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किसान मन की बात सुनाने नही बल्कि अपने मन की मनवाने आये हैं

#क्रोधितकिसान
ओए झल्लेया! ये क्या हो रहा है?
ओये इन काले कृषि कानूनों के खिलाफ हम लोग अपने मन की बात बताने दिल्ली आए हैं और यहां बेरिकेडिंग्स+पानी की बौछारों से स्वागत किया जा रहा है और मेजबानी करने के बजाय कोई काशी में तो कोई हैडराबाद में दिखाई दे रहा है
#झल्ला
भापे जी! आपलोगों ने जिस तरह से दिल्ली को घेर कर अर्थव्यवस्था +ट्रैफिक को जाम कर दिया है उससे तो लगता है कि आप लोग सुनाने नही बल्कि अपनी बात मनवाने आये हो