान का आकलन नहीं कर पाए हैं।
पुलिस उपायुक्त (डोडा) फारुक खान ने कहा, ने कहा कि बचाव अभियान चलाने के लिए सेना से सहायता मांगी गई है। पुलिस के मुताबिक घटना के बाद से ही तीन लोग लापता हैं जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि कई लागों से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। बादल फटने के बाद सड़क का एक बड़ा हिस्सा बह जाने से वहां पहुंचना भी कठिन हो गया है क्योंकि उस इलाके में जाने के लिए कोई दूसरी सड़क भी नहीं है।

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