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जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष+वयोवृद्ध प्रो.बलराज मधोक[९३] नहीं रहे

[नयी दिल्ली]जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष+वयोवृद्ध प्रो.बलराज मधोक नहीं रहे |वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् [एबीवीपी]के संस्थापक सचिव भी थे।
भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष और आरएसएस के दिग्गज नेता बलराज मधोक[९६] का आज एम्स में निधन हो गया।
मधोक कुछ समय से बीमार चल रहे थे और एक महीने से एम्स में भर्ती थे जहां आज सुबह नौ बजे उनका निधन हो गया। आज शाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दो बार सांसद रहे श्री मधोक ने 1961 और 1967 में क्रमश: दिल्ली एनसीटी और दक्षिण दिल्ली का दूसरे और चौथे लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया था।
वर्ष 1966 में उन्हें भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
वह नयी दिल्ली के पीजीडीएवी कॉलेज में इतिहास विभाग में शिक्षक थे और 1947..48 में उन्होंने ‘‘आर्गेनाइजर’’ तथा 1948 में उन्होंने ‘‘वीर अजरुन’’ हिंदी साप्ताहिक का संपादन किया। वह जम्मू,कश्मीर प्रजा परिषद् के संस्थापक सचिव भी थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मधोक के निधन पर दुख जताया है और कहा कि उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता मजबूत थी, विचारों में सुस्पष्टता थी और उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से खुद को राष्ट्र और समाज को समर्पित कर दिया था।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘जनसंघ के दिग्गज नेता श्री बलराज मधोक के दुखद निधन पर शोक जताता हूं। बलराज मधोक जी की वैचारिक प्रतिबद्धता मजबूत थी और विचार काफी स्पष्ट थे। वह नि:स्वार्थ भाव से देश और समाज की सेवा में समर्पित थे।’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कई मौके पर बलराज मधोक जी से वार्तालाप करने का अवसर मिला। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार के प्रति संवेदना। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
वे गणमान्य शिक्षाविद, विचारक, इतिहासवेत्ता, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक भी हैं।
उनका जन्म २५ फ़रवरी १९२० को जम्मू एवं काश्मीर राज्य के अस्कार्डू में हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा लाहौर विश्वविद्यालय में हुई।
१८ वर्ष की आयु में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। सन १९४२ में भारतीय सेना में सेवा (कमीशन) का प्रस्ताव ठुकराते हुए उन्होने आर एस एस के प्रचारक के रूप में देश की सेवा करने का व्रत लिया।उन्होंने ३० से अधिक किताबें लिखी हैं
फरवरी, 1973 में कानपुर में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने एक नोट पेश किया। उस नोट में मधोक ने आर्थिक नीति, बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर अपनी अलग बातें कही थीं।मधोक ने संगठन मंत्रियों को हटाकर जनसंघ की कार्यप्रणाली को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने की मांग भी उठाई थी। लालकृष्ण आडवाणी उस समय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वे मधोक की इन बातों से इतने नाराज हो गए कि आडवाणी ने मधोक को पार्टी का अनुशासन तोड़ने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उन्हें तीन साल के लिये पार्टी से बाहर कर दिया गया। इस घटना से बलराज मधोक इतने आहत हुए थे कि फिर कभी नहीं लौटे।
मधोक जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के खिलाफ थे। 1979 में उन्होंने ‘भारतीय जनसंघ’ को जनता पार्टी से अलग कर लिया। उन्होंने अपनी पार्टी को बढ़ाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई।