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मोदी ने असहयोग के उपरान्त भी कुशल नेता की भांति”स्टार्टअप इंडिया”का बिगुल बजा ही दिया

‘ [नयी दिल्ली]मोदी ने असहयोग के उपरान्त भी कुशल नेता की भांति”स्टार्टअप इंडिया”का बिगुल बजा ही दिया
विपक्ष के असहयोगपूर्ण रवैय्ये के उपरान्त भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप’ आंदोलन को देख कर फारस के छह राजा और बीरबल पर घड़ी गई एक कथा की याद हो आई| संसद और संसद के बाहर विपक्ष के तमाम विरोधों के बावजूद नरेंद्र मोदी ने नजरें विकास की तरफ करके स्वयं को विकासशील नेता के रूप में सफलता पूर्वक प्रस्तुत किया| १६ जनवरी को ऐतिहासिक शुरुआत करते हुए केंद्र सरकार ने उद्यमों के लिये 10,000 करोड़ का कोष और तीन साल की कर छूट का एलान किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्टअप कारोबारियों के लिये तीन साल का कर अवकाश+पूंजीगत लाभ कर से छूट+इंस्पेक्टर राज मुक्त परिवेश +वित्तपोषण के लिये 10 हजार करोड़ रपये का कोष स्थापित करने सहित कई तरह के प्रोत्साहनों की घोषणा की है ।
मोदी ने नौ श्रम +पर्यावरण कानूनों के अनुपालन के लिये स्व:प्रमाणन योजना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उद्यम शुरू होने के पहले तीन साल के दौरान कोई जांच नहीं की जायेगी।
देश में नर्वप्रवर्तन सोच के साथ आने वाले तकनीक आधारित इन नये उद्यमों के लिये एक उदार पेटेंट व्यवस्था की भी घोषणा की गई है |
पेटेंट पंजीकरण में इन उद्यमों को पंजीकरण शुल्क में 80 % छूट दी जायेगी।
इन उद्यमों को देश में संपत्ति और रोजगार सृजन करने वाले अहम क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है।
दुनियाभर में स्टार्टअप की तीसरी बड़ी संख्या भारत में है। सरकार इन उद्यमों को सरकारी खरीद ठेके लेने के मामले में भी मानदंड में कई तरह की छूट देगी। स्टार्ट अप उद्यमों को सरकारी ठेकों में अनुभव और कारोबार सीमा के मामले में भी छूट दी जायेगी
इस एक कदम से नरेंद्र मोदी का राजनितिक कद अपने दौर के नेताओं से कहीं बढ़ा नजर आने लग गया है |
इसी दिन मुख्य विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुंबई में रैली निकाली छात्रों को सम्बोधित भी क्या लेकिन दुर्भाग्यवश हर मामले पर नरेंद्र मोदी को ही कोसते नजर आये|इसी के चलते विरोध भी हुआ|दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी पर कीचड उछालने में व्यस्त रहे |यूंपी सीएम अखिलेश यादव और पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल ने भी केंद्र की तरफ चिट्ठियां भेज कर इतिश्री कर ली| एक दिन की इन घटनाओं को देख कर बीरबल और फारस के छह राजा का किस्सा याद आ गया |जिसका सार है के असली राजा सिर्फ सामने देखता है |विकास की सोचता है और करता है जबकि उसके भेष में आने वाले सभी उस राजा की तरफ ही देखते रहते हैं|